शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008

भिण्‍ड जिला विधानसभा निर्वाचन 2008 राजनैतिक दल आदर्श आचरण संहिता का कड़ाई से पालन करें-कलेक्टर सुहेल अली

भिण्‍ड जिला विधानसभा निर्वाचन 2008 राजनैतिक दल आदर्श आचरण संहिता का कड़ाई से पालन करें-कलेक्टर सुहेल अली

भिण्ड 16 अक्टूबर 2008

       विधानसभा निर्वाचन 2008 के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिये आदर्श संहिता जारी कर दी गई है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री सुहेल अली ने राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों से इस आचरण संहिता का पालन करने की अपेक्षा की है। ताकि निष्पक्ष, शांतिपूर्ण निर्विघ्न सम्पन्न हो सके। किसी दल या अभ्यर्थी को ऐसा कोई कार्य नही करना चाहिए, जो विभिन्न जातियों और धर्मो या भाषायी समुदायों के बीच मतभेदों को बढाये या घृणा की भावना उत्पन्न करें या तनाव पैदा करे। जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाय, तब वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पुराने आचरण और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। यह भी आवश्यक है कि व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना नही की जाना चाहिए जिनकी सत्यता प्रमाणित न हुई हो या तोड मरोड़ कर कही गई बातों पर आधारित हो।

       मत प्राप्त करने के लिए जातीय या साम्प्रदायिक भावनाओं की दुहाई दी जानी चाहिए। मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों या पूजा के अन्य स्थानों का निर्वाचन प्रचार के लिये मंच के रूप में उपयोग नही किया जाना चाहिए। सभी दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यो से ईमानदारी के साथ बचना चाहिए। जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण और अपराध है जैसे कि मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को अभित्रस्त करना मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केन्द्र के 100 मीटर भीतर (चुनाव प्रचार) करना, मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय को खत्म होने वाली 48 घण्टे की अवधि के दौरान सार्वजनिक संभाएें करना और मतदाताओं को सवारी से मतदान केन्द्रों तक ले जाना और वहां से वापस लाना। सभी राजनैतिक विचारों या कार्यो का कितने ही विरोध क्यो न हो, व्यक्तियों के विचारों या कार्यो का विरोध करने के लिये उनके घरों के सामने प्रदर्शन आयोजित करने या धरना देने के तरीकों का सहारा किसी भी परिस्थिति में नही लेना चाहिए।

        किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को झण्डा खडा करने, बैनर टांगने, सूचना चिपकाने, नारे लिखने आदि के लिये किसी व्यक्ति की भूमि, भवन, अहाते, दीवार आदि का उसकी सहमति के बिना उपयोग  नही की जानी चाहिए। राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके समर्थक अन्य दलों द्वारा आयोजित सभाओं, जुलूसों आदि में बाधाएं उत्पन्न न करें या उन्हें भंग न करें। एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं या शुभचिंतकों को दूसरे राजनैतिक दल द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभाओं में मौखिक रूप से या लिखित रूप से प्रश्न पूछ कर या अपने दल के परचे वितरित करके गडबडी पैदा नही करना चाहिए। किसी दल द्वारा जुलूस उन स्थानों से होकर नही ले जाने चाहिए जिन स्थानों पर दूसरे दल द्वारा संभाएं की जा  रही  है  एक  दल  द्वारा निकाले गये पोस्टर  दूसरे  दल  के कार्यकर्ता द्वारा हटाये नही जाने चाहिए। राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को किसी प्रस्तावित सभा के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस  प्राधिकारियों को उपयुक्त समय पर सूचना दे देनी चाहिए ताकि उनके द्वारा यातायात को नियंत्रित करने और शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये आवश्यक व्यवस्था की जा सके। राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को उस दशा में पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उस स्थान पर जहां सभा करने का प्रस्ताव है, कोई निर्बाधात्मक या प्रतिबंधात्मक आदेश (निषेधाज्ञा) लागू तो नही है, यदि ऐसे आदेश लागू हो तो, उनका कडाई के साथ पालन किया जाना चाहिए। यदि ऐसे आदेशों से कोई छूट अपेक्षित हो तो उनके लिये समय से आवेदन करना चाहिए और छूट प्राप्त कर लेना चाहिए।

