गुरुवार, 6 जनवरी 2011

पथ से उतरा पाकिस्‍तान , पथ पर वापस लौटो तो बात बने, केवल झण्‍डों और डण्‍डों से तो बात नहीं बनेंगीं , जो झण्‍डा तुम्‍हारा है ... असल में वह झण्‍डा हमारा है- Narendra Singh Tomar

पथ से उतरा पाकिस्‍तान , पथ पर वापस लौटो तो बात बने, केवल झण्‍डों और डण्‍डों से तो बात नहीं बनेंगीं , जो झण्‍डा तुम्‍हारा है ...  असल  में वह झण्‍डा हमारा है

- नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

भारत को जानो मेरा भारत महाभारत – Part -1 (Preface – Introductory)  भूमिका भाग

 

भारत में मुगलिया सल्‍तनत काल को आज के दौर में भले ही एक अलग नजरिये से देखा जाता हो बाबर और हूमांयूं ने इस सल्‍तनत का साम्राज्‍य भले ही स्‍थापित किया हो । मगर जो सच है वह थोड़ा अलहदा और जुदा है ।

अंग्रेजों ने भारत का जो इतिहास लिखा वह काफी टूटा फूटा काल्‍पनिक और भ्रमात्‍मक है, यह इतिहास न तो भारत के सच्‍चे व असल इतिहास से मेल खाता है और न इसका कोई सिर पैर ही है । दुर्भाग्‍य की बात यह है कि यही अंगेजों द्वारा लिखित अर्जी फर्जी इतिहास हिन्‍दुस्‍तानीयों भी को पढाया गया और पाकिस्‍तानीयों को भी । दोनों देशों की वैमनस्‍यता के पीछे इस फर्जी बेसिर पैर के कूटरचित इतिहास का बहुत बड़ा हाथ है , हिन्‍दू मुसलमानों के बीच नफरत की खाई पैदा करने वाला यही भ्रमात्‍मक इतिहास है ।

दरअसल भारत में मुसलमानों का आगमन या मुस्लिम संस्‍कृति का प्रारंभ बाबर के भारत में आने के साथ से प्रारंभ नहीं होता, यह बात सरासर गलत और फर्जी है , इसी प्रकार भारत के इतिहास में सर्वाधिक बदनाम किये गये और गद्दार कहे गये राजा जयचंद का असल इतिहास कुछ और ही है , जयचंद बेहद स्‍वाभिमानी पराक्रमी और देशभक्‍त ईमानदार राजा था जिसे विदेशी इतिहासकारों ने बदनाम व कलंकित किया एवं गद्दार कह दिया, यह बात राजपूत वंशावलियों से साबित है और इसी में भारत की हिन्‍दू सल्‍तनत जाने के बहुत गहरे राज छिपे हैं । इस पूरी कथा को ओर इसकी असल सच्‍चाई रोंगटे खड़े कर देने वाली है । और इस कहानी में दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की दिल्ली गद्दी और फिर महाराजाधिराज अनंग पाल सिंह तोमर की नई राजधानी ऐसाह गढ़ी के स्‍थापना के रहस्‍य छिपे हैं , आगे तोमर राजवंश का ग्‍वालियर साम्राज्य स्‍थापना और आज दिनांक तक तोमरों को दिल्‍लीपति पुकारा जाना जैसे अनेक गूढ रहस्‍य इस पूरी कथा वृतान्‍त में भारत के असल इतिहास और भारत की दबी कुचली गई संस्‍कृति में दबे हुये हैं , जाटों , गूजरों की उत्‍पति एवं राजपूतों से ताल्‍लुकात के अनेक रहस्‍य इसमें दबे हैं । हम क्रमवार इन रहस्‍यों को आपके सामने राजपूतों के असल इतिहास , मूल वंशावलियों , मूल प्राचीन धर्म ग्रंथों के आधार पर आपके सामने प्रस्‍तुत करने जा रहे हैं ।   

वर्ष सन २००५ में हमने यहीं इण्‍टरनेट पर घोषणा की थी कि हम भारत के असल इतिहास को मूल राजपूत वंशावलियों और प्राचीन ग्रंथादि के आधार पर इण्‍टरनेट के आधार पर यहॉं प्रकाशित करेंगें । हजारों लोगों ने हमसे मांग भी की और हमारी इस घोषणा का तहे दिल से स्‍वागत भी किया, जिसमें बहुतेरे आई.ए.एस. , आई पी एस आई एफ एस आदि के साथ शंकराचार्य एवं अतिविद्वान साधु संतादि भी थी । हैरत की बात ये थी भारी संख्‍या में विदेशी भी थे जो कि जाने माने इतिहास के विद्वान एवं इतिहास लेखक थे ।

हमारी इस घोषणा के बाद हम अपने कार्य को अंजाम देने के लिये ज्‍यों ही जुटे हमारे म.प्र. का मुख्‍यमंत्री बदल गया और बिजली कटौती से लेकर प्रशासनिक कमीनापन बेहूदी सरकार और अनसुना रहने वाला मूर्ख शासन, भ्रष्‍टाचार की अंधी आंधी में कुछ ऐसे फंसे कि हमारे अनेक महत्‍वपूर्ण  प्रोजेक्‍ट जहॉं के तहॉं थम गये और जो काम पॉंच साल पहले हमें प्रांरंभ करना थे वे जाम और ब्‍लांक हो गये ।

खैर जो हुआ सो हुआ मध्‍यप्रदेश की भ्रष्‍टों की जमात से सीधे टकराते हुये अब यह श्रंखला हम चालू कर रहे हैं और भारत के उपलब्‍ध असल इतिहास पर प्रकाश डालते हुये केवल अब यह इतिहास अति संक्षिप्त रूप में ही हम आपके सामने ला पायेंगे । लेकिन इस अति अनिवार्य अधूरे काम को एक झलक के साथ पूरा करेंगें और पूरे ५ साल बाद ही सही हम अपना वायदा पूरा करने जा रहे हैं । इस श्रंखला का नाम  भारत को जानो मेरा भारत महाभारत रहेगा ।

इस रंखला का यह भाग इण्‍ट्रो आलेख है यानि परिचयात्‍मक भूमिका भाग है ...     

 

सनद जारी रहे ......

लो कथा सुनो जयचन्‍द की .. इतिहास का सबसे बदनाम आदमी .. हकीकत प्‍यारे ये है .. हिम्‍मत है तो जवाब दो Part- 1 - नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

लो कथा सुनो जयचन्‍द की .. इतिहास का सबसे बदनाम आदमी ..  हकीकत प्‍यारे ये है ..  हिम्‍मत है तो जवाब दो Part- 1

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

पहली किश्‍त

(इस आलेख से संबंधित सारे सबूत हमारे पास सुरक्षित हैं )

अंग्रेजो का लिखा इतिहास तकरीबन सबने पढ़ा है, भारत के इतिहास में जयचन्‍द बदनाम भी बहुत है , हर गद्दारी की बात पर जयचन्द का ही उदाहरण दिया जाता है । मगर ऐसे उदाहरण देने वाले क्‍या सचमुच जानते हैं कि जयचन्‍द कौन था ?  और आखिर उसका इतिहास क्‍या था ?

