शनिवार, 27 दिसंबर 2008
जारी है सबेरे की बिजली कटौती
आम जनता का मत है कि उसी का बदला लेने और सबक सिखाने के लिये पूरी रात और पूरे दिन अघोषित अँधाधुंध बिजली कटोती की जा रही है !
वैसे तो भाजपा शासन काल के बीते पाँच साल में एक भी दिन ऐसा नहीं आया जब बिजली कटौती नहीं हुयी हो !
स्थिति यहाँ तक बदतर हुयी कि हाल ही में संपन्न हुये विधानसभा निर्वाचन के दौरान ही आयोग के निर्देशों के बावजूद मतदान के दरम्याँ पाँच दफे आधा आधा घण्टे के लिये और मतगणना के वक्त तीन बार इसी तरह बिजली गुल हुयी और इसके साथ ही बुरी तरह हार रहे उम्मीदवार अचानक चुनाव जीतने लगे ! करीब 35 से 46 सीटों पर जिला कलेक्टरों द्वारा चुनाव परिणाम बदल दिये गये !
पहली बार म.प्र. के चुनाव परिणामों में हुयी खुली बेइमानी पर जनता खुल कर मुखर होकर बोली । और अंजाम यह है कि येन केन प्रकारेण सत्ता हासिल करने से शिवराज सरकार पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी की भाँति लोगों की नजर में गिर गये । अब प्रदेश में सत्ता भले ही शिवराज सिंह की हो लेकिन उसका जनभाव एक उपहासित व घ्रणास्पद शासन का ही है ।
ग्वालियर टाइम्स ने चुनाव से काफी पहले ही म.प्र. में निष्पक्ष चुनाव न होने के खतरे से आगाह कर दिया गया था और इस संबंध में विस्त्रत आलेख भी प्रकाशित किया था जिस पर भारत के निर्वाचन आयुक्त श्री नवीन चावला द्वारा तत्काल ग्वालिय़र चंबल का दौरा कर हालातों का जायजा भी लिया गया था, लेकिन आयोग की सभी निष्पक्ष निर्वाचन की अवधारणाओं को धता बताते हुये सारे मतगणना परिणाम बदल कर पूर्व से तयशुदा परिणामों में बदल दिये गये !
यद्यपि इस मसले पर उमा भारती पहले ही काफी बोल चुकीं हैं और अब काँग्रेस भी 30 दिसम्बर को धिक्कार सभा आयोजित कर रही है ! काँग्रेस द्वारा भी मतगणना परिणाम बदले जाने का आरोप लगाया है ! इस पर विस्तार से रिपोर्ट हम पृथक से आँखों देखी के रुप में प्रकाशित करेंगे !
फिलहाल बिजली कटोती का आलम यह है कि सबेरे 5 बजे गुल हुयी बिजली इस खबर के प्रकाशन तक यानि दोपहर 11 बज कर 17 मिनिट तक वापस नहीं आयी थी ! यह समाचार मोबाइल फोन के जरिये जारी किया गया !
प्रधानमंत्री ने अटल जी को बधाई दी
खुदरा प्रबंधन में रोजगार की संभावनाएं
खुदरा प्रबंधन में रोजगार की संभावनाएं
Employment News Govt. of
खुदरा उस वितरण प्रक्रिया को कहते हैं जो किसी उत्पाद को उसके निर्माता से उसके अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए की जाती है। यह कार्य छोटे और आसान माध्यमों अर्थात् खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से किया जाता है। इससे उत्पाद पर ली जाने वाली राशि तो कम होती ही है, साथ ही साथ एक निश्चित स्थान पर ढेर सारे उत्पाद उपभोक्ताओं को आसानी से प्राप्त भी हो जाते हैं। भारत में कुछ प्रसिद्ध खुदरा-विक्रेता निम्नलिखित हैं : पैंटालून, वालमार्ट, सुभिक्षा,शॉपर्स स्टॉप, पिरामिड्स, भारती, रिलायन्स फ्रैश आदि। आज महानगरों में तो शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल और मल्टीप्लेक्सेस फैल ही रहे हैं, नए विकासशील शहरों में भी इनकी पहुंच हो गई है। इसलिए जरुरी हो गया है कि खुदरा विक्रय की विपणन नीति को बनाए रखने के लिए बिक्री-केंद्रों में प्रबंधन का कार्य करने वाले व्यवसायी पूरी तरह प्रशिक्षित हों. खुदरा में रोजगार के अवसर :
आज विश्व की उभरती हुई १० शीर्षस्थ मंडियो में भारत का भी एक स्थान है। हमारे पूरे देश म लगभग ४३ लाख खुदरा केंद्र फैले हुए हैं। भारतीय खुदरा व्यापार एसोसिएशन के अनुसार इन केंद्रों में लगभग १२ लाख ५० हजार (१.५ मिलियन) कार्मिकों की आवश्यकता है, जो २००८-०९ में बढ़ कर ३२ लाख ५० हजार तक हो जाएगी। अनुमान है कि वर्ष २००२ से २०१२ के बीच खुदरा व्यापार उद्योग में लगभग २१ लाख (२.१ मिलियन) नए रोजगार उपलब्ध होंगे, जो १४० वृद्धि का द्योतक है (यू.एस. ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिस्टिकल्स)।
खुदरा व्यापार एक नया, तीव्र गति से पनप रहा क्षेत्र है, जिसमें हर तरह के उत्कृष्ट रोजगार हैं, जो प्रबंधन, मर्केन्डाइजिंग आदि जैसे आकर्षक, अच्छे वेतन वाले रोजगार के अवसर का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यद्यपि खुदरा उद्योग वित्त, सूचना प्रौद्योगिकी तथा मानव संसाधन प्रबंधन जैसे अन्य सभी प्रबंध कार्यों में व्यावसायिक रोजगार के अवसर प्रदान करता है, किंतु दो बड़े क्षेत्रों अर्थात् इन्वेंटरी प्लानिंग और क्रय में केवल यही उद्योग रोजगार के मार्ग दिखाता है। अपनी विपणन तथा विक्रय
