बी.एस.एन.एल. मुरैना आखिर कहॉं गईं चोरी गई हजारों मीटर केबिलें
किस्सा ए बी.एस.एन.एल.भ्रष्टाचार बनाम अंधेरगर्दी विद गुण्डागर्दी
किश्तबद्ध रिपोर्ताज भाग- 5
मुरैना 4 दिसम्बर 2007 । भ्रष्टाचार संचार निगम अनलिमिटेड यानि बी.एस.एन.एल. की पिछली किश्तों में अब तक आप पढ़ चुके हैं कि बी.एस.एन.एल. ने किस तरह अपनी सेवाओं और उपभोक्ताओं को प्रायवेट कम्पनीयों को सामने परोसा अब सवाल ये है कि भला कोई क्यों अपने ग्राहकों यानि उपभोक्ताओं को दूसरों को सौंपेगा । इस सवाल का जवाब भी बड़ा दिलचस्प है, बी.एस.एन.एल. से तो उनको तयशुदा तनख्वाह मिलती ही है, ऊपर से इस भ्रष्टाचार संचार निगम अनलिमिटेड में दो नंबर की मोटी कमाई के भी अनेक जरिये हैं, फर्जी बिलिंग (सबूत हमारे पास हैं) से लेकर खरीद फरोख्त और ठेकों में जबरदस्त भ्रष्टाचार (सबूत हमारे पास हैं), बी.एस.एन.एल. की योजनाओं उपहारों में जबरदस्त भ्रष्टाचार व अंधेरगर्दी (सबूत हमारे पास हैं) के अलावा म.प्र. की बिजली चोरी और उसका अवैध पुन: विक्रय, प्रायवेट कम्पनीयों से करोड़ों और लाखों की रिश्वत वसूल कर उसके एवज में उपभोक्ता ट्रान्सफर करना आदि आदि आप आगे पढ़ते जाईये सब पता चलता जायेगा । इसके अलावा इस उपभोक्ता के बिल को उस उपभोक्ता के बिल में घुसेड़ना, सेटिंग के जरिये आप फ्री में लाखों करोड़ों रूपये की बात विदेशों तक में फ्री में कर सकते हैं, और इन बिलों की टोपी अन्य उपभोक्ताओं के सिर चढ़ाई जाती है, यदि कोई उपभोक्ता भूले भटके शिकायत शिकवा करे या अपनी शिकायत ऊपर भोपाल और दिल्ली तक करे तो अव्वल तो उसकी शिकायत पर कोई कार्यवाही भोपाल से दिल्ली तक नहीं होगी और उस उपभोक्ता पर फर्जी बिलिंग कर उसका खाता इतना लम्बा चौड़ा कर दिया जायेगा कि उसे चोर और डिफाल्टर घोषित करके फाइल नस्तीबद्ध स्वत: ही होती रहेगी । और उसकी कोई सुनवाई नहीं होगी । हमारे पास फर्जी बिलिंग के पक्के और मुकम्मल सबूत मौजूद है जो कि आगे की किश्तों में स्वत: जिक्र में आयेंगें (वर्तमान में ये आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने हेतु साक्ष्य हैं और आपराधिक प्रकरण पुलिस व न्यायालय कार्यवाही प्रक्रम में है)
मजे की बात ये है कि बी.एस.एन.एल. में होने वाले विभिन्न भ्रष्टाचारों और धांधलीयों की कोई शिकायत न होती हो, ऐसा नहीं हैं, हमारे पास अब तक हुयी शिकायतों और सबूतों का जखीरा है, किन्तु इस भ्रष्टाचार के बंटवारे की लम्बी चौड़ी रकम का बड़ा हिस्सा दिल्ली और भोपाल तक पहुँचता है, अगली किश्तों में यह जिक्र भी आयेगा कि फर्जी बिलिंग और हड़का कर जबरन उपभोक्ताओं से अनुचित व अवैध रकम वसूली, उददापन कृत्य और गुण्डागर्दी, फर्जी व कूटरचित साक्ष्यों के सहारे उपभोक्ताओं पर मुकदमे बाजी कर करोड़ों बटोरने वाले बी.एस.एन.एल. का यह पैसा आखिर कहॉं हिल्ले लग रहा है, आप जब ये रहस्य जानेंगें तो खुद ही उछल पड़ेंगें ।
मुरैना बी.एस.एन.एल. प्रक्षेत्र में वर्ष 2003 से 2007 तक हजारों मीटर अण्डरग्राउण्ड ओ.एफ.सी. केबल चोरी हो चुकी है, और इसके चलते उपभोक्ताओं के टेलीफोन और इण्टरनेट कई दिनों तक अनेकों बार ठप्प रहे । यह सारे शहर मुरैना को मालुम है और अखबारों में भी जम कर ये खबरें छपीं हैं । हमारे पास कुछ अतिरिक्त साक्ष्य भी है ।
केबल चोरी होना यूं तो देखने में ओर सुनने में सामान्य चोरी की घटना जान पड़ती है, मगर हकीकत कुछ हट कर और कुछ अलग ही कहानी बयां करती है ।
पिछले सालों में चोरी गई केबिलें आज तक नहीं मिलीं, तो आखिर कहॉं गईं, जमीन खा गई या आसमान लील गया, क्यों कहीं भी बरामद न हो सकी ये केबलें । हॉं जी यही सच है, इन चोरी की केबलों को वाकई जमीन लील गयी । ये केबलें आम आदमी और आम चोरों के मतलब की नहीं होतीं, और न इनका उसके लिये कोई आम इस्तेमाल है । मगर इन केबलों की कीमत लाखों और करोड़ों रूपयों में अवश्य होती है । अब तो आप समझ ही गये होंगें कि किसने चुराईं केबलें और कहॉं गई ये केबलें ।
अब भी नहीं समझे तो चलो इस पहेली को भी हल कर देते हैं । यह केबलें केवल प्रायवेट कम्पनी वाले फ्रेन्चाइजी सेठजी के लिये यूजफुल और आज भी जमीन में उनकी नेटवर्क के परिपथ यानि सर्किट में फंसी है, फ्रेन्चाइजी सेठजी के तो बारे न्यारे हैं, कुछ दान दहेज में मिल गयीं और कुछ चोरी करवा लीं (इस चोरी में बी.एस.एन.एल. वाले ही आपराधिक षडयंत्र रचकर भागीदार हैं – देखें धारा 120 बी भा.द.वि.) केबलों के सारे राज आज भी जमीन में दफन हैं । अब ये तो राम जाने कि बी.एस.एन.एल. वाले सेठ जी और प्रयवेट कम्पनी वाले सेठजी में आपस में क्या गुण्ताड़ा है, मगर बी.एस.एन.एल. उनका अन्धा सेवक है यह तो सिद्ध है ।
बी.एस.एन.एल. के उपभोक्ता पिछले दस साल में विशेषकर पिछले पॉंच साल में यूं ही प्रायवेट कम्पनीयों पर ट्रान्सफर नहीं हो गये बल्कि एक बड़ा गंभीर और तिलस्मी खेल खेला गया ।
क्रमश: जारी अगले अंक में .........