शनिवार, 22 नवंबर 2008

चम्‍बल में निष्‍पक्ष चुनाव पर प्रश्‍न चिह्न, खुलेआम आचार संहिता की धज्जियां, मतदाताओं को लुभाने धमकाने से लेकर तंग परेशान करने का सिलसिला जारी

चम्‍बल में निष्‍पक्ष चुनाव पर प्रश्‍न चिह्न, खुलेआम आचार संहिता की धज्जियां, मतदाताओं को लुभाने धमकाने से लेकर तंग परेशान करने का सिलसिला जारी

नरेन्‍द्र सिंह तोमर 'आनन्‍द'

मुरैना 22 नवम्‍बर 08, म.प्र. में वर्तमान में हो रहे विधानसभा चुनावों की निष्‍पक्षिता पारदर्शिता और स्‍वतंत्रता को लेकर कई सवाल खड़े हो गये हैं ।

प्रत्‍याशी भले ही आपस में कुछ भी आरोप प्रत्‍यारोप कर रहे हों लेकिन जनता की नजर से समूची जनता इस यकीन और निश्चिन्‍तता से परे है, कि चम्‍बल घाटी में चुनाव निष्‍पक्ष, स्‍वतंत्र एवं पारदर्शी होंगें ।

सख्‍त आचरण संहिता के चलते और सख्‍त प्रशासनिक रवैये के कारण भले ही चम्‍बल के बाहुबली प्रत्‍याशी अपने शक्ति प्रदर्शन को अधिक खुलेआम नहीं कर पा रहे हों लेकिन चुनाव प्रचार के इस दूसरे चरण के आते आते चुनाव प्रचार की जगह प्रत्‍याशीयों की खुली गुण्‍डागर्दी, अराजकता और साम, दाम, दण्‍ड भेद की नीति ने ले ली है ।

बाहुबली व धनबली प्रत्‍याशी जहॉं खुलेआम गुण्‍डागर्दी पर उतर आये हैं, वहीं आचरण संहिता का तो चूरमा बना कर अपने जूतों तले न जाने कब का रौंद चुके हैं । हम कुछ चित्र आज ही प्रकाशित कर रहे हैं, और कुछ अन्‍य चित्रों को आज ही फिल्‍म के रूप में अपने वीडियो व इण्‍टरनेट टी.वी. सेक्‍शन में प्रसारित कर रहे हैं, इनमें आचरण संहिता की धज्जियां उड़ाते और मतदाताओं को लुभाते और डराते घमकाने परेशान करने तथा प्रत्‍याशीयों की गुण्‍डागर्दी के चित्र ताजे यानि आज के ही खींचे हुये हैं और बकाया फाइल चित्र हैं ।

क्‍या हो रहा है, चम्‍बल में असल में

मैं आपकों शहर मुरैना का जिक्र सुना रहा हूं , मैं आपको यहॉं हो रही या घट रही सारी तत्‍य बयानी प्रत्‍यक्षदर्शी मैं स्‍वयं और कुछ मामलों में स्‍वयं भुक्‍त भोगी के रूप में बयान कर रहा हूं ।

इसके बाद निर्वाचन आयोग या जिला प्रशासन मुरैना कैसे मतदाताओं को आश्‍वस्‍त करेगा यह उनकी जिम्‍मेवारी है, मैं जो लिख रहा हूँ वह सब मय साक्ष्‍य है ।

प्रश्‍नात्‍मक घटनायें व वृतान्‍त (उत्‍तर दीजिये)

1.           पूरे दिन और पूरी रात की बिजली कटौती संदिग्‍ध रहस्‍यमय और कुछ विशिष्‍ट क्षेत्रों तक सीमित क्‍यों, किसके इशारे पर, और किस उद्देश्‍य के लिये

2.           केवल कुछ प्रत्‍याशीयों या केवल कुछ स्‍थान मात्र पर ही आचरण संहिता उल्‍लंघन के मामले क्‍यों, बीच शहर में खुलेआम आचार संहिता की धज्जियां उड़ रही हैं, इसे कौन रोकेगा ।

