बुधवार, 10 सितंबर 2008

पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री कुशवाह द्वारा जिला चिकित्सालय का आकस्मिक निरीक्षण

पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री कुशवाह द्वारा  जिला चिकित्सालय का आकस्मिक निरीक्षण  

भिण्ड 9 सितम्बर 2008

       0प्र0राज्य पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री बाबूलाल कुशवाह ने जिला चिकित्सालय सहित दो छात्रावासों का आकस्मिक निरीक्षण किया। जिला चिकित्सालय में मरीजों को शासकीय योजनाओं के माध्यम से दी जा रही सहायता के विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त की तथा चार हितग्राहियों को जननी सुरक्षा योजना की राशि का वितरण भी किया। इस अवसर पर एस0डी0एम0 भिण्ड श्री डी0आर0कुर्रे,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. एन.सी. गुप्ता ,सिविल सर्जन डा. के.एन.शर्मा ,जिला संयोजक श्रीमती मोहिनी श्रीवास्तव के अलावा अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे ।

       श्री कुशवाह ने अस्पताल में भर्ती मरीजों से चिकित्सालय की व्यवस्थाओं चिकित्सकों द्वारा उनके साथ किये जा रहे सलूक व राज्य शासन की योजनाओं से प्राप्त हो रही सहायता के विषय में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर प्रसूता माताओं के लिये जननी सुरक्षा योजना, बालिकाओं के विवाह हेतु मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, एक जनवरी 06 के बाद जन्म लेने वाली सभी बालिकाओं को लाडली लक्ष्मी योजना से जोडे जाने के विषय में बताया। श्री कुशवाह ने सर्जीकल बार्ड का भी निरीक्षण किया उन्होंने मरीजो को बताया कि दीनदयाल अन्त्योदय योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले मरीजों को 20 हजार रूपये तक का इलाज नि:शुल्क किया जाता है। उन्होनें जिला चिकित्सालय परिसर में कराये जा रहे निर्माण कार्यो का अवलोकन भी किया। 

       श्री बाबूलाल कुशवाह ने पिछडा वर्ग कन्या पोस्ट मेट्रिक छात्रावास ,उत्कृष्ठ बालाक छात्रावास का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने छात्रावास में विद्यार्थियों को प्रदत्त की जा रही सुविधाओं के विषय में भी जानकारी प्राप्त की।

 

मतदान केन्द्रो से सम्बन्धित बैठक 17 सितम्बर को

मतदान केन्द्रो से सम्बन्धित बैठक 17 सितम्बर को

भिण्ड 9 सितम्बर 2008

       आगामी विधानसभा चुनाव हेतु संवेदनशील मतदान केन्द्रों की समीक्षा हेतु बैठक 11 सितम्बर को दोपहर 12 बजे कलेक्टर श्री सुहेल अली की अध्यक्षता में की जावेगी। बैठक में संवेदनशील मतदान केन्द्रों के सम्बन्ध में चर्चा की जावेगी।

 

शासकीय अधिकारी योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाये

शासकीय अधिकारी योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाये

- श्री बाबूलाल कुशवाह

भिण्ड 9 सितम्बर 2008

       मध्यप्रदेश राज्य पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री बाबूलाल कुशवाह ने कहा कि अधिकारी शासकीय योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचावे। उन्होंने कि योजनाओं की जानकारी न होने के कारण जरूतमद लोग योजनाओं का पर्याप्त लाभ नही उठा पाते है। उन्होंने यह बात आज कलेक्ट्रेट सभागार में विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक में कही। बैठक में कलेक्टर श्री सुहेल अली अपर कलेक्टर श्री आरपी भारती सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

       श्री कुशवाह ने कहा कि मध्यप्रदेश में वर्तमान सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में समाज के प्रत्येक वर्ग के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाएें संचालित की जा रही है इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचाने की जिम्मेदारू शासकीय अमले की है। उन्होंने कहा कि शासकीय अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वाहन ईमानदारी औरर् कत्तव्य निष्ठा के साथ करें।

       श्री कुशवाह ने कहा कि अधिकारी जब भी ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करे तब शासन द्वारा संचालित योजनाओं से ग्रामीण जन को अवगत करावे। श्री कुशवाह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गरीब पिछडा वर्ग के कल्याण हेतु भी अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये है। जिनमें समाज सेवा में क्षैत्र में काम करने वाले इस वर्ग की महिला पुरूषो को प्रति वर्ष एक-एक  लाख का रामजी महाजन पुरूष्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है। इसीप्रकार आयोग द्वारा प्रत्येक संभाग स्तर पर 100 सीटर छात्रावास तथा जिला स्तर पर 50 सीटर छात्रावास बनाने हेतु 50 करोड रूपये की राशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने राज्य शासन द्वारा प्रारंभ की गई मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना, मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना, जननी सुरक्षा योजना, श्रमिकों के लिए संचालित योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की तथा निर्देश दिए कि इन योजनाओं का लाभ प्रत्येक जरूरत मंद को प्रदान किया जावे। श्री कुशवाह ने जिले में सडक, पानी, बिजली की स्थिति व कृषि और पशु पालन की स्थिति की भी समीक्षा की।

 

मंगलवार, 9 सितंबर 2008

सी.सी.खरंजा निर्माण के लिए एक लाख रूपये मंजर

सी.सी.खरंजा निर्माण के लिए एक लाख रूपये मंजर

मुरैना 6 सितम्बर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने सांसद श्री अशोक अर्गल की अनुशंसा पर शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय रूई की मंडी मुरैना में सी.सी. खरंजा निर्माण के लिए एक लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदाय की है । स्वीकृति कार्य कार्यपालन यंत्री यांत्रिकी सेवा द्वारा पूरा कराया जायेगा ।