अभी  कुछ महीने पहिले फेसबुक पर दो महत्‍वपूर्ण फर्जी प्रोफाइलर्स के कमेण्‍ट हमें हमारे स्‍अेटसों पर प्राप्‍त हुये ।  लगभग 6 महीने पहिले एक फर्जी फेक प्रोफाइलर जो कि मान सिंह के नाम से राजपूत बन कर फेसबुक पर अवतरित हुआ उसने बताया कि वह इजरायली हिन्‍दूत्‍व सेना का चीफ है और भारत से आई आई टी उत्‍तीर्ण है , बाद में हमारी एक खास पत्रकार मित्र सोनिया सिंह ने बताया कि वह एक सेक्‍स रैकेट का चीफ है  और खुद को आई आई टी उत्‍तीर्ण होने का झांसा देकर लड़कियों को काम धन्‍धा रोजगार दिलाने के बहाने खास चुनिन्‍दा होटलों में बुलाता है और सेक्‍स रैकेट में फंसाकर दुबई  तथा अन्‍य जगह विदेशों  में भेजता है ।

इस मान सिंह के हमें जो मैसेज मिले , जो कि हमने अपने रिकार्ड में सुरक्षित रखे हैं , इसका कहना था कि  राजपूत देश की सबसे गद्दार और कमीनी जाति है तथा जय चन्‍द तोमर राजपूत था ।

यह इस कमीने हरामजादे फर्जी मान सिंह का ऐतिहासिक ज्ञान और राजपूतों के खिलाफ घृणा का हमें मिला संदेश था ।  बाद  में  हमारी रिसर्च रिपोर्टों में जिसका नाम सामने आया वह एक लड़की थी और जिसका नाम था ....  (यह राज हम इस आलेख की अंतिम किश्‍त में खोलेंगें ) 

इसके बाद हमारी फेसबुक प्रोफाफाइल पर ही कुछ फर्जी ब्राह्मण नाम उभरते हैं और भगवा आतंक के खिलाफ हमारे द्वारा लिखे गये स्‍टेटस पर ही बिल्‍कुल वही कमेण्‍ट करते हैं  और जय चन्द को फिर तोमर बताकर राजपूतों को कलंकित करते हैं ..  हम  इस पूरे रिकॉर्ड को भी सुरक्षित कर लेते हैं केवल इस आशय से कि सामने वाली अपना गेम खेल रही है ..  हम  अपना गेम खेल रहे हैं ...  इतना तो तकरीबन जाहिर है कि यह फर्जी शख्‍स निश्चित ही हिन्‍दुस्‍तानी नहीं और इसे भारतीय इतिहास का न तो ज्ञान है  और पूरी तरह वर्ण संकर प्रजाति का पाकिस्‍तान की आई एस आई का एजेण्‍ट है  और इजरायल एवं आई टी आई का नाम लेकर फेसबुक पर भारत में  बेहद खतरनाक सामाजिक विध्‍वंस फैलाने में लगा हुआ या लगी हुयी है... और तमाशे की बात यह भी है कि यह भारतीय जनता पार्टी और दुर्गा वाहिनी का कार्यकर्ता स्‍वयं को घोषित किये हुये हैं .... हम भी इसके पीछे लगे रहे ..  और सारे राज जानने को आतुर रहे , खैर अंतिम किश्‍त में इसका नाम भी खोलेंगें ...  पहलें इसकी सारी चालें और इसके सारे कारनामों और इसकी फर्जी सारी प्रोफाइलों पर एक नजर डालते चलें ....  जय श्री कृष्‍ण    जय श्री हरि ।।  जय  हिन्द ।।    

अगले अंक में जारी ....... 

बुधवार, 5 जनवरी 2011

शिवराज सिंह का तगड़ा धोखा - मुरैना में बिजली कटौती चालू आहे ...... सबेरे १० बजे से अभी शाम ४ बजे तक... आगे राम जाने कब तक ... जय श्री राम .... जय भ्रष्‍टाचार .... जय अंधेर गर्दी .... अंधेरा कायम रहे सरकार

संभागीय मुख्‍यालय मुरैना में बिजली कटौती २० घण्‍टे प्रतिदिन पर पहुंची : शुरू हुयी अब रात्रि कालीन बिजली कटौती भी

मुरैना/ ग्‍वालियर 5 जनवरी  2011 .  इससे पूर्व 30 दिसम्‍बर २०१० 27 दिसम्‍बर २०१०, 25 दिसम्‍बर २०१०, 17 दिसम्‍बर 2010, 14 दिसम्‍बर २०१०, 10  दिसम्‍बर २०१०, 9 दिसम्‍बर २०१०. 4 December 2010 और २८ नवम्‍बर २०१० को प्रकाशित,  ग्‍वालियर चम्‍बल के संभागीय मुख्‍यालयों पर २० घण्‍टे की घोषित  नियमित बिजली कटौती के बाद अब अंधाधुन्‍ध अघोषित बिजली कटोती - इस समाचार के प्रकाशन के वक्‍त तक संभागीय मुख्‍यालयों पर प्रात: १० बजे से शाम ४  बजे अभी तक बिजली नहीं थी ।

मुरैना एवं भिण्‍ड जिला में प्रतिदिन की जा रही 20 घण्‍टे की डिक्‍लेयर्ड बिजली कटौती के बाद दीपावली के त्‍यौहार पर तथा त्‍यौहार गुजरने के बाद अतिरिक्‍त बिजली कटौती का चम्‍बल संभाग के निवासियों को और अधिक सामना करना पड़ रहा है ।

नरक चतुर्दशी पर जहॉं रात में १० बजे  से ११ बजे तक की अतिरिक्‍त बिजली कटौती की गयी वहीं ऐन दीपावली यानि ५ नवम्‍बर २०१० को प्रात: ७ बजे से काटी गयी बिजली कटौती आज दिनांक ५ जनवरी को इस समाचार के लिखे और प्रकाशित किये जाने के वक्‍त तक समूचे शहर में बिजली कटोती सबेरे १० बजे से जारी है । उल्लेखनीय है कि विगत एक माह से  रात्रिकालीन बिजली कटौती भी प्रारंभ  कर दी गयी है और रात्रि ११ बजे से सुबह ३ बजे तक बिजली कटौती की जा रही है । ज्ञातव्‍य है कि विगत दिनों मुरैना में विकास को धता बताकर भ्रष्‍टाचार में मशगूल मुरैना जिला प्रशासन पर एक फिल्‍म ग्‍वालियर टाइम्‍स द्वारा इण्‍टरनेट पर प्रसारित की गयी थी इसके अलावा फर्जी हिनदूत्‍व के खिलाफ एक बृहद अभियान शुरू किया गया है जिससे मुरैना जिला प्रशासन और म.प्र. सरकार बुरी तरह झल्‍लाई हुयी है ।  वर्तमान में शहर में शट डाउन चल रहा है । उल्लेखनीय है कि चम्‍बल के ६५ फीसदी ग्रामीण क्षेत्र में बिजली है ही नहीं वहीं जहॉं हैं वहॉं दो दिन छोड़ कर महज ४ घण्‍टे के लिये मात्र बिजली दी जा रही है । ऐन नववर्ष पर की जा रही अनाप शनाप भारी बिजली कटौती से जनता में भारी रोष व आक्रोश व्याप्‍त हो गया है । स्‍मरणीय है मुरेना शहर चम्बल संभाग का संभागीय मुख्‍यालय है । इस दरम्‍यान बिजली घर का शिकायत दर्ज कराने का फोन नंबर ०७५३२- २३२२४४ सहित सभी अधिकारीयों एवं कर्मचारीयों के फोन बन्‍द चल रहे हैं जो कि हरदम बिजली शट डाउन करने से पूर्व आउट ऑफ क्रेडल एवं स्विच आफॅ कर लिये जाते हें ।   

यह थी वह फिल्‍म जिस पर कुर्राया मुरैना का भ्रष्‍ट कलेक्‍टर एम.के.अग्रवाल और म.प्र. का भ्रष्‍ट मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह – आप भी देखिये यह फिल्म

ऋण गारंटी योजना के तहत महि‍लाओं दारा संचालि‍त सूक्ष्‍म एवं लघु उपक्रमों के लि‍ए गारंटी कवर 75 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी कि‍या गया

ऋण गारंटी योजना के तहत महि‍लाओं दारा संचालि‍त सूक्ष्‍म एवं लघु उपक्रमों के लि‍ए गारंटी कवर 75 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी कि‍या गया 
ऋण संबद्ध पूंजी सब्‍सि‍डी योजना के तहत सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यम के

सूक्ष्‍म , लघु एवं मझौले उपक्रम मंत्रालय देश में सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उपक्रमों (एमएसएमई) के वि‍कास के लि‍ए संवर्धनात्‍माक योजनाएं चला रहा है।

सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यम के लि‍ए ऋण प्रवाह में वृद्धि

सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) को ऋण उपलब्ध कराने की प्रक्रि‍या को मजबूत करने के लि‍ए सरकार ने अगस्‍त, 2005 में ' सूक्ष्म एवं लघु उपक्रम के लि‍ए ऋण प्रवाह तेजी पालि‍सी पैकेज ' की घोषणा की थी जि‍सका उद्देश्‍य पांच सालों में इस क्षेत्र के लि‍ए ऋण प्रवाह को दोगुना करना है। फलस्‍वरूप सार्वजनि‍क क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यम के लि‍ए ऋण प्रवाह में उल्‍लेखनीय वृद्धि‍ हुई है और लंबि‍त ऋण मार्च, 2005 के 67,800 करोड़ रुपए से बढ़कर मार्च, 2010 के अंत में 2,78,398 करोड़ रुपए (अंनति‍म) हो गया।

कौशल वि‍कास

सरकार ने उपकरण कक्षों की प्रशि‍क्षण कुशलता में वृद्धि‍, एमएसएमई वि‍कास संस्‍थान और मंत्रालय के अन्‍य संस्‍थानों जैसे उपायों के माध्‍यम से कौशल वि‍कास को उच्‍च प्राथमि‍कता दी है। मंत्रालय की एजेंसि‍यों ने 2009-10 के दौरान 3.13 लाख लोगों को कौशल वि‍कास प्रशि‍क्षण दि‍या और 2010-11 के लि‍ए 4.16 लाख लोगों को प्रशि‍क्षण दि‍ये जाने का लक्ष्‍य रखा गया है। मंत्रालय अनुसूचि‍त जाति‍/जनजाति‍ के लोगों को मुफ्त में प्रशि‍क्षण देता है। 

राष्‍ट्रीय वि‍निर्माण प्रति‍स्‍पर्धा कार्यक्रम 

सरकार ने राष्‍ट्रीय वि‍निर्माण प्रति‍स्‍पर्धा कार्यक्रम (एनएमसीपी) के तहत एमएसएमई के लि‍ए अखि‍ल भारतीय अभि‍यान शुरू कि‍या है जो इस क्षेत्र के उपक्रमों की प्रति‍स्‍पर्धात्‍मक क्षमता को बढ़ाने के लि‍ए वि‍शेष अवयव है।
इस कार्यक्रम के दस तत्‍व हैं जो इस प्रकार हैं- 

1.
एमएसएमई के लि‍ए लीन वि‍निर्माण प्रति‍स्‍पर्धा योजना
2.
एमएसएमई वि‍निर्माण क्षेत्र की डि‍जाइन वि‍शेषज्ञता के लि‍ए डि‍जाइन क्‍लीनि‍क योजना
3.
वि‍पणन सहायता एवं वि‍पणन प्रौद्योगि‍की
4.
गुणवत्‍ता प्रबंधन मानक (क्‍यूएमएस) और गुणवत्‍ता प्रौद्योगि‍की उपकरण (क्‍यूटीएस) के माध्‍यम से विनि‍र्माण क्षेत्र को प्रति‍स्‍पर्धी बनाना
5.
एमएसएमई के लि‍ए प्रौद्योगि‍की और गुणवत्‍ता उन्‍नयन
6.
एमएसएमई क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगि‍की को संवर्धन
7.
पीपीपी माध्‍यम से मि‍नी टूल रूम और प्रशिक्षण केंद्र की स्‍थापना
8.
एमएसई को वि‍पणन सहायता/सहयोग (बार कोड) 
9.
एमएसएमई के लि‍ए बौद्धि‍क संपदा जागरूकता
10.
एसएमई के लि‍ए इनक्‍यूबेटर्स के माध्‍यम से उद्यमि‍ता और प्रबंधकीय वि‍कास के लि‍ए सहायता योजना 

एमएसई कलस्‍टर वि‍कास कार्यक्रम

मंत्रालय ने कम खर्च पर सूक्ष्‍म और लघु उद्यम के समग्र वि‍कास के लि‍ए कलस्‍टर दृष्‍टि‍कोण अपनाया है। मृदु प्रयास (कलस्‍टर इकाइयों के लि‍ए तकनीकी सहायता, कौशल वि‍कास, बाहर घुमाने ले जाना, वि‍पणन वि‍कास, वि‍श्‍वास नि‍र्माण आदि‍) कठि‍न प्रयास ( परीक्षण प्रयोगशाला, डि‍जायन केंद्र, उत्‍पादन केंद्र, नि‍स्‍सारी शोधन संयंत्र, प्रशि‍क्षण केंद्र, अनुसंधान एवं वि‍कास केंद्र, कच्‍चा माल बैंक आदि‍ जैसी परि‍संपत्‍ति‍यों का नि‍र्माण) और अवसरंचना प्रयास ( भूमि‍ का वि‍कास, जलापूर्ति, नि‍कास, बि‍जली वि‍तरण, सड़क नि‍र्माण आदि‍) मौजूदा कलस्‍टरों/नये औद्योगि‍क इलाकों/संपदा या मौजूदा औद्योगि‍क क्षेत्रों एवं संपदा में कि‍य जाते हैं। 471 कलस्‍टर इन प्रयासों के लि‍ए मंजूर किये गए हैं जि‍नमें से 66 के लि‍ए कठि‍न प्रयास कि‍ए जाएंगे।

ऋण गारंटी योजना

सरकार सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यम खासकर सूक्ष्‍म उद्यमों को बि‍ना कि‍सी तीसरे पक्ष की गारंटी के 100 लाख रुपए तक के ऋण के लि‍ए गारंटी कवर के माध्‍यम से ऋण प्रवाह को आसान बनाने के लि‍ए सूक्ष्‍म एवं लघु ऋण गारंटी कोष योजना चला रही है। इस योजना को ऋणदाताओं और ऋणधारकों दोनों के लि‍ए और आकर्षक बनाने के लि‍ए कई बदलाव कि‍ए गए है जि‍नमें (अ.) ऋण सीमा 100 लाख रुपए तक बढ़ाना (ब.) पांच लाख तक के लि‍ए गारंटी कवर 75 फीसदी से बढ़ाकर 85 फीसदी करना (स.) पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में महि‍लाओं के स्‍वामि‍त्‍व वाले सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यम के लि‍ए ऋण पर गारंटी कवर 75 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी कि‍या जाना आदि‍ कई कदम शामि‍ल हैं।

सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यम के लि‍ए ऋण संबद्ध पूंजी सब्‍सि‍डी योजना (सीएलसीएसएस) 

सीएलसीएसएस के तहत प्रौद्योगि‍की उन्‍नयन के लि‍ए 100 लाख रुपए तक ऋण के लि‍ए 15 फीसदी की पूंजी सब्‍सि‍डी प्रदान की जाती है और सुस्‍थापि‍त और उन्‍नत प्रौद्योगिकी अपनाने पर बल दि‍या जाता है। अबतक 49 उत्‍पाद और उप क्षेत्र 1400 सुस्‍थापि‍त प्रौद्योगि‍कि‍यों और मशीनों को अपनाने पर सब्‍सि‍डी के लि‍ए चुने गए हैं। हाल ही में दवा क्षेत्र के लि‍ए 179 नई प्रौद्योगि‍कि‍यां इस सूची में जोड़ी गयी हैं। यह योजना एसआईडीबीआई, नाबार्ड, एसबीआई, बीओबी, पीएनबी, आंध्र बैंक, एसबीबीजे , केनरा बैंक, टीआईआईसी जैसी एजेंसि‍यों के माध्‍यम से लागू की जा रही है।