3.           मतदाताओं को खुलेआम सौ का नोट और एक नारियल कुछ प्रत्‍याशीयों द्वारा कुछ क्षेत्रों में बांटे जाने की खबरें लगातार मुझे मिलीं और ऐसा हुआ भी इस सम्‍बन्‍ध में एक प्रत्‍याशी ने आरोपित किया है और समाचार पत्रों में बयान दिया है कि वोट खरीदे जा रहे हैं, आप इस मामले में अब तक क्‍या कर रहे हैं, इस तथ्‍य को साबित करने या निष्क्रिय व असत्‍य साबित करने हेतु क्‍या कार्यवाही किये हैं, या क्‍या कदम आपने उठाया है । मैं आपकों याद दिला दूं म.प्र. शासन के अस्तित्‍वाधीन एक आदेश के तहत चौबीस घण्‍टे के भीतर सम्‍बन्धित प्रशासनिक अधिकारी को असत्‍य खबर या तथ्‍य का खण्‍डन करना अनिवार्य है या फिर उसे साबित करने हेतु कदम उठा कर कार्यवाही करना अनिवार्य है, इस आदेश की प्रति आपके पास न हो तो मेरे पास उपलब्‍ध है, मुझसे ले लीजिये या फिर म.प्र. शासन की वेबसाइट से ले लीजिये या म.प्र. के असाधारण राजपत्रों के अंक टटोल लीजिये यह आदेश गजटेड है ।

4.           चम्‍बल के कई गांवों की कई समस्‍याओं पर कई गांवों, ग्राम पंचायतों और शहर मुरैना और तहसील कस्‍बों के कई मोहल्‍लों के वाशिन्‍दों मतदाताओं द्वारा बाकायदा बयान जारी कर अखबारों में खबर छपवाकर मतदान के बहिष्‍कार किये जाने का ऐलान किया गया है, यदि यह खबरें या अखबार आपके पास न हों तो मेरे पास सुरक्षित रखें हैं, क्‍या मतदान का बहिष्‍कार स्‍वस्‍थ लोकतंत्र के लिये आवश्‍यक है या फिर मतदान बहिष्‍कार, निष्‍पक्ष, स्‍वतंत्र व पारदर्शी मतदान का एक अंग है आप ऐसा मानते हैं । यदि ऐसा बहिष्‍कार घोषित हुआ है तो उसे करवाने के लिये या उन्‍हें मतदान हेतु प्रेरित किये जाने हेतु आपने क्‍या कदम उठाये हैं, इन मतदाताओं से मतदान कराने का दायित्‍व किसका है, आपका या मेरा, या सम्‍बन्धित अखबारों का या फिर सम्‍बन्धित प्रत्‍याशीयों का । इन रूठे मतदाताओं द्वारा मतदान बहिष्‍कार कैसे आखिर स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष या पारदर्शी चुनाव करायेगा मेरी समझ से परे हैं । ये मतदान नहीं करेंगें तो क्‍या आप एक अच्‍छा, उत्‍कृष्‍ट सर्वमान्‍य जनप्रतिनिधि इस देश के लोकतंत्र को देंगें यह मुझे समझाईये । जब कोई मतदान नहीं करेगा या कोई बूथ पर निरंक वोटिंग होगी तो क्‍या आप चुनाव परिणाम रोक देंगें या फिर उस विधानसभा का या उस बूथ का पुन: पोलिंग करायेंगे, इस सम्‍बन्‍ध में आपकी नीति क्‍या है, मुझे बताईये ।

5.           सारे शहर में धुंआधार गुण्‍डागर्दी और अराजकता फैली हुयी है, यहॉं तक कि अखबारों को खुलेआम लुभाने व धमकाने का माध्‍यम प्रत्‍याशीयों द्वारा बनाया गया है और सब कुछ साफ साफ अखबारों में छपा हुआ है और लगभग रोज ही छप रहा है, इन अखबारों या खबरों या लुभावने विज्ञापनों की प्रति यदि आपके पास नहीं हैं तो मेरे पास सुरक्षित हैं, आपने अब तक इस सम्‍बन्‍ध में क्‍या कदम उठाये हैं, महाराज कृपया अवगत करायें ।