 

पांच स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस

पांच स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस

मुरैना 6 सितम्बर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता के निर्देशानुसार मुरैना जिले में मलेरिया रोग के नियंत्रण हेतु प्रभावी उपाय किये जा रहे है । गत दिवस मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. जनार्दन अतुलकर ने जिला टीकाकरण अधिकारी डा. जी.एस. तोमर के साथ जिले के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया तथा कर्तव्य से अनुपस्थित पाये गये पांच स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस जारी किये ।

       मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुलकर ने ग्राम बिचोला, पढ़ावली, रिठौरा कलां, मेजर का पुरा, कुतवार, माताबसैया, दतेहरा, सामु. स्वा. केन्द्र खडियाहार, प्राथ. स्वा. केन्द्र दिमनी से संबंधित उप स्वा. केन्द्र प्राथ. स्वा. केन्द्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामों में मलेरिया कार्यक्रम की विस्तृत समीक्षा की एवं संबंधित स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं चिकित्सकों को मलेरिया नियंत्रण हेतु प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए । उन्होंने कहा कि चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामों का भ्रमण करें एवं बुखार से पीड़ित मरीज पाये जाने पर मलेरिया की जांच एवं आवश्यक औषधियां तत्काल उपलब्ध करावें । उप स्वास्थ्य केन्द्र कुतवार में ए.एन.एम. श्रीमती मंजू राजपूत , विट्टी भदौरिया एवं पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता डी.पी. गौड को अनुपस्थित रहने के कारण एवं उप स्वा. केन्द्र दतेहरा के पुरूष एवं महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता को कारण बताओं नोटिस जारी किये । डा. अतुल कर ने कहा कि मलेरिया से भयभीत होने की जरूरत नहीं है । सर्दी आने के साथ ही यह बीमारी स्वत: ही समाप्त हो जायेगी । मलेरिया से बचाव के लिए सोते समय पूरी बांह के कपडे पहने एवं मच्छरदानी का प्रयोग करें । गंदे पानी के गङ्ढों में मिट्टी के तेल का छिडकाव करें एवं नीम की सूखी पत्तियों को धुआं करें ।

 

महिला कृषकों का प्रशिक्षण 15 सितम्बर से

महिला कृषकों का प्रशिक्षण 15 सितम्बर से

मुरैना 6 सितम्बर 08/ कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण केन्द्र मुरैना में 15 से 17 सितम्बर तक महिला कृषकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया गया है । प्राचार्य के अनुसार विकास खण्ड कार्यालय सबलगढ़ में आयोजित इस प्रशिक्षण शिविर में 18 से 45 वर्ष तक की अनूसूचित जाति की 30 महिला कृषक भाग लेंगीं । ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से प्रशिक्षण हेतु महिला कृषकों के चयन की अपेक्षा की गई है ।

 

तीन लाख रूपये से होगा सी.सी. खरंजा निर्माण

तीन लाख रूपये से होगा सी.सी. खरंजा निर्माण

मुरैना 6 सितम्बर 08/ कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक श्री रामकिंकर गुप्ता ने मुरैना जनपद की ग्राम पंचायत हिंगोना के रामदीन का पुरा अनुसूचित जाति वस्ती में सीमेंट कांक्रीट  खरंजा निर्माण के लिए 3 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदाय की हैे । राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम म.प्र के तहत डेढ लाख रूपये तथा इतनी ही राशि लोक सभा क्षेत्र विकास निधि के संयोजन से स्वीकृत की गई है । कार्य की क्रियान्वयन एजेन्सी ग्राम पंचायत हिंगोना कलां रहेगी ।

       स्वीकृत कार्य में ठेकेदारों और बिचौलियों का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा तथा मजदूरों द्वारा किये जा सकने वाले कार्य में मशीनों के उपयोग पर रोक रहेगी । ग्राम स्तरीय निगरानी समिति के गठन के पश्चात ही कार्य प्रारंभ कराया जायेगा । कार्य पूर्ण होने के उपरांत उसके रख-रखाव की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की रहेगी । कार्य स्थल पर कार्य की जानकारी सूचना फलक पर देनी होगी और कार्य की विभिन्न अवस्थाओं के फोटो ग्राफिक अभिलेख रखे जायेंगे । मजदूरी का भुगतान बैंक खाते के माध्यम से किया जायेगा ।

 

पंचायत मंत्री ने ग्राम परीक्षा और पहाड़ी में नल-जल योजनाओं की आधार शिला रखी

पंचायत मंत्री ने ग्राम परीक्षा और पहाड़ी में नल-जल योजनाओं की आधार शिला रखी

मुरैना 6 सितम्बर 08/ पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रूस्तम सिंह ने गत दिवस मुरैना विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम परीक्षा और पहाड़ी में 45 लाख रूपये की लागत से नल-जल योजना की आधार शिला रखी । इस अवसर पर सर्व श्री कालीचरण कुशवाह, दुलारे सिंह, गंगाप्रसाद मावई, कार्यपालन यंत्री आर.ई.एस. श्री डी.एस. यादव, पी.एच.ई के सहायक यंत्री श्री के.आर.गोयल, मुरैना जनपद सीईओ श्री शिवप्रसाद सहित विभिन्न ग्रामों के सरपंच व बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे ।

       उल्लेखनीय है कि ग्राम परीक्षा में लगभग 26 लाख रूपये की लागत से बनने वाली इस नल-जल योजना से करीब साढ़े पांच हजार व्यक्ति लाभान्वित होंगे । इसके तहत दो स्कीम वोर करायें जायेगें और 120 किलो लीटर क्षमता की एक उच्च स्तरीय टंकी का निर्माण कराया जायेगा । इसी प्रकार ग्राम पहाड़ी की नल- जल योजना से लगभग ढाई हजार की जन संख्या लाभान्वित होगी । अभी 10 लाख रूपये की लागत से दो स्कीम बोर का खनन और दो पम्प हाउस की स्थापना की जायेगी । उच्च स्तरीय टंकी के निर्माण और पाईप लाइन विछाने के कार्य हेतु बीस लाख रूपये की योजना भी तैयार की गई है ।

