ग्वालियर चम्बल में चुनावी करवट की दस्तक, रामदेव के साथ शिवराज की चुनावी हुंकार
मुरैना डायरी
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
औने पौने अद्धे पौये पूरे और सवाये नेता और पत्रकार
चम्बल में नेताओं की ओर पत्रकारों की कमी नहीं है तमाम अद्धे पौये औने पौने पूरे सवाये नेता और पत्रकार चम्बल में भरे पड़े हैं , जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे नेताओं की वर्दियां कलफ खाने और रंग में आने लगी हैं तो पत्रकारों के गुणा भाग भी लगने लगे हैं कि किस पार्टी या प्रत्याशी की डेस्क कौन संभालेगा किससे कितना लेना वसूलना है वगैरह वगैरह ।
म.प्र. के पिछले विधानसभा चुनावों में जमकर कमा चुके कई अखबारों के पत्रकार अंचल के संभावित पार्टी प्रत्याशियों पर नजरे गड़ाये बैठे हैं और जिस साइज का जो पत्रकार है वह उसी साइज के नेता से अपनी सेटिंग अभी से बिठालने में लगा है
चम्बल के 70 फीसदी पत्रकार जो नेताओं, प्रशासन और सरकार की दलाली में लंबे समय से मशगूल हैं अब आहिस्ते आहिस्ते अन्य पार्टियों के नेताओं को भी भाई साहब कह कर पुकारने लगे हैं और उनकी चमचागिरी में लंबलेट होने लगे हैं
चम्बल के नेता पूरी पार्टी को अपने आकाओं नेताओं को और उनके नाम बेचकर खाने में जहॉं सिद्धहस्त रहे हैं तो पत्रकार भी कम नहीं पड़ते वे अपने अखबार या मीडिया चैनल और मालिक या मैनेजिंग टीम के टारगेट के नाम पर अपनी इज्जत आबरू नाम प्रतिष्ठा सब बेचते आये हैं
ग्वालियर चम्बल में भाजपा का सफाया होने की नौबत
भिण्ड मुरेना श्योपुर दतिया क्षेत्र में भाजपा के सितारे डगमगाते हुये कशमकश में हैं और जमीनी तौर पर जहॉं भाजपा का सूपड़ा साफ होने की नौबत आन पहुँची है वहीं कांग्रेस भी इन्हीं क्षेत्रों में कमजोर और खस्ताहाल है
रोचक बात यह है कि ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में कांग्रेस को सिंधिया महल में गिरवी रखा हुआ केवल जनता ही नहीं बल्कि खुद कांग्रेसी भी मानते हैं और इसी ऊहापोह में कांग्रेस के एकक्षत्र गढ़ ग्वालियर चम्बल में कांग्रेस का पराभव होकर यही क्षेत्र भाजपा का गढ़ बन गया
भाजपा से जनता बुरी तरह खफा है , सन 2008 के विधानसभा चुनावों के वक्त भी जनता भाजपा से खफा थी और पूरी तरह से म.प्र. की सत्ता बदलने के मूड में थी मगर ऐन चुनाव के वक्त करिश्मा ये हुआ कि ग्वालियर चम्बल अंचल ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने टिकिट गलत बांट दिये और भाजपा ने टिकिट सही बांट दिये परिणाम बदल गये और कांग्रेस की जगह भाजपा सत्ता में वापस जा बैठी , कांग्रेसी नेता जहॉं अपने अपने वजूद और मुख्यमंत्री बनने के लिये एक दूसरे को या संभावित मुख्यमंत्रियों को ही नुकसान पहुँचाने में लगे रहे वहीं खुद के प्रत्याशी को छोड़ दूसरे नेता के प्रत्याशी को हरवाने में लगे रहे वहीं भाजपा इन दोषो से मुक्त रह कर सत्ता में वापस जा बैठी और जनता की सत्ता परिवर्तन की इस तेज अभिलाषा पर दोनो ही दलों ने भाजपा और कांग्रेस ने ही पानी फेर दिया
अब फिर से सन 2013 के विधानसभा चुनावों में जनता की भी नजर विधानसभा चुनावों में होने वाले पार्टी प्रत्याशियों पर जा टिकी है और सारी शतरंज की बाजी अब केवल प्रत्याशियों पर ही टिक कर रह गई है
कांग्रेस में प्रदेशव्यापी परिवर्तन और चुनाव प्रत्याशियों के चयन की कवायद
सुनने में आ रहा है कि म.प्र. कांग्रेस में बहुत जल्द प्रदेश व्यापी परिवर्तन होने जा रहा है , म.प्र. के प्रभारी वी.के. हरिप्रसद को भी हटा कर नया प्रभारी किसी चौधरी को लया जा रहा है , कांग्रेस में गुटबंदी पर लगाम कसने के लिहाज से और भी तमाम जिलाध्यक्षों व जिला कार्यकारणीयों में बदलाव सहित प्रदेश कमेटी तक में बदलाव किये जाने की मंसूबे कांग्रेस बना चुकी है