नीतियों के कार्यान्वयन के लिए खुदरा उद्योग को अच्छी कोटि के प्रबंधकों की अत्यधिक आवश्यकता है। इस उद्योग को ऐसे कार्मिकों की आवश्यकता होती है जो अच्छा समय प्रबंध कौशल,नेतृत्व के गुण, अच्छा संचार कौशल, निर्णय लेने की क्षमता,बेहतर टीम प्रयास तथा विपणन की अत्यधिक जानकारी रखते हैं। नियोक्ताओं को ऐसे व्यक्तियों की तलाश होती है जिन्हें दूसरों के साथ कार्य करने में मजा आता है और विशेष प्रकार के ग्राहकों से कुशलता एवं धैर्यपूर्वक व्यवहार कार्य कर सकते हैं। विक्रय कार्य में रुचि, आकर्षक व्यक्तित्व तथा स्पष्ट एवं प्रभावी रूप से बोलने की क्षमता इस उद्योग की कुछ अन्य वांछनीय विशेषताएं हैं। अनेक भाषाओं का ज्ञान उन स्थानों में रोजगार प्राप्त करने म सहायक होता है जहां विभिन्न संस्कृतियों/ देशों के व्यक्ति दुकानों पर आते हैं। विपणन तथा विक्रय खुदरा उद्योग
के आधार हैं। यह उद्योग खुदरा प्रबंधक, क्रय प्रबंधक, भंडार प्रबंधक, ग्राहक सेवा प्रतिनिधि, डॉटा प्रोसेसिंग कार्यपालक, फ्लोर पर्यवेक्षक, खुदरा विक्रय कार्मिक तथा अन्य पदों पर रोजगार के अवसर देता है। इस उद्योग में कार्पोरेट योजना, ट्रेंड पूर्वानुमान,परियोजना प्रबंधन-भंडार निर्माण तथा ग्राहक संबंध प्रबंधन (सी.आर.एम.) जैसे कार्यों में भी रोज्+ागार के अवसर बड़ी संख्या में उभर रहे हैं। खुदरा प्रबंधन में पाठ्यक्रम चलाने वाले स्थान/विश्वविद्यालय खुदरा उद्योग में हो रही वृद्धि ने शिक्षा संस्थानों को खुदरा प्रबंधन में कार्यक्रम संचालित करन पर विवश कर दिया है। खुदरा प्रबंधन एक ऐसा व्यवसाय है जो एक स्नातक को खुदरा व्यापार में आने के लिए तैयार करता है। खुदरा क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनेक संस्थाएं भारत में डिग्री तथा डिप्लोमा स्तर के अनेक कार्यक्रम संचालित करती हैं। एम.बी.ए. (खुदरा प्रबंधन), खुदरा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम (पी.जी.पीआर.एम.), खुदरा संचार प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम (पी.जी.आर.सी.एम.), खुदरा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पी.जी.डी.आर.एम.), खुदरा व्यापार में स्नातकोत्तर कार्यक्रम (पी.जी.पी.आर.) तथा खुदरा प्रबंधन में डिप्लोमा (डी.आर.एम) आदि कुछ अच्छे विकल्प हैं। यह न केवल खुदरा केंद्रों और सहायक कार्यों में, बल्कि अर्थव्यवस्था के व्यापक संदर्भ में खुदरा व्यापार क्षेत्र में भी खुदरा प्रबंधन के सभी पहलुओं की व्यापक तथा गहरी समझ का विकास करता है।
पाठ्यक्रम विषय-वस्तु :
भारतीय खुदरा व्यापार वातावरण, इलेक्ट्रॉनिक खुदरा-व्यापार, विपणन अनुसंधान, खुदरा विक्रय, मॉल प्रबंधन, मर्केन्डाइजिंग प्रबंधन, खुदरा क्रय, खुदरा मूल्यानिर्धारण, खुदरा संगठन, खुदरा
प्रबंधन, उपभोक्ता आचरण, प्रबंधन सूचना प्रणाली, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन (एस.सी.एम.) आदि ।
विश्वविद्यालयों/संस्थानों की सूची :
क्र. विश्वविद्यालय/ पाठ्यक्रम संपर्क-सूचना
सं. संस्थान का नाम का नाम
१. आंध्र विश्वविद्यालय एम.बी.ए. आंध्र विश्वविद्यालय
(आर.एम.) विशाखापटट्नम-५३०००३
आंध्र प्रदेश, भारत,
२. अन्ना विश्वविद्यालय एम.बी.ए. अन्ना विश्वविद्यालय,
(आर.एम.) चेन्नै-६०००२५,
टेलीफोन : ०४४-२२२०३३३१,
फैक्स : ०४४-२२३५४४५०्
३. नरसी मोनजी प्रबंधन एम.बी.ए. एस.वी.के.एम्स
एवं उच्च अध्ययन (आर.एम.) एन.एम.आई.एम.एस.
संस्थान (मान्य यूनिवर्सिटी , वी.एल. मेहता रोड, विल
विद्यालय) पार्ल प.), मुंबई-४०००५६,
भारत
टेलीफोन : ०२२-२६१३४५७७/२६१८३६८८,
४. बिरला प्रबंधन एवं पीजीडीएम बिरला प्रबंधन प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रौद्योगिकी संस्थान, (आर.एम.) प्लॉट नं. ५, नोलेज पार्क प्प्,
ग्रेटर नोएडा ग्रेटर नोएडा-२०१३०६, उ.प्र
टेलीफोन : ०१२०-२३२३००१/२/.../१०,
फैक्स : ०१२०-२३२३०२२/२५,
५. भारतीय चार्टर्ड पीजीडी आई.सी.एफ.ए.आई, १०४ निर्मल टावर्स,
वित्तीय विश्लेषण आरएम द्वारकापुरी कॉलोनी, पंजागुट्टा, संस्थान, हैदराबाद-५०००८२,
टेलीफोन-०४०-५५१०५७६२,
फैक्स-०४०-५५२५५७६१
६. आईएम.टी. दूरस्थ पीजीडी आई.एम.टी. दूरस्थ एवं मुक्त अध्ययन संस्थान,एवं मुक्त आरएम ए-१६, साइट-३, यू.पी.एस.आई.डी.सी
अध्ययन संस्थान, औद्योगिक क्षेत्र, मेरठ रोड, गाजियाबाद- २०१००३ टेलीफोन : ०१२०-२७०५६२१/२२/२३/२४
७. इंडियन स्कूल ऑफ पीजीडी इमेजेज पर्ल रिटेल सोलुशन्स प्राइवेट रिटेल, दिल्ली आरएम लिमि., साइट-२, पॉकेट-ओ.सी.एफ., सैक्टर-सी, वसंत कुंज, नेल्सन मंडेला रोड, दिल्ली-११००७०
टेलीफोन-०११-२६१२५९८१/८२/८३,
८. एकीकृत प्रबंधन पीजीपीआर आई.आई.एल.एम. उच्च शिक्षा संस्थान
अध्ययन संस्थान, गुडगांव, नई दिल्ली दिल्ली, मोबाइल-९३५०८६०१३२, ९३५०८२१४३८.