       श्री रूस्तम सिंह ने कहा कि सड़क, पानी, बिजली को शासन ने प्राथमिकता दी है ग्रामीणों को सुविधा के लिए गांव- गांव में पक्की सड़कों का जाल विछाया जा रहा है और विद्युत व्यवस्था में सुधार हेतु जिले में विद्युत उप केन्द्रों के निर्माण के साथ ही पुराने तार बदलने का कार्य तीव्र गति से जारी है । उन्होंने कहा कि सिंचाई सुविधा को बेहत्तर  बनाने के लिए साढे चार सौ करोड़ रूपये के व्यय से चम्बल नहर प्रणाली के सुदृढीकरण के कार्य कराये जा रहे हैं । वर्षों से अंधेरे में डूबे गांवों में विद्युत पहुचाने के प्रयासों में गति लाई गई है और लगभग 90 करोड रूपये की योजनाओं पर तेजी से कार्य कराया जा रहा है ।

       इस अवसर पर श्री कालीचरण कुशवाह, श्री दुलारे सिंह ने भी अपने बिचार व्यक्त किये। 

 

मध्यान्ह भोजन के लिए आश्रम शालाओं को खाद्यान्न और राशि आवंटित

मध्यान्ह भोजन के लिए आश्रम शालाओं को खाद्यान्न और राशि आवंटित

मुरैना 4 सितम्बर 08/ आदिम जाति कल्याण विभाग की आश्रम शालाओं में माह सितम्बर और अक्टूबर में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु जिला संयोजक को 31 हजार 679 रूपये और 20 क्विंटल 05 किलो खाद्यान्न आवंटित किया गया है ।

       मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अभय वर्मा के अनुसार पोरसा में अनुसूचित जाति कन्या आश्रम को 2133 रूपये और एक क्विंटल 35 किलो खाद्यान्न तथा वेडिया कन्या आश्रम को 2133 रूपये और एक क्विंटल 35 किलो खाद्यान्न, अम्बाह के कन्या आश्रम को 3555 रूपये और सबा दो क्विंटल खाद्यान्न, बेडिया कन्या आश्रम को 1817 रूपये और 1 क्विंटल 15 किलो खाद्यान्न , दिमनी के कन्या आश्रम को 2133 रूपये और 1 क्विटल 35 किलो खाद्यान्न, मुरैना में नावली के आश्रम को 3555 रूपये और सबा दो क्विंटल खाद्यान्न , बानमोर के आश्रम को 2133 रूपये और 1 क्विंटल 35 किलो खाद्यान्न, बिचौला, जौरा , कैलारस और सबलगढ़ के आश्रम को प्रत्येक को 3555 रूपये और सबा दो क्विंटल खाद्यान्न का कोटा जारी किया गया है ।

 

मतदान केन्द्रो के पुनर्गठन संबंधी बैठक सम्पन्न

मतदान केन्द्रो के पुनर्गठन संबंधी बैठक सम्पन्न

मुरैना 4 सितम्बर 08/ कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री रामकिंकर गुप्ता की अध्यक्षता में आज मतदान केन्द्रों के युक्तियुक्त करण एवं पुनर्गठन संबंधी बैठक सम्पन्न हुई । बैठक में अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री उपेन्द्र नाथ शर्मा, विधायक श्री गजराज सिंह सिकरवार, विभिन्न राजनैतिक दलों के पदाधिकारी तथा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और तहसीलदार उपस्थित थे । बैठक में मतदान केन्द्रों के युक्तियुक्त करण एवं पुनर्गठन के संबंध में प्राप्त सुझावों एवं प्रस्तावों पर चर्चा की गई तथा मतदाताओं की संख्या मतकेन्द्र की दूरी, शासकीय भवन की उपलब्धता आदि के आधार पर निर्णय लिये गये ।

 

पौने उन्नीस करोड रूपये की स्वास्थ्य कार्य योजना अनुमोदित

पौने उन्नीस करोड रूपये की स्वास्थ्य कार्य योजना अनुमोदित

मुरैना 4 सितम्बर 2008/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता की अध्यक्षता में सम्पन्न जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में वर्ष 2008-09 की आर.सी. एस. / एन.आर.एच.एम. टीकाकरण, कुष्ठ एवं अंधत्व कार्यक्रम की पौने उन्नीस करोड़ रूपये की कार्य योजना का अनुमोदन किया गया ।

       इस वर्ष आर.सी.एच. कार्यक्रम में 12 करोड़ 36 लाख 86 हजार रूपये एवं एन.आर.एच.एम. में 5 करोड़ 93 लाख 98 हजार रूपये और टीकाकरण में 45 लाख 42 हजार रूपये की राशि व्यय की जायेगी । जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत 84 लाख 26 हजार की राशि स्वीकृत की गई । निर्माण कार्य हेतु जिला चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जौरा में नवीन प्रसव कक्ष के निर्माण कार्य के लिए 4 लाख रूपये प्रति सेन्टर के मान से राशि स्वीकृति की गई । राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत दो नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र खांडोली एवं करसण्डा के नवीन भवन के लिए 7.50 लाख रूपये की राशि प्रत्येक के मान से स्वीकृति की गई । रिठौरा एवं झुण्डपुरा उप स्वास्थ्य में भी प्रसव कक्ष के निर्माण के लिए राशि स्वीकृति की गई । स्वास्थ्य समिति की बैठक में तीन प्राथ. स्वास्थ्य केन्द्र देवगढ़, रिठौरा , परीक्षतपुरा के लिए एक करोड़ 18 लाख 10 हजार रूपये की राशि नवीन भवन के निर्माण के लिए स्वीकृति की गई । ए.एन.एम. प्रशिक्षण केन्द्र कैलारस के लिए भी 15 लाख रूपये की राशि स्वीकृति की गई । कुष्ठ कार्यक्रम के अन्तर्गत 2 लाख 14 हजार रूपये की राशि अनुमोदित की गई । अन्धत्व निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत मोतिया बिन्द एवं लैंस प्रत्यारोपण के आपरेशन करने हेतु कार्य योजना स्वीकृति की गई।