आईएसओ 9000/ आईएसओ 14001 / एचएसीसीपी भुगतान योजना

सरकार ने अपने प्रौद्योगि‍की उन्‍नयन/ गुणवत्‍ता सुधार और पर्यावरण प्रबंधन के लि‍ए एक प्रोत्‍साहन योजना शुरु की है। इसके तहत आईएसओ9000/140001/एचएसीसीपी (या समतुल्‍य प्रमाण पत्र) हासि‍ल करने के लि‍ए एक बारगी भुगतान कि‍या जाता है जो कुल लागत का 75 प्रति‍शत या अधि‍कतम 75000 रुपए हो सकता है। यह योजना मंत्रालय के वि‍कास आयुक्‍त द्वारा लागू की जाती है लेकि‍न पहली अप्रैल, 2007 से इसका वि‍केंद्रीकरण कर दि‍या गया है और एमएसएमई वि‍कास संस्थान के नि‍देशकों को अपने अधि‍कार क्षेत्र में आने वाले एमएसएमई के भुगतान संबंधी दावों पर विचार करने और उन पर भुगतान करने का अधि‍कार दि‍या गया है। सरकार ने यह योजना ग्‍यारहवीं पंचवर्षीय योजना तक के लि‍ए बढ़ा दी है।

वर्ष 1994 से अबतक यानी 31 मार्च, 2010 तक 20065 इकाइयों को 97.81 करोड़ रुपए भुगतान कि‍ए गए हैं। वर्ष 2010 के दौरान नवंबर, 2010 तक 609 इकाइयों को 3.07 करोड़ रुपए दि‍ए गए हैं।

राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार

राष्‍ट्रपति‍ श्रीमती प्रति‍भा देवी सिंह पाटि‍ल ने 30 अगस्‍त,2010 को नई दि‍ल्‍ली में सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार प्रदान कि‍ए। पुरस्‍कार की तीन श्रेणि‍यां (अ.) उत्‍कृष्‍ट सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यम (उद्यमि‍ता, अनुसंधान एवं वि‍कास तथा गुणवत्‍तापूर्ण उत्‍पाद) (ब.) खादी एवं ग्रामोद्योग और (स.) क्‍वायर उद्योग तथा महि‍ला एवं अनुसूचि‍त जाति‍/जनजाति‍ उद्यमि‍यों तथा सूक्ष्‍म एवं लघु उद्यमि‍यों को ऋण देने में उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करने वाले बैंकों को वि‍शेष पुरस्‍कार। वि‍भि‍न्‍न श्रेणि‍यों के तहत छह बैंकों समेत कुल 171 उद्यमि‍यों को पुरस्‍कार दि‍ए गए। 28 उद्यमि‍यों को राष्ट्रपति‍ से पुरस्‍कार मि‍ले जबकि‍ शेष पुरस्‍कार वि‍जेताओं को सूक्ष्‍म, लघु एवं मझौले उद्यम राज्‍यमंत्री श्री दि‍नशा पटेल ने पुरस्‍कार प्रदान कि‍ए।

एमएसएमई प्रदर्शनी-2010

14-27
नवंबर, 2010 के दौरान नई दि‍ल्‍ली के प्रगति‍ मैदान में भारत अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार मेले के दौरान सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम एक्‍सपो का आयोजन कि‍या गया। देश भर के सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों की प्रदर्शनी लगाई गई। इसके अलावा, इस व्‍यापार मेले में एनएसआईसी ने भी टेकमार्ट-2010 के माध्‍यम से इन उद्यमों की तकीनीकी क्षमताएं एवं प्रदर्शित की। खादी और ग्रामोद्योग के उत्‍पाद भी खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा प्रदर्शित कि‍ए गए तथा क्‍वायर बोर्ड ने भी अपने उत्‍पाद प्रदर्शित कि‍ए।

वि‍पणन सहायता योजना

इस योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य सूक्ष्‍म, लघु तथा मझौले उद्यमों की वि‍पणन प्रति‍स्‍पर्धा बढ़ाना, व्‍यक्ति‍यों या संगठनों के साथ संवाद के लि‍ए मंच उपलब्ध कराना, उन्‍हें बाजार के मौजूदा रुख की जानकारी देना और अपनी समस्‍याओं के समाधान के लि‍ए मंच प्रदान करना है। एनएसआईसी एमएसएमई को नये बाजारी अवसर हासि‍ल करने में उनके वि‍पणन प्रयासों के संवर्धन तथा प्रति‍स्‍पर्धात्‍मक क्षमता में वृद्धि‍ के लि‍ए सहायक की भूमि‍का नि‍भाता है , इसके लि‍ए वि‍भि‍न्‍न घरेलू एवं अंतरराष्‍ट्रीय प्रदर्शनि‍यां और व्‍यापार मेले, खरीददार वि‍क्रेता मेले, सघन अभि‍यान, संगोष्‍ठी आदि‍ आयोजि‍त कि‍ए जाते हैं।

वर्ष 2010-11 लिए के बजट अनुमान 10.00 करोड़ रुपए है और 13 अंतरराष्‍ट्रीय एवं 70 राष्‍ट्रीय प्रदर्शनि‍यों और मेलों के आयोजन का लक्ष्‍य है।

नि‍ष्‍पादन एवं क्रेडि‍ट रेटिंग योजना

एनएसआईसी सरकार की ओर से सूक्ष्‍म और लघु उद्यमों के लि‍ए '' नि‍ष्‍पादन एवं क्रेडि‍ट रेटिंग योजना '' चला रहा है। इसे छह प्रत्यायि‍त रेंटिंग एजेंसि‍यों- क्रि‍सि‍ल, एसएमईआरए, ओएनआईसीआरए, सीएआरए, एफआईटीसीएच और आईसीआरए के माध्‍यम से चलाया जा रहा है। योजना का लक्ष्‍य सूक्ष्‍म लघु तथा मझौले उद्यमों को मौजूदा संचालन में उनकी ताकत तथा उनकी कमि‍यों के बारे में जागरुक बनाना तथा उन्‍हें अपने संगठनात्‍मक ताकत तथा क्रेडि‍ट पात्रता बढ़ाने का अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत रेटिंग सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों की क्षमता तथा क्रेडि‍ट दक्षता पर भरोसेमंद तीसरे पक्ष का मत व्‍यक्‍त कि‍या जाता है। एक प्रत्‍यायि‍त एजेंसी द्वारा स्‍वतंत्र रेटिंग की बैंकों, वि‍त्‍तीय संस्‍थानों, ग्राहकों/खरीददारों में अच्‍छी स्‍वीकृति‍ मि‍लती है। इस योजना के तहत पहले वर्ष के लि‍ए रेटिंग शुल्‍क पर सब्‍सि‍डी दी जाती है जो शुल्‍क का 75 फीसदी या 40000 रुपए तक , जो भी कम हो, हो सकता है। 2010-11 के लि‍ए बजट अनुमान 35.00 करोड़ रुपए है और इसके तहत 9400 इकाइयों को रेटिंग प्रदान करने का लक्ष्‍य है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग योजना

मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही यह मौजूदा योजना नौंवी योजना की स्‍कीम है जो ग्‍यारहवीं योजना के साथ चल रही है। सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों के प्रौद्यो‍गिकी उन्‍नयन और अथवा उन्ययन, उनका आधुनिकीरण, तथा निर्यात का संवर्धन इसके मुख्‍य उद्देश्‍य हैं-

इस योजना में प्रमुख गतिविधियां इस प्रकार हैं-

1.
प्रौद्योगिकी उन्‍नयन, संयुक्‍त उपक्रम, उत्‍पाद के लिए के बाजार में सुधार, विदेशी सहयोग की संभावनाएं तलाशने के लिए अन्‍य देशों में एमएसएमई व्‍यापा‍रिक प्रतिनिधिमंडल भेजना।

2.
देश और देश के बाहर एमएसएमई का अंतरराष्‍ट्रीय प्रदशर्नियों, व्‍यापार मेलों और खरीददार-विक्रेता सम्‍मेलनों में हिस्‍सा लेना।

3.
एमएसएमई के विषयों पर सम्‍मेलन एवं संगोष्‍ठी का आयोजना।

वर्ष 2010-11 का बजट अनुमान दो करोड़ रुपए का है और करीब डेढ़ सौ उद्यमियों को 30 अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों में हिस्‍सा लेने के लिए सहयोग किया जाएगा।