९. के.जे. सोमैया प्रबंधन पीजीडीएम के.जे. सोमैया प्रबंधन अध्ययन एवं अनुसंधान अध्ययन (रिटेल) संस्थान, विद्यानगर, विद्याविहार (पू.),
एवं अनुसंधान मुंबई- ४०००७७.
संस्थान, मुंबई फोन : ०२२-६६४४९३००,
फैक्स : ०२२-२५१५७२१९,
१०. वेलिंगकर प्रबंधन डीआरएम/ वेलिंगकर प्रबंधन विकास एवं अनुसंधान
संस्थान, मुंबई पीजीपी संस्थान, एल. नापू रोड, मटुरा (मध्य आरएम रेलवे) के पास, मुंबई-४०००१९,
फोन-०२२-२४१७८३००
फैक्स : ०२२-२४०९७८२४
११. लाला लाजपत राय पीजीडी लाला लाजपत राय प्रबंधन संस्थान, प्रबंधन अकादमी, आरएम लाला लाजपत राय मार्ग, महालक्ष्मी, मुंबई मुंबई-४०००३४
टेलीफोन : ०२२-२४९२२८९८/२४९८०८७४, फैक्स : ०२२-२४९८०८७७.
१२. मुद्रा संचार संस्थान पीजीआर एम.आई.सी.ए., शेला, अहमदाबाद सीएम अहमदाबाद-३८००५८,
गुजरात, भारत,
टेलीफोन :९१२७१७३०८२५०,
फैक्स : ९१२७१७३०८३४९,
१३. राष्ट्रीय व्यवसाय खुदरा संचार राष्ट्रीय व्यवसाय प्रबंधन संस्थान, प्रबंधन संस्थान, में स्नातकोत्तर ए.जी., आनंदराज विल्ला
अड्यार (चेन्नै) प्रमाणपत्र (ए.एच.), ७ सेकेण्ड कनाल
कार्यक्रम क्रॉस रोड, गांधी नगर, अड्यार चेन्नै-६०००२०
फैक्स : ०४४-२४४२२४३८
१४. राष्ट्रीय डिजाइन पीजीडीपीडी राष्ट्रीय डिजाइन अनुसंधान एवं संस्थान, बंगलौर विकास कैम्पस् संस्थान, १२
लिंक रोड, ऑफ-तुम्कूर रोड,
बंगलौर-५६००२२,
टेलीफोन : ०८०-२३३७३००६/
२३५७९०५४,
फैक्स-०८०-२३३७३०८६,
१५. सिम्बियोसिस सेंटर पीजीडीआर सिम्बियोसिस भवन, १०६५ बी, प+फॉर डिस्टेन्स लर्निंग, एम गोखले क्रास रोड, मॉडल कॉलोनी,
पुणे-४११०१६, महाराष्ट्र टेलीफोन : ०२०-६६२११००,
फैक्स : ०२०-६६२११०४०.
गुरुवार, 25 दिसंबर 2008
प्रश्न:- आपकी वेबसाइट ग्वालियर टाइम्स पर इण्टरनेट टी.वी. का विज्ञापन चलता है, जिसमें काफी इण्टरेस्टिंग चीजें रहतीं हैं, लेकिन इन पर क्लिक करने पर एक लिंक दिखती है, मैं इसे देखना चाहती हूँ कैसे देख सकती हूँ , मेरे पास ब्राडबैण्ड इण्टरनेट कनेक्शन है
प्रश्न:- आपकी वेबसाइट ग्वालियर टाइम्स पर इण्टरनेट टी.वी. का विज्ञापन चलता है, जिसमें काफी इण्टरेस्टिंग चीजें रहतीं हैं, लेकिन इन पर क्लिक करने पर एक लिंक दिखती है, मैं इसे देखना चाहती हूँ कैसे देख सकती हूँ , मेरे पास ब्राडबैण्ड इण्टरनेट कनेक्शन है । - प्रतिमा सिंह चौहान, शिन्दे की छावनी, लश्कर ग्वालियर म.प्र.
