मंगलवार, 29 मार्च 2022

Gwalior Times Live Morena Detailed News ग्वालियर टाइम्स लाइव मुरैना विस्तृत समाचार

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आय प्रमाण पत्र नहीं बनाने पर मुरैना कलेक्टर , एस डी एम और तहसीलदार मुरैना के खिलाफ मुरैना न्यायालय में मामला पेश

Posted: 14 Feb 2022 09:54 AM PST

  

आय प्रमाण पत्र नहीं बनाने पर मुरैना कलेक्टर , एस डी एम और तहसीलदार मुरैना के खिलाफ मुरैना न्यायालय में मामला पेश
*** मुरैना में तहसीलदार मुरैना, एस डी एम मुरैना , कलेक्टर मुरैना तथा मुख्य सचिव म प्र शासन के विरूद्ध आय प्रमाण पत्र नहीं बनाने के कारण सी जे एम कोर्ट में हुआ मामला पेश , दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की की गई है मांग साथ ही म प्र लोकसेवा प्रदान गारंटी अधिनियम के तहत पैनल्टी और प्रतिकर दिलाने की की गयी है मांग , सी जे एम मुरैना ने मामला न्यायालय में सुनवाई में लिया , मामला शनिवार को ई कोर्ट से फाइल किया गया था जिसकी सुनवाई आज सोमवार को हुई ।
उल्लेखनीय है कि म.प्र; लोकसेवा प्रदान गारंटी अधिनयम के तहत आय प्रमाण पत्र जारी करने की एक सुनिश्चित प्रक्रिया और प्रावधान है , जिसके तहत आवेदक स्व घोषित घोषणापत्र देकर आय प्रमाण पत्र बनवाता है । जिसके तहत 3 काय्र दिवस के भीतर आय प्रमाण बना कर आवेदक को देना अनिवार्य है , मगर तहसीलदार मुरैना ने आय प्रमाण पत्र जारी करने के बजाय आवेदक का आवेदन ही निरस्त कर दिया , इस पर आवेदक ने मुख्य सचिव म.प्र. शासन तथा मुख्यमंत्री म.प्र. शासन को उसी दिन ही शिकायत सह अपील कर दी , जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय ने दूसरे दिन ही कलेक्टर मुरैना को मय मूल आवेदन तथा समस्त दस्तावेजों सहित सौंप दिया ओर कार्यवाही करने के आदेश दिये , मगर कलेक्टर मुरैना ने डेढ़ महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की , इस संबंध में आवेदक ने उसी दिन ही एक शिकायत म .प्र की सी एम हेलपलाइन पर भी दर्ज कराई , उस पर भी डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी ओर न कोई जवाब दिया गया । इस पर आवेदक पीड़ित व व्यथित होकर न्यायालय में चला गया और आई पी सी की धाराओं 166 तथा 166 (क) के तहत एफ आई आर दर्ज कराने की मांग न्यायालय से की तथा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पैनल्टी से प्रतिकर दिलाये जाने की मांग की । उल्लेखनीय है कि ऐसी पैनल्टी / प्रतिकर की वसूली अपचारी व कदाचारी शासकीय अधिकारी के वेतन और पेंशन से की जाती है तथा उसकी सर्विसबुक में विपरी टीप अंकित की जाती हे । धारा 166 सरकारी ड्यूटी नहीं करने / पूरी नहीं करने , डृयूटी में फैलुअर रहने पर तथा 166 (क) सरकारी अधिकारी के विधि / कानून / प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर दर्ज की जातीं हैं जिनके तहत कारावास और जुर्माना दोनों से ही सरकारी अधिकारी को दंडित किया जाता है । पुलिस द्वारा एफ आई आर दर्ज नहीं किये जाने पर भी यही धारायें पुलिस कर्मियो पर लगाईं जातीं हैं , इसके साथ ही धारा 217 भी लाई जाती है ।
( ग्वालियर टाइम्स )

20 साल तक हाईकोर्ट के आदेश पर हुई एफ आई आर की केस डायरी कोर्ट से चुराकर भागी पुलिस , दुबकाये रही और सबूत फाड़ फाड़ कर फेंकती रही मुरैना पुलिस, मुख्यमंत्री ने लिया एक्शन , कलेक्टर मुरैना को दिये मामले में कार्यवाही के आदेश

Posted: 14 Sep 2021 03:19 PM PDT

               
मुख्यमंत्री ने की कार्यवाही 

 मुरैना 15 सितंबर ( ग्वालियर टाइम्स ) लगातार 20 साल तक कोर्ट और कानून की ऑंखों में धूल झोंक कर भारी भरकम रिश्वत और भ्रष्टाचार की विष्ठा खा रहे और सरकारी धन के गबन और जालसाजी तथा कूटरचना सहित हरिजन एक्ट और डकैती के आरापियों को बचाने में एक के बाद एक पुलिसिये सिलसिलेवार लगे हुये थे और खुलेआम कानून और पुलिस महकमे को चैलेंज कर रहे थे कि पकड़ के दिखाओ , अंतत: कानूनी कार्यवाही की जद में बीस साल बाद आ ही गये । 

नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनंद'' एडवाकेट 

अपने ही कर्मों से आये पकड़ में खाकी की आड़ में छिपे रिश्वतखोर चोर 

20 साल पहले सिटी कोतवाली मुरैना में एक एफ आई आर दर्ज हुई थी , जिसका चारों ओर अखबार में बड़ा भारी प्रचार और शोर था । मामला एक ऐसे जिला शिक्षा अधिकारी से जुड़ा था जो सबसे खौफनाक और दहशत का दूसरा नाम माना जाना और समझा जाता था , जिसके नाम की तूती बोलती थी भोपाल से लेकर कमिश्नर चंबल और कलेक्टर मुरैना तक उसे गुड मार्निंग सर बोला करते थे , पूरी पुलिस और पुलिस अधिकारी जिसकी सेवा और चमचागिरी किया करते थे । 

उसकी दहशत और खौफ इतना था मुरैना जिला में उस वक्त कि पोरसा से श्योपुर तक जिस भी सड़क या राह पर वे निकल जाते उसी तरफ के स्कूलों में कर्फ्यू लग जाता था , 800 से ज्यादा स्कूलों के अनुदान उनने मात्र एक झटके में केवल एक प्रतिवेदन देकर बंद करा दिये । स्कूल की और स्कूल संचालकों  , स्कूल स्टाफ के परिवारों की हालत खस्ता कर दी , भुखमरी फैला दी , बेरोजगारी के साथ भुखमरी से जूझ रहे स्कूलों पर उनका एक और कहर टूूूटा जो कि सन 1996 में शुरू हुआ और वह था फर्जी छात्रवृत्ति कांड , 1996 - 97 में उनने दौड़ते हांफते कुल 42 एफ आई आर छात्रवृतति कांड की दर्ज करा दीं , जिनकी बाद में संख्या बढ़कर 46 हो गयी । 

शिक्षा विभाग मुरैना के बाबूओं से लेकर सरकारी शिक्षकों , बी ई ओ , आदिम जाति कल्याण विभाग के बाबूओं , अफसरों सहित प्राइवेट स्कूलों की संस्थाओं , अध्यक्षों , सचिवों की नामजद एफ आई आर दर्ज हुई ,प्रायवेट स्कूलों के स्टाफ  खिलाफ भी दर्जनों नामजद हुये , एक एफ आई आर में औसतन 6-7 लोग अभियुक्त बनाये गये । 

आखिर एक जगह एक एफ आई आर में संयोगवश किसी तहसीलदार ने एफ आई आर फर्जी छात्रवृत्ति की दर्ज कराई उसमें उनको भी नामजद मुलजिम बना दिया , वहीं से हंगामा उठ खड़ा हुआ , उन्होंने सीधे कलेक्टर मुरैना को पत्र लिखा , राजपत्रित अधिकारी संघ के नाम और लेटरपेड का भी सहारा लिया गया , खैर ये सोचने का विषय बना कि जिसने सैंकड़ों भले शरीफों को मुलजिम बना कर एफ आई आर दर्ज करा दीं , जब मात्र एक एफ आई आर में उसका नाम नामजद हुआ तो वह बुरी तरह से बौखला गये और अपना नाम झूठा जोड़े जाने तथा हटाये जाने हेतु न केवल कलेक्टर को पत्र लिखा बल्कि धुंआधार दवाब भी डाला , कलेक्टर ने उनके पत्र के ऊपर पत्र लिखा तथा पत्र में लिखा कि फर्जी छात्रवृत्ति के मामलों में झूठे नाम जोड़े  जाने की शिकायतें मिल रही हैं , किसी का भी झूठा नाम नहीं जोड़ा जाये , और अगर किसी का झूठा  नाम जोड़ा गया है , उसे हटाया जाये । 

संयोग से यह दोनों पत्र उनके भी और उनके भी हम तक किसी तरह से पहुंच गये । हमने इसे ही अपना प्वाइंट ऑफ एक्शन बनाया और लाइन ऑफ एक्शन में बुनियाद तैयार कर ली , खैर समय रहते इसे भी अन्य साक्ष्यों के साथ हाई कोर्ट में पेश किया गया । मगर इतना अवश्य हुआ कि जैसे ही एक एफ आई आर में उनका नाम आया , उसी दिन से मुरैना जिले में फर्जी छात्रवृत्ति कांड की  एफ आई आर दर्ज होना बंद हो गयीं । 

इन एफ आई आर में खैर होना जाना क्या था , पुलिस वालों को जब भी लाली लिपिस्टिक और चुनरी कुर्ता साड़ी ब्लाउज की जरूरत होती , किसी न किसी नामजद के यहॉं दविश डालने पहुंच जाते और दो चार हजार झटक कर उसे ठांस कर हडका भी आते कि आगे से सावधान रहना , साहब तेज और जल्दी कार्यवाही करने और तुम्हें अरेस्ट करने की कह रहे हैं । सो ध्यान रखना , पुलिस के लिये इन भले शरीफ मुलजिमों का चारों ओर समंदर भरा पड़ा था , सो सब थाने अपने अपने खर्चे के प्रति निश्चिंत थे । सब ठीक ठाक चल रहा था , लेकिन हर कहानी में पूर्ण विराम अवश्य ही एक दिन आता है । सो परेशान लोगों ने एक दिन हमारा दरवाजा खटखटा दिया , सबूतों के जखीरे लाकर पटक दिये हमारे सामने । औ हमने उस दहशत और खौफ का न केवल मुरैना जिला से अंत कर दिया बल्कि उन्हें पद से भी हटवा कर उनके मूल पद सहायक संचालक पर वापस पहुंचा दिया । बस इतनी सी कहानी है इस खास खबर की । 

इतने बड़े मुलजिम के अपराध भी काफी बड़े बड़े थे ,सो इतना सब आसान नहीं था , ऊपर से नीचे तक कोई भी अफसर , नेता , प्रशासन और पुलिस कोई भी न तो उसके खिलाफ सुनता था और न ही कोई कार्यवाही करता था । उस समय मोबाइल फोन और इंटरनेट वगैरह कुछ नहीं चलते थे सब काम मैनुअल ही होता था , बस इतना अच्छा था कि उस समय लॉकडाउन नहीं होता था  । 

थाने में उसके खिलाफ करीब 30-40 अपराधों के लिये एफ आई आर दर्ज करने का आवेदन दिया गया  , पुलिस अधीक्षक मुरैना को धारा 154(3) में भी आवेदन दिया गया , पावती ली गयी , वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों को सभी को आवेदन दिया गया , मगर किसी ने नहीं सुनी , न तो एफ आई आर दर्ज  की और न कोई कार्यवाही ही की , जिला न्यायालय मुरैना में भी परिवाद लगाया गया , उसे भी नहीं सुना गया । आखिकार ग्वालियर हाईकोर्ट में द प्र सं की धारा 482 के तहत याचिका लगी क्रमांक 1216/2001 , जैसे ही हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक मुरैना को , सी एस पी मुरैना और टी आई सिटी कोतवाली मुरैना को नोटिस जारी कर तलब किया , वैसे ही पुलिस तुरंत हरकत में आ गयी और मूवमेंट शुरू हो  गया , एस पी ने जांच की , अंतत: हाईकोर्ट ने उनके प्रतिवेदन और केस डायरी के आधार पर पुलिस अधीक्षक मुरैना के नाम आदेश जारी किया , कि एस पी सारे मामले को स्वयं खुद देंखें , एफ आई आर दर्ज करें , विवेचना करें और न्यायालय में रिपोर्ट ( प्रतिवेदन धारा 173 द प्र सं ) पेश करें । 

