बुधवार, 15 अप्रैल 2015

शनीश्चरी अमावस्या 18 अप्रेल को बहुत ही थोड़े समय के लिये वह भी शाम के बाद और रात के वक्त रहेगी, शनि मंदिर में दर्शन संभव किन्तु अन्य कारणों से अमावस्या बिद्धा तिथि‍ रहेगी और उदयकालीन तिथि‍ नहीं रहेगी अबकी बार 18 अप्रेल को शनीश्चरी अमावस्या



शनीश्चरी अमावस्या 18 अप्रेल को बहुत ही थोड़े समय के लिये वह भी शाम के बाद और रात के वक्त रहेगी, शनि मंदिर में दर्शन संभव किन्तु अन्य कारणों से
अमावस्या बिद्धा तिथि‍ रहेगी और उदयकालीन तिथि‍ नहीं रहेगी अबकी बार 18 अप्रेल को शनीश्चरी अमावस्या
नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’
Gwalior Times
Worldwide News & Broadcasting Services                          
www.gwaliortimes.in

शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या की तिथि‍ को शनीश्चरी अमावस्या कहा जाता है और शनीश्चरी अमावस्या को शनिदेव का दर्शन पूजन दान , मान मनौती आदि करना बहुत शुभ माना जाता है । भारतवर्ष और विदेशों में लोग सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या जिसे ‘’सोमवती अमावस्या’’ कहा जाता है में तीर्थ जल स्नान व गंगा स्नान को बहुत पुण्यप्रद व धर्म अर्थ मोक्षादि प्राप्त‍ि हेतु सर्वोत्तम माना जाता है , वहीं शनीवार को पड़ने वाली शनीश्चरी अमावस्या को शनि पूजा, दान, दर्शन, मान मनौती आदि करने के लिये सर्वोत्म माना जाता है ।
इसी प्रकार मंगलवार को पड़ने वाली ‘’भौमवती अमावस्या’’ या शुक्रवती अमावस्या या रविती अमावस्या जो कि रविवार को रहती है , इन सबके अलग अलग अर्थ, फल , धर्म , पुण्य विधान मान्य व प्रचलित है ।
किन्तु सबमें कई चीजें महत्वपूर्ण हो जातीं हैं, मसलन ग्रह स्थ‍िति गणना, नक्षत्र स्थि‍तियां , तिथि‍ की स्थ‍िति, वार आदि की स्थ‍िति , कुल मिलाकर ज्योतिषीय गणना , तंत्रिक गणनायें  इत्यादि , अन्यथा सब व्यर्थ हो जाता है ।
फिलवक्त आने वाली 18 अप्रेल को पड़ने जा रही शनीश्चरी अमावस्या का जिक्र ही इस आलेख की विषवस्तु है । ज्योतिषीय व तांत्रिकीय स्थि‍ति के अनुसार शनिवार 18 अप्रेल को यह उदयकालीन तिथि‍ के रूप में अमावस्या के रूप में नहीं पड़ रही है बल्क‍ि बिद्वा तिथि‍ हो जाने और चतुर्दशी तिथि‍ का क्षय हो जाने के कारण और त्रयोदशी तिथि‍ का कालक्रम बढ़ जाने के कारण इस अमावस्या तिथि‍ का 18 अप्रेल की उदयकाल रात्रि में चला गया है । और रात्रिकाल में यह तिथि‍ में 12 बजकर 26 मिनिट पर उदय होगी , जबकि मुरैना के हिसाब ( शनीश्चरा मंदिर चूकि मुरैना में शनि पर्वत पर स्थापित है , इसलिये मुरैना की तिथि‍ काल गणना मान्य की जायेगी , यह तिथि‍ उदयकाल मुरैना में रात्रि 12 बजकर 06 मिनिट पर होगा ।  जबकि चंद्र राशि‍ परिवर्तन प्रवेश काल सायं 5 बजकर 21 मिनिट पर और मुरैना के हिसाब से सायं 5 बजकर 01 मिनिट पर होगा ।
सूर्य और चन्द्र एकस्थ राशी होकर एक ही अंश पर होने से अमावस्या तिथि‍ का निर्माण व प्रचलन होता है । इसके ठीक उलट विपरीतस्थ आमुख सामुख समान अंश होने पर पूर्ण‍िमा तिथि‍ बनती है ।