6.           कुछ प्रत्‍याशीयों का दावा है कि मुरैना महादेव नाका पर अण्‍डरब्रिज वे बनवा देंगे और बाकायदा उन्‍होंने टाइम लिमिट भी घोषित की है, यह तथ्‍य कितना सही है, क्‍या इसे लुभावना लालच की संज्ञा या तथ्‍यात्‍मक भ्रम या भ्रमात्‍मक तथ्‍य माना जा सकता है, क्‍या यह प्रत्‍याशी भारत सरकार का रेलमंत्री है, या रेलमंत्री इसका जरखरीद गुलाम है या इसकी जेब में रहता है, इस प्रत्‍याशी द्वारा ऐसी गारण्‍टी किस गारण्‍टी के तहत दी गयी है , कृपया तथ्‍य को सत्‍यरूप से अवगत करा कर मुझ लाचार, नासमझ, कम अकल और अनपढ़ अज्ञानी मतदाता को बताने की कृपा करें मैं भ्रमित हो गया हूं, और लालच में भी आ गया हूं, इसी बिन्‍दु पर एक अन्‍य प्रत्‍याशी द्वारा पिछले कई दिनों कई महीनों से अखबार में छपवा छपवा कर दावा किया गया है कि वह भी इस अण्‍डर ब्रिज को बनवा देगा, उसका कहना है कि वह बनवा भी देता काश कि वह रेलमंत्री होता, उसका कहना है कि वह अण्‍डर ब्रिज बनवाने के लिये अपनी जेब से या अपनी सरकार की जेब से पैसा एक साल पहले रेल मंत्रालय में जमा करवा चुका था, लेकिन रेल मंत्रालय ने छल, धोखाधड़ी और कपटपूर्वक, आपराधिक षडयंत्र रचकर उसके पैसे पचा लिये और लम्‍बे समय तक अपनी जेब में डाल कर रेल्‍वे उसे टहलाती रही, बाद में आज कल आज कल करते अभी तक उसने अण्‍डरबिज नहीं बनवाया और मूर्ख बना दिया तथा उसके साथ , उसकी सरकार के साथ और मुरैना की जनता के साथ धोखाधड़ी कर दी, अब वह भी कह रहा है कि वह जीता तो बनवा देगा अण्‍डरब्रिज ।  आदरणीय श्रीमान मुझे भ्रम हो गया है और यह लालच भी आ गया है कि मैं इन दोनों में से ही किसी को वोट करूं लेकिन भ्रम हो गया है, भ्रमात्‍मक तथ्‍यों के कारण तथ्‍यात्‍मक भ्रम । मैं उलझन में हूं, श्रीमान मैं एक मूर्ख, कमसमझ कम पढ़ा लिखा अज्ञानी मतदाता हूं, श्रीमान निष्‍पक्ष चुनाव के रिंग मास्‍टरगण मेरा भ्रम दूर करें, मेरा मार्गदर्शन करें, जिससे मैं सही आदमी को वोट दे सकूं । अगर आप वोटिंग से पहले सही तथ्‍य या सही प्रत्‍याशी का नाम बता देंगें कि इनमें से कौन रेलमंत्री बनेगा या रेलमंत्री भारत सरकार किसका जरखरीद गुलाम होगा या कौन रेलमंत्री को दारू पिला कर महादेव नाके पर ठुमके लगवायेगा , उस सही आदमी के नाम से मुझ गरीब अज्ञानी अल्‍पबुद्धि को अवगत करा दें जिससे मैं सही आदमी को वोट देकर अपना अण्‍डरब्रिज बनवा लूं ।