आखिर रातों रात सिटी कोतवाली मुरैना में पुलिस अधीक्षक के पत्र सहित एफ आई आर दर्ज की गयी , उस दिन तारीख थी 20 सितंबर 2002 , और दर्ज हुई एफ आई आर का नंबर था क्राइम नंबर 663/02 । इसकी कायमी की जानकारी मिलते ही उनके समर्थक और संरक्षक पुलिस वाले कोतवाली छोड़कर भाग निकले और उनने जाकर उनसे क्या मरसिये बांचें यह तो पता नहीं । एफ आई आर की पहली लाइन में ही पुलिस ने लिखा कि '' अपराध सिद्ध पाये जाने से यह एफ आई आर दर्ज की गयी '' 

इतने सबके बावजूद ऐन दो तीन महीने बाद भ्रष्ट और रिश्वत के अंधे टी आई ने उसमें खात्मा रिपोर्ट काट कर सी जे एम कोर्ट मुरैना में पेश कर दी , वहां सी जे एम ने टी आई को बुरी तरह से लताड़ लगाकर फटकारा और खात्मा रिपोर्ट वापस कर दी तथा अपराध की और विवेचना व अनुसंधान के आदेश दिये तथा हिदायत देते हुये कहा कि जब भी इसकी रिपोर्ट पेश करने आओ तो फरियादी और गवाहों को साथ लेकर आना उनके यहां न्यायालय में कथन / गवाही होगी उसके बाद ही आपकी किसी रिपोर्ट पर विचार किया जायेगा । 

बस तबसे यह केस पुलिस के पास आज तक लंबित पड़ा है । सरकारी धन के गबन , कूटरचना  जालसाजी , फर्जीवाड़े की धारायें तो इसमें पहले से दर्ज हैं 409, 420, 467, 468 , 471, 472 जैसी धारायें तो एफ आई आर 663/02 में कायमी दिनांक से ही अंकित हैं , मगर 80 मुलजिमों में से पुलिस आज दिनांक तक एक भी मुलजिम न तो पकड पाई और न गबन का पैसा सरकार को वापस दिला पाई और न गबन करने वालों को पकड़ पाई । उल्टे इस एफआई आर की केस डायरी कोर्ट से चुरा कर दुबकाती छिपाती और साक्ष्य सबूत नष्ट करने में लगी रही , हाईकोर्ट का आदेश , पुलिस अधीक्षक की मश्क्कत सबकों अपने जूतों तले रौंद कर रख दिया । 

अब मूल खबर पर आते हैं - ताजा वर्तमान मामला क्या है 

हुआ  कुछ यूं कि सन 2017 में इस केस एफ आई आर क्रमांक 663/02 का मामला न्याय विभाग ( विधि एवं कानून मंत्रालय ) भारत सरकार ने अपने स्थानीय न्यायबंधु ( प्रोबोनो लीगल सर्विसेज ) को सौंप दिया और इस पर पुलिस प्रशासन तथा न्यायालयों में , उच्च न्यायालय आदि में कार्यवाहीयां , ड्राफ्टिंग , पेश करना , लड़ना मुकदमा करना आदि सौंप कर अधिकृत कर दिया । न्यायबंधु ने सारे दस्तावेज और केस के इतिहास खंगाले , कड़ी से कड़ियां जोड़ीं , मामले की गंभीरता समझी और मामले में संज्ञान लेकर कार्यवाहीयां शुरू कीं । 

पता चला कि इस केस की कस डायरी में अंतिम अनुसंंधान और विवेचना सी आई डी ब्यूरो ग्वालियर द्वारा की गयी , 37 साक्षियों के कथन/ बयान ग्रहण किये गये , सरकारी धन के गबन की 5 मूल फाइलें जप्त की गयीं , द प्र संं की धारा 173 में चालान पेश करने की तैयारी सी आई डी आफिसर एम के शर्मा द्वारा की जा रही थी , उन्हें 15 लाख रूपये का ऑफर किया गया था केस बंद करने के लिये , उन्होंने इंकार कर दिया , उसी समय उनकी संदिग्ध परिस्थितयों  में मृत्यु हो गयी , न्यायबंधु ने अपने प्रतिवेदन में इसे हत्या किया जाना करार दिया । मृत्यु से पूर्व सी आई डी आफिसर एम के शर्मा ने केस की स्टेटस रिपोर्टें हस्तलिखित रूप में जिला एवं सत्र न्यायालय मुरैना में प्रस्तुत कीं , जिनकी प्रमाणित प्रतियां न्यायबंधु ने कोर्ट से हासिल कीं । 

न्याय बंधु ने सी एम हेल्पलाइन पर अनेक शिकायतें इस अपराध संख्या 663/02 के बारे में की तथा पुलिस को संभलने और त्रुटि सुधार के अवसर दिये , बार बार पुलिस द्वारा सी एम हेल्पलाइन को जाली व फर्जी कूटरचित उत्तर भेज कर शिकायतों को फोर्सली क्लोज कराया गया , केस अलाटमेंट की जानकारी गोपनीय रखते हुये , कानून विरूद्ध और अपराधीयों के संरक्षकों की पहचान का क्रम जारी रखा और खास सबूत की तलाश जारी रखी जिससे इन पुलिसकर्मियों का भांडाफोड मय सबूत किया जा सके । 

पुलिसकर्मियों ने अपने हर जवाब में एक खास प्रकरण का जिक्र किया जिसमें न्यायबंधु पहले से ही कोर्ट द्वारा म.प्र. शासन के साथ पिटीशनर ( फरियादी ) के रूप में न्यायालय द्वारा दर्ज हैं । न्यायबंधु ने इस खास प्रकरण के बार बार हवाले में आने और इस प्रकरण की दर्ज वर्ष 1999 के उपरांत दर्ज एफ आई आर सन 2002 को पुरानी एफ आई आर की आड़ में दबाने की कुत्सित चाल को पकड़ा । 

सन 1999 के मामले का अंतिम फैसला न्यायालय ने 22 जनवरी 2020 को सुना कर उस प्रकरण और उसकी एफ आई आर को समाप्त कर दिया । इसके उपरांत पुन: सी एम हेल्पलाइन पर शिकायतें की गयीं , लेकिन कोई प्रकरण कोर्ट में नहीं होने पर भी वही पूराना जवाब जस का तस बार बार सी एम हेल्पलाइन को दिया गया और कोर्ट द्वारा प्रकण समाप्त किये जाने और एफ आई आर समाप्त किये जाने के बाद भी , उस प्रकरण को कोर्ट में चालू , प्रचलित व संचालित बताते हुये लगातार 20 महीने बाद अब तक वही उत्तर दिया गया , न्प्यायबंधु नेपुलिस महानिदेशक , आई जी चंबल और पुलिस अधीक्षक मुरैना को माह जनवरी 2021 से 02 जुलाई 2021 तक अनेक  ई मेलें भेजकर अवगत करा दिया और संबंधित पुलिसकर्मियों के विरूद्ध एफ आई आर दर्ज किये जाने का अनुरोध किया । इस विषय में नेशनल सायबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर पुलिसकर्मियों तथा अन्य लोगों को नामजद कर मामला दर्ज कया गया , एक पुलिस इंटीमेशन म प्र पुलिस के आफिशियल पोर्टल पर नामजद दिनांक 12 जनवरी 2021 को दर्ज की गयी । दिनांक 19 जुलाई 2021 को पुन: पुलिसकर्मयों ने सी एम हेल्पलाइन पर अपना जवाब दोहराया , कापी पेस्ट किया , न्यायबंधु ने इसी जवाब को आधार मान कर न्यायालयीन कार्यवाही शुरू कर दी , और पाया कि कोर्ट में 20 माह पूर्व समाप्त प्रकरण की , पुलिसवालों ने जाली आदेश का कृत्रिम कूटरचना कर एक नकली व फर्जी न्यायालय का आदेश तैयार किया है तथा कूटरचित व जाली न्यायालयीन कार्यवहीयां एवं आदेश पत्रिकायें तैयार की हैं । जिनका इस्तेमाल सी एम हेल्पलाइन पर जवाब देने में और वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों एवं प्रशासन व शासन को गुमराह एवं भ्रमित करने के लिये किया जा रहा है । 

न्यायालयीन कार्यवाही के प्रथम प्रक्रम पर 14 सितम्बर 2021 को न्यायबंधु ने एक विधिक आवेदन पुलिसवालों के विरूद्ध धारा 166 (क) , 217 सहित न्यायालय के आदेश एवं कार्यवाहियों की कूटरचना करने व जालसाजी छल कपट व धोखाधड़ी़ से मिथ्या साक्ष्य के रूप में उनका सी एम हेल्पलाइन तथा वरिष्ठ पुलिस , प्रशासन , शासन के अधिकारीयों को गुमराह व भ्रमित करनेे के लिये किया गया है । अत: इन धाराओं में भी इनके विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर निलंबित कर गिरफ्तार किया जाये । साथ ही सिटी कोतवाली मुरैना में दर्ज अपराध संख्या 663/02 में इनको सह अभियुक्त के रूप मे दर्ज कर नामजद किया जाये एवं इसमें न्यायालय में अविलंब चालान पेश किया जाये । 

न्यायबंधु ने अपना यह विधिक आवेदन पुलिस महानिदेशक , मुख्यसचिव , मुख्यमंत्री म; प्र; शिवराज सिंह चौहान , आई जी चंबल तथा ए पी मुरैना को भेजा था साथ ही न्यायालय की केस स्टेटस रिपोर्टें और केस संबंधी अन्य दस्तावेज और आर्डरशीटें भेजी थीं , जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा तुरंत कार्यवाही करते हुये उसी दिन 14 सितम्बर 2021 को ही सारा मामला मुरैना कलेक्टर को कार्यवाही करने / एक्शन लेने हेतु भेजा है । न्यायबंधु इस के उपरांत प्रकरण को न्यायालय में दाखिल करेंगें , अगर पुलिस एफ आई आर होती है तो म प्र शासन की भी पैरवी स्वयं करेंगें और यदि पुलिस एफ आई आर नहीं करती तो न्याय विभाग भारत सरकार की ओर से न्यायबंधु के रूप में जिला अदालत और उच्च न्यायालय मे केस दर्ज करायेंगें । और भारत सरकार की ओर से इन सब पर केस चलाया जायेगा ।          

 

 

 

मुरैना-ग्वालियर मार्ग पर आरटीओ द्वारा वाहनों की चैकिंग की गई

Posted: 27 Aug 2021 05:53 PM PDT

 परिवहन आयुक्त एवं अपर परिवहन आयुक्त के आदेशानुसार मुरैना-ग्वालियर मार्ग पर बानमौर पर लगभग 38 सवारी वाहनों की जांच की गई। जांच में लगभग 10 यात्री वाहनों से 13 हजार 500, यात्री कर 8 हजार 200 रूपये की वसूली की गई। वाहन क्रमांक एमपी-07- पी-0402 को जप्त कर मध्यप्रदेश बकाया कर 38 हजार 731 रूपये ऑनलाइन वसूली गई। मुरैना आरटीओ ने बताया कि आज की जांच में कुल 60 हजार 431 रूपये की राजस्व वसूली गई है।