प्रशिक्षण संस्‍थानों को सहायता

इस योजना के अंतर्गत मौजूदा और नये प्रशिक्षण संस्‍थानों को उद्यमिता विकास संस्‍थान (ईडीआई) की स्‍थापना एवं अपने प्रशिक्षण अवसंरचना में मजबूती के लिए सहायता प्रदान की जाती है। मंत्रालय मैचिंग बेसिस पर सहायता प्रदान करता है जो परियोजना लागत का 50 फीसदी या 150 लाख , जो भी कम हो, होता है। लेकिन अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप के लिए यह 90 फीसदी या 270 लाख रुपए, जो भी कम हो, है । हालांकि इसमें भूमि की लागत तथा वर्किंग पूंजी शामिल नहीं है।

अब इस योजना में प्रशि‍क्षण का एक नया अवयव जोड़ा गया है। योजना के तहत नि‍म्‍नलि‍खि‍त संस्‍थानों को उद्यमि‍ता वि‍कास कार्यक्रम तथा उद्यमि‍ता सह कौशल वि‍कास कार्यक्रम तथा प्रशि‍क्षक प्रशि‍क्षण कार्यक्रम के लि‍ए सहायता दी जाती है-

राष्‍ट्रीय स्‍तरीय ईडीआई (उसकी शाखाएं भी शामि‍ल हैं।)
राष्‍ट्रीय स्‍तर के ईडीआई के साथ साझेदारी से स्‍थापि‍त प्रशि‍क्षण संस्‍थान।
एनएसईसी के प्रशि‍क्षण एवं निर्माण केंद्र।
एनएसईसी के फ्रैंचाईजी द्वारा प्रशि‍क्षण सह निर्माण केंद्र।

वर्ष 2010-11 के लि‍ए बजट अनुमान 54.25 करोड़ रुपए है तथा चार मौजूदा/नये ईडीआई को तथा 40 हजार व्‍यक्‍ति‍यों को प्रशि‍क्षण प्रदान करने का लि‍ए सहायता प्रदान करने का लक्ष्‍य है।

राजीव गांधी उद्यमी मि‍त्र योजना

इस योजना का उद्देश्‍य पहली पीढ़ी के उन उद्यमि‍यों को सहायता प्रदान करना है जि‍न्‍होंने पहले ही उद्यमी मि‍त्र जैसी जानी मानी एजेंसि‍यों से उद्यमि‍ता विकास प्रशक्षि‍ण कार्यक्रम/कौशल वि‍कास प्रशि‍क्षण कार्यक्रम/ उद्यमि‍ता सह कौशल वि‍कास कार्यक्रम/ व्‍यासायि‍क प्रशिक्ष‍ण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर लि‍या है और नये उद्यम की स्‍थापना और प्रबंधन संबंधी गुर सीख चुके हैं ।

मुफ्त एक उद्यमी हेल्‍पलाईन नंबर 1800-180-6763 पहली पीढ़ी के उद्यमियों के लि‍ए शुरू की गई है और उन्‍हें इसके माध्‍यम से सरकार की वि‍भि‍न्‍न संवर्धनात्‍मक योजनाओं, उद्यम स्‍थापि‍त करने और उसे चलाने की प्रक्रि‍यागत औपचारि‍कताएं, बैंक से ऋण लेने तथा अन्‍य तौर तरीके आदि‍ के बारे में बताया जाता है।

वर्ष 2010-11 के लि‍ए अनुमानि‍त बजट 7.75 करोड़ रुपए है और इसके तहत चार हजार नये उद्यमि‍यों को सहायता पहुंचाया जाने का लक्ष्‍य है।

एआरआई क्षेत्र

मंत्रालय कृषि‍ और ग्रामीण उद्योग के क्षेत्र (एआरआई) में भी कृषि‍ एवं ग्रामीण आधारि‍त उद्योग के वि‍कास पर वि‍शेष बल दे रहा है ताकि‍ गांवों में रोजगार के अधि‍क अवसर खासकर गैर कृषि‍ क्षेत्र में पैदा हों । इन उद्यगों के लि‍ए कच्‍चा माल और कौशल गांवों मि‍ल जाता है। मंत्रालय खादी एवं ग्रामाद्योग आयोग (केवीआईसी) तथा क्‍वायर बोर्ड के माध्‍यम से मुख्‍यत: खादी और ग्रामोद्योग तथ क्‍वायर उप क्षेत्रों में काम करता है और इस क्षेत्र में सरकार की वि‍भि‍न्‍न योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री की रोजगार सृजन कार्यक्रम समेत नयी योजनाओं के क्रि‍यान्‍वयन में हाथ बंटाता है।

केवीआईसी और क्‍वायर बोर्ड के तहत मुख्‍य परि‍योजनाएं इस प्रकार हैं-

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम

अगस्‍त, 2008 में शुरू कि‍या गया यह कार्यक्रम एक वि‍शेष पहल है और इसके तहत आकर्षक सब्‍सि‍डी दी जाती है। पीएमआरवाई और आरईजीपी को मि‍लाकर इसे तैयार कि‍या गया है। इसके तहत 4735 करोड़ रुपए का योजना लागत है । ग्‍यारहवीं योजना में 2008-09 से लेकर 2011-12 के दौरान इसके तहत 38 लाख अति‍रि‍क्‍त रोजगार अवसर सृजि‍त कि‍ये जाने का अनुमान है। कार्यक्रम के तहत सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपए तक के सूक्ष्म उद्यम तथा वि‍निर्माण के क्षेत्र में 25 लाख रुपए तक के उद्यम की स्‍थापना के लि‍ए वि‍त्‍तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके तहत सहायता ग्रामीण क्षेत्रों में सब्‍सि‍डी के रूप में 25 फीसदी सहायता (कमजोर तबके के लि‍ए 35 फीसदी) तथा शहरी क्षेत्रों में 15 फीसदी सहायता (कमजोर तबके के लि‍ए 25 फीसदी) दी जाती है।

खादी शि‍ल्‍पकारों के लि‍ए वर्कशेड योजना

खादी शि‍ल्‍पकारों को काम के लि‍ए बेहतर माहौल उपलब्‍ध कराने के लि‍ए वर्कशेड के निर्माण के लि‍ए जुलाई, 2008 में यह योजना शुरू की गयी। वर्ष 2009-10 के दौरान केवीआईसी को इस मद में 13.95 करोड़ रुपए जारी कि‍ए गए ।

खादी उद्योग और शि‍ल्‍पकार उत्‍पादकता एवं प्रति‍स्‍पर्धा उन्‍नयन योजना

यह योजना जुलाई 2008 में मंजूर की गयी और इसका उद्देश्‍य 200 खादी संस्‍थानों को पुरानी मशीनों और उपकरणों के स्‍थान पर नयी मशीनें और उपकरण लगाने तथा बाजार के अनुरूप ज्‍यादा प्रति‍स्‍पर्धा और लाभकारी उत्‍पादन में सहायता प्रदान करना है। वर्ष 2010-11 के लि‍ए 21 करोड़ रुपए मंजूर कि‍ए गए हैं।

मौजूदा कमजोर खादी संस्‍थानों की अवसंरचना को मजबूत करना और विपणन अवसंरचना में सहायता

यह कार्यक्रम हाल ही शुरू कि‍या गया है जि‍सके तहत 30 खादी बि‍क्री केंद्रों को नया रूप प्रदान करना तथा मौजूदा 100 कमजोर खादी संस्‍थानों का अवसंरचना मजबूत करना है। इसके लि‍ए वर्ष 2010-11 के लि‍ए पांच करोड़ रुपए का बजटीय अनुमान है।

उत्‍पाद वि‍कास, डि‍जायन प्रयास और पैकेजिंग (पीआरओडीआईपी) 

इसे खादी एवं ग्रामोद्योग के तहत उत्‍पादों के वि‍कास एवं उन्‍हें वि‍वि‍धता प्रदान करने तथा वि‍भि‍न्‍न उत्‍पादों के पैकेजिंग में सुधार के लक्ष्‍य के साथ नवंबर, 2002 में शुरू कि‍या गया था। पि‍छले वि‍त्‍त वर्ष में 169 परि‍योजनाओं को सहायता दी गयी थी और इस वि‍त्‍त वर्ष 213 को सहायता पहुंचाने का लक्ष्‍य है।