7.           हमारे भावी जन प्रतिनिधिगण द्वारा प्रस्‍तुत अपने आय व्‍यय लेखे में आप केवल जे पूछ रहे हैं कि रकम गयी कहॉं यानि खर्च कहॉं हुयी कै फिर जेऊ पूछ रहे हैं कि जे आयी कहॉं से, मतलब जो रकम खरच भई वो आय कहॉं से रही है और आवक स्‍त्रोत की विश्‍वसनीयता और प्रमाणिकता क्‍या है, और जा आवक जावक में यानि आय व्‍यय में प्रत्‍याशीयन के विज्ञापनन के खच्‍च और रसीद आय गयीं के नानें, जो लंगर चलाय कें भण्‍डारे कर रहे हैं वाउको खच्‍च दिखाओ है के नानें । कितेक गैस सिलेण्‍डर खाय गये नेता लंगरन्‍न में, जे सिलेण्‍डरों की खरद की रसीद खच्‍च के हिसाब के संग पेस भई है के नानें । महाराज शहर से सिलेण्‍डर गायब है गये हैं, जनता से पंगा कर्रो है रहो हैं , हमऊं से भिड़न्‍त है गयी है , हम तो खैर निबट लेंगें पर महाराज निष्‍पक्ष चुनाव गारण्‍टी अधिकारी महोदय वा जनता को का होगो जो हजारों नम्‍बर आज की तारीख में आडवाणी जी की तरह वेटिंग इन में डरे हैं , वे भभ्‍भर मचाय रहे हैं । बिनकी कोऊ सुन नाने रहों जा बखत । हमने सुनी है कि नेतन लोगन ने ट्रक के ट्रक सिलेण्‍डर उतारवाय लये हैं, और सिग लंगरन में हवन है गये हैं । सुनो है के नेतन ने भारी गुण्‍डागिरी मचाय रखी है । बड़ी जबरदस्‍त ब्‍लैकमेलिंग चल रही और सिलेण्‍डर आठसौ और पन्‍द्रह सौ रूपये में मिल रहे हैं नहीं तो तीन महीना बाद, वाह प्रभु जय सियाराम, वैसे तो हम कम्‍पलेण्‍ट हाई लेवल करई रहे हैं और कै तो जा व्‍यवस्‍था कों अब ठीक ही करवाय देंगें और एजेन्‍सी टर्मिनेशन के लेउँ लिखेंगे हकीकत तो खैर भारत सरकार के सही डिपार्टमेण्‍टों तक सही माध्‍यम से पहुचाय देंगें ही, लेकिन महाराज चुनाव बाद हम सूचना का अधिकार में जे सब ब्‍यौरा महाराज आपसे मांगेंगे, सो दे जरूर दीयो नहीं तो एक लड़ाई और लड़नी पड़ेगी ।

8.           वैसे तो ऊपर लिखीं बातें बहुत हैं समझदार के लाने पर जे है कि चलत चलत एक औरऊ बात कह दें कि बा गरीब हरिजन निर्दलीय प्रत्‍याशी की प्रचार गाड़ी यानि रिक्‍शा जे दूसरा गुण्‍डा बाहुबली प्रत्‍याशीयन ने टोर फोर डारी हती, हमने अखबार में पढ़ी हती वा को का भओं, जे निर्दलीय प्रचार काय नही कर पाय रहे, जिनकी धड़ाधड़ पिटाई मराई लगाय कें जे गुण्‍डा लोग बाहुबली प्रत्‍याशी प्रचार नहीं करन दे रहे वामें आप का कर रहे हैं महाराज । खैर थोड़ी लिखी बहुत समझना ।

अंतत: आप समझ सकते हैं कि चम्‍बल में चुनाव कैसा चल रहा है और कैसा निष्‍पक्ष, स्‍वतंत्र व पारदर्शी हो रहा है । और उधर डकैत बदमाश गांवों में धमकी दे गये हैं कि अलां फलां को वोट देना वरना चुनाव बाद पकड़ कर ली जायेगी, शहरों में चोरी भडि़याई करवाने की धमकी और ऐलान जारी किये है, कुछ मतदाताओं को लूट पाट और मारने पीटने के फरमान जारी हो गये हैं वहीं कुछ मतदाताओं को परिवार सहित जान से मारने की धमकी, अपहरण करने और बेइज्‍जत करने के फरमान भी बाहुबली गुण्‍डा प्रत्‍याशीयों द्वारा जारी किये गये हैं, कुछ की बिजली पानी काटने, कुछ को अन्‍यान्‍य भांति तंग व त्रस्‍त करने जैसी धमकियां जारीं हैं, शहर और गांव दहशत में हैं, मतदान आ रहा है, अगर वोटिंग ऐसे ही होनी है तो वोटिंग की जरूरत क्‍या है, इलेक्‍शन की जगह नोमिनेशन कर लेना चाहिये ।  