उत्तर- प्रतिमा जी आप को जो क्लिक करने के बाद लिंक दिखाई देती है उसे कापी कर लें और एक और ब्राउजर विण्डो खोल कर इस लिंक को एड्रेस बार में पेस्ट कर दें, आपका इच्छित चैनल और शो अपने आप चालू हो जायेगा । आप चाहें तो (ब्राडबैण्ड इण्टरनेट यूजर्स के लिये सर्वश्रेष्ठ है) इण्टरनेट टी.वी. का सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर लें यह फ्री डाउनलोड में उपलब्ध है । ग्वालियर टाइम्स नये साल पर इसका फ्री डाउनलोड लिंक उपलब्ध करवाने जा रही है, इस सॉफ्टवेयर के जरिये आप यहॉं विज्ञापन में दिखने वाले चैनलों के अलावा समूचे विश्व के लगभग 6700 चैनल देख सकेंगें और पूरी तरह निशुल्क इसका आनंद ले सकेंगें ।
मंगलवार, 23 दिसंबर 2008
उत्तरायण हुये सूर्य, दिन बढ़ना शुरू, उत्तरायण सूर्य देते हैं जीव को राहत नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’
उत्तरायण हुये सूर्य, दिन बढ़ना शुरू, उत्तरायण सूर्य देते हैं जीव को राहत
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
भारतीय ज्योतिष व तंत्र शास्त्र में उत्तरायण सूर्य का काफी अर्थ व महत्व है । उत्तरायण सूर्य के लिये भीष्म पितामह ने महाभारत के युद्ध में अपने प्राणों को वाण शैय्या (शर शैय्या ) पर तब तक रोके रखा जब तक कि सूर्य उत्तरायण नहीं हो गये ।
21-22 दिसम्बर से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, इस साल भी 21 दिसम्बर को शाम 5 बज कर 55 मिनिट पर सूर्य नारायण की उत्तरायण स्थिति प्रारंभ हो चुकी है । और शिशिर ऋतु प्रारंभ होकर दिनों का बढ़ना शुरू हो गया है ।
उत्तरायण सूर्य की महिमा वर्णन अनेक भारतीय धर्म शास्त्रों में वर्णित है, श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उत्तरायण सूर्य की महिमा प्रतिपादित करते हुये कहा कि उत्तरायण सूर्य, शुक्ल पक्ष व मध्याह्न में प्राण तजने वाले की मुक्ति स्वत: हो जाती है और वह सीधे वैकुण्ठ धाम का वासी होकर उसका कभी पुनर्जन्म नहीं होता ।
छ: माह तक सूर्य की उत्तरायण व छ: माह तक दक्षिणायण गति रहती है ।
जून माह में 21- 22 तारीख से सूर्य की दक्षिणायण गति प्रारंभ होकर दिन छोटे और रातें लम्बी होना प्रारंभ हो जातीं हैं ।
मृतक आत्माओं व चराचर जीवों के लिये उत्तरायण सूर्य राहत का संदेश लेकर आते हैं और अंत:आत्मा में व्याप्त क्लेश का शमन करते हैं ।
दम और खम जैसे हिन्दी शब्दों की व्युत्पत्ति दमन और शमन के भावार्थ से हुयी है । सूर्य को परम राजयोगी (परम योगी) मान्य किया गया है, सूर्य के कृपायमान होने से मनुष्य को दमन और शमन की अतुलनीय शक्ति, तेज, ओज व उल्लास व उत्साह प्राप्त होता है ।
दमन से युक्त मनुष्य को दम, और शमन से युक्त मनुष्य को शम या खम वाला यानि दम खम वाला मनुष्य कहा जाता है ।
सूर्य कृपा से विहीन मनुष्य इन दोनों कुदरती नेमतों से वंचित होकर पद युक्त होकर भी प्रभावहीन व तेजहीन रहता है । अत: ज्योतिष व तंत्र मनुष्य को सूर्य उपसाना व आराधना की आज्ञा देते हैं और निर्दिष्ट करते हैं कि मनुष्य नियमित रूप से सूर्य उपासन व आराधन करे ।
हठयोग में सूर्य नमस्कार नामक प्रचलित व्यायाम प्रणाली योगासन विख्यात है । नियमित रूप से सूर्य नमस्कार साधन से मनुष्य दैदीप्यमान होकर अतुलनीय तेज व राजाज्ञा की शक्ति प्राप्त होकर राजा तुल्य हो जाता है ।
राजयोग में योग विधि में प्राणयाम पद्धति अंगीकार की गयी है, राजयोग पर अद्भुत ग्रंथ मेरी नजर में स्वामी विवेकानन्द द्वारा रचित ''राजयोग'' महर्षि पतंजलि के योग सूत्र, गीता प्रेस गोरखपुर प्रकाशित योग पुस्तकें व श्रीमद्भगवद्गीता का नौवां अध्याय है । राजयोग साधन वस्तुत: कुण्डलीनी जागरण की विद्या है, जिसमें सुसुप्त पड़ी कुण्डलिनी को जागृत कर उसमें शक्ति प्रवाह किया जाता है और उसे ब्रह्मरन्ध्र अर्थात सर्वोच्च अवस्था तक ले जाया जाता है । और मनुष्य महा शक्तिमान व पराक्रमी होकर अलौकिक, पारलौकिक एवं विलक्षण शक्तियों का स्वामी बन जाता है । इस योग में इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ीयों में प्राण शक्ति से ऊर्जा प्रवाह किया जाता है और रीढ़ की हड्डी के नीचे त्रिकोण में सोयी कुण्डलिनी जो कि गांठ लगी होकर सुप्त पड़ी रहती है को गांठ खोलकर प्रवाहित किया जाता है । मनुष्य की इड़ा पिंगला नाड़ीयां हर मनुष्य में प्रत्येक समय सप्रवाह रहतीं हैं किन्तु सुषुम्ना में शक्ति प्रवाह सिर्फ इसी योग साधन से किया जाता है और मनुष्य विलक्षण हो जाता है ।
सूर्य की कृपा बगैर न राज प्राप्त होता है न योग न भोग । सूर्य का तिलिस्म उसकी वैभिन्य रश्मियों में भी छिपा है, प्रत्येक क्षण उसकी रश्मियां परिवर्तित होतीं हैं और प्रकृति को तद्नुसार प्रभावित कर मनुष्य मात्र को यथा प्रभाव देतीं हैं । सूर्य जन्म कुण्डली में यदि श्रेष्ठ और बलवान स्थिति में है तो निसंदेह मनुष्य को राज या राजतुल्य बना देता है लेकिन यदि इसके विपरीत यदि स्थित है तो राजकुल में जन्म लेने के बाद भी मनुष्य प्रभाव हीन होकर रंक की भांति जीवन यापन करता है ।