6 चिकित्सकों की पदस्थापना

       चिकित्सकों की कमी को पूर्ण किए जाने हेतु आर.सी.एच. कार्यक्रम के अंतर्गत संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें म.प्र भोपाल द्वारा 6 चिकित्सा अधिकारियों का आवंटन मुरैना जिले को प्रदाय किया गया । जिसमें से शिशु रोग विशेषज्ञ डा. दिनेश मैकने की पदस्थापना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सबलगढ़ पर एवं चिकित्सा अधिकारी डा. नवीन कुमारशाक्य एवं डा.अरविंद गर्ग की पदस्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सुर्जमा, डा. अतुल प्रताप सिंह तोमर की पदस्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केनद्र सुमावली , डा. शरद गर्ग की पदस्थापना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खडियाहार तथा डा. मनोज राजौरिया की पदस्थापना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पोरसा की गयी । इनके नियुक्ति आदेश जिला स्वास्थ्य समिति के अनुमोदन उपरांत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. जनार्दन अतुलकर द्वारा जारी कर दिए गये हैं ।

 

छात्रावास की वार्डन निलंबित : सहायक वार्डन पद से पृथक

छात्रावास की वार्डन निलंबित : सहायक वार्डन पद से पृथक

मुरैना 4 सितम्बर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के आरोप में कस्तूरवा गांधी वालिका विद्यालय रिठौराकलां की वार्डन श्रीमती अनीता अहिर को तत्काल प्रभाव से निलंवित तथा श्रीमती साधना पाण्डेय को सहायक वार्डन के पद से पृथक कर दिया है । उक्त कर्मचारियों के विरूध्द यह कार्रवाई अपने दायित्वों का ठीक ढंग से निर्वहन न करने तथा राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल के निर्देश के बावजूद रात्रि में बालिकाओं के साथ छात्रावास में विश्राम न करने के कारण की गई है । प्राथमिक विद्यालय एेंती विकास खण्ड मुरैना की श्रीमती ऊषा किरन लकड़ा को वार्डन की नियुक्ति होने या आगामी आदेश तक कस्तूरवा गांधी वालिका विद्यालय रिठौरा कलां की वार्डन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया  है ।

 

21वीं सदी के भारत का निर्माण स्कूलों में होगा : प्रधानमंत्री

21वीं सदी के भारत का निर्माण स्कूलों में होगा : प्रधानमंत्री

मद्रास विश्वविद्यालय की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री का भाषण

       प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह ने नवीनता के जरिए 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत का निर्माण हमारे शिक्षण संस्थानों की कक्षाओं के कमरों में होगा। इस अवसर पर दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है :

''इस महान विश्वविद्यालय की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल होकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। आज शिक्षक दिवस है। आज के दिन मद्रास विश्वविद्यालय के महान एवं विशिष्ट विद्यार्थी तथा शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर हम शिक्षकों को सम्मानित करते हैं। मैंने स्वयं अपने व्यावसायिक जीवन की शुरूआत विश्वविद्यालय शिक्षक के रूप में की थी, इसलिए आज यहां उपस्थित होकर मैं और भी गौरवान्वित तथा प्रसन्नचित हूं।

       मद्रास विश्वविद्यालय अपने में बेजोड़ है और हमारे महान राष्ट्रीय संस्थानों में से एक है। राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न पाने वालों में सात विभूतियां मद्रास विश्वविद्यालय की देन रही हैं। आपने दो नोबेल पुरस्कार विजेता तैयार किए हैं।  1930 में नोबेल पुरस्कार पाने वाले सर सी वी रमन और 1983 में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर एस चन्द्रशेखर इसी विश्वविद्यालय से सम्बध्द थे। अबेल पुरस्कार पाने वाले  श्री एस आर श्रीनिवास वर्धन भी चेन्नई से सम्बध्द रहे हैं और यह पुरस्कार भी गणित के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के समकक्ष है। आपके सैंकड़ों शिक्षक और विद्यार्थियों ने अपने-अपने क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। आपके विश्वविद्यालय ने कई अन्य विश्वविद्यालयों जैसे आंध्र विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय, मैसूर और केरल विश्वविद्यालयों के निर्माण में योगदान किया है। ये सभी तमिलनाडु राज्य के विशिष्ट विश्वविद्यालयों में शामिल हैं।

मैं आज यहां उन सभी स्त्री-पुरूषों का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने इस विश्वविद्यालय को ख्याति दिलाने में अपना योगदान किया है। पिछले वर्ष जब डॉ0 एस आर श्रीनिवास वर्धन को अबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, तो मैंने उन्हें पत्र लिखकर बधाई दी थी। यह पुरस्कार गणित में नॉबेल पुरस्कार के समकक्ष है। डॉ0 श्रीनिवास ने अपने विनम्र उत्तर में मुझे बताया था कि वे उस प्रारंभिक शिक्षा के ऋणी हैं जो उन्हें चेन्नई में स्कूल और कॉलेज स्तर पर मिली। इस प्रकार बीसवीं सदी के अनेक महान बुध्दिजीवी, अनेक वैज्ञानिक, अनेक प्रख्यात इंजीनियर, अर्थशास्त्री और अपने-अपने क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करने वाले स्त्री-पुरूष मद्रास विश्वविद्यालय के बारे में ऐसा ही मानते हैं। वे बड़ी निष्ठा के साथ कहते हैं कि मद्रास विश्वविद्यालय ने उन्हें बनाया है।