न तो ऑनलाइन पंजीयन हो रहे थे और न ओटीपी आ रहे थे फिर भी स्पष्टीकरण और बयान गोया ऑनलाइन पंजीयन में अनियमितता संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं

Posted: 27 Aug 2021 05:50 PM PDT

 खुद ग्वालियर टाइम्स ने चार दिन चेक किया था पोर्टल , न तो किसानों के पंजीयन हो रहे थे ऑनलाइन और न ओटीपी आ रहे थे , उस समय ग्वालियर टाइम्स ने यह खबर भी प्रकाशित की थी , अब एक अखबार ने छाप दी  तो स्पष्टीकरण जारी कर दिया । खैर ग्वालियर टाइम्स इस स्पष्टीकरण से सहमत नहीं है । इसी आधार पर यह स्पष्टीकरण प्रकाशित किया जा रहा है । 

13 फरवरी 2021 को एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर ''बीते साल से 22 प्रतिशत ज्यादा पंजीयन, फिर भी किसान परेशान'' खबर में स्पष्टीकरण देते हुये किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मुरैना के उपसंचालक श्री पी.सी. पटेल ने कहा है कि समर्थन मूल्य पर रबी फसलों की उपज बेचने के लिये ऑनलाइन पंजीयन में अनियमितता संबंधी किसी भी प्रकार की कोई शिकायत कृषि विभाग को प्राप्त नहीं हुई है।

बाढ़ में गैस सिलेण्डर बह जाने अथवा अनुपयोगी हो जाने की जानकारी शासन द्वारा चाही

Posted: 27 Aug 2021 05:44 PM PDT

 अगस्त-2021 के प्रथम सप्ताह में ग्वालियर और चंबल संभाग में हुई अतिवर्षा और नदियों में बाढ़ आने से उज्जवला योजना क्रमांक-1 के ऐसे हितग्राही जिन्हें गैस कनेक्शन चूल्हा एवं सिलेण्डर दिये गये थे, अगर इन हितग्राहियों के गैस चूल्हे बाढ़ में बह गये है, अथवा अनुपयोगी हो गये है, उनकी जानकारी राज्य शासन द्वारा एकत्रित करायी जा रही है।

    चंबल और ग्वालियर संभाग के कलेक्टरों को निर्देश दिये गये है कि जिले के जिन परिवारों को उज्जवला योजना के अन्तर्गत गैस कनेक्शन दिये गये है, उनकी सूची संबंधित डीलरों के पास उपलब्ध है। उक्त सूची से बाढ़ प्रभावित परिवारों का मिलान करवा लिया जाये। जो परिवार बाढ़ से प्रभावित हुये है, उनका डोर टू डोर सर्वे, भौतिक सत्यापन करवाकर यह देखा जाये कि उनको प्रदत्त सिलेण्डर बाढ़ में बह गये है, अगर बह गये है तो ऐसे परिवारों की सूची बनकर प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग भोपाल को भिजवायें। जिन परिवारों के सिलेण्डर बिना उपयोग किये पाये जाते है, उन्हें कंपनी द्वारा बदलकर दूसरा सिलेण्डर दिया जाये। 

कक्षा 10वीं और 12वीं की विशेष परीक्षा 6 सितंबर से

Posted: 27 Aug 2021 05:43 PM PDT

 माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी और हायर सेकेण्डरी व्यावसायिक के साथ ही दृष्टिहीन-मूक बधिर (दिव्यांग) पाठ्यक्रम की विशेष परीक्षा 2021 का परीक्षा कार्यक्रम जारी कर दिया है। परीक्षार्थियों के प्रवेश-पत्र 1 सितंबर 2021 से एम.पी. ऑनलाईन के पोर्टल पर उपलब्ध होंगे। हाईस्कूल नियमित और स्वाध्यायी, दृष्टिहीन, मूक बधिर (दिव्यांग) परीक्षार्थियों की परीक्षा 6 सितंबर से 15 सितंबर 2021 तक और हायर सेकेण्डरी सर्टिफिकेट, व्यवसायिक, दृष्टिहीन, मूक बधिर की परीक्षाएँ 6 सितंबर 2021 से 21 सितंबर 2021 तक सुबह 9 से 12 बजे के बीच आयोजित की जायेगी। इस प्रकार दोनों परीक्षाओं का संचालन एक साथ किया जायेगा। 

      नियमित और स्वध्यायी छात्रों की प्रायोगिक परीक्षाएँ, उन्हें आवंटित परीक्षा केन्द्र पर निर्धारित अवधि के दौरान ही आयोजित होंगी। प्रायोगिक परीक्षा की तिथि और समय के लिए परीक्षार्थी संबंधित केन्द्र के केन्द्राध्यक्ष से संपर्क कर सकते है। परीक्षा कार्यक्रम मंडल से सम्बद्ध सभी विद्यालयों के बाहर नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जायेगा।

सेल्फी प्वाइंट बना आकर्षण का केन्द्र

Posted: 27 Aug 2021 05:41 PM PDT

 वैक्सीनेशन महाअभियान-2 के तहत टीकाकरण केन्द्रों पर सेल्फी प्वाइंट बनाए गए थे। वैक्सीन लगवाने के लिए आने वालों में से सेल्फी प्वाइंट आकर्षण केन्द्र बने। महिलाएँ भी सेल्फी लेने के लिए उत्साहित देखी गईं।

बाढ पीडि़तों की दी गई राहत व सामग्री की रेण्डम जांच होगी चंबल कमिश्नर ने दिये संभागीय अधिकारियों को निर्देश

Posted: 24 Aug 2021 07:30 AM PDT

 

चंबल संभाग के तीनों जिलों में पिछले दिनों हुई अतिवर्षा एवं चंबल और क्वारी नदी से आई बाढ़ से सैंकड़ों परिवार प्रभावित हुये हैं। इन सभी परिवारों को राहत राशि एवं खाद्यान्न सहित अन्य सामग्रियों का वितरण किया गया है।
    चंबल संभाग के कमिश्नर श्री आशीष सक्सेना ने चंबल संभाग के एडीशनल कमिश्नर श्री अशोक कुमार चौहान, संयुक्त कमिश्नर विकास श्री राजेन्द्र सिंह सहित अन्य वरिष्ठ संभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि तीनों जिलों में बांटी गई राहत राशि भोजन खाद्यान्न सामग्री सहित अन्य दी गई मदद की रेण्डम जांच कर मुझे सूचित करें। कमिश्नर ने यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारी यह भी देखें कि सर्वे निश्चित रूप से सही हुआ है, कोई भी व्यक्ति इससे छोटा तो नहीं है। सर्वे सूची पंचायत भवन पर चस्पा की गई है या नहीं। चस्पा की गई सूची पर किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है। अगर आपत्ति है तो कलेक्टर से उसका निराकरण सुनिश्चित करायें। लोगों की यह शिकायत है कि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि पीडि़त लोगों का आवास की सूची में नाम है या उनके वारिस नहीं।     कमिश्नर ने बताया कि मुरैना भिंड में दो-दो और श्योपुर में 9 लोगों की मृत्यु पर परिजनों को 42 लाख रूपये का भुगतान प्रति परिवार को 4-4 लाख रूपये किया गया है। मुरैना में 1 लाख 7 हजार 27 लोगों को 2616 क्विंटल भिण्ड में, 5 हजार 57 लोगों को 3606.5 क्विंटल और श्योपुर जिले में 19 हजार 874 लोगों 9937 क्विंटल खाद्यान्न का वितरण किया गया। मुरैना में 1 हजार 727 लोगों को 86 लाख 22 हजार, भिंड जिले के 3 हजार 782 लोगों को 1 करोड़ 89 लाख 10 हजार और श्योपुर जिले के 17 हजार 811 लोगों को जिनके कपड़ा बर्तन खाद्यान्न की क्षति हुई थी इनको 8 करोड़ 90 लाख 55 हजार रूपये की राशि का वितरण किया है। प्रति परिवार यह राशि 5-5 हजार के हिसाब से वितरित की गई है। जिन परिवारों के मकान पूरी तरह से नष्ट हो गये हैं उन्हें 75 हजार 100 रूपये प्रतिपरिवार के हिसाब से उनके खातों में पैसा डाला जा रहा है।

मिठाई की दुकानों से सैंपलिंग की कार्यवाही

Posted: 23 Aug 2021 05:15 AM PDT

संजीव कुमार जैन, तहसीलदार श्री अजय कुमार शर्मा और खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री धर्मेंद्र कुमार जैन ने दल के साथ नगर निगम के अंतर्गत 11 मिठाई की दुकानों पर छापामार कार्यवाही की और सैंपल लिये जिसमें मुरैना मिष्ठान भंडार से मावा पेड़ा, मावा बर्फी, गिर्राज मिष्ठान भंडार से मिल्क केक और मावा बर्फी, धनीराम कुशवाह मिष्ठान भंडार से मावा बर्फी, चित्रकूट मिष्ठान भंडार से मलाई बर्फी, गिर्राज मिष्ठान भंडार से मीठा मावा, चित्रकूट मिष्ठान भंडार से मावा बर्फी, ओम चित्रकूट मिष्ठान भंडार से बेसन लडडू, ब्रज स्वीटस बेरियल से मूंग दाल बर्फी, श्री बालाजी मिष्ठान भंडार से मलाई बर्फी, गुरू कृपा स्वीटस एंड स्नेक्स से गुजिया और बीकानेर स्वीटस से बर्फी के सैम्पल लेकर जांच हेतु लैब के लिये भेज दिये गये हैं।

सी एम हेल्पलाइन में कोई भी शिकायत फोर्सली क्लोज नहीं करें - कलेक्टर कार्तिकेयन

Posted: 26 Jul 2021 06:26 AM PDT

सीएम हेल्पलाइन में गति लायें , कोई भी ** *शिकायत फोर्सली क्लोज न करें , आवेदक की संतुष्टि के बाद ही क्लोज करें* -* कलेकटर कार्तिकेयन

मुरैना 26 जुलाई 2021/ कलेक्टर श्री बी कार्तिकेयन समस्त अधिकारियों को निर्देश दिये है कि 23 अगस्त को मुख्यमंत्री व्हीसी आयोजित की जा रही है। जिसमें एजेण्डानुसार मुख्यमंत्री समीक्षा करेंगे। समीक्षा के दौरान सीएम हेल्पलाइन भी एजेंडा में शामिल है। कलेक्टर ने कहा कि पिछली मार्च में भी हुयी सीएम व्हीसी के प्रोसेडिंग पर समीक्षा की जायेगी। अधिकारी पिछली व्हीसी की तैयारी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। कलेक्टर ने कहा कि सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें 10 हजार के करीब पहुंच चुकी है। जबकि फरवरी में लगातार समीक्षा की गई थी। यह आंकड़ा मात्र 7 हजार तक आ गया था। कलेक्टर ने कहा कि अधिकारी इन पर विशेष ध्यान दें। सीएम व्हीसी तक शिकायतें कम पोर्टल पर दिखनी चाहिये। उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी जुलाई माह में शिकायतों को फोर्सली क्लोज न करें, क्योंकि फोर्स क्लोज करने पर जिले की रैकिंग घट जाती है। इसलिये जुलाई माह में अधिकतर शिकायतों को संतुष्टि के साथ पूर्ण कराने का प्रयास करें।

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*अधिकारी जनसुनवाई के दौरान अपने दफ्तर में मौजूद रहें - कलेक्टर*
मुरैना 26 जुलाई 2021/ शासन स्तर से जनसुनवाई करने के अभी आदेश प्राप्त नहीं है। किन्तु लोगों की समस्या हल करना हम सबका दायित्व है। इसलिये मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान समस्त अधिकारी प्रातः 11 से 1 बजे तक अपने-अपने कार्यालयों में बैठकर जो भी लोग आवेदन लेकर आते है, उन आवेदनों को प्राप्त करे और उनका निराकरण करने का प्रयास करें। लोग आवेदन लाकर वापस नहीं जायें, वे निराश होकर न लौटें है। कलेक्टर ने कहा कि जिले में माफिया अभियान की कार्रवाही हर सप्ताह होनी चाहिये। जिसमें रेत, पत्थर, फूड, भूमि अतिक्रमण आदि शामिल है। 
ग्वालियर टाइम्स /26 जुलाई 21