       यदि किसी प्रस्तावित सभा के संबंध में लाउडस्पीकरों के उपयोग या किसी अन्य सुविधा के लिये अनुमति या अनुज्ञप्ति (लाईसेन्स) प्राप्त करनी हो तो दल या अभ्यर्थी को संबंधित अधिकारी के पास काफी पहले ही आवेदन करना चाहिए और इसकी अनुमति या अनुज्ञप्ति प्राप्त कर लेनी चाहिए। किसी सभा के आयोजकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे सभा में विध्न डालने वाले या अन्यथा अव्यवस्था फैलाने का प्रयत्न करने वाले व्यक्तियों से निपटने के लिये डयूटी पर तैनात पुलिस की सहायता प्राप्त करें, आयोजकों को चाहिए कि वे स्वयं ऐसे व्यक्तियों के विरूद्व कोई कार्यवाही न करे। जुलूस का आयोजन करने वाले दल या अभ्यर्थी को पहले ही यह बात तय कर लेनी चाहिए कि जुलूस किस समय और किस स्थान से शुरू होगा, किस मार्ग से होकर जायेगा और किस समय और किस स्थान पर समाप्त होगा। सामान्यत: कार्यक्रम में कोई फेरबदल नही होनी चाहिए।

       आयोजकों को चाहिए कि वे कार्यक्रम के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को अग्रिम सूचना दे दें, ताकि वे आवश्यक व्यवस्था कर सकें। आयोजकों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि जिन इलाकों से होकर जुलूस गुजरना है उनमें कोई (निषेधाज्ञा) तो लागू नही है, जब तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से छूट न दी जाए, उन निर्वाधनों का पालन करना चाहिए। यातायात के नियमों और निर्बधनों का भी ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिए। 

       आयोजको को चाहिए कि जुलूस ऐसे ढंग से निकाला जाये जिससे कि यातायात में कोई रूकावट या बाधा उत्पन्न किये बिना जुलूस का निकलना संभव हो सके। यदि जुलूस बहुत लम्बा है तो उसे उपयुक्त लम्बाई वाले टुकडों में संगठित किया जाना चाहिए, ताकि सुविधाजनक अंतरालों पर विशेषकर उन स्थानों पर जहां जुलूस को चौराहों से होकर गुजरना है, रूकें हुये यातायात के लिए समय समय पर रास्ता दिया जा सके और इस प्रकार भारी यातायात के जमाव से बचा जा सके। जुलूसों की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि जहां तक हो सके उन्हें सड़क की दायी ओर रखा जाए और डयूटी पर तैनात पुलिस के निर्देशों और सलाह का कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए। यदि दो या अधिक राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों ने लगभग उसी समय पर उसी रास्ते या उसके भाग से जुलूस निकाले का प्रस्ताव किया है,  तो  आयोजको  को  चाहिए  कि  वे  समय  से  काफी  पहले  आपस  में  संपर्क स्थापित कर ले और ऐसी योजना बनाये जिससे कि जुलूसों में टकराव न हो या यातायात को बाधा न पहुंचे। स्थानीय पुलिस की सहायता संतोषजनक इंतजाम करने के लिये सदा उपलब्ध होगी। इस प्रयोजन सहायता संतोषजनक इंतजार करने के लिय सदा उपलब्ध होगी। इस प्रयोजन के लिए दलों को यथाशीघ्र पुलिस से संपर्क स्थापित करना चाहिए।

       जुलूस में शामिल लोगों द्वारा ऐसी चीजे लेकर चलने के विषय में, जिनका अवांछनीय तत्वों द्वारा, विशेष रूप से उत्तेजना के क्षणों में दुरूपयोग किया जा सकता हो, राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों को अधिक से अधिक नियंत्रण करना चाहिए। किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को अन्य राजनैतिक दलों के सदस्यों या उनके नेताओं के पुतलें लेकर चलने, उनको सार्वजनिक स्थान में जलाने और इसीप्रकार के अन्य प्रदर्शनों का समर्थन नही करना चाहिए। सभी राजनैतिक दलों व अभ्यर्थियों को चाहिए कि वे यह सुनिश्चत करे कि मतदान शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित ढंग से हो और मतदाताओं को इस बात की पूरी स्वतंत्रता हो कि वे बिना किसी परेशानी या बाधा के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके, निर्वाचन कर्तव्य पर लगे हुये अधिकारियों के साथ सहयोग करें। अपने प्राधिकृत कार्यकर्ताओं को उपयुक्त बिल्ले या पहचान पत्र दें। इस बात से सहमत हो कि मतदाताओं की उनके द्वारा दी गई पहचान पर्चियां सादे कागज पर होगी और उन पर कोई चिन्ह अंकित नही होना चाहिए उसके पूर्व के 24 घण्टे के दौरान किसी को शराब पेश या वितरित न करें। राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों द्वारा मतदान केन्द्रों के निकट लगाए गए कैम्पों के नजदीक अनावश्यक भीड़ इकटठी न होने दे जिससे दलों और अभ्यर्थियों के कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों में आपस में मुकाबला और तनाव न होने पावे। यह सुनिश्चित करें कि अभ्यर्थियों के कैम्प साधारण हो, उन पर कोई पोस्टर, झण्डे, प्रतीक या कोई अन्य प्रचार सामग्री प्रदर्शित न की जाये, कैम्पों में खाद्य पदार्थ पेश न किये जाएं और भीड़ न लगाई जाए।