गुरुवार, 20 नवंबर 2008

चम्‍बल में विदेशी पंछी मेहमान बन कर आये, लंगरों में दावत भण्‍डारे और दारू के भोज, ससुरे वोट डालेंगें कि चुनाव करायेंगें

चम्‍बल में विदेशी पंछी मेहमान बन कर आये, लंगरों में दावत भण्‍डारे और दारू के भोज, ससुरे वोट डालेंगें कि चुनाव करायेंगें   

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

मुरैना विधानसभा पर इस बार प्रमुख दलों कांग्रेस, भाजपा और बसपा का गला काट संघर्ष होगा । लेकिन प्रभावित करने वाले यानि वोट काटने वाले इनकी नाक में खासा दम कर देंगें । कल एक निर्दलीय प्रत्‍याशी को छ गाड़ीयों के साथ इन तीन प्रमुख प्रत्‍याशीयों में से एक का चुनाव प्रचार करते और चुनाव सामग्री भरी गाड़ी के साथ जिला प्रशासन मुरैना ने पकड़ा है । हालांकि जिला प्रशासन और निर्वाचन आयोग निष्‍पक्ष चुनाव कराने की कसम खा कर बैठा है लेकिन राजनैतिक दलों के प्रत्‍याशी भी अपने जौहर दिखाने से नहीं चूक रहे । निर्दलीय प्रत्‍याशीयों की गाड़ीयों का उपयोग करना, निर्दलीयों को खरीद कर जर खरीद गुलाम की तरह प्रचार में उनका इस्‍तेमाल करना, शराब, शबाव और कबाव, यानि एग, लैग और पैग के साथ औरतों और बच्‍चों को उठवा कर अपनी छवि बनाना दूसरों की बिगाड़ना, गुण्‍डे, चोर मवालीयों और बाहरी बदमाशों तथा डकैतों की पूरी फौज की फौज इन दिनों चम्‍बल में एक माह पहले से ही बारातों की भांति फोकट के लंगरों में भोज पंगत और जाम के आनन्‍द उठाने में लगी है, सीमायें सील होने से पहले ही विशाल तादाद में अपराधी पहले ही अपना डेरा चुके थे । इन दिनों चम्‍बल में बाहर के विदेशी प्रवासी पक्षी मेहमान बन कर डेरा जमाये हैं । ज्ञातव्‍य है कि इन दिनों प्रत्‍याशीयों के समूची चम्‍बल में यत्र तत्र सर्वत्र लगभग 7 हजार लंगर चल रहे हैं और राजस्‍थान से नकली व सस्‍ती मंहगे ब्राण्‍ड के लेबल लगी दर्जनों ट्रक शराब भरकर चम्‍बल पहुँच कर बदमाशों के टेटुओं में उड़ेली जा रही है । एक लंगर में अमूमन 6-7 हजार लोग रोजाना पेट भरने और गला तर करने का काम कर रहे हैं । अब भई ये विदेशी प्रवासी पंछी मेहमान बन कर जो डेरा डाले हैं और हराम की कमाई, हराम की लुगाई और हराम की खिलाई पिलाई का आनन्‍द ले रहे हैं जे पता तो तुमई लगाओ कि जे निर्वाचन आयोग के आदमी हैं का, या फिर निर्वाचक हैं या फिर ससुरे निर्वाचन के एजेण्‍ट हैं आखिर जे हैं का ।

हम तो प्‍यारे यही कहेंगें कि कोऊ नृप होय हमें का हानी, जादा चेंटें तो पिला देंगें पानी ।   

परिसीमन का साया : कहीं त्रिकोणीय तो कहीं बहुकोणीय मगर सीधे मुकाबले भी संभव श्रंखलाबद्ध आलेख करवट-7-1