सायबर कानून की लागू होने वाली धारायें , जो आप पर असर डालतीं हैं जानना जरूरी है आपके लिये, पुलिस न लिखे एफ आई आर तो क्या करें

Posted: 11 Jul 2021 06:14 AM PDT

 सायबर कानून की लागू होने वाली धारायें , जो आप पर असर डालतीं हैं जानना जरूरी है आपके लिये, पुलिस न लिखे एफ आई आर तो क्या करें

हमारे कानून- भाग -1

नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद'' 

धारा 66 A रद्द की जाकर उसका क्रियान्वयन और अनुपालन रोक दिया गया है इसलिये उसका जिक्र यहां नहीं किया जायेगा

पुलिस अगर रिपोर्ट दर्ज न करे तब क्या करें – सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी बनाम बिहार राज्य मे दिये गये आदेश के और दिशा निर्देशों के उपरांत भारतीय दंड संहिता यानि इंडियन पैनल कोड में धारा 166 (क) का इजाफा किया है और रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार करने , टालने और रिपोर्ट किसी भी भांति से सूचना मिलने पर भी दर्ज न करने पर उस पुलिस अधिकारी के विरूद्ध आई पी सी की धारा 166 (क) का अपराध पंजीबद्ध किया जाता है , तथा अन्य धारायें जैसे अभियुक्त को सरक्षण देना व बचाना या अपराध में सहभागी होना जैसे अपराध भी साथ में पंजीबद्ध किये जाते हैं , इसके लिये जिला सत्र न्यायालय में आवेदन देकर अपनी पीड़ा दर्ज करायें और जिला न्यायालय उस पुलिस अधिकारी के विरूद्ध धारा 166(क) का अपराध पंजीबद्ध करेगा , इस धारा में प्रकरण दर्ज होने के उपरांत शासकीय कर्मचारीयों और लोकसेवकों के विरूद्ध सी आर पी सी की धारा 195 व 197 के तहत लोकसेवक को संरक्षण प्राप्त नहीं होता है और उसे गिरफ्तार करने का प्रावधान है  

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 में निम्नलिखित संशोधन किये गये और सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनयम 2008 कहा जाता है – निम्न प्रावधान जोड़े गये हैं , यह प्रावधान सन 2009 से पूरे देश में लागू हैं -   

66 बी - चोरी का कंप्यूटर और चोरी की डिवाइस प्राप्त करना या / और इस्तेमाल करना - 3 साल का कारावास और 5 लाख का जुर्माना

66- सी - किसी के डिजिटल सिगनेचर का कपट पूर्वक ओश्र बेईमानी पूर्वक बनाना या प्राप्त करना , किसी का पासवर्ड कपटपूर्वक बनाना या प्राप्त करना - 3 साल का कारावास और 5 लाख का जुर्माना

66 डी -किसी के द्वारा किसी डिवाइस से , किसी कंप्यूटर से , मोबाइल सेल फोन से ,किसी अन्य के साथ धोखाधड़ी करना , ठगी करना , या अन्य प्रकार से नुकसान पहुंचाना - 3 साल की कैद और एक लाख रूपये जुर्माना

66 ई -किसी व्यक्ति के प्रायवेट फोटो खीचना , वीडीयों बनाना या/ और उनका प्रसारण या वितरण करना , किसी व्यक्ति की सहमति लिये बगैर , उसकी स्वेच्छा के बगैर जो कोई भी ऐसा करेगा उसे 3 साल का कारावास और 2 लाख रू का जुर्माना

66 ई में - केप्चर का अर्थ , किसी के फोटो , वीडियो , विजुअल्स आदि शामिल हैं , जिसमें आडियो तथा , फिल्म तथा अन्य किसी भी भांति से रिकार्डिंग करना शामिल है

प्रसारण या वितरण का अर्थ किसी भी भांति से दूसरे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों तक पहुचानाया देना या आदान प्रदान करना है

प्रायवेट एरिया का अर्थ - नग्न , अंडर गार्मेंट में , लंगोट या चड्डी में , बनियान या ब्रेसियरी में , किसी के कूल्हे या बटक , स्त्री के स्तन या छाती दिखाना या उसका फोटो , वीडियो या अन्य प्रकार से किसी भी प्रकार से आडियो या विजुअल रिकार्ड करना

प्रायवेसी वायोलेशन या निजता भंग का अर्थ - कोई भी व्यक्ति कहीं पर भी हो चाहे प्रायवेट प्लेस में जहां वह निंश्चिंत होकर अपने कपड़े बदलता या स्नानादि या शौचादि करता है या वह किसी भी पब्लिक प्लेस पर है , उसके किसी भी प्रायवेट पार्ट या उसके अपमान करने वाले , या उसकी छवि खराब करने वाले और किसी प्रायवेट कार्य का चित्रण या रिकार्डिंग आदि करना या अगर स्त्री है तो उसकी लज्जा भंग करना या उसे कामुक रूप में प्रदर्शित करना आदि

66 एफ -किसी अधिकृत व्यक्ति को उसके कंप्यूटर या डिवाइस या मोबाइल की एक्सेस से रोकना या बाधा डालना या बाधित कर वंचित करना तथा अनाधिकृत होकर भी किसी कंप्यूटर या डिवाइस या मोबाइल में जबरन एक्सेस करना , एक्सेस की कोशिश करना , पेनेट्रेट करना , किसी व्यक्ति को या उसके सिस्टम को क्षति पहुंचाना , कंप्यूटर या डिवाइस या मोबाइल या सिस्टम को नुकसान या क्षति पहुंचाना , किसी को आत्महत्या करे के लिये बाध्य करना , प्रेरित करना , या किसी की इन कारणों से मृत्यु होना , उसके जीवन के लिये आवश्यक वस्तुओं , आवश्यक चीजों की सप्लाई रोकना या सप्लाई बाधित करना या गतिरोध डालना या अन्य प्रकार से भयभीत या आतंकित करना , उसके डाटा को चुराना किसी भी प्रकार से उसके डाटाबेस को नुकसान या क्षति पहुंचाना यह सभी कार्य सायबर टेरेरिज्म , सायबर आतंकवाद होंगें - आजीवन कारवास ( जीवन रहने तक मृत्यु तक )

67 - ए - नंगी फिल्में ,ब्ल्यू फिल्म या कामोत्तेजक दृश्य या फिल्म या अन्य प्रकार से सेक्सुली इन्वोल्व्ड या सेक्स दृश्य या अर्धनग्न दृश्य को प्रकाशित या प्रसारित करेगा या ट्रांसमिट करेगा वह कम से कम पहली बार दोषी पाये जाने पर 5 साल के कारावास और दस लाख रूपये के जुर्माने से दंडित होगा और यदि वह दूसरी बारऐसा करता हुआ दोषी पाया गया तो 7 साल के कारावास और दोबारा दस लाख रूपये के जुर्माने से दंडित होगा ।

67 - बी - बच्चों के सेक्सुअल उत्प्रेरण आमंत्रण व शोषण से संबंधित है ( बच्चों का नग्न व अश्लील प्रदर्शन, फोटो , वीडियो , आडियो आदि का अश्लील प्रसारण व प्रकाशन, उनकी पहचान खोलना , बच्चों को सेक्स के लिये उकसाना , बहलाना , फुसलाना , आमंत्रित करना , उन्हें लोभ लालच या भय दिखाकर उनकी पोर्नोग्राफी करना , इंटरनेट या अन्य किसी माध्यम से उनका प्रकाशन या प्रसारण करना , अन्य किसी भी चित्र या आडियो विजुअल माध्यम से बच्चों में ऐसी प्रवृत्ति या आदत डालने का प्रयास करना , या उन्हें किसी भी भांति से सेक्स या सेक्स एक्टिविटी दिखाना , देखने हेतु बाध्य करना , या प्रोत्साहित करना आदि जैसे अपराध इसमें शामिल हैं ( इसका विशद विस्तार हम यहां नहीं दे रहे हैं , लेकिन अगर आपके आसपास यह कहीं भी हो रहा है तो या तो नेशनल सायबर क्राइम रिपोर्टंग ब्यूरो , गृहमंत्रालय भारत सरकार को ऑनलाइन रिपोर्ट करें या उनके ट्विटर पर आफिशियल हैंडल '' सायबर दोस्त'' को रिपोर्ट करें या अपने राज्य की पुलिस के सायबर सेल को आनलाइन रिपोर्ट करें , यह रिपोर्ट आप अपनी पहचान छिपा कर भी कर सकते हैं और एनोनीयमस यानि अज्ञात व्यक्ति के रूप में भी रिपोर्ट कर सकते हैं ।   

 

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000

धारायें  -

4 - लीगल मान्यता या वैधानिक मान्यता किसी इलेक्ट्रानिक अभिलेख की

1. वह अभिलेख आनलाइन उपलब्ध होता है / हुआ है या हो रहा है

2.वह दस्तावेज या अभिलेख फ्रिक्वेण्टली एक्सेस होता है / किया गया है

66 - हैकिंग - 3 साल कारावास और 2 लाख रूपये जुर्माना

71 -डिजिटल सिगनेचर का इस्तेमाल किसी गलत या गैर कानूनी या गुमराह करने के लिये या किसी असत्य व मिथ्या तथ्य वाले दस्तावेज पर किया गया तो तीन साल कारावास और दो लाख रूपये का जुर्माना होगा

74 - धोखाधड़ी / जालसाजी के लिये डिजिटल सिगनेचर का इस्तेमाल करना - 2 साल की कैद और एक लाख रू का जुर्माना      

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

जातिवाद की नाव में अफसर नेता और मीडिया हुये सवार , जब यू नहीं तो यूं सही डकरा डकरा ढरका रहे सरकार

Posted: 11 Jul 2021 06:12 AM PDT

 जातिवाद की नाव में अफसर नेता और मीडिया हुये सवार , जब यू नहीं तो यूं सही डकरा डकरा ढरका रहे सरकार

चम्बल का मुरैना जिला फिर बना जातिवादी संघर्ष का रणक्षेत्र , जातिविशेष पर जातिविशेष का मारण और बदनामी का अभियान अब मीडिया में भी रंग दिखाने लगा

त्वरित सम-सामायिकी समाचार

नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनन्द''

 

मुरैना या चम्बल में जातिवाद यूं तो बहुत पुराना रोग है , हालांकि चम्बल के इतर या चम्बल से बाहर इसका इतना असर नहीं है , मगर चम्बल में यह जातिवाद कतिपय समयकाटू टुच्चे पुच्चे छिछोरे व लफंगे टाइप नेताओं और पत्रकारों द्वारा फैलाया जाता रहा है ।

अपने अपने क्षेत्र में कुंठित और बेनाम लोग या भयभीत व पूर्वाग्रहों से ग्रस्त चम्बल की माटी का कलंक अरसे से और बरसों से बने हुये हैं ।

दुर्भाग्य की बात यह है कि मीडिया के 95 प्रतिशत भाग पर एक जाति विशेष या समुदाय विशेष का कब्जा है और यह समुदाय विशेष अक्सर बीच बीच में अपना जातिगत अभियान राग छेड़ता रहता है ।

चाहे जगजीवन परिहार जैसे बागी का मामला हो, या अन्य मामले एक जातिगत अभियान छेड़ना इन सबका बरसों पुराना राग भैरवी है ।

जहां राग मल्हार गाना हो या राग ठुमरी लगाना हो वहां भी ये सब भैरवी ही अलापते हैं ।