       मतदान के दिन वाहन चलाने पर लगाये जाने वाले निर्बधनों का पालन करने में प्राधिकारियों के साथ सहयोग करें और वाहनों के लिए परिमिट प्राप्त कर ले और उन उन्हें वाहनों पर ऐसे लगा दे जिससे वे साफ साफ दिखाई देते रहे। मतदाताओं के सिवाय कोई भी व्यक्ति निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गये विधिमान्य पास के बिना मतदातन केन्द्रों में प्रवेश नही करेगा। निर्वाचन आयोग प्रेक्षक नियुक्त कर रहा है। यदि निर्वाचनों के संचालन के संबंध में अभ्यर्थियों या उनके अभिकर्ताओं को कोई विशिष्ट शिकायत या समस्या हो तो वे उसकी सूचना प्रेक्षक को दे सकते है। सत्ताधारी दल को, चाहे वह केन्द्र में हो या संबंधित राज्य हो, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह शिकायत करने का मौका न दिया जाए कि उस दल ने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनों के लिये अपने सरकारी पद का प्रयोग किया है, और विशेष रूप से मंत्रियों को अपने शासकीय दौरों को निर्वाचन में निर्वाचन से संबंधित प्रचार कार्य के साथ नही जोडना चाहिए और निर्वाचन के दौरान प्रचार करते हुयें शासकीय मशीनरी अथवा कर्मियों का प्रयोग नही करना चाहिए। सरकारी विमानों, गाड़ियों सहित सरकारी वाहनो, मशीनरी और कर्मियों का सत्ताधारी दल के हित को बड़वा देने  के  लिये  प्रयोग  नही  किया जाएगा। सत्ताधारी दल को चाहिए कि वह सार्वजनकि स्थान जैसे मैदान इत्यादि  पर  निर्वाचन सभाएं आयोजित करने और निर्वाचन के संबंध में हवाई उड़ानों के लिए हैलीपेडों के इस्तेमाल करने के लिये अपना एकाधिकार न जमाए, ऐसे स्थानों का प्रयोग दूसरें दलों और अभ्यर्थियों को भी उन्ही शर्तो पर करने दिया जाए जिन शर्तो पर सत्ताधारी दल उनका प्रयोग करता है।

       सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का विश्राम गृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नही होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निष्पक्ष तरीके से करने के लिये अन्य दलों और अभ्यर्थियों को भी अनुमति दी जाएगी। किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थियों ऐसे आवासों का (इनके साथ परिसरों सहित) प्रचार कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रोपेगण्डा के लिए कोई सार्वजनिक सभा करने की दृष्टि से प्रयोग नही करेगा या उसे प्रयोग करने की अनुमति नही दी जाएगी। निर्वाचन अवधि के दौरान, राजनैतिक समाचारों तथा प्रचार की पक्षपातपूर्ण व्याप्ति के लिये सरकारी खर्चे से समाचार पत्रों में या अन्य माध्यमों से ऐसे विज्ञापनों का जारी किया जाना तथा सरकारी जन माध्यमों का दुरूपयोग कर्तव्यनिष्ठ हो कर बिल्कुल बंद रहना चाहिए जिनमें सत्ताधारी दल के हितों को अग्रसर करने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियां दिखाई गई हो।