परिसीमन का साया : कहीं त्रिकोणीय तो कहीं बहुकोणीय मगर सीधे मुकाबले भी संभव

श्रंखलाबद्ध आलेख करवट-7-1

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

विशेष नोट- (हम क्षमा चाहते हैं कि मुरैना में चल रही भारी बिजली कटौती के चलते इस आलेख का यह भाग- यह किश्‍त हम पूरी नहीं लिख और प्रकाशित कर पा रहे, किंचिंत भी विद्युत व्‍यवस्‍था अवरोध ठीक होते ही हम इस किश्‍त को पूरी प्रकाशित करेंगें । कृपया स्‍मरण रखें यह आलेख कई दिनों के भीतर विश्‍लेषणात्‍मक रूप से लिखा गया है और इस अधूरी किश्‍त में पूरी तथ्‍य व आंकड़े एवं विश्‍लेषण सम्मिलित नहीं हैं कृपया पूरी किश्‍त वाचन उपरान्‍त ही किसी भी प्रकार से इस भाग-7 के विश्‍लेषण को पूर्ण मानें । इस प्रकार इस किश्‍त आलेख को भाग-7-1 के रूप में पढ़ें व इसके शेष भाग को भाग-7-2 या 7-3 जैसी भी स्थिति हो पढ़ें विनम्रता पूर्वक क्षमायाचना सहित धन्‍यवाद, नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द'' )              

पिछले अंक से जारी ...

अब जब इस आलेख की यह किश्‍त लिखी जा रही है अंचल का परिदृश्‍य काफी हद तक साफ हो चुका है और कांग्रेस भाजपा सहित अधिकतर राजनीतिक दल अंचल की लगभग सभी महत्‍वपूर्ण सीटों पर अपने प्रत्‍याशी घोषित कर चुके हैं ।

पिछले इस श्रंखलाबद्ध आलेख के पश्‍चात अब जो परिदृश्‍य उभर कर सामने आया है वह काफी परिवर्तित और रोचक है । चम्‍बल ग्‍वालियर अंचल में अधिकतर सीटों पर अबकी बार त्रिकोणीय एवं बहुकोणीय संघर्ष होंगें वहीं कुछ सीटें ऐसी हैं जहॉं सीधी व खुली टक्‍कर भी होगी ।

चूंकि दो महत्‍वपूर्ण सीटों मुरैना व दिमनी पर इबारत दीवार पर उकेर कर साफ साफ चमकने लगी है वहीं यह भी साफ हो गया है कि या तो भाजपा का मुकद्दर ठीक था या कांग्रेस का खराब नसीब । हुआ कुछ यूं कि उनकी सरकार जाते जाते बचती जान पड़ रही है और उनकी सरकार का बनने से पहले ही गर्भपात सा जान पड़ रहा है । आप समझ गये होंगें मेरा आशय क्‍या है ।

इस साल के शुरू में यानि जनवरी फरवरी और पिछले साल दिसम्‍बर के महीने में जहॉं प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ जबर्दस्‍त विरोधी लहर और वातावरण बन बैठा था, भाजपा को इस डेमेज को नियंत्रित करने के लिये पूरे आठ महीने का समय लगा । उसके बावजूद अक्‍टूबर और नवम्‍बर में यह बात आइने की तरह साफ और एकदम स्‍पष्‍ट हो गयी थी कि भाजपा की सरकार बड़ी बुरी तरह सत्‍ता से बाहर जा रही है । संभवत: आज म.प्र. विधानसभा में जो स्थिति कांग्रेस और भाजपा के विधायकों की है वह संख्‍या एकदम उलट जायेगी और कांग्रेस प्रचण्‍ड बहुमत के साथ सरकार में आयेगी ।

प्रत्‍याशी चयन और उनके टिकिट वितरण के बाद बात फिर एकदम पल्‍टा खा गयी । जहॉं कांग्रेस की पहली सूची 117 जो निकाली गयी थी वह एकदम विर्विवाद और झंझावात से मुक्‍त रही । वहीं भाजपा की पहली सूची 115 में कहीं कहीं किंचित विवाद सामने आये थे ।

