अंचल के किसानों को नही मिल रहा है गेंहू का समर्थन मूल्य, ब्यापारियों की पौबारह
मुरैना- जिला एवं तहसील मुख्यालय तथा ग्रामीण  अंचलों में सर्मथन मूल्य के केन्द्रों पर किसानो की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी  है। किसान को अपने माल को व्यापारियों के लिए विक्रय करने को विवश होना पड़ रहा है।  क्यों कि किसान को माल बेचने को मजबूर केन्द्र संचालक की मिली भगत से किया जाता  है। फिर वह गेहूं  व्यापारी को 900 से 1000 रूपये देने को मजबूर हो जाता है। मुरैना जिले में जौरा, कैलारस, सबलगढ, अम्बाह  और पोरसा मण्डी में किसानों का शौषण होता है। जब भी किसान अपनी फरियाद लेकर वरिष्ठ  अधिकारी के पास जाता है तो उसे आश्वासन के अलावा कुछ नही मिलता काम जैसा का तैसा  चलता रहता हैं। मुरैना जिला  10 वर्षो से सूखे एवं सिंचाई के पानी की कमी के कारण किसान की स्थिति वैसे  ही खराव बनी हुई है। इसके वावजूद जैसे तेसे करके वह अपना समय काट कर जीवन यापन कर  रहा है। आज किसान की यह स्थिति हैं कि अगर एक वर्ष सूखा या किसी कारण वश फसल नही  हो पाती है या उत्पादन कम होता है तो उसको एक वर्ष का भरण पोषण करीबन 5 वर्षो में पूरा हो पाता है। 
इस वर्ष अच्छी फसल होने के कारण किसान के चेहरे पर  खुशी आई लेकिन केन्द्र संचालकों की मन मर्जी के चलते काफी किसानों को परेशानी का  सामना करना पड़ रहा है। केन्द्र संचालक सरकारी वारदाना जो कि किसानों के माल के लिए  आता है उसे व्यापारियों को देकर कमीशन खोरी के चलते सप्लाई कर दिया जाता है। 
 मंण्डीओं  में किसान अधिक तरह ट्रोली में अपना  अनाज  भरकर घंटो धूप में तपते रहते है। कई खाते की किताबे फर्जी तरीके से लगाई जाती हैं।  जिनमें आज तक फसल न उगाई हो। लेकिन प्रशासन भ्रष्टाचारी के बंद कमरे में उसे न तो  किसानों से मतलब है ना ही कार्यवाही से लेकिन यह बात प्रशासन के लिये शर्म का विषय  है क्षेत्रीय किसान जिला अधिकारी व कलेक्टर से मांग करता है कि किसानों के हित का  ध्यान रखा जाये। 
 
 
 
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