       मंत्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किए जाते है। मंत्री और अन्य प्राधिकारी, उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किए जाते है। किसी भी रूप से कोई भी वित्तीय मंजूरी या बचन देने की घोषणा नही करेगें और (सिवाय लोक सेवको) किसी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्कीमों के लिए आधार पर शिलाएं आदि नही रखेंगे और सड़कों के निर्माण का कोई वचन नही देगें, पीने के पानी की सुविधाये नही देगे आदि और शासन सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति नही करेगें, यदि जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हो। केन्द्रीय या राज्य सरकार के मंत्री, अथ्यर्थी या मतदाता या प्राधिकृत अभिकर्ता की अपनी हैसियत को छोडकर किसी भी मतदान केन्द्र या गणना स्थल में प्रवेश नही करेगें।

 

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

अकाटय तर्क और भीड़, ग्‍वालियर समाचार और चम्‍बल की आवाज पर पाठक श्री सुरेश शर्मा की टिप्‍पणी युक्‍त राय

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पाठक की राय

यह विचार हमें ग्‍वालियर टाइम्‍स के दोनों सर्वाधिक हिट संख्‍या वाले ब्‍लॉगों चम्‍बल की आवाज और ग्‍वालियर समाचार पर हमारे पाठक श्री सुरेश शर्मा द्वारा व्‍यक्‍त किये गये हैं । विस्‍तृत विचार होने से हम यहॉं अविकल प्रकाशित कर रहे हैं । श्री सुरेश भाई जी लीजीये हमने अपना अपना वायदा पूरा कर दिया । आपने केवल व्‍यक्तिगत ई मेल हमें भेजी थी हमने उसे सबके लायक समझा और प्रकाशित कर दिया ।

 

 

 

सुरेश कुमार शर्मा ने आपकी पोस्ट " मध्यप्रदेश को समृध्द एवं विकसित राज्य बनाया जावेगा... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

Subject: RE: Your blog entry "जनता के दुख सुख में शिवराज उनका सहभागी है-मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रत्येक पॉच किलो मीटर पर हाईस्कूल " Sent: October 15 8:25:40 AM