इस समय चूंकि 14 अप्रेल को सूर्य का राशि‍ संक्रमण (संक्रान्ति‍)   हुआ है और राशि‍ परिवर्तन कर मेषस्थ हुये हैं , जबकि चन्द्रमा का राशि‍ संक्रमण ( चान्द्र संक्रान्त‍ि ) कर राशि‍ परिवर्तन कर 18 अप्रेल को सायंकाल में ऊपर लिखे सायंकाल समय में होगा । इसलिये चान्द्र संक्रमण काल के हिसाब से सायंकाल में 5 बजे के बाद ( मुरैना शनि पर्वत – शनिधाम के लिये) अन्य स्थान पर अन्य समयकाल लागू होंगें , के पश्चात ही शनि प्रावधान लागू किये जा सकते हैं, जो कि बहुत ही हल्के प्रभाव के होंगें क्योंकि शनि व सूर्य दोनों ही अर्थात अमावस्या तिथि‍ इस वक्त सूर्य 3 अंश 34 कला पर होंगें और चन्द्रमा शून्य कला पर होंगें । परिणाम स्वरूप यह तिथि‍ काल हालांकि लगभग प्रभावहीन एवं महत्वहीन होगा जो कि रात्रि में 12 बजे के बाद सूर्य चन्द्र के समान अंश व कला पर आने के बाद और चन्द्र कलायें विकलायें बढ़ने के बाद ही असल तिथि‍ अभ्युदय अमावस्या का उदयकाल गण्यमान्य होगा । 
चूंकि शनि इस समय वक्री चल रहे हैं और वृश्च‍िक राशीस्थ होकर 18 अप्रेल को  करीब 9 अंश 54 कला पर हैं , लिहाजा प्रचण्ड व प्रबल न होकर भी फिलवक्त होशमंद हैं , जो कि कुछ समय बाद स्वयं ही प्रभावहीन होना प्रारंभ हो जायेंगें ।
उधर चूंकि सूर्य मेष राशीस्थ होकर इस समय उच्च राशीस्थ होकर उच्च के सूर्य के रूप में विद्यमान हैं और 23 या 24 अप्रेल से अपने उच्च असर में आ जायेंगें और मई के पहले हफ्ते तक उच्च के प्रबल व प्रचंड प्रभाव में रहेंगें , वहीं इसी दरम्यान ठीक अगले हफ्ते 24 व 25 अप्रेल को चन्द्रमा भी राशि‍ संक्रमण कर वृषस्थ होकर उच्च राशीस्थ हो , चन्द्रमा भी उच्च का हो जायेगा । स्पष्टत: ग्रह स्पष्ट गणना के अनुसार 24 एवं 25 अप्रेल को सूर्य व चन्द्रमा अपनी उच्च स्थ‍िति व उच्च राशि‍ में होर उच्च के रहेंगें , वहीं तब जबकि इस समय गुरू मार्गी हो चुके हैं और अपनी उच्च राशि‍ कर्क में विद्यमान होकर उच्च के गुरू अति प्रचण्ड व बलवान होकर मौजूद हैं । कुल मिलाकर 24 एवं 25 अप्रेल को तीन ग्रह एक साथ , जो कि अति महत्वपूर्ण व ज्योतिष के अनुसार बेहद ज्यादा करामती है और अकेला चन्द्रमा जो 108 राजयोगों का निर्माण कर देता है, अकेला सूर्य अनेक राजयोंगों का निर्माण कर देता है, अकेला गुरू कई सारे राजयोगों का निर्माण कर देता है , जब ये तानों ग्रह एक साथ उच्च के होंगें तो निसंदेह अनेकानेक ( सैकडों या हजारों राजयोगों के निर्माण कर देने में सक्षम होंगें) राजयोग स्वत: ही बना देंगें भले ही शनि बलवान व वक्री होकर इस समय कही भी किसी भी हालत में हो , ये तीन अकेले सब पर बहुत भारी पड़ेंगें ।
अब निष्कर्ष यह प्राप्त होता है कि चूंकि शनिदेव , सूर्य के पुत्र हैं और शनि भले ही सूर्य से शत्रुता मान कर वैर रखते हों लेकिन सूर्य के वे बहुत लाड़ले व प्रिय हैं । लिहाजा जन्म कुंडली में जिना शनि गोचर ठीक चल रहा हो वे शनिवार 18 अप्रेल को सूर्य के उच्च रहते दिन भर में कभी सूर्यास्त पूर्व शनि मंदिर में शनि संबंधी समस्त कार्य भले ही कुशलता पूर्वक संपादित कर सकते हैं , अन्य के लिये व्यर्थ या प्रभावहीन व फलहीन होंगें ।