       मेरा हमेशा यह मानना रहा है कि विश्वविद्यालय एक महान क्षेत्र है जो हमें सत्य के लिए मानव मात्र की शाश्वत खोज का अवसर और स्वतंत्रता प्रदान करता है। इसलिए विश्वविद्यालय को अनिवार्य रूप से एक उदार संस्थान होना चाहिए। मैं आधुनिक विश्वविद्यालय के बारे में अपने प्यारे प्रधानमंत्री स्व0 जवाहर लाल नेहरू की धारणा को अक्सर उध्दृत करता रहा हूं। एक बार फिर इसे दुहराता हूं। पंडित जी ने 1947 में कहा था:

'कोई भी विश्वविद्यालय मानवतावाद, सहिष्णुता, औचित्य, प्रगति, साहसिक विचारों और सत्य की खोज के लिए काम करता है। वह उच्चतर उद्देश्यों की दिशा में मानव जाति के मार्च को आगे बढ़ाता है। अगर विश्वविद्यालय समुचित रूप में अपने कर्तव्य का पालन करते हैं, तो यह हमारे राष्ट्र और हमारे लोगों के प्रति एक नेक दायित्व का पालन है। किन्तु अगर शिक्षण के हमारे मंदिर स्वयं संकीर्ण कट्टरता और निहित स्वार्थों का केन्द्र बनेंगे तो कैसे राष्ट्र खुशहाल होगा या लोगों का स्तर कैसे उन्नत होग?

       भारतीय उपमहाद्वीप मानव सभ्यता के उदय के समय से ही शिक्षण की भूमि रहा है। इसने संस्कृत और तमिल जैसी महान और प्राचीन भाषाओं को जन्म दिया है। विज्ञान और गणित में शून्य तथा युग्मक (बाइनरी)  प्रणाली  जैसी महान अवधारणाओं का आविष्कार इसी धरती पर हुआ है। अनेक महान धर्मों का जन्म भी यहां हुआ, जो आज भी दुनिया भर में अपनाए जा रहे हैं। महान साहित्यकारों और कलाकारों का उदय भी इसी भारत भूमि पर हुआ। अगर हमारे पूर्वज शिक्षण की इस संस्कृति को पल्लवित एवं पुष्पित नहीं करते तो यह सब संभव नहीं था।

       अगर उस संस्कृति में कोई कमी थी, तो यह कि शिक्षा के अवसर हमारे सभी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं थे। आज हम उस कमी को दूर करने की स्थिति में आ गए हैं। आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि लोकतांत्रिक भारत अपने सभी नागरिकों तक शिक्षा और प्रशिक्षण के अधिकार का विस्तार करने के प्रति वचनबध्द हैं। आज एक देश के रूप में हम इस लक्ष्य के प्रति कृत संकल्प हैं कि हमारे समाज के सभी वर्गों की पहुंच शिक्षा तक होनी चाहिए। हमारी सरकार ने लोगों की शिक्षा अधिकारिता और देश में शिक्षा के विकास के क्षेत्र में एक नए चरण की शुरूआत की है। प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर तथा तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में जो निवेश हम कर रहे हैं, उससे आने वाले समय में हमारे देश का काया पलट होगा। हम सिर्फ शैक्षिक अवसरों के मात्रात्मक विस्तार पर नहीं बल्कि गुणात्मक विकास पर भी ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।

       हमारा लक्ष्य ऐसे भारत का निर्माण करना है जिसमें सभी बच्चे स्कूल में हो, सभी वयस्कों को विपणन योग्य कौशल में व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर मिले और हमारे सभी बच्चों को बौध्दिक उत्कृष्टता के अवसर प्राप्त हों।

       इन सभी प्रयासों में हमें बालिका शिक्षा और महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। सोनिया जी ने सभी महिलाओं की साक्षरता को शैक्षिक प्रयासों का आधार बनाने की आवश्कता पर बल दिया है। उनका मानना है कि ऐसा करने से चौहुमुखी सामाजिक और आर्थिक विकास पर अधिकतम प्रभाव पड़ेगा। तमिलनाडू ने महिलाओं की अधिकारिता की दिशा में हमें मार्ग दिखाया है। मैं चाहता हूं कि शेष भारत तमिलनाडू से सबक लें। महिलाओं की साक्षरता और बालिकाओं की शिक्षा की दर तमिलनाडू में अत्यंत प्रभावशाली हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि विद्वान और राजनेता मुख्यमंत्री डॉक्टर के करूणानिधि के प्रेरक नेतृत्व में तमिलनाडू राज्य सामाजिक और आर्थिक विकास की नयी उपलब्धियां हासिल करेगा।

       मैं सभी राजनीतिक नेताओं से अपील करता हूं कि वे देश के विकास में शिक्षा की केन्द्रीय भूमिका को समझें। दुर्भाग्य से हमारे सार्वजनिक प्रयासों का बड़ा हिस्सा अक्सर अल्पकालीन बाहरी समस्याओं और वर्तमान में उपलब्ध तक पहुंच पर केन्द्रित रहता है। हम वृध्दि और विकास के सवालों तथा अपने लोगों के लिए अवसरों के बहु आयामी विस्तार की चुनौती पर अधिक ध्यान केन्द्रित नहीं करते। विस्तार ऐसा होना चाहिए जो मानकों और नतीजों के साथ समझौता न करें लेकिन सभी प्रतिभाशाली बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करे।