दुनिया की क्रांतियों का इतिहास कहता है कि परिवर्तन के लिए दो चीजों की आवश्यकता है । एक अकाट्य तर्क और दूसरा उस तर्क के पीछे खड़ी भीड़ । अकेले अकाट्य तर्क किसी काम का नही और अकेले भीड़ भी कुम्भ के मेले की शोभा हो सकती है परिवर्तन की सहयोगी नही ।
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इस युग के कुछ अकाट्य तर्क इस प्रकार है -
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मशीनों ने मानवीय श्रम का स्थान ले लिया है ।
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कम्प्यूटर ने मनवीय मस्तिष्क का काम सम्भाल लिया है ।
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जीवन यापन के लिए रोजगार अनिवार्य होने की जिद अमानवीय है ।
* 100%
रोजगार सम्भव नही है ।
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अकेले भारत की 46 करोड़ जनसंख्या रोजगार के लिए तरस रही है ।
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संगठित क्षेत्र में भारत में रोजगार की संख्या मात्र 2 करोड़ है ।
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दुनिया के 85% से अधिक संसाधनों पर मात्र 15 % से कम जनसंख्या का अधिपत्य है ।
* 85 %
आबादी मात्र 15 % संसाधनों के सहारे गुजर बसर कर रही है ।
धरती के प्रत्येक संसाधन पर पैसे की छाप लग चुकी है, प्राचीन काल में आदमी जंगल में किसी तरह जी सकता था पर अब फॉरेस्ट ऑफिसर बैठे हैं ।
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रोजगार की मांग करना राष्ट्र द्रोह है, जो मांगते हैं अथवा देने का वादा करते हैं उन्हें अफवाह फैलाने के आरोप में सजा दी जानी चाहिए ।
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रोजगार देने का अर्थ है मशीनें और कम्प्यूटर हटा कर मानवीय क्षमता से काम लेना, गुणवता और मात्रा के मोर्चे पर हम घरेलू बाजार में ही पिछड़ जाएंगे ।
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पैसा आज गुलामी का हथियार बन गया है । वेतन भोगी को उतना ही मिलता है जिससे वह अगले दिन फिर से काम पर लोट आए ।
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पुराने समय में गुलामों को बेड़ियाँ बान्ध कर अथवा बाड़ों में कैद रखा जाता था ।
अब गुलामों को आजाद कर दिया गया है संसाधनों को पैसे की दीवार के पीछे छिपा दिया गया है ।
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सरकारों और उद्योगपतियों की चिंता केवल अपने गुलामों के वेतन भत्तों तक सीमित है ।
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जो वेतन भत्तों के दायरों में नही है उनको सरकारें नारे सुनाती है, उद्योग पति जिम्मेदारी से पल्ला झाड़े बैठा है ।
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जो श्रम करके उत्पादन कर रही हैं उनकी खुराक तेल और बिजली है ।
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रोटी और कपड़ा जिनकी आवश्यकता है वे उत्पादन में भागीदारी नही कर सकते, जब पैदा ही नही किया तो भोगने का अधिकार कैसे ?
ऐसा कोई जाँच आयोग बैठाने का साहस कर नही सकता कि मशीनों के मालिकों की और मशीनों और कम्प्यूटर के संचालकों की गिनती हो जाये और शेषा जनसंख्या को ठंडा कर दिया जाये ।
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दैनिक भास्कर अखबार के तीन राज्यों का सर्वे कहता है कि रोजगार अगले चुनाव का प्रमुख मुद्दा है , इस दायरे में 40 वर्ष तक की आयु लोग मांग कर रहे हैं।
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देश की संसद में 137 से अधिक सांसदों के द्वारा प्रति हस्ताक्षरित एक याचिका विचाराधीन है जिसके अंतर्गत मांग की गई है कि
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भारत सरकार अब अपने मंत्रालयों के जरिये प्रति व्यक्ति प्रति माह जितनी राशि खर्च करने का दावा करती है वह राशि खर्च करने के बजाय मतदाताओं के खाते में सीधे ए टी एम कार्डों के जरिये जमा करा दे।
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यह राशि यू एन डी पी के अनुसार 10000 रूपये प्रति वोटर प्रति माह बनती है ।
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अगर इस आँकड़े को एक तिहाई भी कर दिया जाये तो 3500 रूपया प्रतिमाह प्रति वोटर बनता है
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इस का आधा भी सरकार टैक्स काट कर वोटरों में बाँटती है तो यह राशि 1750 रूपये प्रति माह प्रति वोटर बनती है ।
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इलेक्ट्रोनिक युग में यह कार्य अत्यंत आसान है ।
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श्री राजीव गान्धी ने अपने कार्यकाल में एक बार कहा था कि केन्द्र सरकार जब आपके लिए एक रूपया भेजती है तो आपकी जेब तक मात्र 15 पैसा पहूँचता है ।
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अभी हाल ही में राहुल गान्धी ने इस तथ्य पर पुष्टीकरण करते हुए कहा कि तब और अब के हालात में बहुत अंतर आया है आप तक यह राशि मात्र 3 से 5 पैसे आ रही है
राजनैतिक आजादी के कारण आज प्रत्येक नागरिक राष्ट्रपति बनने की समान हैसियत रखता है ।
जो व्यक्ति अपना वोट तो खुद को देता ही हो लाखों अन्य लोगों का वोट भी हासिल कर लेता है वह चुन लिया जाता है ।
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राजनैतिक समानता का केवल ऐसे वर्ग को लाभ हुआ है जिनकी राजनीति में रूचि हो ।
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जिन लोगों की राजनीति में कोई रूचि नही उन लोगों के लिए राज तंत्र और लोक तंत्र में कोई खास अंतर नही है ।
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काम के बदले अनाज देने की प्रथा उस जमाने में भी थी आज भी है ।
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अनाज देने का आश्वासन दे कर बेगार कराना उस समय भी प्रचलित था आज भी कूपन डकार जाना आम बात है ।
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उस समय भी गरीब और कमजोर की राज में कोई सुनवाई नही होती थी आज भी नही होती ।
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जो बदलाव की हवा दिखाई दे रही है थोड़ी बहुत उसका श्रेय राजनीति को नही समाज की अन्य व्यवस्थाओं को दिया जाना युक्ति संगत है ।
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राष्ट्रीय आय में वोटरों की नकद भागीदारी अगले चुनाव का प्रमुख मुद्दा होना चाहिए ।
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अब तक इस विचार का विस्तार लगभग 10 लाख लोगों तक हो चुका है ।
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ये अकाट्य मांग अब अपने पीछे समर्थकों की भीड़ आन्धी की तरह इक्क्ट्ठा कर रही है ।
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संसद में अब राजनीतिज्ञों का नया ध्रूविकरण हो चुका है ।
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अधिकांश साधारण सांसद अब इस विचार के साथ हैं । चाहे वे किसी भी पार्टी के क्यों न हो ।
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समस्त पार्टियों के पदाधिकारिगण इस मुद्दे पर मौन हैं ।
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मीडिया इस मुद्दे पर कितनी भी आँख मूँद ले, इस बार न सही अगले चुनाव का एक मात्र आधार 'राष्ट्रीय आय मं. वोटरों की नकद भागीदारी' होगा, और कुछ नही ।
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जो मिडिया खड्डे में पड़े प्रिंस को रातों रात अमिताभ के बराबर पब्लिसिटी दे सकता है उस मीडिया का इस मुद्दे पर आँख बन्द रखना अक्षम्य है भविष्य इसे कभी माफ नही करेगा|