जबकि चन्द्र राशि‍ संक्रमण काल या सायंकाल के बाद अन्य व्यक्त‍ि भी शनि संबंधी शनीश्चरी अमावस्या की पूजन दर्शन व अन्य क्रियाविधि‍ संपन्न कर सकते हैं , किन्तु असल अमावस्या रात्रिकाल में ही रहेगी और शनि मंदिर में शनीश्चरी अमावस्या संबंधी पूजन , दानादि सहित समस्त कार्यादि संपन्न किये जाने का विधान काल होगा । यद्यपि यह दीगर बात होगी कि 18 अप्रेल रात्रिकाल में भी सूर्य व चंद्र बहुत कम अंश पर विलय कर विलीन होंगें  अत: यह अमावस्या काफी हल्की या बहुत ही कम या अल्प लाक्षणि‍क प्रभाव वाली होगी ।          

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

भि‍ण्ड पहुँचे शि‍वराज सिंह ने कहा म.प्र. में किसान राहत कोष व खुद की सरकारी बीमा कंपनी बनाये जायेगें अगर किसान का नुकसान कम लिखा तो नौकरी करने लायक नहीं छोड़ूंगा - शि‍वराज सिंह



भि‍ण्ड पहुँचे शि‍वराज सिंह ने कहा म.प्र. में किसान राहत कोष व खुद की सरकारी बीमा कंपनी बनाये जायेगें
अगर किसान का नुकसान कम लिखा तो नौकरी करने लायक नहीं छोड़ूंगा - शि‍वराज सिंह
आप पार्टी के प्रदेश संयोजक उतरे जल सत्याग्रह में , आम आदमी पार्टी चलाएगी "जल सत्याग्रह" के समर्थन में पूरे प्रदेश में आंदोलन
Gwalior Times
Worldwide News & Broadcasting Services                          www.gwaliortimes.in

भिंड- 13 अप्रेल 15 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आज भि‍ण्ड जिले की गोहद तहसील के सुहांस गांव पहुंचे, खुद खेतों में जाकर देखा फसल का नुकसान, इस अवसर पर शि‍वराज सिंह बोले कि हर दुःख की घडी मे मध्यप्रदेश सरकार किसान के साथ है ।
इस अवसर पर बर्बाद हुये किसानों और फसलों को देखकर म.प्र. के मुख्यमंत्री शि‍वराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि किसभी कर्मचारी या अफसर ने किसी भी किसान का या खेत का नुकसान कम लिखा तो उसे मैं नौकरी करने लायक नहीं छोडूंगा । चाहे वह कलेक्टर हो या अन्य कोई भी कर्मचारी या अन्य अधिकारीयों को, किसान को अब ओवर ड्यू नहीं माना जायेगा और उसे खाद बीज 0 प्रतिशत व्याज पर मिलेगा ।
हमारी मध्यप्रदेश सरकार सभी मृत किसानो की बेटियों को देंगी पचास पचास हजार रूपये , इसके साथ ही शि‍वराज सिंह ने घोषणा करते हुये कहा कि मध्यप्रदेश में हम बहुत जल्द ही किसान राहत कोष बनाएंगे, और ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से निबटने के सारे इंतजाम रखेंगें इसके साथ ही सरकार की खुद की बीमा कंपनी बनाने का इरादा है और बहुत जल्द हम इस दिशा में कदम उठा कर सरकारी बीमा कंपनी बनाने की ओर अग्रसर होंगें ।

आप के प्रदेश संयोजक उतरे "जल सत्याग्रह" में, आम आदमी पार्टी चलाएगी "जल सत्याग्रह" के समर्थन में पूरे प्रदेश में आंदोलन