इसके अतिरिक्त अंदर ही अंदर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशीयों विशेषकर प्रबल जीत की संभावना वाले प्रत्याशियों का चयन शुरू कर दिया है , जैसी कि खबर है करीब 25 या 30 प्रतिशत कांग्रेस प्रत्याशियों का पहली नजर में फौरी प्रभावी दमदार व जीत के प्रबल आसार वाले प्रत्याशी कांग्रेस चयन कर चुकी है , मुरैना जिला में करीब तीन प्रत्याशी कांग्रेस चयन कर चुकी है जो कि कुल 6 विधानसभा सीटों में से आधे हैं
भिण्ड जिला में भी कांग्रेस तीन प्रत्याशी लगभग तय कर चुकी है , यही हाल अन्य जिलों में कांग्रेस के प्रत्याशी चयन का है
अबकी बार कांग्रेस विधानसभा चुनावों में कोई कोर कसर रखने के मूड में नजर नहीं आ रही , कांग्रेस की तैयारियों से लग रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची इसी साल सितंबर से नवम्बर के बीच आ जायेगी ।
भाजपा के लिये भिण्ड मुरैना और ग्वालियर संसदीय सीटों पर खतरा
लगभग पूरी तरह खलनायक बन चुके भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान लोकसभा सांसदों भिण्ड से अशोक अर्गल ओर मुरैना से नरेन्द्र सिंह तोमर तथा ग्वालियर से यशोधरा राजे सिंधिया के खिलाफ जमीनी तौर पर जनाक्रोशा, विद्रोह और बगावत के सुर फूटने लगे हैं , कोई शक नहीं कि कांग्रेस ने अगर इनकी टक्कर में अपने सही प्रत्याशी उतार दिये तो कंग्रेस की फतह इन तीनों पर बेहद आसन होगी
शिवराज ने रामदेव के साथ सन 2013 का चुनावी बिगुल फूंका
मुरैना में रामदेव की यात्रा के दौरान शिवराज ने वहॉं पहुँच कर न केवल रामदेव की तारीफ में तमाम कशीदे बांच दिये बल्कि सन 2013 में होने वाले म.प्र. विधानसभा चुनावों के लिये चुनावी बिगुल भी फूंक दिया
बाबा रामदेव मुरैना में उस समय हास्यास्पद स्थित में आ गये जब उन्होंने कहा कि डाकू अब चम्बल के जंगलों से निकल कर संसद में जा बैठे हैं
उल्लेखनीय है कि पिछले 25 – 30 बरस से भिण्ड और मुरैना में भाजपा के ही सांसद हैं और वर्तमान में भी दोनों ही सांसद भाजपा के ही हैं
भिण्ड से भाजपा सांसद मभिण्ड से पहले मुरैना रिजर्व सीट पर 20 – 25 साल सांसद रह चुके हैं और भिण्ड में अशोक अर्गल से पहले भिण्ड जनरल सीट पर भाजपा के ही रामलखन सिंह कुशवाह पंद्रह बीस साल सांसद रहे , परिसीमन के बाद भिण्ड सीट अनुसूचित जाति जनजाति के लिये आरक्षित हो गयी और मुरैना में आरक्षण समाप्त होकर मुरैना सीट सामान्य हो गयी , अशोक अर्गल भिण्ड रिजर्व सीट पर चले गये और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर पहले राज्यसभा सदस्य के रूप में सांसद रहे और मुरैना जनरल सीट पर पहले ही चुनाव में लोकसभा सदस्य के रूप में संसद पहुँचे ।
बाबा रामदेव के बयान के मुताबिक भाजपा के भिण्ड मुरैना के सभी भाजपा सांसद चम्बल के जंगल छोड़ कर संसद में जा बैठे हैं
निसंदेह रामदेव का दांव मुरैना में रामदेव के इस बयान के बाद एकदम उल्टा पड़ गया है, वैसे भी राजपूत बाहुल्य चंबल क्षेत्र में रामदेव से राजपूत पहले से ही ख्फा थे और रामदेव की चंबल के राजपूताने में जमकर खिल्ली उड़ाई जा रही थी
चम्बल में बिजली कटौती का सिरदर्द बढ़ा
शिवराज सरकार जब से आई है हांलांकि बिजली सप्लाइ के मामले में तब से शुरू से ही फेल चल रही है , लेकिन भीषण गर्मी के इन दिनों में चम्बल में बिजली कटौती बढ़ा कर अब संभागीय मुख्यालयों पर करीब 16 – 17 घंटे की बिजली कटौती चालू कर दी गयी है जिसमें रात्रिकालीन 4 घंटे की बिजली कटौती भी शामिल है तमाशा यह है कि आधे शहर में यह बिजली कटोती 16 – 17 धंटे तक की है तो बकाया आधे शहर में केवल यह 10 घंटे की है , जहॉं नई हाईटेंशन लाइनें बिछा कर बिजली मीटर चालू कर दिये गये हैं वहॉं अधिक बिजली कटौती है और जहॉं पुराने सीधे कंटिया डालकर बिजली चोरी करने वाले ओपन तार है वहॉं बिजली कटौती कम है