       विश्वविद्यालय को विद्वानों और शिक्षकों का केन्द्र कहा जाता है। आज के दिन मैं शिक्षा संस्थानों और वास्तव में वृहत् राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों की केन्द्रीय भूमिका का स्मरण अवश्य कराना चाहूंगा। शिक्षक संचालक होता है।  हमें अपने विश्वविद्यालय में सर्वोत्कृष्ट प्रतिभाओं को आकर्षित करने की आवश्यकता है, जैसा कुछ अन्य देश कर रहे हैं। हमें दुनिया भर से ऐसे शिक्षकों को आकर्षित करना होगा। हमें ऐसे तौर-तरीके अपनाने होंगे ताकि विदेश में रह रही प्रतिभाशाली भारतीय हमारे ज्ञान के संस्थानों में वापस आयें।

       मैं इस अवसर पर राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के अधिकारियों तथा इस सुंदर शहर चेन्नई को प्यार करने वालों को इस बात के लिए बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने कुछ विश्वविद्यालय भवनों की पुरानी गरिमा बहाल रखने में योगदान किया है। अपने शहर और इसके ऐतिहासिक भवनों पर आपको जो गर्व है उससे देश के अन्य शहरों को प्रेरित होना चाहिए कि वे अपनी बहुमूल्य वास्तुकला विरासत की रक्षा करें।

       मैं इस अवसर पर आप सबको भावी प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं। मैं चाहता हूं कि आप सभी समग्र और नवीन भारत के निर्माण में योगदान करें ताकि भारत एक बार फिर उभरती हुई वैश्विक राजनीति के प्रमुख केन्द्र के रूप में उभरे। आज हमारा देश जिन रचनात्मक सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है उससे आप सभी अवश्य रू-ब-रू हो रहे होंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप उत्कृष्टता को बढ़ावा दें क्योंकि हमारा राष्ट्र 21वीं सदी को भारतीय सदी बनाने के लिए आपकी रचनाशीलता पर निर्भर है। 21वीं सदी पर भारत के निर्माण हमारे शिक्षा संस्थानों की कक्षाओं के कमरों में होगा और उससे भारत और विश्व दोनों का पुननिर्माण होगा। मैं आपके प्रयासों में आपकी सफलता की कामना करता हूं।

 

 

राष्ट्रपति ने शिक्षक समुदाय से ज्यादा पेशेवर रवैया, प्रतिबध्दता और समर्पण दिखाने का आह्वान किया

राष्ट्रपति ने शिक्षक समुदाय से ज्यादा पेशेवर रवैया, प्रतिबध्दता  और समर्पण दिखाने का आह्वान किया

राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार वितरित किए

       हमारे जीवन को आकार देने और निर्देशित करने में शिक्षकों की महती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने कहा कि 'शिक्षक हमारी शिक्षा पध्दति के हृदय में हैं। शिक्षकों की शिक्षा का पुनरूध्दार तथा शिक्षण व्यवसाय के प्रति आदर को प्रोत्साहित किये बिना शिक्षा से संबंधित हमारी चुनौतियों से निबटने का कोई उचित तरीका नहीं है।' विज्ञान भवन में आज शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार-2007 देते हुए श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने कहा कि एक अच्छा शिक्षक वही है जो ज्ञान को इस तरह से बांटे जिससे कि विषय की बुनियादी बाते विद्यार्थियों के दिमाग में घुलमिल जाये। राष्ट्रपति ने कहा कि एक बढिया शिक्षक अच्छे से पढाता है, परंतु एक श्रेष्ठ शिक्षक विद्यार्थी में मानवीय मूल्यों को इस तरह से डालता है जो जीवन भर दिशानिर्देशक की तरह याद रहता है।

       श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने यह भी कहा कि हम सदियों से जिस ज्ञानयुक्त समाज में रह रहे हैं भारत को उसका भी लाभ उठाना चाहिए।  उन्होंने कहा कि इसके लिये ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो सक्षम, अन्वेषी तथा कार्य की बेहतर पध्दति की तलाश के बारे में सोचने वाले हों। एक शिक्षक प्रशिक्षुओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से ज्ञान के निर्माण की सुविधा विकसित कर सकता है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनकी ऐसी सोच है कि शिक्षा पध्दति में बदलाव के लिये शिक्षक समुदाय को बेहतर पेशेवर रवैया, प्रतिबध्दता और समर्पण दिखाना चाहिए।

       इस अवसर पर राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए केन्द्रीय विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता राज्य मंत्री श्री एम.ए.ए.फातमी ने देश में शिक्षा का स्तर बढाने के लिए भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में प्रकाश डाला तथा पूरे भारत में सभी संभव तरीके से इसके प्रसार के बारे में बताया। उन्होंने शिक्षक समुदाय की सराहना करते हुए कहा कि न सिर्फ विद्यार्थी बल्कि हमारा पूरा समाज देश की निस्वार्थ सेवा करने वाले हमारे शिक्षकों का सम्मान करता है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती डी.पुरनदेश्वरी देवी ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।

       प्रतिभाशाली विद्यालय शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता देने के लिये भारत के राष्ट्रपति द्वारा हर साल 5 सितम्बर को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। इस साल कुल मिलाकर 320 शिक्षकों को नामांकित किया गया है। इनमें से 82 महिला शिक्षिका हैं। 9 शिक्षकों को संस्कृत श्रेणी में तथा 5 को मदरसा में पढाने के लिये नामांकित किया गया है। 13 शिक्षक विशेष वर्ग से चुने गये हैं यानि इनमें वे शिक्षक आते हैं जो या तो विकलांग हैं या फिर सम्मिलित शिक्षा को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पुरस्कार के अंतर्गत चांदी का एक पदक, 25 हजार रूपये और प्रमाण पत्र जाता है।