खादी और खादी उत्‍पादों की बि‍क्री में सवंर्धन के लि‍ए वि‍पणन वि‍कास सहायता योजना

खादी तथा पोलीवस्‍त्रों के उत्‍पादन और बि‍क्री में संवर्धन के लि‍ए यह योजना इस वि‍त्‍त वर्ष में शुरू की गयी।

खादी सुधार कार्यक्रम

वि‍त्‍त मंत्रालय के आर्थिक मामले वि‍भाग ने समग्र खादी सुधार कार्यक्रम को तीन सालों में लागू करने के लि‍ए 150 मि‍लि‍यन डालर की सहायता के लि‍ए एशि‍याई वि‍कास बैंक के साथ हाथ मि‍लाया है। इस सुधार पैकेज के तहत खादी क्षेत्र की संपोषणीयता, आय में वृद्धि‍, रोजगार के अवसर में तेजी आदि‍ के लि‍ए खादी क्षेत्र में फि‍र से जान फूंका जाएगी । प्रारंभ में 300 खादी संस्‍थानों का कायाकल्‍प कि‍या जाएगा। इसके क्रि‍यान्‍वयन के लि‍ए 96 करोड़ रुपए पहले ही जारी कि‍ए जा चुके हैं।

महात्‍मा गांधी ग्रामीण औद्योगि‍कीकरण संस्‍थान

यह संस्‍थान महाराष्‍ट्र के वर्धा में जमनालाल बजाज केंद्रीय अनुसंधान संस्‍थान को नया रूप देकर स्‍थापि‍त कि‍या गया है और इस कार्य में आईआईटी दि‍ल्‍ली ने सहयोग दि‍या है। इस संस्‍थान की स्‍थापना का लक्ष्‍य खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्रों में अनुसंधान एवं वि‍कास को मजबूत करना है। संस्‍थान को वर्ष2008-09 में तीन करोड़, वर्ष 2009-10 में भी तीन करोड़ और इस वि‍त्‍त वर्ष में छह करोड़ रुपए आवंटि‍त कि‍ए गए हैं।

क्‍वायर बोर्ड

क्वायर बोर्ड क्‍वायर उद्योग के संर्वांगीण वि‍कास तथा इस पारंपरि‍क उद्योग में लगे कामगारों के जीवन स्‍तर को ऊंचा उठाने के लि‍ए क्‍वायर बोर्ड अधि‍नि‍यम के तहत स्‍थापि‍त एक सांवि‍धि‍क नि‍काय है। बोर्ड में एक पूर्णकालि‍क अध्‍यक्ष और 39 अंशकालि‍क सदस्‍य होते हैं। क्‍वायर उद्योग के कल्‍याण में दि‍लच‍स्‍पी रखने वाले सभी पक्ष इस बोर्ड में हैं। इस बोर्ड के कामो में क्‍वायर उद्योग के क्षेत्र में वैज्ञानि‍क, तकनीकी और आर्थि‍क शोध एवं वि‍कास गति‍विधि‍यां, क्‍वायर और क्‍वायर उत्‍पादों के र्नि‍यात एवं घरेलू खपत पर सांख्‍यि‍की संग्रहण, नये उत्‍पादों और डि‍जायनों का वि‍कास, र्नि‍यात एवं आतंरि‍क बि‍क्री बढ़ाने के लि‍ए प्रचार, आदि‍ शामि‍ल हैं।

बोर्ड ने दो संस्‍थानों- केंद्रीय क्‍वायर अनुसंधान संस्‍थान, कलावूर अल्‍लीप्‍पे तथा केंद्रीय क्‍वायर प्रौद्योगि‍की संस्थान बेंगलूरू को इस उद्योग के वि‍भि‍न्‍न पहलुओं पर अनुसंधान गति‍वि‍धि‍यों के लि‍ए प्रोत्‍साहि‍त कि‍या है। क्‍वायर बहुत ही श्रम सघन उद्योग है और नारि‍यल उत्‍पादक राज्‍यों में करीब साढ़े छह लाख कामगार इस उद्योग में कार्यरत हैं। रेशा नि‍ष्‍कर्षण और बुनाई क्षेत्र में करीब 80 प्रति‍शत कामगार महि‍लाएं हैं। इस उद्योग की सबसे बड़ी ताकत यह है कि‍ यह निर्यातोन्‍मुखी है और यह अपशि‍ष्‍ट से (नारि‍यल के भूसे से) धन का रास्‍ता नि‍कालता है।

क्‍वायर बोर्ड द्वारा नि‍र्यात संवर्धन, घरेलू बाजार संवर्धन, उत्‍पादन अवसंरचना वि‍कास योजना, महि‍ला क्‍वायर योजना, क्‍वायर उद्योग पुनरूद्धार , आधुनि‍कीकरण, प्रौद्योगि‍की उन्‍नयन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।

पारंपरि‍क उद्योग पुनर्विकास योजना

यह योजना खादी, गांवों और क्‍वायर उद्योग में 100 क्‍लस्‍टर तैयार करने के लक्ष्‍य के साथ अक्‍तूबर, 2005 में शुरू की गयी थी। इसमें 97.25 करोड़ रुपए की लागत से इन उद्योगों को और उत्‍पादक और प्रति‍स्‍पर्धात्‍मक बनाना है एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना है।

इसके तहत जरूरत के आधार पर उत्‍पादन उपकरण के स्‍थान पर नये उपकरण लाने, साझा सुवि‍धा केंद्र की स्‍थापना, उत्‍पाद वि‍कास, गुणवत्‍ता सुधार, वि‍पणन में सुधार आदि‍ के लि‍ए जरूरत के हि‍साब से सहायता प्रदान की जाती है। फि‍लहाल 105 कलस्‍टरों (29 खादी, 50 ग्रामोद्योग तथा 26
क्‍वायर) पर काम चल रहा है।

 

भारतीय डाक प्रगति पथ पर अग्रसर महानगरों में डाक छंटाई का काम स्वरचालित पद्धति से होगा , राष्ट्रीय पता डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली का प्रस्ताव

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 
भारतीय डाक प्रगति पथ पर अग्रसर महानगरों में डाक छंटाई का काम स्वरचालित पद्धति से होगा 
राष्ट्रीय पता डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली का प्रस्ताव

भारतीय डाक विश्वल का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है। देश भर में फैले अपने विशाल नेटवर्क के जरिए यह सभी नागरिकों को किफायती दामों पर डाक सुविधाएं सुलभ कराता है। स्वितंत्रता के समय देश में जहां कुल 23,344 डाकघर थे, वही अब इनकी संख्याह बढ़कर 1,55,035 हो गई है। इनमें से 1,39,173 डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। एक डाकखाना 21.2 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में औसतन 7174 लोगों की सेवा करता है।

प्रोजेक्ट़ ऐरो

भारतीय डाक के व्याकपक और दीर्घकालीन रूपांतरण की आधारशिला रखने के लिए विभाग ने 'प्रोजेक्टी ऐरो' की शुरूआत की है। इसका उद्देश्य7 डाक घर के बुनियादी काम के साथ-साथ उसके माहौल में व्यारपक सुधार लाना है। विभाग के कर्मचारियों के अतिरिक्ता आम जनता ने इस पहल का भारी स्वायगत किया है। जिन डाक घरों में 'प्रोजेक्ट ऐरो' को लागू किया गया है, उनके राजस्वर में उल्लेोखनीय वृद्धि हुई है। इस प्रोजेक्टे को वर्ष 2008-09 के लिए सार्वजनिक प्रशासन में उत्कृमष्टेता के लिए प्रधानमंत्री का पुरस्काकर भी प्राप्तस हुआ है। यह परियोजना अब तक 1530 डाकघरों में लागू की जा चुकी है।

डाक परिचालन

डाक पहुंचाने और वितरण की गुणवत्ताb में सुधार के लिए डाक विभाग ने कई नए कदम उठाए हैं। डाकघरों के मौजूदा डाक नेटवर्क का इष्टधतम प्रयोग करने के लिए मेल नेटवर्क/आप्टिमाइजेशन प्रोजेक्टव शुरू किया गया है। इससे डाक की छंटाई, प्रेषण और वितरण से संबंधित प्रक्रियाओं में सुधार की दृष्टि से उनका बेहतर मानकीकरण किया जा सकेगा।