मेरी नजर में कांग्रेस व भाजपा दोनों की ही पहली सूचीयां ठीक थीं, भाजपा की आखरी तीसरी सूची तक प्रत्‍याशी चयन जमीनी सच्‍चाई और जनभावनाओं के काफी नजदीक से गुजरता है । मैं इसे सबसे बेहतर प्रत्‍याशी चयन या ठोस जमीनी हकीकत का संतुलन व समन्‍वय कहूं तो शायद ठीक रहेगा । कुल मिला कर भाजपा नेतृत्‍व धरातली हकीकत से काफी ठोस हद तक सुवाकिफ रहा है और आज की तारीख के हिसाब से एक श्रेष्‍ठ सूची देता है यदि अपवाद स्‍वरूप भाजपा के 10 फीसदी प्रत्‍याशीयों को छोड़ दें तो कुल मिला कर प्रत्‍याशी चयन बेहतर पॉलिटिकल इंजीनियरिंग का बेजोड़ उदाहरण है ।

कांग्रेस की बाद वाली दूसरी और तीसरी सूचीयां अधिकांशत: बेहद घटिया उम्‍मीदवारों का चयन मेरी नजर में दर्शातीं हैं । अब वह चाहे किसी भी कारण से रहा हो ।

इस सारी पहलवानी में कांग्रेस की नासमझी या नावाकिफी या वाकिफ होकर भी हकीकत को झुठलाने का सीधा फायदा बहुजन समाज पार्टी को और तिरछा फायदा समाजवादी पार्टी और अन्‍य छोटे दलों व निर्दलीयों को मिलेगा इसमें कोई शक नहीं ।

आज के गणितीय खेल के मुतल्लिक (यानि आज के रूझान के अनुसार) म.प्र में अबकी बार त्रिफट सरकार यानि छितरी हुयी सरकार बनने के आसार नजर आ रहे हैं । यानि अब कांग्रेस और भाजपा के बीच विधायकों के संख्‍या बल का अंतर काफी कम होगा वहीं अब यह सुनिश्चित है कि सरकार अब चाहे कांग्रेस बनाये या भाजपा उन्‍हें अब किसी और के समर्थन की दरकार अवश्‍य रहेगी । बगैर अन्‍य के समर्थन के अबकी बार प्रदेश में किसी को सरकार बना पाना भारी टेढ़ी खीर हो जायेगा ।

तीसरे नंबर पर अबकी बार बहुजन समाज पार्टी और फिर समाजवादी पार्टी के उभरने के आसार है जिसके क्रम में अन्‍य छोटे दल भी शामिल होंगें ।

छोटे दलों या क्षेत्रीय दलों व निर्दलीयों को पटाना अबकी बार कांग्रेस भाजपा दोंनों के लिये ही जरूरी दिखता जान पड़ रहा है ।

हालांकि म.प्र. की प्रमुख राजनीतिक ताकतों भाजपा और कांग्रेस में काफी फेरबदल हुये हैं लेकिन इनके बागी प्रत्‍याशी किसी प्रभावशाली स्थिति में हों यह नहीं कहा जा सकता हॉं इतना जरूर होगा वे इन पार्टीयों के प्रत्‍याशीयों को हरवा जरूर देंगें । और इसका फायदा अन्‍य किसी और को मिलेगा ।

बहुजन समाज पार्टी के प्रत्‍याशी अच्‍छे, लोकप्रिय, ईमानदार या बेदाग हों ऐसा नहीं हैं, कलंक के कई छीटें उनके दामन को भी सराबोर किये हैं । समाजवादी पार्टी ने भी कोई निर्विवाद या निर्दोष प्रत्‍याशी दे दिये हों ऐसा भी नहीं हैं, वे भी पाक दामन और निष्‍कलंक नहीं हैं ।

कुल मिला कर पूरा चुनाव फिर एक बारगी उन्‍हीं सब बाहुबलीयों और धनबलीयों के बीच सिमट गया है जो फिर एक बार सौदेबाजी की और भ्रष्‍टाचार में लिप्‍त त्रिफट सरकार की आशंका को बलवती बनाते हैं ।