राष्ट्रपति का पूरा अभिभाषण इस प्रकार है-

       हमारे द्वितीय राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृणन की जयंती भारत में हर वर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनायी जाती है। इस दिन हम महान विद्वान और शिक्षाविद तथा इस महान पेशे का सम्मान करते हैं। इस अवसर पर हम शिक्षकों की भूमिका और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की सराहना भी करते हैं। इस दिन, हम रा­ष्ट्र के अपने उन शिक्षकों को नमन करते हैं जो वर्ष दर वर्ष शहरों, नगरों, गाँवों और धूल भरे रेगिस्तानों, तटीय क्षेत्रों और हमारे उच्च पर्वतों पर स्थित स्कूलों में कष्ट सहकर विद्यार्थियों को पढाते हैं। मैं प्रशंसनीय और नि­ष्ठापूर्ण कार्यों के लिए पुरस्कार विजेता सभी शिक्षकों को बधाई देती हूँ।

       शताब्दियों से भारत शिक्षण और विद्वतापूर्ण परम्परा वाली सभ्यता के रूप में जाना जाता है। हजारों वर्ष  पूर्व जब विश्व के अन्य हिस्सों में व्यवस्थित शिक्षा के महत्व को लोग जानते भी नहीं थे, उस समय हमारे गुरूकुलों में शिक्षक छोटे बच्चों को ज्ञान देने के साथ-साथ उनकी मनोवृत्ति, अभिरुचि और योग्यता का अवलोकन करते थे। हमारी परम्परा में शिक्षकों को बहुत ऊंचा स्थान दिया गया है, क्योंकि वे विद्यार्थियों को अज्ञान के अंधेरे से निकाल ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं और साथ ही उन्हें आजीविका कमाने में सहायक कुशलताओं मे भी निपुण बनाते हैं।

       हजारों वर्ष पूर्व भी हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली न केवल अपने समय से बहुत आगे थी बल्कि हमारे विश्वविद्यालयों की ख्याति भी पूरी दुनिया में फैली हुई थी। पाश्चात्य जगत में विश्वविद्यालयों की स्थापना से शताब्दियों पहले ही नालंदा, विक्रमशिला और नागार्जुनकोण्डा जैसे विश्वविद्यालय शिक्षा के ऐसे केन्द्र थे, जिनमें विदेशों से विद्यार्थी पढने क़े लिए आया करते थे।

       शिक्षा की इस महान परंपरा को जारी रखना अब हमारी जिम्मेदारी है। हमारे शिक्षक अक्सर बेहद विषम परिस्थितियों में रहकर यह जिम्मेदारी निभाते हैं। वे नई पीढी क़ो दुनिया से मुकाबला करने के लिए तैयार करके, व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की अमूल्य सेवा करते हैं। हम सभी को याद रखना चाहिए कि शिक्षा नैतिक मूल्य प्रदान करने वाला ऐसा माध्यम है, जो सामाजिक बदलाव लाता है। वह शिक्षक ही होता है जो बाहरी दुनिया का परिचय करवाता है और युवा विद्यार्थियों के विचारों को सँवारता है।

       निस्संदेह  श्रेठ शिक्षक इस प्रकार से ज्ञान प्रदान करता है कि विषयों  की बुनियादी बातें विद्यार्थियों के मन की गहराई में बैठ जाती हैं। एक अच्छा शिक्षक अच्छी तरह पढाता है लेकिन एक बेहतर शिक्षक बच्चों में ऐसे मानवतावादी मूल्यों का संचार करता है जो जीवनभर उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं। ये मूल्य कौन से हैं ? मेरा मानना है कि वे हैं, ईमानदार बनना और ईमानदारी से काम करना, माता-पिता, बुजुर्गों और सभी का सम्मान करना तथा यह सीखना कि प्रत्येक व्यक्ति के अलग-अलग विचार होते हैं और विचारों की इस भिन्नता को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए। यदि यहाँ उपस्थित सभी शिक्षक अपने विद्यार्थियों में इन सिध्दान्तों को डाल दें तो हम सहनशीलता की भावना और अनेकता में एकता के बीच फलफूल रहे अपने लोकतंत्र और राष्ट्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक लम्बा कदम बढा सकते हैं। यह तभी संभव है जब सच्चे अर्थों में विकसित मानवीय मूल्यों से युक्त पीढी हमारे रा­ष्ट्र को ताकतवर बनाए।

       भारत को वर्तमान ज्ञानपूर्ण समाज का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए ऐसे लोगों की जरूरत है जो योग्य हों, नवान्वेषी  हों और जो कामकाज के बेहतर और उन्नत तरीके ढूंढने की आकांक्षा रखते हों। एक शिक्षक विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी के जरिए ज्ञान हासिल करने के काम को आसान बना सकता है, जैसा कि एक पुरानी कहावत में विद्यार्थी कहता है:

       मुझसे कहोगे तो मैं भूल जाऊँगा,

       मुझे दिखाओगे तो शायद मैं याद रखूँ,

       मुझे शामिल करोगे तो मैं समझ जाऊँगा।

       सक्रिय भागीदारी में जिज्ञासा, खोज, वाद-विवाद, प्रयोग और ऐसा चिन्तन शामिल होता है जिससे विचार पैदा होते हैं, जो बाद में व्यवहार में उतारे जाते हैं। निरंतर सीखने वाला शिक्षक उस दीपक की भांति होता है जिसकी लौ दूसरों को भी प्रदीप्त करती रहता है। डब्ल्यू.वी.यीट्स ने सही कहा है, न्नशिक्षा पानी भरना नहीं है बल्कि एक आग को सुलगाना है । न्न एक शिक्षक को युवा मन में इस प्रकार से जिज्ञासा जगानी चाहिए कि उसमें जीवनभर ज्ञान हासिल करने की भूख पैदा हो और वह दुनिया को और सौहार्दपूर्ण स्थान बनाने की अभिलाषा से भर जाए । इसके अलावा, ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में निरंतर बढ रही स्पध्र्दा का सामना करने के लिए नई पीढी क़ो शिक्षा द्वारा पूरी तरह लैस करना चाहिए और उन्हें जीवन की सबसे निचले स्तर की सच्चाइयों से वाकिफ करवाना चाहिए ताकि वे सहृदय बनें और कमजोर वर्गों के अपने भाई-बंधुओं के लिए उनके मन में सहानुभूति पैदा हो ।