राजा भी यदि सूर्य का सम्यक उपाय व अभ्यास न करे तो राज और उसका राज्य शीघ्र ही नष्ट हो लेते हैं । सूर्य के कारण जन्म कुण्डली में लगभग हजारों प्रकार के विभिन्न योग निर्मित होते हैं, जारज निर्धारण में सूर्य का विशेष महत्व है ।
ज्योतिष में सूर्य को पाप व क्रूर ग्रह माना गया है, यह रूकावट, राजबाधा, राजसुख, राजयोग, राज्यप्राप्ति, राज्यहरण, पिता, आत्मा व तेजस्विता व प्रभाव आदि के बारे में कुण्डली में अपनी अवधारणायें तय करता है ।
सूर्य को तंत्र व ज्योतिष की कुछ अन्य शक्तियों का स्वामी भी मान्य किया गया है, चर्म रोग, कुष्ठ, एवं नेत्र रोग, वाम व दक्षिण नेत्र शक्ति, ज्ञान, विद्या व रसोत्पत्ति, जड़ी बूटियों में सार व रस, तासीर आदि की उत्पत्ति एवं वृद्धि सूर्य नारायण ही करते हैं ।
दवा असर करे, ज्ञान व विद्या फलित हो, योग पूर्ण हो, राजा व राज्य शक्ति तथा राजकृपा हेतु सूर्य साधन अकाट्य उपाय हैं ।
नीम, श्वेतार्क, करवीर सूर्य के कृपाकारक वृक्ष हैं, रक्ता आभा, रक्तरंग सूर्य के प्रिय रंग हैं । सूर्य की पत्नी छाया के गर्भ से उत्पन्न शनि देव से सूर्य को काफी प्रेम व स्नेह है किन्तु शनिदेव सूर्य से शत्रुता मानते हैं । 27 दिसम्बर को शनि देव की शनीचरी अमावस्या पड़ रही है ।
उत्तरायण हुये सूर्य, दिन बढ़ना शुरू, उत्तरायण सूर्य देते हैं जीव को राहत नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’
उत्तरायण हुये सूर्य, दिन बढ़ना शुरू, उत्तरायण सूर्य देते हैं जीव को राहत
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
भारतीय ज्योतिष व तंत्र शास्त्र में उत्तरायण सूर्य का काफी अर्थ व महत्व है । उत्तरायण सूर्य के लिये भीष्म पितामह ने महाभारत के युद्ध में अपने प्राणों को वाण शैय्या (शर शैय्या ) पर तब तक रोके रखा जब तक कि सूर्य उत्तरायण नहीं हो गये ।
21-22 दिसम्बर से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, इस साल भी 21 दिसम्बर को शाम 5 बज कर 55 मिनिट पर सूर्य नारायण की उत्तरायण स्थिति प्रारंभ हो चुकी है । और शिशिर ऋतु प्रारंभ होकर दिनों का बढ़ना शुरू हो गया है ।
उत्तरायण सूर्य की महिमा वर्णन अनेक भारतीय धर्म शास्त्रों में वर्णित है, श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उत्तरायण सूर्य की महिमा प्रतिपादित करते हुये कहा कि उत्तरायण सूर्य, शुक्ल पक्ष व मध्याह्न में प्राण तजने वाले की मुक्ति स्वत: हो जाती है और वह सीधे वैकुण्ठ धाम का वासी होकर उसका कभी पुनर्जन्म नहीं होता ।
छ: माह तक सूर्य की उत्तरायण व छ: माह तक दक्षिणायण गति रहती है ।
जून माह में 21- 22 तारीख से सूर्य की दक्षिणायण गति प्रारंभ होकर दिन छोटे और रातें लम्बी होना प्रारंभ हो जातीं हैं ।
मृतक आत्माओं व चराचर जीवों के लिये उत्तरायण सूर्य राहत का संदेश लेकर आते हैं और अंत:आत्मा में व्याप्त क्लेश का शमन करते हैं ।
दम और खम जैसे हिन्दी शब्दों की व्युत्पत्ति दमन और शमन के भावार्थ से हुयी है । सूर्य को परम राजयोगी (परम योगी) मान्य किया गया है, सूर्य के कृपायमान होने से मनुष्य को दमन और शमन की अतुलनीय शक्ति, तेज, ओज व उल्लास व उत्साह प्राप्त होता है ।
दमन से युक्त मनुष्य को दम, और शमन से युक्त मनुष्य को शम या खम वाला यानि दम खम वाला मनुष्य कहा जाता है ।
सूर्य कृपा से विहीन मनुष्य इन दोनों कुदरती नेमतों से वंचित होकर पद युक्त होकर भी प्रभावहीन व तेजहीन रहता है । अत: ज्योतिष व तंत्र मनुष्य को सूर्य उपसाना व आराधना की आज्ञा देते हैं और निर्दिष्ट करते हैं कि मनुष्य नियमित रूप से सूर्य उपासन व आराधन करे ।
हठयोग में सूर्य नमस्कार नामक प्रचलित व्यायाम प्रणाली योगासन विख्यात है । नियमित रूप से सूर्य नमस्कार साधन से मनुष्य दैदीप्यमान होकर अतुलनीय तेज व राजाज्ञा की शक्ति प्राप्त होकर राजा तुल्य हो जाता है ।
राजयोग में योग विधि में प्राणयाम पद्धति अंगीकार की गयी है, राजयोग पर अद्भुत ग्रंथ मेरी नजर में स्वामी विवेकानन्द द्वारा रचित ''राजयोग'' महर्षि पतंजलि के योग सूत्र, गीता प्रेस गोरखपुर प्रकाशित योग पुस्तकें व श्रीमद्भगवद्गीता का नौवां अध्याय है । राजयोग साधन वस्तुत: कुण्डलीनी जागरण की विद्या है, जिसमें सुसुप्त पड़ी कुण्डलिनी को जागृत कर उसमें शक्ति प्रवाह किया जाता है और उसे ब्रह्मरन्ध्र अर्थात सर्वोच्च अवस्था तक ले जाया जाता है । और मनुष्य महा शक्तिमान व पराक्रमी होकर अलौकिक, पारलौकिक एवं विलक्षण शक्तियों का स्वामी बन जाता है । इस योग में इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ीयों में प्राण शक्ति से ऊर्जा प्रवाह किया जाता है और रीढ़ की हड्डी के नीचे त्रिकोण में सोयी कुण्डलिनी जो कि गांठ लगी होकर सुप्त पड़ी रहती है को गांठ खोलकर प्रवाहित किया जाता है । मनुष्य की इड़ा पिंगला नाड़ीयां हर मनुष्य में प्रत्येक समय सप्रवाह रहतीं हैं किन्तु सुषुम्ना में शक्ति प्रवाह सिर्फ इसी योग साधन से किया जाता है और मनुष्य विलक्षण हो जाता है ।