दिल्लीा, मुंबई, कोलकाता, चेन्नरई, बंगलुरू और हैदराबाद में स्वपचालित रूप से डाक की छंटाई के लिए विभाग ने स्वमचालित डाक प्रोसेसिंग केंद्र (एएमबीसी) स्थाुपित करने की एक परियोजना हाथ में ली है। इस परियोजना से डाक घरों की उत्पाेदकता में वृद्धि होगी।

पूर्वोत्तbर क्षेत्र में डाक, पार्सल और अन्य् आवश्यकक सामग्री के प्रेषण और वितरण के लिए विभाग ने एक समर्पित परिवहन विमान की सेवा लेनी शुरू की है। भारतीय डाक का यह विमान कोलकाता-गुवाहाटी-इम्फाशल-अगरतला-कोलकाता मार्ग पर नियमित रूप से उड़ान भरता है। विभाग के इस कदम से पूर्वोत्त्र क्षेत्र को देश की मुख्य धारा से जोड़ने में मदद तो मिलेगी ही, साथ ही डाक भी लोगों के पास तेजी से पहुंचेगी। विभाग ने राष्ट्रीमय पता डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली की स्थाोपना के लिए पहल की है। इसका उद्देश्य जनता/ग्राहकों के पतों के डाटाबेस का प्रभावी प्रबंधन, पतों का ऑनलाइन अद्यतन और सही पता ढूंढने में ग्राहकों की सहायता करना है।

विभाग ने देश के पूर्वोत्तोर क्षेत्र में डाक वितरण प्रक्रिया का मशीनीकरण कर दिया है। इसका उद्देश्यत पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में डाक वितरण में तेजी लाना है। पूर्वोत्तइर क्षेत्र के सभी डाक वाहनों में जीपीएस सुविधा प्रदान की गई है ताकि उनके आवागमन की भली-भांति निगरानी की जा सके।

डाकघरों का कंप्यू टरीकरण एवं नेटवर्किंग

डाकघरों के कंप्यूाटरीकरण एवं नेटवर्किंग की परियोजना के अंतर्गत डाक विभाग ने अब तक 14,324 डाक घरों में कंप्यू टर हार्डवेयर, सहायक सामग्री और वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति के उपकरण भेजे जा चुके हैं। 11वीं योजना के तहत 1939 डाकघरों में उच्चय गुणवत्तार वाले कंप्यू टर और सहायक उपकरण लगाए गए हैं।

विस्तृतत क्षेत्र नेटवर्क (डब्यूयूटर ए एन) के तहत 1308 स्थतलों को आपस में जोड़ा जा सका है। सभी प्रधान डाकघरों, प्रशासकीय कार्यालयों, प्रमुख स्पीयडपोस्ट केंद्रों और लेखा कार्यालयों को डब्यूकघरो ए एन के तहत जोड़ा जा चुका है। इसके अलावा 10530 कार्यालयों में ब्रॉडबैंड सुविधाएं दी जा चुकी हैं। 11वीं योजना के अंत तक सभी डाकघरों का कंप्यूंटरीकरण करने की परियोजना पर काम चल रहा है।

डाकघरों के व्याबपक कंप्यूीटरीकरण के कारण अनेक ई-जनित (कंप्यूकटर जनित) सेवाएं शुरू की जा सकी हैं। वे हैं-

आई एम ओ 

देश में कंम्यूrटर के जरिए ऑन लाइन पैसे भेजने की सेवा-आई एम ओ जनवरी 2006 में शुरू की गई थी। इससे प्राप्तसकर्ता को मिनटों में ही पैसे मिल जाते हैं। इस सुविधा के तहत एक बार में एक हजार से लेकर 50 हजार रूपए तक भेजे जा सकते हैं। देश के 9250 डाकघरों में यह सुविधा उपलब्धह है।

ई-मनी आर्डर (ई एम ओ) 

इलेट्रॉनिक पद्धति से मनीआर्डर भेजने की सेवा अक्तू्बर 2008 में शुरू की गई थी। ईएमओ के जरिए मनीआर्डर भेजने पर वही प्रभार लगता है जो साधारण डाक से भेजने पर लगता है। भारतीय डाक ने यू.ए.में ई.एम.ओ. के जरिए पैसे भेजने के लिए अमीरात पोस्टा के साथ द्विपक्षीय समझौता किया है।

ई-पेमेंट

ई-पेमेंट वह सुविधा है जिसके जरिए ग्राहक अपने टेलीफोन, बिजली, नगरपालिका को देय भुगतान, करों आदि का भुगतान डाकघरों में करते हैं। यह सुविधा वर्तमान में देश के 8000 डाकघरों में उपलब्ध है। शीघ्र ही यह सुविधा सभी कम्यूान टरीकृत डाकघरों में उपलब्धघ करा दी जाएगी।

वित्तीशय सेवाएं

भारतीय डाक ग्रामीण क्षेत्रों के 1,39,182 डाकघरों और शहरी क्षेत्र के 15,797 डाकघरों के माध्यीम से वित्ती1य समावेशन के लक्ष्यर को पूरा करने में जुटा हुआ है। डाकघरों के खातों की संख्या 2003-04 में 14.32 करोड़ से बढ़कर 2009-10 में 24.10 करोड़ हो गई है। डाकघरों के बचत खातों में 2009-10 में 58 खरब 37 अरब 89 करोड़ रूपए जमा थे। देश के 11 हजार डाकघरों में बचत खातों का कम्यू टरीकरण किया जा चुका है।

पोस्टbल फाइनेंस मार्ट

पोस्टहल फाइनेंस मार्ट (पीएफएम) एक छत के नीचे सभी वित्तीेय सेवाएं और उत्पाहद मुहैया कराता है। ये मार्ट पूरी तरह से कम्यूछ टरीकृत हैं और ये उच्चा तकनीक से सुसज्जित हैं। इनकी सेवाओं की तुलना प्रतिष्ठित बैंकों की सेवाओं से की जा सकती है। दसवीं योजना के तहत देश भर में 313 पोस्टकल फाइनेंस मार्ट स्थादपित किए गए हैं। ग्यांरहवीं योजना में 500 नए मार्ट खोलने का लक्ष्या रखा गया है।

डाकघर लघु बचत ग्राहकों हेतु कोर बैंकिंग समाधान

कही भी, कभी भी और किसी भी शाखा से बैंकिंग अर्थात कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) को ग्यािरहवीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया गया है और इसके लिए 1 अरब 6 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इस राशि से सीवीएस साफ्टवेयर का विकास, ग्राहक संबंध प्रबंधन, प्रशिक्षण परियोजना प्रबंधन इकाई, केन्द्री कृत बैंक कार्यालय आदि की व्यावस्थाध की जाएगी। इनकी सहायता से डाकघर बचत बैंक और बचत प्रमाण पत्रों के व्य्वसाय को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाया जाएगा। लघु बचत योजना के ग्राहकों को भी ए टी एम, इंटरनेट, फोन बैंकिंग आदि की सुविधाएं मिलेंगी।

पीएलआई/आरपीएलआई

डाकघर, डाक जीवन बीमा (पीएलआई) और ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के झंडे तले सरकारी और अर्द्ध-सरकारी कर्मचारियों को बीमा सेवाएं भी प्रदान करते हैं। वर्ष 2003-04 में ग्रामीण जीवन बीमा पालिसियों की कुल संख्याप 26.66 लाख थी, जो 2008-09 में बढ़कर 70 लाख और 2009-10 में 99 लाख से अधिक हो गई। डाक जीवन बीमा पालिसियों की संख्‍या 31.3.2010 तक 44 लाख से भी अधिक थी।