       शिक्षक, शिक्षा प्रणाली का केन्द्र होते हैं। शिक्षकों के ज्ञान को पुन: सशक्त बनाने और शिक्षण कार्य के प्रति सम्मान पैदा किए बिना शैक्षिक चुनौतियों से निपटने का और कोई व्यावहारिक उपाय नहीं है । गांधी जी ने ठीक कहा है, न्न विद्यार्थियों और शिक्षकों - दोनों के मस्तिष्क को अवरूध्द नहीं करना चाहिए । न्न शिक्षकों का कौशल बढाने के लिए निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए । मुझे बताया गया है कि 11वीं योजना में शिक्षक ज्ञान के ढांचे को मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, इन प्रयासों का पूरी तरह अमल में लाना चाहिए । सरकार ने, संसाधनों के आदान-प्रदान और सहयोगी अनुसंधान को बढावा देने के लिए, इलैक्ट्रोनिक डिजिटल ब्रॉडबैंड नेटवर्क के जरिए सभी ज्ञानपूर्ण संस्थाओं को आपस में जोड़ने हेतु राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की एक महत्वपूर्ण सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया है । इसी प्रकार, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने शिक्षकों और शिक्षा प्रशासकों के कौशल विकास के अवसर उपलब्ध करवाए हैं । आज, मैंने शिक्षकों के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल का शुभारंभ किया है । इसका मकसद ज्ञान अर्जित करने, सर्वोत्तम प्रयोगों और अनुभवों को आपस में बांटने और शिक्षकों के मजबूत नेटवर्क के निर्माण के लिए एक मंच प्रदान करना है । मैं शिक्षकों का आह्वान करती हूं कि वे अपने अध्यापन कौशल और पध्दति को नवीनतम बनाने के लिए इस पोर्टल का सार्थक इस्तेमाल करें ।

       शिक्षकों के शिक्षा कार्यक्रमों में सुधार लाने और उन्हें मजबूत बनाने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में उत्तम शिक्षा उपलब्ध करवाने की भी जरूरत है । हमारे ग्रामीण विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं और गुणी अध्यापकों की अनुपलब्धता रहती है । मुझे खुशी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नवोदय विद्यालय ग्रामीण प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं । इसके अलावा, रिहायशी इलाकों की कमजोर वर्ग की कन्याओं को उत्तम शिक्षा प्रदान करने के लिए शैक्षिक तौर से पिछड़े प्रखंडों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की स्थापना की गयी है ।

       सर्व शिक्षा अभियान, सबके लिए प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है, इसमें पिछड़े वर्गों के बच्चों की शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है । अनेक प्रयासों के फलस्वरूप, पढार्ऌ बीच में छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है । शिक्षा की गुणवत्ता सुधारते हुए माध्यमिक विद्यालयों के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान नामक एक कार्यक्रम आरम्भ किया जा रहा है । शिक्षकों के ज्ञान में सुधार और क्षमता निर्माण सहित अनेक प्रयासों के जरिए आसपास के स्कूलों की गुणवत्ता में तेजी लाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में, कम से कम एक विद्यालय की स्थापना करते हुए, 6000 नए उच्च गुणवत्ता वाले मॉडल स्कूल खोलने की योजना है ।

       सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों से हमारे स्कूलों का शिक्षा और शिक्षण माहौल बदलने की संभावना है । संचार माध्यमों विशेषकर कम्प्यूटर और टेलीविजन के लगातार इस्तेमाल से स्कूलों और घरों में आपसी बातचीत के इलेक्ट्रोनिक माहौल का निर्माण होगा । इसके लिए स्पध्र्दात्मक और व्यक्तिगत शिक्षण के स्थान पर सहकारी और सहयोगी शिक्षण की जरूरत पड़ेगी । भविष्य में कक्षाएं सहयोग, सृजन, अन्वेषण और समाधान पर आधारित होंगी ।

       मुझे उम्मीद है कि हमारा शिक्षण समुदाय शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए अधिक दक्षता, निष्ठा और समर्पण से कार्य करेगा । शिक्षण, केवल पाठ तैयार करना या सामूहिक परिणाम हासिल करने के लिए बनी बनाई जानकारी देना ही नहीं है । इसमें बच्चों में विचारशीलता पैदा करने और सीखे गए विषयों को आजमाने की प्रक्रिया भी शामिल होनी चाहिए । इसलिए, मैं चाहूंगी कि शिक्षकों को न्नसूचना न्न प्रदान करने की पारंपरिक भूमिका के स्थान के न्ननिष्कर्षक  और न्न मार्गदर्शक न्न की भूमिका निभानी चाहिए। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि वे यह भी सुनिश्चित करे कि विद्यार्थियों का विश्व-नागरिक बनाते समय हमारी महान सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे ।

       एक बार फिर, मैं पुरस्कार विजेता शिक्षकों को अपनी बधाई और शिक्षक समुदाय को शुभकामनाएं देती हूं तथा उनके कार्यों के सफल होने की कामना करती हूं ।