सूर्य की कृपा बगैर न राज प्राप्त होता है न योग न भोग । सूर्य का तिलिस्म उसकी वैभिन्य रश्मियों में भी छिपा है, प्रत्येक क्षण उसकी रश्मियां परिवर्तित होतीं हैं और प्रकृति को तद्नुसार प्रभावित कर मनुष्य मात्र को यथा प्रभाव देतीं हैं । सूर्य जन्म कुण्डली में यदि श्रेष्ठ और बलवान स्थिति में है तो निसंदेह मनुष्य को राज या राजतुल्य बना देता है लेकिन यदि इसके विपरीत यदि स्थित है तो राजकुल में जन्म लेने के बाद भी मनुष्य प्रभाव हीन होकर रंक की भांति जीवन यापन करता है ।
राजा भी यदि सूर्य का सम्यक उपाय व अभ्यास न करे तो राज और उसका राज्य शीघ्र ही नष्ट हो लेते हैं । सूर्य के कारण जन्म कुण्डली में लगभग हजारों प्रकार के विभिन्न योग निर्मित होते हैं, जारज निर्धारण में सूर्य का विशेष महत्व है ।
ज्योतिष में सूर्य को पाप व क्रूर ग्रह माना गया है, यह रूकावट, राजबाधा, राजसुख, राजयोग, राज्यप्राप्ति, राज्यहरण, पिता, आत्मा व तेजस्विता व प्रभाव आदि के बारे में कुण्डली में अपनी अवधारणायें तय करता है ।
सूर्य को तंत्र व ज्योतिष की कुछ अन्य शक्तियों का स्वामी भी मान्य किया गया है, चर्म रोग, कुष्ठ, एवं नेत्र रोग, वाम व दक्षिण नेत्र शक्ति, ज्ञान, विद्या व रसोत्पत्ति, जड़ी बूटियों में सार व रस, तासीर आदि की उत्पत्ति एवं वृद्धि सूर्य नारायण ही करते हैं ।
दवा असर करे, ज्ञान व विद्या फलित हो, योग पूर्ण हो, राजा व राज्य शक्ति तथा राजकृपा हेतु सूर्य साधन अकाट्य उपाय हैं ।
नीम, श्वेतार्क, करवीर सूर्य के कृपाकारक वृक्ष हैं, रक्ता आभा, रक्तरंग सूर्य के प्रिय रंग हैं । सूर्य की पत्नी छाया के गर्भ से उत्पन्न शनि देव से सूर्य को काफी प्रेम व स्नेह है किन्तु शनिदेव सूर्य से शत्रुता मानते हैं । 27 दिसम्बर को शनि देव की शनीचरी अमावस्या पड़ रही है ।
सोमवार, 22 दिसंबर 2008
आओ चलो एक सेना बनायें, घर में दुबकें गाल फुलायें
हास्य/ व्यंग्य
आओ चलो एक सेना बनायें, घर में दुबकें गाल फुलायें
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
काने सों कानो मत कहो, कानो जागो रूठ । धीरें धीरें पूछ लेउ तेरी कैसे गई है फूट ।।
मेरे एक मित्र देश में बढ़ रहे आतंकवाद और भ्रष्टाचार से काफी दुखित होकर मेरे पास आये, साथ में दस बीस पठ्ठे भी उनके साथ बंदूको से लैस होकर सरपंचों की जेड प्लस के मानिन्द उनके संग थे । उनमें आक्रोश और व्यथा दोनों ही गहराई तक समाई थी । आकर मुझसे बोले दादा ये सब क्या है, बस बहुत हो गया अब अपन को सबको मिल कर एक सेना बनानी है अब अपन सब खुल कर देश के लिये लड़ेंगें ।
मेरे मित्र जाति से राजपूत थे और संग में उनके ठाकुर बाह्मणों के छोरों की लम्बी चौड़ी टोली थी । मुझे उनकी ख्वाहिश जान कर कोई खास हैरत नहीं हुयी । 26 -27 नवम्बर के बाद से सारे देश से ज्यादा गुस्सा चम्बल में है, और चम्बलवासीयों का वश नहीं चल रहा वरना रातों रात आतंकिस्तान का नक्शा गायब कर भारत में विलय कर 13 अगस्त 1947 की स्थिति बहाल कर देते ।
मैंने उन्हें फुसलाते हुये पूछा कौनसी सेना बनाना चाहते हो महाराष्ट्र वाली शिव सेना या मनसे वाली सेना । वे उतावले होकर बोले हम लक्ष्मण सेना बनायेंगें आप गौर कर लो, अंक फंक ज्योतिष फ्योतिष से टटोल टटूल कर चेक कर लेना, फिट नहीं बैठे तो राम सेना या लव कुश सेना या फिर हनुमान सेना कर लेना । बस दादा फायनल कर लो और हमारा नेतृत्व कर डालों ।
मैं उनके तैश तेवरों को देख चुपके से बोला भाई सिकरवार वो सब तो ठीक है लेकिन ये सेना फेना बनाना ठीक नहीं है, ससुरी सेना बदनाम बहुत हो गयीं हैं, वे बोले कैसे बदनाम हो गयीं हैं हम समझे नहीं । मैंने कहा कि वो जो ठाकरे की शिव सेना है, उसने कभी सेना वाला काम किया नहीं बस लोगों को मारने पीटने, चन्दा और हफ्ता वसूली करके सिनेमा के पोस्टर उखाड़ता फूंकता रहा है लेकिन नाम अपनी टोली का शिव सेना धर दिया ऐसे ही मनसे की शिव सेना बोर्डिंग होर्डिंग बदलवाने और उत्तर भारत के भइया लोगों को खदेड़ने में लगी रही तब तक साला पछांह (पश्चिम) से आतंकिस्तानी कूद परै, बिनें देख सारे सेना वारे सैनिक घरनि में दुबक गये और अपने अपने प्रान बचावत फिरे । फिर बेई (वही) गैर मराठी काम आये सो सारे आंतंकिस्तानीयन की रेल सी बनाया दयी । सो तबसे ये सेना फेना फर्जी घोषित होय गयीं हैं । काम तो असली सेना ही आवे है । बो ही खाली करवाय पाये है मराठीयन के मठन को ।