हालिया कुछ घटनाओं का जिक्र करना प्रासंगिक होगा कि चाहे वह प्रशासन हो या पुलिस या मीडिया , जिस तरह से खुलेआम लोगों को मूर्ख बनाने के लिये लगातार एक मिशन के रूप में राग भैरवी अलापा गया उससे कोई अंधा या अज्ञानी भी बता देगा माजरा क्या है-

हालांकि हम किसी का विरोध या किसी का समर्थन नहीं करते , मगर वाकयों का जिक्र लाजिम है –

1.      एस डी एम राजीव समाधिया का स्थानांतरण – मुरैना की अंबाह तहसील में पदस्थ एस डी एम राजीव समाधिया का स्थानांतरण होते ही एक जाति विशेष के लोग खुलकर समाधिया के समर्थन में आये और एस डी एम का स्थानांतरण रद्द करने की मांग करने लगे , तमाश्श यह कि एक जाति विशेष के लोग , वैसे तो यह म.प्र. सिविल सेवा आचरण संहिता 1965 के प्रावधानों के एकदम खिलाफ और म.प्र. सिविल सेवा वर्गीकरण एवं नियंत्रण अपील नियमों 1966  के तहत कार्यवाही और दंडित किये जाने वाला परिभाषित अपराध है , मगर मीडिया ने तकरीबन रोजाना इस जाति विशेष के अभियान को सुर्खी बना बना कर छापा , और भी मजे की बात यह कि राजीव समाधिया ने इसका एकदिन भी खंडन या प्रतिरोध नहीं किया अर्थात वे इस सबसे सहमत थे और उन्हीं की मर्जी से यह सब किया जा रहा था , ऊपर से तुर्रा ये कि , उनके ऊपर कानून के पालनपोषणहार  जिला प्रशासन जो म.प्र सिवल सेवा आचरण संहिता और म.प्र. सिविल सेवा वर्गीकरण एवं नियंत्रण अपील नियम 1966 के तहत रोजाना मातहतों को नोटिस देकर गीदड़ भभकी दिया करते हैं उस जिला प्रशासन और संभागीय प्रशासन को इस बात की इत्तला ही हुई न कानोंकान खबर , शायद अखबार नहीं पढ़ते होंगें या फिर उन पर इन समाचारों की कटिंगें जनसंपर्क विभाग ने भेजी नहीं होंगी ।

2.      इसके बाद राजीव समाधिया के मामले में एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न यह उत्पन्न हो गया है कि उनके ट्रांसफर से एक जाति विशेष को विशेष तकलीफ क्यों पैदा हो गयी , जबकि प्रशासनिक अधिकारीयों के ट्रांसफर होना एक आम बात है और एक रूटीन प्रक्रिया है और इसमें किसी के विधवा विलाप की कोई परंपरा नहीं है , अंबाह क्षेत्र से हजारों शिकायतें ऊपर जातीं हैं मतलब साफ है , कुद तो गड़बड़ है , हर शिकायत के प्रति उस खंड का एस डी एम जिम्मेवार होता है बड़ी साधारण सी बात है भले ही आप किसी शिायत को बिना निराकरण फोर्सली क्लोज करायें , मगर शिकायत तो अपनी जगह कायम ही रहेगी । फिर यह तो जाहिर होता ही है कि जाति विशेष का विधवा विलाप बताता है कि वे एक जाति विशेष के लिये काम कर रहे थे , जनता या पब्लिक के लिये काम करते तो यह विलाप जनता करती , फिर क्यों न इसे जाति विशेष के लिये काम करने वाले अफसर के लिये जाति विशेष का अनाथ विलाप कहा जाये ।

3.      अंबाह में एक 5 साल की बच्ची की हत्या के मामले को एक जाति विशेष ने इस कदर उछाला और हंगामा किया कि मानों एक निर्भया कांड मुरैना में ही हो गया है , हत्यारे को फांसी दो , ये दो और वो दो , अखबारों ने भी इस पर रोजाना पन्ने रंगे , और बढ़चढ़ कर इसे नेशनल इश्यू बनाने की कोशिश की , और तो और 5 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म भी बता दिया , आरोपी ने बयान दिया कि उसने दुष्कर्म नहीं किया , पुलिस ने कहा कि मेडिकल कराया है आरोपी का मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि आरोपी ने दुष्कर्म किया या नही , मगर सारी कहानी में बालिका के पोस्टमार्टम और उसमें दुष्कर्म की रिपोर्ट पाजिटिव या निगेटिव का किसी ने जिक्र नहीं किया जबकि बालिका के साथ दुषकर्म हुआ या नहीं इसके लिये बालिका की पी एम रिपोर्ट के बगैर कुछ नहीं होना जाना । मगर इसके बावजूद मीडिया ने और कतिपय जातिगत समूहों ने जबरन कैंडल मार्च और ये मार्च वो अप्रेल तमाम मई जून निकाल डाले , करिश्मे की बात ये हुई कि मुरैना जिला में ही उसी समय इसी प्रकार की अन्य थाना क्षेत्रों और तहसीलों में अन्य अनेक घटनायें बालिकाओं के साथ इसी प्रकार की घट गईं और उनमें तो बाकायदा दुष्कर्म किया भी गया , मगर न किसी ने मार्च , अप्रेल मई जून निकाले और न मीडिया ने उनका रोजाना जिक्र किया और न पन्ने रंगें ।  हालांकि आई पी सी में धारा 193% 199 तक का एक प्रावधान है कि न्याय के किसी भी प्रक्रम पर कुछ भी ऐसा किया जाये या कहा जाये कि जिस पर न्यायालय अपनी एक राय कायम कर ले , तो उसे मिथ्या साक्ष्य गढ़ना कहते हैं और इस प्रकार किसी को भी पुलिस केस दर्ज होने के बाद कुछ भी कहने पर वह मिथ्या साक्ष्य की श्रेणी में आता चला जाता है और उसे तदनुसार दंडित किया जाता है , मगर यह ुर्क भी साफ दिखाई दिया , इसमे भी जाति विशेष ही मुखर और चीखती रही । हम अंबाह के इस मामले में अपराध का कतई समर्थन नहीं करते लेकिन जातिविशेष द्वारा चलाई गई मुहिम को प्रश्नगत अवश्य करते हैं

4.      मुरैना सिटी कोतवाली टी आई आरती चराटे का मामला उल्लेखनीय अवश्य है कि आरती चराटे द्वारा कोतवाली टी आई का पदभार लेने के दूसरे तीसरे दिन से ही उनके खिलाफ खबरें और कुछ प्रायवेट गाड़ीयों के चित्र जाति विशेष के लोग छापने लगे थे कि प्रायवेट गाड़ी का इस्तेमाल करती है पुलिस , गश्त करती है पुलिस वगैरह वगैरह , बाद में आरती चराटे ने क्या गलती की यह तो पुलिस का आंतरिक मामला है मगर एक जाति विशेष का मीडिया और नेता आरती चराटे के पीछे पड़े थे इतना तो साफ जाहिर है । हमने लगातार इस मामले की आरती के ज्वाइंनिंग से लेकर हटाये जाने तक स्टडी की है इसलिये हम निष्कर्ष पूर्वक कह ही सकते हैं कि आरती जाति विशेष की टारगेट पहले दिन से ही थी ।

5.      पोरसा के कोंथर के फौजी धर्म सिंह तोमर का जमीनी मामला भी गजब है  ( हालांकि इस पर पूरी फिल्म धर्म सिंह तोमर की जुबानी , ग्वालियर टाइम्स अपनी अगली फिल्म में दिखाने जा रही है ) खास बात यह है कि एक ही जमीन – चार सीमांकन – हर सीमांकन में अलग अलग माप – गोया जमीन है कि चीन का नक्शा – कभी इधर बढ़ी तो कभी उधर बढ़ी तो कभी बेहड़ में निकल पड़ी , कभी दूसरे के खेत में 100 फीट तो कभी दूसरी जगह 200 फीट , जैसे केदारनाथ पर भीमसेन ने नंदी बने शंकर का भागते हुये कूबड़ पकड़ लिया तो केदारनाथ में कूबड़ ही ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है और सींग जाकर नेपाल में पशुपतिनाथ में निकले सो पशुपतिनाथ नेपाल में पूजे जाते हैं , अब धरम सिंह तोमर फौजी बेचारे परेशान हैं कि इसके सींग कभी इधर निकलते हैं कभी उधर , आखिर सिरा पकड़ें तो कहां पकड़ें ,बेचारे तहसीलदार , एस डी एम , पटवारी और कलेक्टर के सताये हुये हैं , फौज छोड़कर पान सिंह तोमर बनने की राह पर अग्रसर हैं , मीडिया में वे भी जातिविशेष का होने से , छेक दिये गये हैं , भले ही वे पीड़ित हैं मगर उन्हें क्या पता जातिविशेष का मीडिया एक तो जाति के कारण और दूसरा जाति विशेष के अफसरों ओर राजस्व विभाग से मिलने वाले हफ्ते के कारण उनके खिलाफ उनकी आवाज को कभी नहीं छापेगा , टी आई आरती चराटे मीडिया को हफ्ता देती रहती तो क्यों उनकी छीछालेदर और फजीहतें होतीं ।

6.      किस्सा नंबर विधायक सूबेदार सिंह रजौधा का है , जाति विशेष का होने से उन्हें भी मीडिया ने टारगेट पर ले लिया है , सूबेदार सिंह रजौधा किसी गांव में किसी जगह गांव वालों के बीच थे , किसी ने कह दिया कि बिजली वाले लाइन नहीं जोड़ रहे हैं , खेतों में पानी देना है , पैसे दे दिये हैं फिर भी अभी तक लाइन नहीं जोड़ी है , इस पर सूबेदार सिंह ने कह दिया कि तू तब तक अपनी लाइन जोड लें  और मोटर चलाकर अपना काम चला , बिजली वालों को मैं देख लूंगा और बात कर लूगा .... सूबेदार सिंह रजौधा विधायक भी इसी बात पर मीडिया के जातिविशेष के रडार पर आकर टारगेट पर आ गये हैं , हालांकि उनका यह वीडियो हमने भी देखा लेकिन हमें इसमें कुछ विशेष आपत्तिजनक नहीं लगा , एक फौरी समाधान कि अभी काम चला ले .....