प्रीमियम सेवाएं

पूरे भारत में डाक नेटवर्क के माध्यंम से स्पी्ड पोस्टे, बिल मेल सेवा, बिजनेस पोस्टभ, एक्स प्रेस पार्सल पोस्ट , लाजिस्टिक्स पोस्ट>, मीडिया पोस्ट9 और फुटकर डाक आदि की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इन प्रीमियम सेवाओं के माध्यटम से 2009-10 में 16 अरब 25 करोड़ रूपए का राजस्वे प्राप्ते हुआ जो वर्ष 2008-09 की तुलना में 13.24 प्रतिशत अधिक था।

डाक नेटवर्क की सुविधाओं से अन्यव योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वजयन (डाक नेटवर्क की लीवरोजिंग) 

राष्ट्री य ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा)- 

डाक नेटवर्क की सुविधाओं का उपयोग विभिन्न< सरकारी योजनाओं के लाभान्वितों के भुगतान आदि के लिए किया जा रहा है। इनमें से कुछ प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार हैं:- 

नरेगा (राष्ट्री य ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के लाभान्वितों को उनकी मजदूरी का भुगतान डाकघर बचत खाते के जरिए ही किया जा रहा है। वर्ष 2006 में आंध्रप्रदेश में शुरू हुई यह योजना 21 राज्यों के 19 डाकवृतों में लागू हो चुकी है। अक्तूपबर 2010 तक देश के 96,895 डाकघरों में करीब 4 अरब 67 करोड़ नरेगा खाते खुल चुके हैं, जिनके माध्यदम से अप्रैल से अक्तूरबर 2010 के बीच 71 अरब 13 करोड़ रूपए वितरित किए गए हैं। 

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वमयन मंत्रालय ने ग्रामीण मूल्यच सूचकांक का निर्धारण करने के लिए आंकड़े इकट्ठा करने का काम, अक्तूंबर 2009 से देश के 1,181 डाकघरों को सौंप रखा है।

रिलायंस मनी लिमिटेड के साथ एक करार के तहत सोने के सिक्केक का विक्रय किया जा रहा है। देश के चुनिंदा डाकघरों में 15 अक्तू्बर, 2008 को शुरू हुई यह सुविधा अब देश के 700 डाकघरों में उपलब्धस है। पहली अप्रैल, 2010 से 30 नवंबर, 2010 तक 421 किलो सोने के सिक्केो बेचे जा चुके हैं।

वृद्धावस्था पेशंन का भुगतान भी डाकघरों से किया जा रहा है। बिहार, छत्ती2सगढ़, दिल्ली , झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रर, पूर्वोत्तयर और उत्त राखंड में वृद्धावस्था् पेंशन का भुगतान डाकघर बचत बैंक खातों के माध्यीम से और कर्नाटक, केरल राजस्थासन और तमिलनाडु सहित अन्य कुछ राज्योंध में मनीआर्डर के जरिए किया जा रहा है।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के आवेदनों की ऑनलाइन प्राप्ति

विभाग ने देश भर में 4707 (प्रत्येंक तहसील में कम से कम एक) केन्द्री य सहायक जन सूचना अधिकारी (सीएपीआईओ) मनोनीत किए हैं। कम्यूम ए टरीकृत ग्राहक सेवा केन्द्रों के प्रभारी अधिकारियों को विभाग के सी ए पी आई ओ के तौर पर काम करने के लिए और आर टी आई आवेदनों को प्राप्तं करने के लिए चिन्हित किया गया है। ये लोग उन केन्द्रीईय लोक प्राधिकरणों की ओर से अपील भी प्राप्त कर सकेंगे, जिन्होंलने सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 5 (2) और 19 के अनुसरण में डाकघरों में इस सुविधा का लाभ उठाने की सहमति दी है।

भारतीय डाक का अंतर्राष्ट्रीकय परिचालन

भारतीय डाक अंतर्राष्ट्री य व्यासपार का एक महत्वbपूर्ण माध्यतम है। सामग्री पैसा, और सूचनाओं को व्यारपार के उद्देश्य से विदेशों से लेनदेन में लोगों की मदद करता है।

हाल के दिनों में छोटे-छोटे पैकेटों के आयात निर्यात में भारी वृद्धि हुई है। बाजार की मांग को देखते हुए भारतीय डाक ने अंतर्राष्ट्री य पार्सल सेवा शुरू की है। सुविधा पूर्वक पार्सल भेजने के लिए पैकेटों के मानक निश्चित किए गए हैं।

वर्ल्डभनेट-एक्सैप्रेस

भारतीय डाक ने जर्मनी की राष्ट्री य डाक सेवा ड्यूश पोस्ट के विशिष्ट< सहयोग से वर्ल्ड नेट एक्स-प्रेस नाम की एक प्रीमियम एक्सrप्रेस सेवा भी शुरू की है। इस सेवा के जरिए 200 से अधिक देशों में एक्स प्रेस पार्सल भेजे जा सकते हैं। इसमें इंटरसेट, टेलीफोन और एस एम एस के जरिए पार्सलों की खोज खबर रखने की विशेष व्येवस्था। भी है। विभाग का प्रस्ताजव इस सेवा का और विस्ता र करने का है।

अंतर्राष्ट्री य प्रेषण सेवाएं

देश के सकल घरेलू उत्पााद (जीडीपी) में विदेशों से प्राप्त धन का भारी योगदान है। विश्वल बैंक के अनुमानों के अनुसार 2010 में भारत को विदेशों से भेजे गए धन के रूप में 55 अरब डॉलर की प्राप्ति होगी। इस धन को भेजने के लिए डाकघरों को ही सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक माध्य म माना जाता है। भारतीय डाक ने व्यावसाय के इस क्षेत्र के महत्वव को देखते हुए ग्राहको की सेवा के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें वेस्टषर्न यूनियन के जरिए धनराशि का हस्तां तरण, इलेक्ट्रॉ निक मनीआर्डर आदि सेवाएं शामिल हैं। भारतीय डाक ने एमओ विदेश सेवा शुरू की है, जिसके जरिए विदेशों में मनीआर्डर भेजे जा सकते हैं।

ई-कामर्स

नागरिको को बेहतर डाक सेवाओं का लाभ पहुंचाने और व्य वसाय के विविधीकरण के एक क्षेत्र के तौर पर भारतीय डाक ने ई-कामर्स की पहचान प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में की है। ई-पोस्टन ब्रॉड के अंतर्गत एक मार्गदर्शी परियोजना तैयार की जा रही है। राष्ट्री य सूचना विज्ञान निगम (एनआईसी) की तकनीकी सहायता से यह पोर्टल तैयार किया जा रहा है। ई-पोस्टि ऑफिस शुरू-शुरू में मनीआर्डर और स्माहरक टिकटों (संग्रह हेतु) जैसे उत्पा दों के विक्रय का काम करेगा। देश के किसी भी कोने से इंटरनेट के जरिए पोर्टल तक पहुंचा जा सकेगा और मनीआर्डर तथा संग्रहणीय डाक टिकटों की बुकिंग डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड के जरिए की जा सकेगी। बाद में इसका विस्ताथर अन्यड वित्तीशय सेवाओं को लिए भी किया जाएगा।

मानव संसाधन विकास

डाक सेवा जैसे श्रम बहुल सेवा संगठनों में सेवा की गुणवत्तात और ग्राहकों की संतुष्टि में कर्मचारियों की भूमिका बहुत महत्वेपूर्ण होती है। विभाग इस समय भारी बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से कर्मचारियों के कौशल और दक्षता के उन्नगयन को बड़ा महत्वद दिया जा रहा है। सभी वर्ग के कर्मचारियों के प्रशिक्षण की व्याकपक योजना ग्यािरहवीं योजना में बनाई गई है। 

डाकघरों के प्रबंधन में पेशेवर कुशलता लाने के लिए पोस्टं मास्टनरों (डाकपालों) का एक नया संवर्ग बनाया गया है। यह संवर्ग डाकघरों को जीवंत और ग्राहक हितैषी संगठन बनाने में महत्वंपूर्ण भूमिका तो निभायेगा ही, साथ में इंडिया पोस्टक 2012
की अग्रगामी परियोजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित भी करेगा। इसमें आई.टी के उपयोग और आधुनिकीकरण पर विशेष जोर दिया गया है।