मंगलवार, 14 अक्तूबर 2008

वाउन्ड्रीवाल के लिए 10 लाख रूपये मंजूर

वाउन्ड्रीवाल के लिए 10 लाख रूपये मंजूर

मुरैना 13 अक्टूबर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने सांसद श्री अशोक अर्गल की अनुशंसा पर जौरा नगर में सरस्वती शिशु मंदिर की वाउन्ड्रीवाल के निर्माण के लिए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत 10 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदाय की है । कार्य की क्रियान्वयन ऐजेन्सी सचिव सरस्वती शिक्षा समिति रहेगी ।

 

वाल्मीकि जयंती पर सामान्य अवकाश आज

वाउन्ड्रीवाल के लिए 10 लाख रूपये मंजूर

मुरैना 13 अक्टूबर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने सांसद श्री अशोक अर्गल की अनुशंसा पर जौरा नगर में सरस्वती शिशु मंदिर की वाउन्ड्रीवाल के निर्माण के लिए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत 10 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदाय की है । कार्य की क्रियान्वयन ऐजेन्सी सचिव सरस्वती शिक्षा समिति रहेगी ।

 

रविवार, 12 अक्तूबर 2008

खास खबर: विचाराधीन कैदियों को मिले मताधिकार, ऐहतियातन हिरासत नहीं हो अनिश्चित काल तक

खास खबर: विचाराधीन कैदियों को मिले मताधिकार, ऐहतियातन हिरासत नहीं हो अनिश्चित काल तक

राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने की सिफारिशें

याहू हिन्‍दी से साभार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने विचाराधीन कैदियों को मतदान करने की अनुमति दिए जाने की वकालत की है। साथ ही कहा है कि एहतियातन हिरासत की अवधि अनिश्चितकाल तक नहीं होनी चाहिए।

हिरासत में बंद कैदियों के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि विचाराधीन कैदियों को भी मताधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इससे उनमें एक सम्मान की भावना जागृत होगी और उन्हें समाज के एक हिस्सा के रूप माना जाएगा। मानवाधिकार आयोग ने समाज की भागीदारी के लिए खुले कारागार की भी वकालत की है।

आयोग ने यह भी कहा है कि विचाराधीन अथवा गैर जमानती व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है लेकिन उसे मताधिकार का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है। कैदियों को मतदान का अधिकार दिए जाने से उनके रवैये में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

इसमें यह भी कहा गया है कि एहतियातन हिरासत की अवधि अनिश्चितकाल के लिए नहीं हो सकती। इसलिए आयोग ने इसे कम कर एहतियातन हिरासत की न्यूनतम अवधि साठ दिन तथा अधिकतम अवधि 180 दिन तक करने की सिफारिश की है।

आयोग ने सरकार को विचाराधीन कैदियों तथा दोषियों के लिए अलग अलग कारागार बनाने की सलाह भी दी है। आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि प्रदेश सरकारों को हिरासत में कैदियों का खास ख्याल रखना चाहिए तथा उनके मानवाधिकारों को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

 

 

 

भास्‍कर ने अप्रत्‍यक्ष चेतावनी दी बदल रही हैं राज्‍यों में सरकार, परिवर्तन की आहट और सत्‍ता दल की देहरी पर संकट की दस्‍तक

दैनिक भास्‍कर ने भारी एण्‍टी इंकम्‍बेन्‍सी फैक्‍टर और जन मुद्दों की चेतावनी दी

भास्‍कर ने अप्रत्‍यक्ष चेतावनी दी बदल रही हैं राज्‍यों में सरकार, परिवर्तन की आहट और सत्‍ता दल की देहरी पर संकट की दस्‍तक