भोपाल 13 अप्रेल 15. आम आदमी पार्टी के प्रदेश मीडिया एवं आई.टी. सेल के मार्फत जारी प्रेस विज्ञप्त‍ि के अनुसार विगत 11 अप्रैल को ओंकारेश्वर बाँध में 189 मीटर से ऊपर पानी भरना चालू कर दिया गया है । जिसके विरोध में सैकड़ों विस्थापितों ने तुरंत गोघलगॉव जिला खंडवा में जल सत्याग्रह शुरू कर दिया था । अभी तक इस बांध में 191 मीटर तक भर दिया गया है और इससे अनेक किसानो के खेत बिना पुनर्वास के डुबो दिए गए हैं ।
इस अमानवीय डूब के खिलाफ 11 अप्रैल से प्रभावित विस्थापितों एवं पीडि़तों द्वारा जारी जल सत्याग्रह में, आज आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल विस्थापितों के साथ में पानी में उतर कर जल सत्याग्रह में शामिल हो गए हैं । आम आदमी पार्टी 15-अप्रैल को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलाफ प्रदर्शन करेगी । अग्रवाल ने साफ़ कहा है कि जब तक विस्थापितों के पुनर्वास की मांगे पूरी नहीं की जाती हैं तब तक पानी में रह कर जल सत्याग्रह जारी रहेगा चाहे भले ही शरीर गल कर खत्म ही क्यों ना हो जाए ।

तो अब क्या यह मान लिया जाये कि अगला बड़ा और दमदार मुकाबला ‘’आप’’ और ‘भाजपा’’ के बीच होगा



तो अब क्या यह मान लिया जाये कि अगला बड़ा और दमदार मुकाबला ‘’आप’’ और भाजपा’’ के बीच होगा
आप ‘’ के विरोध प्रदर्शन की भोपाल रैली में उमड़ा जन सैलाब और जिलों में चल रही आप की सक्रिय गतिविधि‍यों से भाजपा की पेशानी पर चिंता की लकीरें खिंचीं  
* कांग्रेस से खतरा मुक्त हुई भाजपा के लिये ‘’आप’’ ने बजाया खतरे का अलार्म * भाजपा में ‘’आप’’ के बढ़ते सैलाबी तूफान को लेकर अंदरूनी हाई अलर्ट * भाजपा ने तैयार की रणनीति खेल सकती है राजनीति का तिकड़मी पेच
नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनंद’’ ( एडवोकेट )
Gwalior Times
Worldwide News & Broadcasting Services                          www.gwaliortimes.in

मध्यप्रदेश में कांग्रेस को मरणासन्न सन्नाटे में धकेलकर तकरीबन जमींदोज व नेस्तनाबूद कर चुकी बेफिक्री व निशंक तेवरों में जी रही लेकिन केन्द्र सरकार से परेशान और आंतरिक झंझावात और भंवर में उलझी म.प्र. की भारतीय जनता पार्टी के लिये एक चुनौती के रूप में लगातार आगे बढ़ रही ‘’आम आदमी पार्टी’’ की निरंतर सक्रियता ने और उसमें लगातार बढ़ते जा रहे जन सैलाब ने म.प्र. भाजपा की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच कर , आने वाले वक्त में बड़े मुकाबले और खतरे का अलार्म बजा कर आगे होने वाली कबड्डी की ताल ठोक दी है । 
राजनीतिक तौर पर इसका दूसरा संदेश यह जाता है कि म.प्र. की भाजपा सरकार के विरूद्ध आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लगभग एक ही जैसे मुद्दों या एक जैसे सियासी शतरंजी दांव पेंच खेलने जा रहे हैं । और जाहिर है कि इसका सीध सीधा जमीनी नुकसान भाजपा को कम और कांग्रेस को ज्यादा होगा । वर्तमान हालात देखकर लगता है कि यह बहुत ज्यादा संभव है , आने वाली म.प्र. विधानसभा में कांग्रेस की जगह ‘’आप’’ ले ले , हालांकि आम आदमी पार्टी यह दावा कर रही है कि वह म.प्र. विधानसभा में 150 से ज्यादा सीटें हासिल करेगी ।