भाजपा और कांग्रेस की यह मजबूरी थी कि मुरैना और भिण्‍ड जिला में यदि अपवाद स्‍वरूप एक दो सीटों को छोड़ दें तो कोई भी दमदार प्रत्‍याशी उनके पास था ही नहीं ।

भाजपा को मुरैना विधानसभा पर तमाम शिकवा शिकायतों के बावजूद रूस्‍तम सिंह को लड़ाना मजबूरी थी और उतना वजनदार और अहमियतदार प्रत्‍याशी उसके पास कोई दूसरा नहीं था वहीं कांग्रेस के पास भी लगभग ऐसे ही हालात थे सोवरन सिंह मावई को रिपीट करना उसकी मजबूरी में शामिल था हॉं लेकिन शायद मावई के स्‍थान पर हरस्‍वरूप माहेश्‍वरी होते तो मुरैना विधानसभा पर होने जा रहा त्रिकोणीय संघर्ष सीधे संघर्ष में बदल जाता । और सीधा मुकाबला बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच होता । लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह सारा मुकाबला अब एकदम साफ त्रिकोणीय हो गया है । जहॉं बहुजन समाज पार्टी प्रत्‍याशी परशुराम मुद्गल प्रचार में सबसे आगे निकल गये हैं वहीं लोकप्रियता बटोरने के लिये भी अबकी बार जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, अब ये वक्‍त बतायेगा कि उनकी मेहनत क्‍या रंग लायेगी । हालांकि अबकी बार जहॉं उनका जाटव समाज का वोट बैंक (यह वोट बैंक पूरी चम्‍बल में अबकी बार बहुजन समाज पार्टी के विरूद्ध जाकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के खाते में जा रहा है ) इस बार उनके साथ नहीं होगा, लेकिन अन्‍य समाज के कितने वोट वे कबाड़ पायेंगें यही गणित परशुराम मुद्गल का मुकद्दर तय करेगा ।

मुरैना विधानसभा पर प्रचार में यद्यपि अन्‍य पार्टीयों के लोग और निर्दलीय भी जुटे हैं लेकिन कांग्रेस प्रचार में काफी पीछे पिछड़ गयी है ।

विशेष नोट- (हम क्षमा चाहते हैं कि मुरैना में चल रही भारी बिजली कटौती के चलते इस आलेख का यह भाग- यह किश्‍त हम पूरी नहीं लिख और प्रकाशित कर पा रहे, किंचिंत भी विद्युत व्‍यवस्‍था अवरोध ठीक होते ही हम इस किश्‍त को पूरी प्रकाशित करेंगें । कृपया स्‍मरण रखें यह आलेख कई दिनों के भीतर विश्‍लेषणात्‍मक रूप से लिखा गया है और इस अधूरी किश्‍त में पूरी तथ्‍य व आंकड़े एवं विश्‍लेषण सम्मिलित नहीं हैं कृपया पूरी किश्‍त वाचन उपरान्‍त ही किसी भी प्रकार से इस भाग-7 के विश्‍लेषण को पूर्ण मानें । इस प्रकार इस किश्‍त आलेख को भाग-7-1 के रूप में पढ़ें व इसके शेष भाग को भाग-7-2 या 7-3 जैसी भी स्थिति हो पढ़ें विनम्रता पूर्वक क्षमायाचना सहित धन्‍यवाद, नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द'' )               

क्रमश: जारी अगले अंक में .....

 

बुधवार, 19 नवंबर 2008

GREAT POWER CUT AT CHAMBAL, SUPPLY FAILURE TOTALLY, STAFF DUMPED WITH WINE DRUNK

Morena 19 Nov, here is great undeclared power cut is continued since last month for whole of day night.
Since last four days power cut is continue after every five minute. When gwalior times talked about such poor situation to officials on duty. The concerned officials drunked wine heavily.
Junior engg. Some body goyal said he dont know what is meaning of fuse of call register, there is no such register available at his office or at bizalighar. There was no power at the time of realease of this news since last 4 days


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