 

खैर इसे न तो मीडिया या पत्रकारिता के लिये किसी भी प्रकार से सराहनीय नहीं कहा जा सकता और न ऐसे मीडिया को प्रौतसाहित ही किया जा सकता है जो साहब का पिछवाड़ा धोते धोते अचानक उनका तलवा चाट एक रिक्वेस्ट कर दे कि ऐसा करो और ऐसा न करो , ऐसे जिला प्रशासन और पुलिस को भी तवज्जुह या अहमियत दी जा सकती है जो चाटुकारों और मुंहलगे चमचों के अनुसार यह भूल कर गैर कानूनी काम करे या कानून का पालन न करे क्योंकि वह एक पत्रकार ने रिक्वेस्ट की है ।        

अंबाह तहसीलदार का फर्जी नामांतरण मामला अब सी एम हेल्पलाइन ने भी पुलिस शिकायत में मर्ज किया, ए एस पी मुरैना से हटा कर अब पुलिस मुख्यालय में मामला दर्ज

Posted: 17 Jun 2021 08:45 PM PDT

 मुरैना में अंबाह तहसीलदार तथा पटवारी और अन्य के विरुद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरण, एडिशनल एसपी मुरैना से हटाया गया, अब मामला पुलिस मुख्यालय थाने में दर्ज हुआ , उधर सी एम हेल्पलाइन ने भी तीनों नामांतरण आवेदन पर कार्यवाही नहीं करने की सभी शिकायतों को पुलिस कंप्लेंट में मर्ज किया और राजस्व विभाग से मामला पुलिस कंप्लेंट में तब्दील किया 

मुरैना 18 जून 2021 , मुरैना की अम्बाह तहसील के बरेह पंचायत में ग्राम बारेकापुरा स्थित कृषि एवं रिहायशी जमीन का मामला 13 अप्रैल 21 को एडमिशन एस पी मुरैना के यहां दर्ज किया गया था, अब इस मामले को एडिशनल एसपी मुरैना से हटा कर थाना पुलिस मुख्यालय भोपाल में सीधे पुलिस महानिदेशक के यहां दर्ज किया गया है । अब इस पर कार्यवाही पुलिस महानिदेशक, और थाना पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा की जा रही है ।

उधर दूसरी ओर म प्र की सी एम हेल्पलाइन ने भी आवेदक की सभी तीनों नामांतरण आवेदनों को भी सी एम हेल्पलाइन पर दर्ज इस संबंध में पुलिस शिकायत में मर्ज कर दिया है और सभी मामले  पुलिस को सौंप दिये हैं , तथा यह भी कि केवल एक शिकायत का आरोपीगण चालाकी से उतर दे रहे थे और दिनांक 09 मार्च 21 के एक आवेदन पर नामांतरण किया जाना दर्शाने में और साबित करने में जुटे थे, जबकि जांच में खुद आरोपियों द्वारा कूटरचित आवेदन और जाली दस्तावेजों की फाइल 2504/अ-6/2020-2021 में ही दिनांक 26 मार्च 21 को ही यह आवेदन स्वयं आरोपीगण द्वारा जमा किया जाना पाया गया । और इसी पर केवल दो तारीखों 26 मार्च 21 और 31 मार्च 21 को अंतिम आदेश किया जाना पाया गया । 

बहरहाल पुलिस मामले में अभियुक्त नामजद कर दिये गये है , अब इस मामले में यह जांच की जा रही है कि नामजद अभियुक्तों के अलावा और कौन कौन लोग इस फर्जीवाड़े और जालसाजी में शामिल हैं ।

तेरे खुदा पर न सही तेरे पुरखों पर दाग आयेगा , जब दूसरों को मारते मारते तूू भी मर के खामोश हो जायेगा , सुन ऐ मद जवानी के पद के , तेरे हर जुल्म का हिसाब बेहिसाब दिया जायेगा

Posted: 18 May 2021 06:52 PM PDT

 पत्ते पत्ते पर लिखा है उस प्रभु का नाम , हर बॉडी और हर डेड बॉडी पर लिखा है कोरोना के खाने का नाम , तेरे हर अंग पर भी लिखा है मरों को लूटने वाले तेरे हर काम का अंजाम, बस इंतजार कर मुनासिब वक्त आने का , तेरे हर काम का हिसाब रखा जायेगा , जरा वक्त तो आने दे , मासूमों के लहू के हर कतरे का बड़ा बेहिसाब तेरा हिसाब किया जायेगा  

-        नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''

पिछले अंक से आगे ………

दूसरा - भाग

यद्यपि हमने सोचा था कि इस समसामायिकी आलेख को दो किश्तों में समाप्त कर देंगें लेकिन विषय बृहद और विषय सामग्री विस्तार से यह संभव नहीं लगता लिहाजा जहां तक विषय चले वहॉं तक इसकी विषय सामग्री चलेगी , इसलिये यह अब दो से अधिक भागों में आयेगा और केवल आखरी भाग पर ही अंतिम किश्त लिखेंगें – नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद'' एडवाकेट

अभी पिछले अंक में कोरोना पॉजिटिव या संक्रमण के जांच के तरीकों पर इस आलेख में चर्चा कर रहे थे ।

उपकरणीय अन्य जांचें और प्रयोगशाला जांचें – हमें इस विषय को आगे ले जाने से पहले एक तथ्य विशेष रूप से स्मरण रखना होगा कि कोई भी बेहतरीन मेडिकल उपकरण या बेहतरीन प्रयोगशाला तीन विशेष लोगों से ही बन सकती है – एक बेहतरीन चिकित्सकीय ज्ञान रखे वाला डॉक्टर , दूसरा एक बेहतरीन इंजीनियर और तीसरा एक बेहतरीन साइंस यानि विज्ञान का विद्वान ।

विज्ञान के विद्वान में भी दो स्ट्रीमों का सम्मिश्रण या दो अलग अलग लोग जिसमें एक गणित स्ट्रीम  का और दूसरा बायोलॉजी यानि जीव विज्ञान स्ट्रीम का स्पेशलिस्ट होना चाहिये तब जाकर एक बेहतरीन मेडिकल उपकरण या लैब तेयार हो पाती है । उसे बाद में पैरामेडिकल विशेषज्ञ या विज्ञान स्ट्रीम के लोग ऑपरेट या संचालित करते हैं , लेकिन निर्माण की बुनियाद से लेकर प्रोटोटाइप बनाने और उसे विकसित कर असल मशीन या उपकरण बनाने या लैब तैयार करने में तो उपरोक्त तीन ही काम कर पायेंगें , वर्तमान में इन तीनों का एकसाथ बखूबी संयोजन व उपयोग भारत में किसी भी मेडिकल मशीन बनाने में या उपकरण या लैब तैयार करने में नहीं किया जाता है और केवल दो लोग ही इनमें से चुने जाते हैं जिससे मशीनें व उपकरण उस दक्षता व क्षमता के तथा एक्यूरेसी के भारत में नहीं बनते और न मेडिकल लैब ही उस दक्षता व क्षमता की होती है जो कि भारत बना सकता है मगर अयोग्य व अनुभवहीन जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं की सत्ता लोलुपता और भ्रष्टाचार प्रियता के कारण ऐसा भारत में नहीं होता या हो पाता । इसकी बहुत सी वजह और कारण हैं मगर वे इस आलेख का विषय नहीं हैं ।

अगला परीक्षण या जांच स्वैब का परीक्षण , रक्त परीक्षण , मल मूत्र परीक्षण , प्यूबिक हेयर परीक्षण , अंदरूनी चोट आदि परीक्षण , बाहरी चोट आदि परीक्षण , आमाशय या आहार संबंधी परीक्षण , अन्य हड्डी संबंधी, सीमन टेस्ट तथा अन्येन्य प्रकारेण परीक्षण आदि । ये सभी परीक्षण इस आलेख का विषय नहीं हैं इनका हम केवल इस संदर्भ में प्रयोग करेंगें कि क्या परीक्षण वर्तमान में किये जा रहे हैं और क्या क्या जरूरी परीक्षण छोड़े जा रहे हैं ।

वर्तमान में कोरोना पॉजिटिव टेस्ट करने के लिये स्केनिंग के बाद स्वैब टेस्टिंग करने का रिवाज अपनाया जा रहा है जिसमें उल्टी , कफ , थूक और लार आदि के जरिये होने वाला स्त्राव या प्राप्त कर इनकी जॉंच करने को स्वैब टेस्टिंग कहा जा रहा है । और इसका परिणाम में कोरोना वायरस की मौजूदगी का अनुमान लगया जाता है या पुष्टि कर दी जाती है ।

इससे आगे कुछ  नहीं ,जो यह पुष्ट करे कि क्या वाकई किसी को कोरोना है या नहीं ।

किसी  कोरोना रोगी के रक्त की पहले क्या स्थिति थी , अब क्या है और उसके डिस्चार्ज के समय या श्मशान भेजते समय क्या स्थिति थी ,इस जांच की कोई व्यवस्था अभी तक भारत में नहीं है । इसलिये मौत की वजह या ठीक हो जाने के बाद इलाज पश्चात उसके प्रतिक्रियात्मक लक्षणों और पश्चातवर्ती रक्त लक्षणों के बारे में कोई भी जांच रिपोर्ट उसकी मेडिकल हिस्ट्री में नहीं होती लिहाजा न तो इसके बगैर किसी भी शख्स  में न तो कोरोना की पुष्टि की जा सकती है और न इससे इंकार कर नकारा जा सकता है ।

स्वैब टेस्टिंग मात्र खांसी बलगम आदि की जांच करने मात्र का एक सरल सा उपाय और जांच है , जिसके भी स्वैब में खांसी , फ्लू ( बुखार ) , कफ और छींक के साथ निकलने वाले छोटे मोटे जीव जंतु होंगे उस हर आदमी को यह टेस्ट खांसी जुकाम कफ से पीड़ित ही बतायेगा और बलगम भी मौजूद है तो गंभीर पॉजिटिव ही बतायेगा । इससे अधिक यह टेस्ट कुछ और नहीं बताता , कोरोना वायरस का डिटेल या सैंपल अभी तक न तो भारत के पास है और न विश्व के किसी अन्य देश के पास जिससे मिलान करके किसी को कोरोना होना साबित किया जा सके ।

जबकि इससे पूर्व पक्षियों के बर्ड फ्ल्यू , एड्स के वायरस ( एच आई वी ) तथा अन्य वायरस जन्य बीमारीयों के नमूने भारत सहित विश्व के अन्य देशों के पास हैं और उनसे मिलान के पश्चात ही किसी में इनकी पुष्टि कर दी जाती है ।  मगर कोरोना के बारे में जो रहस्य है वह यह है कि होती सबको केवल खांसी बुखार दर्द सर्दी और जुकाम ही है मगर कहा यह जाता है कि हर 15 – 20 दिन में यह वायरस अपना रूप बदलता है मतलब बीमारी के लक्षण बदल देता है या बीमारी ही बदल देता है । आश्चर्य यह है कि रोगी की न तो कभी बीमारी बदलती है और न कभी उसका जांच का तरीका या सिस्टम बदलता है , ऐसा ठोस पुख्ता और अद्वितीय जांच सिस्टम है कि रूप बदल रहे कोरोना वायरस के हर रूप को एक ही तरीके से पकड़ता रहता है , जबकि तार्किक तरीका यह है कि जब जब वायरस रूप बदले तो उसके हर बहुरूपिये रूप की एक तस्वीर खीच कर विश्व के सभी देशों के हर अस्पताल को भेजनी चाहिये और उसके उस रूप को पकड़ने और पहचानने का तरीका और बदले जाने वाले टेस्टिंग मैथड को भी साथ भेजा जाना चाहिये जिससे टेस्ट का तरीका और मिलान करके अच्छी जांच रिपोर्ट के साथ मरीज के नाम के आगे लिखा जाये कि उसे कोरोना के कौनसे रूप के किस वर्जन ने कब किस दिन जकड़ा , कब से वह उसके अंदर घुसा और कितना भीतर तक घुस चुका है और क्या इसके बावजूद उस कोरोना वायरस का अन्य कोई रूप या वर्जन भी उसके अंदर आ सकता और घुस सकता है या नहीं । और यह रूप टाइप क्या गड़बड़ीयां और खलबलियां उस मरीज के शरीर में मचायेगा और उसे क्या क्या ऐहतियातें और परहेज बरतने होंगें , वह बिना खाये पीये जिंदा रहे या खा पीकर मरे , ये सब जिक्र तभी संभव होंगें जब हर बदलते रूप का हर डिटेल हर अस्पताल , हर डाक्टर , हर नर्स और हर मरीज और उसके घरवालों को पता हो ।

................ शेष अगले अंक में जारी ..............             

– नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनंद'' एडवोकेट

( कोराना में वीरगति पाकर शहीद हुये  लोगों के लिये,  उन शहीदों की ओर से भारत के सिस्टम के नाम )

हम राह की कुचली हुई धूल ही सही मगर कीचड़ बनाओगे तो हममें ही फंस जाओगे , जर्रा ही सही और हम लटके हुये झाड़ फानूस ही सही ,हमारी जांच बीमारी इलाज और मौत डैड बॉडी दौलत में तौलने वालो  तुम अमर आफताब ही बने रहो , जो जमीं पे आओगे तो हमारे आसपास ही कुचले जाओगे । हमारी दौलतें बिंकी , घर जेवर मकान दूकान तलक बिके , बीवी मिटी तो कहीं बच्चे भी मिटे , मिट गईं खुशियां, शानो शौकत और रिश्तेदारीयां , तुमने मजबूरियों का जाल कुछ इस कदर बुन दिया कि न मौक्ष न बेटे का कंधा न नाती का श्मशान तक साथ नसीब हुआ , न चिता पर भी मेरी कैद खोली पॉलीथीन के कफन से , जिंदा तो जिंदा मुझ मुर्दे को भी लूट लिया , मेरी अंगूठी गायब , मेरी झुमकियां गायब , पायलें भी गायब तो मरी तो कही आबरू भी गायब हुई अस्पतालों में । जीते जी न मिलने दिया तुमने अपनों से और अकेले मार कर तुमने कुछ ऐसा हाल कर दिया मेरा कि देखूं कैसे कि ऑखें भी गायब कर दी तुमने , बोलू कैसे दांत भी गायब तो अब जबड़ा भी गायब हो गया मेरा , अब कुछ खा पी कर पेशाब कर आता पूरी जिंदगी की तरह , मगर क्या करूं ऐ लूट और जुल्म के सितमगारो लीवर भी मेरा गायब , किडनी भी मेरी गायब है , वह जो लेटी है मेरे पड़ोस की अर्थी पर उसका मंगलसूत्र गायब क्या किया कि उसका सुहाग भी गायब हो गया , अब जितने भी हैं यहां सब पॉलीथीनों में पैक पड़े हैं , उनके दिमागो दिल में अपने घर के बसे हैं , इंतजार में बस उनके हाथ जल पाने की , जल की दो बूंदों को अटके पड़े हैं , काश  कोई तो आयेगा जो आजाद इन पॉलीथिनों से करेगा , मंदिरों की घंटियां कुछ मंत्र भी सुनायेगा , मस्जिदों की अजान सुनने को यहॉं सैकड़ों इंतजार कर रहे , और हम सब उसकी राह देख रहे , कोई होगा जो आयेगा , अपने पिता को बहन को कैद में डालने वाले कंस से कोई कृष्ण आकर हमें छुड़ायेगा , बस टकटकी है जिनकी आंखें बच गईं बाकी को वही हाल ए नजर सुनाते हैं , बिना आंख वालों को नजर वाले और बिना किडनी लीवर वालों को यहॉं कुछ मरे डॉक्टर रोजाना कुछ ऑक्सीजन और सांसें चुरा कर देते हैं , और फिर हम सब मिलकर राह तकते हैं , मेरे भारत मेरे कृष्ण हम तेरी राह तकते हैं ।

                                        - नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''       

 

लगातार चार दिन चार रात से मुरैना की बिजली गोल , सूचना के अधिकार के आवेदन से झल्लाये बिजली वाले और बौखलायी बिजली कंपनी

Posted: 24 Mar 2021 10:16 PM PDT

 कल दिया गया सूचना का अधिकार का आवेदन 

आवेदन अंतर्गत धारा  6 , सूचना का अधिकार अधिनियम 2005

Through E Mail And By Speed Post

Signaured Copy is Enclosed Here As attachment

 

प्रति ,

        लोक सूचना अधिकारी

     महाप्रबंधक कार्यालय

     मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लि0

     मुरैना म प्र

 

          (NOTE  : आवेदक न्यायबंधु है तथा विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नेशनल लीगल सर्विसेज एक्ट 1987 ( नालसा) के तहत प्रोबोनो लीगल सर्विसेज का अधिकृत , मान्यता प्राप्त व सूचीबद्ध एडवाकेट होकर , सभी प्रकार के न्याय शुल्क एवं अन्य प्रभारों से पूर्णत: मुक्त है ) 

 

विषय : न्यायालयीन उपयोग हेतु मुझ अधोहस्ताक्षर कर्ता नरेन्द्र सिंह तोमर एडवोकेट को निम्न जानकारीयों की जनहित में याचिका प्रस्तुत करने हेतु आवश्यकता है, कृपया आवश्यक जानकारीयां मय दस्तावेजात प्रमाणित प्रतियों में उपलब्ध करायें , यदि जानकारी दस पृष्ठ से अधिक है तो अधिनयम व नियमों के प्रावधानानुसार प्रमाणित डी वी डी  या सी डी उपलब्ध करायें ।

 

महोदय/ महोदया ,

 

      उपरोक्त विघयान्तर्गत कृपया निम्न बिन्दुओं पर मुझे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत माह अप्रेल वर्ष सन 2000 तक की ( अधिनियम के प्रावधानानुसार आज दिनांक से विगत 20 वर्ष तक की ) निम्न जानकारीयों की आवश्यकता है , कृपया उपलब्ध कराने का कष्ट करें ।

1 यह कि आवेदक नरेन्द्र सिंह तोमर , 42 गांधी कालोनी , मुरैना म प्र ने माह अप्रेल सन 2000 से आज दिनांक तक बिजली के संबंध में  विभिन्न स्तरों पर विभिन्न माध्यमों जिसमें व्यक्तिगत आवेदन उपस्थित होकर दिये गये , फयूज ऑफ कॉल रजिस्टर में दर्ज की गयी शिकायतें फोन कॉल माध्यम से दिये गये ,आनलाइन विभन्न पोर्टलों पर दर्ज कराये गये और ई मेल आदि के माध्यम से भेजे गये पत्र , आवेदन और शिकायतें आदि की कुल संख्या कितनी है और यह किस किस विषय पर किस किस दिनांक को कितने कितने बजे पर दिये गये । सभी की इकजाई सूची के साथ सभी की प्रतिलिपि चाहिये ।

2. यह कि 42 गांधी कालोनी मुरैना में प्रथम विद्युत कनेक्शन किस दिनांक , माह एवं वर्ष में लिया गया और इसका मीटर क्रमांक क्या था , तथा यह कब किस दिनांक को तत्समय के म प्र विद्युत मंडल मुरैना द्वारा वापस लिया गया तथा इसकी अंतिम रीडिंग क्या थी । तथा इसका पहला एवं अंतिम बिल क्या था , सभी की प्रमाणित प्रति चाहिये ।

3. वर्तमान में 42 गांधी कालोनी मुरैना पर विद्युत कनेक्शन कब व किसके नाम से किस दिनांक , माह एवं वर्ष में लगाया गया तथा यह किस प्रकार का था और इसका आवेदन क्या था , इस आवेदन की प्रति चाहिये , तथा यह कनेक्शन कितने फेज का था , और कितने फेज का लगयाया गया , वर्तमान में कितने फेज पर यह चालू एवं संचालित है ।

4.  यह कि वर्तमान में 42 गांधी कालोनी मुरैना म.प्र पर संचालित विद्युत कनेक्शन का पहला विद्युत मीटर किस दिनांक को लगाया गया एवं उसकी अंतिम रीडिंग क्या थी । तथा इसका पहला एवं अंतिम बिल क्या था , सभी की प्रमाणित प्रति चाहिये । इस कनेक्शन पर दूसरा नवीन विद्युत मीटर कब और किस दिनांक को और किस स्थल पर लगाया गया , इस मीटर की अंतिम रीडिंग क्या थी और इसका पहला व अंतिम बिल क्या है , सभी की प्रमाणित प्रति चाहिये ।

5.  42 एवं 43 गांधी कालोनी मुरैना को सप्लाई की जाने वाली विद्युत ट्रांसफार्मर पोल पर से कुल कितने घरों में विद्युत कनेक्शन किस किसको दिये गये हैं उन सभी के नाम पते , कनेक्शन क्रमांक व कनेक्शन दिनांक जिसमें पहला कनेक्शन दिनांक मय माह एवं वर्ष तथा अंतिम व वर्तमान कनेक्शन दिनांक , माह व वर्ष तथा उनके पहले व वर्तमान विद्युत कनेक्शनों के आवेदन की प्रति तथा उनके पहले व अंतिम बिजली बिलों की प्रति की प्रमाणित प्रतियां चाहिये ।

6.  गांधी कालोनी मुरैना के कुल कितने घरों में आकलित खपत के बिल भेजे जाते हैं उन सभी के पहले व अंतिम बिजली  बिलों की प्रमाणित प्रतियां चाहियें तथा उनका प्रथम कनेक्शन आवेदन व वर्तमान कनेक्शन आवेदन सभी की प्रमाणित प्रतियां चाहिये । गांधी कालोनी क्षेत्र में कुल कितने बिजली मीटर खराब हैं या हें ही नहीं उनकी संख्या क्या है एवं मीटर रीडर द्वारा उनकी खराब होने या न होने की रिपोर्ट कब कब कितने दिन के भीतर दी गयी और कितने दिन के भीतर खराब मीटर बदले गये । सभी रिपोर्टों की सन 2001 से आज दिनांक तक की प्रमाणित प्रति चाहिये ।

7.  कुल कितने बिजली पोल से मुरेना नगर निगम क्षेत्र में बिजली पोल ट्रांसफार्मर पर 5 से कम घरेलू उपभोक्ताओं या व्यावसायिक उपभोक्ताओं से कम कनेक्शन हैं और कितने पर 5 से अधिक ऐसे उपभोक्ताओं के कनेक्शन हैं , तथा कितने उपभोक्ता बिना तय कनेक्शन संख्या  वाले बिजली पोल ट्रांसफार्मरों से जुड़े हैं और उनके बिल निर्धारण का क्राइटीरिया व तरीका क्या है । नगरनिगम क्षेत्र में कुल कितने बिजली मीटर खराब हैं या हैं ही नहीं उनकी संख्या क्या है एवं मीटर रीडर द्वारा उनकी खराब होने या न होने की रिपोर्ट कब कब कितने दिन के भीतर दी गयी और कितने दिन के भीतर खराब मीटर बदले गये ।

8.  उपभोक्ताओं घरेलू एवं व्यावसायिक दोनों का ही लोड टेस्टिंग का क्राइटीरिया क्या है और वैधानिक आधार क्या है , एवं किस मशीन या उपकरण का उपयोग लोड टेस्टर के लिये क्या जाता है , तथा ऐसी मशीनें व उपकरण कितनी संख्या में मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की मुरैना शाखा के पास उपलब्ध हैं एवं कब कब कितने कितने मुल्य में कहां से खरीदीं गयीं , इनके टेंडर व कब किसको किये गये , इन टेंडरों की प्रमाणित प्रति चाहिये और कुल उपलब्ध संख्या की प्रमाणित प्रतियां चाहियें ।

अस्तु उपरोक्तानुसार आवेदक इन सभी मामलों में हर प्रकार की न्यायालयीन व कानूनी कार्यवाही हेतु भारम सरकार के न्याय विभाग , विधि और न्याय मंत्रालय से सूचीबद्ध व अधिकृत होकर अत्यावश्यक और उचित  कार्यवाही व्यापक जनहित में करने जा रहा है । जिसके लिये उपरोक्त जानकारी की मय दस्तावेज प्रमाणित प्रतियों में  आवश्यकता है । तथा इस संबंध में प्रत्येक प्रकार के शुल्क , न्यायायिक शुल्क एवं अन्य प्रभारों से मुक्त है । देखें आनलाइन न्याय विभाग भारत सरकार का पोर्टल ।

 

दिनांक 24 मार्च 2021                        हस्ताक्षर डिजिटल एवं स्याही में ( दोनों में )  मय सील

  नरेन्द्र सिंह तोमर

एडवोकेट

Narendra Singh Tomar

Advocate ( M.P. High Court – Gwalior Bench)

Attorney For Trade Marks , Copy Rights, Patents and Designs.

Nyaya Bandhu  ( Probono Legal Services Under NALSA )

42 , Gandhi Colony – Morena – M.P.