लेकिन अगर जमीनी हकीकत को टटोला जाये तो आज की तारीख में इस वक्त आम आदमी पार्टी 150 विधानसभा सीटों पर तो नहीं लेकिन करीब 50 से 80 तक विधानसभा सीटों पर और करीब 6 से 8 लोकसभा सीटों पर बेहद मजबूत स्थि‍ति में नजर आ रही है ।
दोनों पार्टीयों में अंदरूनी नूराकुश्ती और रणनीतिक खेमेबाजी शुरू
अगर भाजपा और आम आदमी पार्टी के अंदरूनी हालातों की बात करें या अंदरखाने जो चल रहा है उस गोपनीय रणनीति की बात करें तो स्थ‍िति कही अधि‍क साफ हो जायेगी ।
भाजपा ने भी बदली रणनीति
सुनने में आ रहा है कि भाजपा ने अपना हाल ही में 15 तारीख तक किया जाने वाला म.प्र. सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार फिलहाल टाल दिया है । और यह विस्तार बहुत जल्द या जैसा भाजपा के सूत्र बताते हैं , इसी महीने के अंत तक या मई की 10 या 15 तारीख से पहले हो लेगा , लेकिन उससे पहले अब बदली गई रणनीति के मुताबिक पहले निगमों और मंडलों में नियुक्त‍ियां की जायेंगीं , उसके बाद मंत्री मंडल का विस्तार किया जायेगा । और भरोसेमंद सूत्र यह भी बताते हैं कि आने वाले वक्त में होने वाले खतरे के सारे स्थान ( सीटें) चिह्न‍ित कर पहचान ली गईं हैं, और तदनुसार ही अब राजनीतिक व रणनीतिक दांव पेंच व भूमिकायें भाजपा अपनायेगी । और उन सीटों को कव्हरअप करेगी जहॉं या तो भाजपा जीती नहीं थी या आगे कोई और दमदारी से उस सीट पर फाइट कर सकता है या जीत सकता है ।
आने वाले तूफान व सैलाब के प्रति भाजपा व आर.एस.एस. सतर्क
बसपा अगले चुनाव में म.प्र. से समाप्त हो जायेगी वहीं कांग्रेस बमुश्क‍िल 8 या 10 सीटों पर सिमट जायेगी, जबकि ‘’आप’’ पार्टी के सशक्त विपक्ष या ‘’विकल्प’’ बन कर सन 2018 के म.प्र. विधानसभा चुनावों में सामने आ सकती है या फिर बहुत जबरदस्त कड़ी फाइट देकर खतरनाक चुनौती बन सकती है, भाजपा खेमे के अंदर चल रही मथनी से उनके व आर.एस.एस. के राजनीतिक पंडितों ने पूर्व आगाह कर दिया है । और आम आदमी पार्टी की भोपाल रैली में उमड़े जन सैलाब ने और कई जिलों चल रही निरंतर राजनीतिक सक्रियता के प्रति सचेत कर, आने वाले तूफान के प्रति आगाह कर दिया है ।
आम आदमी पार्टी की भी रणनीति में खासे फेाबदल के संकेत
इधर आम आदमी पार्टी में भी कोई कम रणनीति और राजनीतिक मंथन नहीं चल रहा, वह भी प्रदेश में जान डालने के लिये प्रदेश की कमान व जिलों की कमान बहुत बड़े फेरबदल के साथ बदल कर अनुभवी दबंग व दमदार लोगों को फ्रण्ट पर लाने की तैयारी में जुटी है , आने वाले वक्त आम आदमी पार्टी की इस खास राजनीति व रणनीति का खुलासा हो सकता है । हालांकि वर्तमान प्रदेश व जिला नेतृत्वों से पार्टी के हाईकमान को कोई शि‍कायत शि‍कवा नहीं है, लेकिन खुद आम आदमी पार्टी का ही प्रदेश नेतृत्व और जिलों का नेतृत्व ऐसी दरकार व मांग कर रहा है , यह भी सोचने की बात है जहॉं सब एक कार्यकर्ता बने रहना चाहते हैं और आम आदमी बन कर ही पदों पर या बिना पदों के पार्टी के लिये काम करना चाहते हैं और खुद ही यह मांग करते हैं कि सक्रिय व दबंग व डटे जमे अड़े रहकर सोशल व पॉलिटिकल एक्सपर्ट चाहिये , कमान और नेतृत्व उनको देकर उनके साथ काम करना है । जाहिर है इस प्रकार की नीति व रणनीति भाजपा और आर.