सिकरवार साहब बोले तो ठीक है सेना फेना रहन देओ कछू और बनाय लेउ । पर एक संगठन तो होनो ही चाहियें । सो हाल लठ्ठ फोर दे ।
खैर ऊपर लिखी एक ऐसी सच्चाई है जो बमुश्किल दो चार रोज पुरानी है और लगभग ऐसे ही हालात अमूमन समूचे देश में हैं । आतंकवाद पर गुस्साये एक नेता जी मेरे पास आये बोले कि ये कसाब को मारा क्यों नहीं जा रहा अफजल को फांसी पे क्यों नहीं लटकाया जा रहा । ये हमारे देश को हो क्या गया है । फटाफट एक्शन क्यों नहीं ले रहा, आतंकिस्तान पर हमला क्यों नहीं कर रहा ।
मैं उनके ताबड़तोड़ सवालों से बौखला सा गया । मैं बोला भईया नेताजी यार अब ये तो वह बात हो गयी कि पूछ लो सूचना के अधिकार में क्यों नहीं विवाह हो रहा, क्यों नहीं बच्चा हो रहा, क्यों नहीं जुड़वां हो रहे । यार कसाब को मारना था तो पकड़ा ही क्यों था, उसी वक्त ठोक देते, तब काहे नहीं ठोका, यार नेता जी तुम उस बखत कहां थे जब कसाब ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहा था और सेना वाले बिलों में दुबके लाशों की चादर ओढ़कर प्राण बचाते भाग रहे थे, तब तुम्हीं पकड़ लेते कसाब को और ठोक देते उसी वक्त । अब तुकाराम जी अपनी जान देकर कसाब यानि कसाई मियां को जैसे तैसे एक कीमती सबूत के तौर पर हमें दे गये हैं तो आप कह रहे हो कि इसे म्यूजियम में सजाने के बजाय ठोक क्यों नहीं रहे, इसका इण्टरनेशनल यूज क्यों हो रहा है इसे फांसी क्यों नहीं चढ़ा देते ।
भाई नेताजी पहले एक कसाब को खुद पकड़ों फिर खुद ठोको या उसे ठोकने की बात करो, कहने में भी सुघर लगोगे और जनता को बात भी रूचेगी, वरना ढपोरशंखी ही बजोगे । पकड़े पकड़ाये पर नर्राना आसान है, टेंटूयें से सुरों के ताल उलीचना सहज है पर पकड़ना कठिन है, यह तो स्वर्गीय शहीद तुकाराम भाई बता सकते हैं कि उन्होंने अपने प्राण देकर भी पहली बार भारत के हाथ एक ऐसा ब्रह्मास्त्र दे दिया कि अब भारत कसाब के बल पर न केवल दुनियां के सामने छाती तान कर खड़ा है बल्कि डिफैन्स से निकल कर अटैक की सिचुयेशन में आ गया है । और आप कह रहे हो कि ठोक दो कसाब को, साले नेता जी यार तुम हिन्दुस्तानी हो कि आतंकिस्तानी । आतंकिस्तान की मदद करने वाली हर बात तुम्हारे मुंह से बार बार नकल रही है ।
अरे जै ठोका ठाकी करनी थी तो नेताजी कंधार में क्या अम्मा मर गयी थी या नानी पानी भर रही थी । जो दामादों की तरह आंतंकिस्तानीयों को लगुन फलदान के संग छोड़ आये थे । बाप ने मारी मेंढ़की बेटा तीरन्दाज, क्या यार नेताजी देश के स्वतंत्रता संग्राम में तुम कहीं नहीं दीखे, अब पकी पकाई खाने को जीभ लपका मार रही है, कसाब के मामले में भी पकी पकाई के लिये लपक मार रहे हो । हम संसद में होते तो कहते शेम शेम शेम । राजनीति का कैसा गेम, शेम शेम शेम ।
आजाद देश पर हुकूमती के लिये फड़फड़ाना आसान है, और पकड़े पकड़ाये कसाब के लिये नसीहत देना भी आसान है मगर देश आजाद कैसे होता है ये तो वे ही बता सकेगें जिन्होंने अपने लहू से भारत की आजादी का इतिहास लिखा और अपनी पीड़ाओं के साये में सुखी जीवन के सपने त्याग कर फांसी और गोलीओं का चुम्बन लिया, कंधार जाकर दामादों की तरह खुख्वार आतंकिस्तानीयों को मय लगुन फलदान नहीं जाकर छोड़ा बल्कि उन्हीं के दरबार में उन्हीं की ऑंख में ऑंख डाल कर आँख निकाल लीं और टेंटुये में हाथ डालकर पेट में से आंतें खींच लीं ।
मुम्बई में आतंकिस्तानीयों को जो हश्र झेलना पड़ा, अगर यह अंजाम उन्हें कंधार में देखने को मिलता तो आज मुम्बई तक आने का हौसला नहीं उफान मारता, कंधार में हम आतंकिस्तानी भून देते तो मुम्बई में उने चरण कमल नहीं पड़ते । कंधार में हम कायर हुये तो मुम्बई तक आतंकिस्तान चढ़ बैठा । हमारी सेना (असली सेना) ने अपने वीर सैनिकों की जान देकर जिन खुंख्वार आतंकिस्तानीयों को पकड़ा था हमारे कायर और नाकारा लुगमहरे नेता उन्हें कंधार छोड़ कर आये, तब नेता जी काहे नहीं बोले कि ऐसा कर दो वैसा कर दो ।
मुम्बई में हमने 200 आदमी की कुर्बानी दी है तब एक जिन्दा आतंकिस्तानी हाथ आया है, अब इसके कर्म कुकर्म का हिसाब करने का वक्त आया है तो नेताजी बोलते हैं कि ठोक काहे नहीं देते । नेताजी ठोका ठोकी कंधार में करना । देश पे बोलने और देश को नसीहत देने या रास्ता दिखाने का हक तो कंधार में अपने दामादों के साथ ही छोड़ आये हो ।
भारत के इतिहास की वह शर्मनाक घटनायें जिन्हें काले पन्नों पर उकेरा जायेगा उसमें कंधार, संसद और मुम्बई मे हमला खास होंगें ।
ऑंख में पानी हो तो एक बार शर्मनाक कृत्य कर राजपूत आत्महत्या कर लेता है सारी कौम को नीचा दिखाने के बाद भी अगर वह यह कहे कि मौका पड़ा तो फिर ऐसा करूंगा, ऐसे साले को तो खड़े खड़े भून देना चाहिये । कसाब से ज्यादा खतरनाक तो ये नेता है जो, आंतकिस्तानीयों के हौसले बढ़ाने का स्टेटमेण्ट देकर उन्हें छपा छपाया इन्विटेशन कार्ड दे रहा है । और कह रहा है, यानि रास्ता दिखा रहा है कि आओ मेरे प्यारे दामादो और फिर कंधार चलो, मेरी सरकार आयेगी तो फिर तुम्हें लगुन फलदान देकर सकुशल विदा करूंगा । ये नेता अफीम वफीम खाता है क्या । पता नहीं भारत सरकार इसे गोली क्यों नहीं मरवा रही । कुत्ता पागल तो गोली और नेता पागल तो ...........।