असलियत से दूर रहने का दण्‍ड भुगतेंगें सत्‍ता दल

बेरोजगारी, भ्रष्‍टाचार, विकास और मूलभूत समस्‍यायें खोपड़ी घुमा रहीं हैं मतदाता की

मुरैना 12 अक्‍टूबर 08, अंचल के लोकप्रिय व सर्वाधिक प्रसार संख्‍या वाले हिन्‍दी दैनिक दैनिक भास्‍कर द्वारा चुनावी मुद्दों पर मतदाताओं के रूझान परीक्षण हेतु आयोजित सर्वे में प्राप्‍त परिणामों साफिया तौर पर सचेत कर दिया है कि तीन राज्‍यों में राजस्‍थान , छत्‍तीस गढ़ और मध्‍यप्रदेश में भारी सत्‍ता विरोधी लहर है ।

दैनिक भास्‍कर ने स्‍पष्‍ट चेताया है कि बेरोजगारी प्रमुख व स्‍पष्‍टत: प्रथम स्‍मरणीय मुद्दा जनता ने चुना है उसके बाद भ्रष्‍टाचार और विकास तथा मूलभूत समस्‍यायें क्रम पर आयीं हैं यानि बिजली पानी और सड़क तथा अन्‍य ।

दैनिक भास्‍कर द्वारा प्रकाशित इस खुलासे की रिपोर्ट का विश्‍लेषण करें तो मध्‍यप्रदेश में स्थिति अत्‍यधिक चिन्‍तनीय है क्‍योंकि सबसे अधिक एण्‍टी इंकम्‍बेन्‍सी मध्‍यप्रदेश में ही है । राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ में यह लहर कुछ कम है । लेकिन भ्रष्‍टाचार और विकास के मुद्दे तीनों ही राज्‍यों में खतरनाक स्थिति में तैर रहे हैं ।

बेरोजगारी तो तीनों ही राज्‍यों में सुरसा के मुंह की तरह विस्‍तारित है । जबकि मध्‍यप्रदेश में सरकार जिस विकास के मुद्दे पर अपना डंका बजाने में लगी है उसका नब्‍बे फीसदी भाग केन्‍द्र सरकार की योजनाओं पर आश्रित है यानि केवल दस फीसदी जिस विकास की बात राज्‍य सरकार करना चाह रही है वह भी अभी तक केवल पत्‍थर गाड़ कर महज शिलान्‍यासी पत्‍थरों यानि प्रदेश को कब्रिस्‍तान बनाने तक सीमित है ।

दैनिक भास्‍कर के सर्वे से एक बात और साफ होती है कि जनता अब समझदार और जागरूक हो चुकी है तथा झुनझुनों और घोषणाओं से उकता चुकी है तथा काम करने वाली सच बोलने और करके दिखाने वाली सरकार में यकीन रखती है ।

प्रश्‍न यह नहीं कि कौन जीतेगा या कौन हारेगा और न दैनिक भास्‍कर ने कोई एक्जिट पोल कराया बस जनता के दिल की बात को जाना और खुल कर जाना ।

मीडिया परिक्षेत्र द्वारा पहली बार दस प्रकार का अद्भुत सर्वे किया जिसमें जनता को खुल कर अपनी बात अपने ढंग से कहने का मौका दिया गया । और मामला भी साफ हो गया । सर्वे में दैनिक भास्‍कर के तीनों राज्‍यों के लाखों पाठकों ने शिरकत की थी । एक्जिट पोल जैसे प्रायोजित और फर्जी सर्वे के बजाय ऐसे स्‍वस्‍थ व स्‍वच्‍छ सर्वे के लिये दैनिक भास्‍कर साधुवाद का पात्र है ।

जिले में खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध, रविवार को नकद खाद वितरण

जिले में खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध, रविवार को नकद खाद वितरण

मुरैना 11 अक्टूबर 2008/ जिले में सरकारी संस्थाओं पर खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है । कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने बताया कि रविवार को खाद नगद वितरण किया जायेगा । आवश्यकता पड़ने पर सोमबार को भी नगद वितरण की व्यवस्था रहेगी । सोसायटी के माध्यम से नये सदस्यों को भी खाद उपलब्ध कराया जायेगा । किसानो से अपील की गई है, कि वे खाद को काला बाजारी से न खरीदे । जिले में खाद की कोई कमी नहीं है । किसानों की आवश्यकता के अनुसार उन्हें खाद की पूर्ति की जायेगी ।