एस.एस. के लिये निसंदेह बहुत ज्यादा चिंता का विषय है , क्योंकि अब तक केवल भाजपा को ही म.प्र. में ग्रास रूट लेवल की पार्टी माना जाता है । लेकिन आप कार्यकर्ताओं की निरंतर बढ़ती फौज व किसी दमदार नेतृत्व को प्रदेश व जिलों में सामने लाया जाना बेहद खतरनाक अलार्म है । फिलवक्त आप पार्टी हाई कमान की नजर में कुछ लोग ऐसे हैं या इस प्रकार का अंदरूनी चयन कार्य चल रहा है । और भाजपा की रणनीति के हर कदम पर आप की नजर है , वहीं आप की रणनीति के हर कदम पर भाजपा की नजर है । कुल मिलाकर दोनों का पोसंपा भाई पोसंपा चल रहा है ।
खतरनाक राजनीतिक चूक से बच रहे हैं दोनों राजनीतिक दलों की राजनीति और रणनीति पर ध्यान दें तो साफिया तौर पर जाहिर हो जायेगा कि ये दोनों ही दल ‘’कांग्रेस’’ को और कांग्रेस नेताओं को ल तो लक्ष‍ित या टारगेट कर रहे हैं और न उसका कहीं जिक्र तक कर रहे हैं । मतलब साफ है कि इनकी रणनीति में कांग्रेस आउट ऑफ फोकस और जमीनी चर्चा से बाहर का विषय है  । सनद रहे कि यह दोनों दल इस गेम को दिल्ली विधानसभा चुनावों में खेल चुके हैं और कांग्रेस का सफाया कर चुके हैं , वही रणनीति म.प्र. में अपनाई जा रही है । ‘’नजर अंदाजी की भी एक जुबां और एक भाषा होती है ‘’
भाजपा और आर.एस.एस. भी तुरूप के इक्के मैदान में ला सकती है या कहिये कि अब पूरी तरह से तैयारी में है कि अपनी जंगी राजनीतिक बिसात अब बिछा दे, और इसका पता आने वाले समय में होने वाली निगम व मंडल की नियुक्त‍ियों सहित होने वाले मंत्रीमंडल विस्तार में झलकना चाहिये , यदि यह नहीं झलकता है तो यह मानना चाहिये कि भाजपा यह मान चुकी है कि अब म.प्र. में सरकार बदलेगी और इसके साथ ही आप पार्टी के बदलावों और रणनीति से भी यह खुलासा आने वाले वक्त में हो जायेगा कि वह म.प्र. विधानसभा में विपक्ष में बैठने जा रही है या सरकार व सत्ता में । कुल मिलाकर इतना तो साफ है कि अगला तगड़ा व जंगी मुकाबला ‘’आप’’ और भाजपा के बीच ही म.प्र. में होना है । और उस ‘’विकल्प रिक्त‍ि’’ या ‘’ सब्स्टीट्यूट गैप’’ की पूर्ति हो जायेगी ।
यदि दोनों ही दल इस रणनीति पर अमल करते नजर आते हैं तो यह भी बहुत ज्यादा संभव है कि आने वाले कुछ स्थानीय निकायों के चुनावों में भी ये दोनों पार्टीयां ही आमने सामने टकरा जायें और तब बसपा और कांग्रेस के लिये यह स्पष्ट अलार्म और ताबूत की अंतिम कील ठोके जाने का स्पष्ट आगाज होगा । हालांकि अभी मुरैना में भी नगर निकाय चुनाव होना है , लेकिन नगरीय निकाय चुनावों तक यदि ये दोनों दल सुनिश्च‍ित रणनीति के तहत अमल नहीं करते तो सारी रणनीति को दूरगामी परिणामों अर्थात म.प्र. विधानसभा चुनाव 2018 और लोकसभा चुनाव 2019 के नजरिये से देखा जाना चाहिये । ज्ञातव्य है कि म.प्र. की भाजपा सरकार के लिये केन्द्र की मोदी सरकार भी अंदरूनी तौर पर बहुत बड़ी मुसीबत बनकर खड़ी हुई है और तथाकथि‍त आर्थ‍िक सुधारों के नाम पर भाजपा की राज्य सरकार का बेड़ा गर्क करने पर तुली है , वहीं जनता का परिवर्तन का मूड भांपते हुये आम आदमी पार्टी अपने अलग कसीदे पढ़ना शुरू कर चुकी है ।