हवालात में बन्द कसाब पे हवा और लात घुमाने वाले नेता जी अकल अड्डे पर रखो नहीं तो ठोक के कसाब के संग ही आतंकिस्तान भिजवा दिये जाओगे ।
अब नेता जी बोले कि चलो मान लिया कि हम कायर है पर यार ये अंतुले काहे को कह रहा है कि करकरे को हमने मारा, आतंकिस्तानीयों ने नहीं मारा । हम फिर गुस्साये, भरे भराये तो बैठे ही थे और अपनी जिह्वा रूपी तोप से फिर गोलों की बौछार शुरू की, और उल्टे नेता जी से ही पूछ लिया, यार ये घटना उस रात काहे घटी जब सबेरे पूरी स्टेट में वोट डलने थे, उसके बाद दो स्टेट में और वोट डलने थे, इस घटना का फायदा किसे मिलता । दूजी बात ये कि एटीएस वाले वे ही क्यों मरे जो प्रज्ञा भारती काण्ड देख रहे थे (चुन चुन कर ) ये संयोग नहीं हो सकता ( इसके बाद नेता जी के कुछ पालतू ब्लागर्स ने लिखा कि साला करकरे हरामी मारा गया, ये शहीद नहीं था एक आम आदमी था करकरे नाम का एक साधारण आदमी मारा गया, साले करकरे ने साधू संतों (प्रज्ञा भारती) से पंगा लिया और निबट गया । (इण्टरनेट पर लगभग आधा सैकड़ा ब्लाग छद्म नाम से बना कर एक ही मैटर कापी पेस्ट किया गया था )
तीजी बात ये कि यार नेता जी शुरू से ही तुम्हारे आचरण आतंकिस्तानी रहे हैं , अफजल को फांसी की डिमाण्ड कम से कम वो नहीं कर सकता जो आंतकवादीयों को दामाद की तरह कंधार में लगुन फलदान देकर आया हो । या जिन्ना की मजार पर माथा पटक कर रिरियाया हो ।
नेता जी हमने दो सौ निर्दोष मासूमों का रक्त देखा है, लहू खौल जाता है और ऐसे में तुम्हारा सुर तुम्हारी सूरत सब की सब काल बराबर नजर आती है । अच्छा हो कसाब का फैसला उन पर छोड़ो जिन्होंने उसे पकड़ा है । अपनी नेतिया टांय टांय बन्द रखो तो अच्छा है, बोलने का हक कंधार में जो छोड़ आये हो ।
रविवार, 21 दिसंबर 2008
गुर्जर उदय का प्रकाशन प्रारंभ, ऑनलाइन संस्करण भी आयेगा
गुर्जर उदय का प्रकाशन प्रारंभ, ऑनलाइन संस्करण भी आयेगा
मुरैना 21 दिसम्बर 08, नये साल पर गुर्जर समाज को तोहफा देते हुये अंतर्राष्ट्रीय गुर्जर समुदाय के सहयोग से मुरैना के युवा उत्साही समाजसेवी लायक सिंह गुर्जर द्वारा 'गुर्जर उदय' नामक मासिक समाचार पत्र का प्रकाशन आगामी जनवरी 2009 से किया जा रहा है ।
श्री गुर्जर ने ग्वालियर टाइम्स से चर्चा करते हुये बताया कि उनका समाचार पत्र स्थानीय वितरण के साथ देश और विदेश में भी वितरित होगा । इस सम्बन्ध में उन्हें भारी संख्या में गुर्जर समुदाय का सहयोग व अपेक्षायें प्राप्त हुयीं हैं ।
श्री गुर्जर ने बताया कि प्रसिद्ध वेबसाइट समूह ग्वालियर टाइम्स के सहयोग व सौजन्य से 'गुर्जर उदय' के ऑन लाइन संस्करण का इण्टरनेट पर भी प्रकाशित किया जायेगा और इसमें समाज के सदस्यों को ऑन लाइन सदस्यता प्राप्त करने तथा अपने विचार व्यक्त करने, रचनायें प्रकाशित कराने की सुविधा भी दी जायेगी । इसके साथ ही गुर्जर नौजवानों को रोजगार/ कैरियर परामर्श व सहायता सुविधायें तथा ऑनलाइन ई कामर्स/ शॉपिंग व कॉमन सर्विस सेण्टर सुविधा भी मिलेगी । इसके अलावा गुर्जर समुदाय के विवाह योग्य युवक युवतीयों को वैवाहिक ब्यूरो भी ऑन लाइन उपलब्ध होगा जिसमें वे अपना पंजीयन कर इच्छित विवाह कर सकेगें । और दहेज जैसी कुरीतियों से बच सकेगें ।
समाचार पत्र के प्रकाशन पर श्री लायक सिंह गुर्जर को अनेक गण्यमान्य लोगों द्वारा शुभकामनायें व बधाईयां दी गयीं हैं । जिसमें पूर्व मंत्री म.प्र. शासन श्री रूस्तम सिंह, सुमावली विधायक एवं पूर्व मंत्री म.प्र. शासन श्री ऐदल सिंह कंसाना, पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री श्री कीरत राम सिंह कंसाना, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव श्री सोवरन सिंह मावई, कांग्रेस के प्रदेश सचिव श्री दिनेश सिंह गुर्जर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री रघुराज सिंह कंसाना, पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष श्री हमीर पटेल, जौरा जनपद अध्यक्ष श्री निरंजन सिंह गुर्जर , अम्बाह जनपद अध्यक्ष श्री विशाल सिंह गुर्जर, पहाड़गढ़ जनपद अध्यक्षा श्रीमती कुसुमा गुर्जर, मुरैना जनपद अध्यक्ष श्री भूरा सिंह कंसाना, मण्डी अध्यक्ष मुरैना श्रीमती मुन्नी देवी राजेन्द्र सिंह गुर्जर, चम्बल संभाग बाल न्यायालय अध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण हर्षाना, पूर्व विधायक मुरार ग्वालियर रामबरण सिंह गुर्जर, नागदा खाचरोद विधायक श्री दिलीप सिंह गुर्जर आदि प्रमुख हैं ।