अरविन्द केजरीवाल की निजी रूचि ने बढ़ाया आने वाले आगाजी तूफान का खतरा
म.प्र. में आम आदमी पार्टी की भोपाल में विगत दिवस हुई विरोध प्रदर्शन रैली को और उसमें हुई भीड़ के चित्रों को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा रिट्वीट किये जाने व म.प्र. के मुख्यमंत्री शि‍वराज सिंह चौहान के नाम संदेश व उपदेश का ट्वीट किये जाने से सारा मामला राजनीतिक गर्मी पकड़ गया है, साथ यह भी स्पष्ट हो गया है कि म.प्र. की पल पल की गतिविधि‍ पर आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व न केवल बहुत गहरी नजर रख रहा है बल्क‍ि , आप के बढ़ते जन सैलाब व पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रियता से बेहद गंभीर व उत्साहित भी है । निसंदेह केजरीवाल की म.प्र. में निजी व गहरी रूचि कयामती व कहर ढा कर मंजर बदलने वाली मानी जा सकती है ।   
सुप्रीम कोर्ट  का बड़ा  फैसला, बिना शादी के साथ रहने वालों जोड़े विवाहित माने जायेंगे
 नई दिल्ली :: बिना शादी के साथ रहने वालों जोड़े विवाहित माने जायेंगे: सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। आज उसने कहा कि यदि कोई अविवाहित जोड़ा मियां-बीवी के रूप में अगर साथ रह रहा है तो उन्हें कानूनी रूप से शादीशुदा माना जाएगा और और उसे वो सारे अधिकार मिलेंगे जो कि विवाहित कपल को मिलते हैं यहां तक कि अपने साथी की मौत के बाद महिला उसकी संपत्ति की हकदार होगी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक संपत्ति के मामले में सुनाया है। यह फैसला जस्टिस एमवाय इकबाल और जस्टिस अमिताव रॉय की बैंच ने लिया है। बैंच ने कहा कि लेकिन दोनों को इस सूरत में यह साबित करना होगा कि यह फैसला उन्होंने शादी करने के लिहाज से ही लिया है।
साथ रहने वाले जोड़े माने जायेंगे शादी-शुदा
जिस केस के तहत कोर्ट ने यह फैसला किया है वो एक संपत्ति विवाद का मामला था जिसमें परिवार का कहना था कि उनके दादा अपनी पत्नी की मौत के बाद एक महिला के साथ 20 साल से रह रहे थे इसलिए उनकी संपति में उसका हिस्सा नहीं दिया जा सकता। परिवार वालों का कहना है कि वह महिला उनके दादा की मिस्ट्रेस थी। जिस पर पीड़ित महिला ने कानून से मदद मांगी और संपति में हिस्सा भी।
कपल को मिलेंगे सारे पति-पत्नी के हक
जिस पर आज कोर्ट ने सुनवाई की और पीड़ित महिला को मृतक की कानून पत्नी मान लिया और फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि एक मर्द और औरत लंबे समय से साथ रह रहे हैं तो समाज उसे भले ही जो उपमा देता हो लेकिन अगर दोनों के साथ रहने का फैसला शादी के मद्देनजर है तो ऐसे में दोनों विवाहित माने जायेंगे ।