       Mobile Numbers – 9425738101  & 7000998037  



केवल आधी Gandhi Colony Morena में लगातार विगत चार दिन से की जा रही पूरे दिन रात की मैराथन बिजली कटौती के बाद  फिर आज भी अभी इस समय तक बिजली कटौती जारी है

नहीं करते बिजली कंपनियों के लोग बिजली बिल एडजस्ट , खुद करते हैं चोरी और करवाते हैं ले देर बिजली चोरी , एक डाक्टर ने अपने क्लिनिक में यहां लगवा रखा है, काफी समय से , दो बरस पहले से यानि सन 2018 से, वह बिजली की एक्सेस प्राडक्शन को बिजली कंपनी को हर रोज अनेक महीने तक सप्लाई करता रहा , मगर बिजली कंपनी ने उसे भुगतान करने के बजाय उल्टा उस पर दे दनादन बिल पर बिल भेज दिया , डाक्टर अपना माथा फोड़ता रह गया और बिजली वालों से उल्टे अपना बिल माफ कराने को चक्कर लगाता फिर , उसके बाद लाकडाउन में बिजली कंपनी वालों ने उसका बिल बिलासुर बनाकर अनाप-शनाप बिल दे दे कर बिलबिला दिया । 

सो कोई अब बिजली कंपनी को एक्सेस सप्लाई देगा यह तो चंबल में यह गलती कोई नहीं करेगा । अखबारों में जब उसकी खबर छपी तब लोगों को पता चली और एक नया कारनामा नयी कारिस्तानी लोगों को पता चली ।

हमारा या हमारे मोहल्ले का मामला जरा पेचीदा है, हमारे खंबे पर हमने अपने प्रयासों से एक एस ई से 25 के वी का ट्रांसफार्मर हटवा कर 63 के वी का लगवाया, उस समय एक सब इंजीनियर जबरदस्ती उस पर 25 के वी का ही ट्रांसफार्मर रखवा रहा था, हमने फिर उसी वक्त एस ई से फोन पर बात की , एस ई ने हमसे कहा कि नहीं तोमर साहब वहां 63 के वी का ही ट्रांसफार्मर रखा जायेगा मैंने वहां 63 के वी का ही ट्रांसफार्मर मंजूर किया है और वही वहां रखा जायेगा । 

खैर उसके कुछ बरस बाद वह सब इंजीनियर यहीं मुरैना में ही एस ई बन गया , उसके बाद उसने वो अंधेरगर्दी मचाई कि 5 कनेक्शन वाले ट्रांसफार्मर पर यानि उस हमारे पोल पर केवल तीन कनेक्शन उपभोक्ताओं के और बाद बाकी दो पांइ़ट्स से एक तरफ का आधे मोहल्ले की सभी घरों की पूरी सप्लाई और दूसरे प्वाइंट पर आधी एक अलग गली की सप्लाई , मतलब डबल क्रॉस, यानि पोल के रीडिंग के हिसाब से तीन उपभोक्ताओं पर एवरेज बिलिंग और बाद बाकी मोहल्ले से भी हर घर से अलग-अलग एवरेज बिलिंग , मतलब खंबे और ट्रांसफार्मर की अनाप-शनाप कमाई अलग और बाकी मोहल्ले के हर घर से एवरेज और मीटर्ड बिल दोनों तरह की वसूली अलग । यानि बाकी मोहल्ले में 5 कनेक्शन वाला कोई ट्रांसफार्मर ही नहीं है , अब उनका पोल नंबर और ट्रांसफार्मर नंबर क्या कैलकुलेट किया जायेगा ये तो खुदा जाने , क्योंकि उनकी लाइन पोल ट्रांसफार्मर ही नहीं । ये हमने अपनी पी जी भारत सरकार के रिमांइडर में कल ही सब उल्लेख किया है । 

अब दिक्कत ये है कि बिजली कंपनी वाले सी एम हेल्पलाइन म प्र को कुछ समझते नहीं और लपक कर अर्जी फर्जी तरीके से शिकायतें क्लोज करा देते हैं , इसलिये हम अब सी एम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करते नहीं , मगर खुद म प्र शासन ही अपने आप ही मैपिंग कर खुद ही शिकायत हमारे नाम और नंबर से दर्ज कर देता है और शिकायत चलाता रहता है, अबकी बार सरकार बदल जाने से ही एम हेल्पलाइन कुछ सख्त और खतरनाक तरीके से चल और काम कर रही है, इसलिये वे समझते हैं कि हमने सी एम हेल्पलाइन पर शिकायत फिर दर्ज कर दी , और वे हमारे पोल जोन एरिया की बिजली काटते रहते हैं, हम हालांकि 3 फेज उपभोक्ता है मगर हमें कभी 3 फेज सप्लाई सन् 2010 से मिली ही नहीं केवल सिंगल फेज सप्लाई देते हैं और बिल 3 फेज का देते हैं , पहले तो कई साल तो इसी में ही लगा दिये कि तीनों फेजों को सिंगल फेज में जोड़कर 3 फेज सप्लाई बताते रहे, जब तक वह शिकायत गर्म रही तब तक यह नौटंकी दिखाते रहे , फिर 2010 के बाद क्लीयर कट सिंगल फेज सप्लाई ही चल रही है, खैर ये सारी बातें कल के रिमांइडर में हमने लिखी है, क्योंकि हम जानते हैं कि एक और अगली पी जी आयेगी तो सबके साथ अब सारा ही मसला खुलकर सामने आयेगा । समझे के बी कुछ , चोरों के पीछे मोर पड़े हैं, हम भी अबकी बार कसम खा के बैठै है , आर या पार

अंतर्रार्ष्टीय महिला दिवस म.प्र पर एक फिल्म , कैसे मना मध्यप्रदेश में महिला दिवस - देंखें फिल्म

Posted: 15 Mar 2021 10:08 PM PDT


 

सावधानी बरतें तो नहीं होगी गर्मी में वनो में आग दुर्घटना

Posted: 15 Mar 2021 10:05 PM PDT

 वातावरण का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है, तापमान में वृद्धि के साथ वनों में आग दुर्घटनाओं की आशंका रहती है। महुआ तथा अन्य वनों उपज संग्रहण के लिए भी पेड़ों के नीचे गिरे पत्तों को नष्ट करने के लिए लापरवाही से आग का उपयोग किया जाता है। इससे कई बार बड़े वन क्षेत्र में आग का प्रकोप हो जाता है। आग लगने से हरे-भरे वृक्ष झाडि़यां तथा घास नष्ट हो जाती हैं। जंगली जानवरों को भी इससे हानि पहुंचती है। आग से अनमोल वनसंपदा नष्ट हो जाती है। आग लगने से मिट्टी की ऊपरी सतह कठोर हो जाती है तथा कई पोषक सूक्ष्म, जीव नष्ट हो जाते हैं। आग को वनों में फैलने से रोकने के लिए सावधानी रखना आवश्यक है। वनों उपज संग्रहण के लिए वनों में आग न जलायें, वनों में आग की सूचना मिलने पर तत्काल क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दें। सबके सहयोग से ही वनों को आग से बचाया जा सकता है।

परीक्षा में बोनस अंक के लिए मांगा रिकार्ड

Posted: 15 Mar 2021 10:04 PM PDT

 राज्य व राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में अव्वल रहे नियमित छात्र-छात्राओं को माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल द्वारा परीक्षा में बोनस अंक दिए जाएंगे। इसमें राज्य स्तर के लिए 10 अंक व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए 20 अंक दिए जाते हैं। शिक्षा व जनजातीय विभाग के खेल अफसरों ने सभी स्कूल प्राचार्यों से निर्धारित प्रपत्र में अभिलेख मंगाए हैं।  

समय पर ट्रीटमेंट कर लें तो जन्मजात बच्चों को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है - डॉ. विकास शर्मा

Posted: 15 Mar 2021 10:03 PM PDT

 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण के  तौर एसएनसीयू संचालक डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा कि जन्म के समय विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता बच्चे के साथ आती हैं जैसे कि होंठ कटा पैर मुड़ा हुआ हाथ टेड़ा आदि प्रकार की दिव्यांगता को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है, जन्म के तुरंत बाद बच्चे को जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज भिजवाया जाकर। यह बात उन्होंने एक निजी होटल में प्रशिक्षण बतौर जिले के प्रसव केन्द्रों से आये मेडिकल ऑफीसर स्टाफ नर्स तथा आरबीएस के लेबर रूम इनचार्ज को प्रशिक्षण बतौर कहीं। इस अवसर पर डीपीएम श्री एसके श्रीवास्तव आरबीएस कॉर्डीनेटर राम कुमार गोयल, मेडिकल ऑफीसर जिले एवं ब्लॉक  से आये लेबर रूम इन्चार्ज स्टाफ नर्स आदि उपस्थित थे।  

    एसएनसीयू प्रभारी डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा कि हमारे देश में 17 लाख बच्चे जन्मजात विकृति के पैदा होते हैं जिसमें 10 प्रतिशत नवजात शिशु की जन्मजात विकृति के कारण मृत्यु भी हो जाती है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य के अंतर्गत कॉन्फ्रेंसिंग न्यू बॉर्न स्क्रीनिंग सिम्पोसियम का प्रशिक्षण रखा गया है।
    हर डिलेवरी के पॉइंट पर हर नवजात की स्क्रीनिंग की जाये तो समय पर उसे डिसचार्ज जिला एवं मेडिकल कॉलेज पर किया जा सके तो उसे उस मृत्यु को या उस जन्मजात बीमारी को कम किया जा सकता है। इसका उद्धेश्य केवल बच्चा जीवित ही नहीं रहे केवल हेल्दी लाइफ जिये, शारीरिक मानसिक गतिविधियों में न जिये इस ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षित किया जा रहा है जिससे हम प्रदेश की मृत्यु दर को काफी हद तक और कम किया जा सकता है।

कम्प्यूटर का ज्ञान प्राप्त कर माया आजीविका स्वसहायता समूह गोठ की महिलायें बना रहीं है आयुष्मान भारत कार्ड

Posted: 15 Mar 2021 10:01 PM PDT

महिलायें भी पुरूष से कहीं कम नहीं है। ये सब साकार हुआ है मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा समूह में जुड़कर। जो कि महिलाओं ने आयुष्मान भारत कार्ड बनाने का जिम्मा हाथ में लिया था, अभी तक समूह 450 कार्ड भी बना चुका है।        
    ग्राम गोठ ''माया आजीविका स्व-सहायता समूह'' की अध्यक्ष श्रीमती अल्पना तोमर ने बताया कि महिलायें क्या नहीं कर सकतीं। महिलायें पुरूषों से भी पीछे नहीं है। वर्ष 2018 में एनआरएलएम के मार्गदर्शन में मेरे द्वारा स्व-सहायता समूह का गठन किया गया था, जिसमें 10 महिलायें शामिल की थीं। समूह की सभी महिलायें अत्यन्त गरीब परिवार से थी, उन्हें कोई मार्गदर्शन और आजीविका चलाने के लिये रोजगार की जरूरत भी थी। किंतु मेरे द्वारा समूह का गठन किया और 20-20 रूपये प्रति महिला के मान से प्रति सप्ताह इकट्ठा कर करीबन 40 हजार रूपये की बचत बैंक में जमा हुई। इसके बाद शासन द्वारा प्रति महिला 10 हजार रूपये के मान से एक लाख रूपये की राशि प्राप्त हुई। समूह द्वारा धीरे-धीरे झाड़ू बनाने का कार्य किया। उससे भी कुछ आय प्रति महिला के मान से प्राप्त होने लगी। समूह में कुछ महिलायें अच्छी पढ़ी-लिखी भी थीं। जिन्हें अल्प ज्ञान कम्प्यूटर में कराना जरूरी था। एनआरएलएम द्वारा समूह को कम्प्यूटर का ज्ञान कराया, तब महिलाओं ने आयुष्मान भारत कार्ड बनाने का जिम्मा हाथ में लिया। आज तक माया आजीविका स्व-सहायता समूह द्वारा 450 आयुष्मान भारत कार्ड निःशुल्क बनाये जा चुके है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती अल्पना तोमर ने बताया कि प्रति कार्ड शासन द्वारा जो भी मानदेय मिलेगा उसे हम स्वीकार करेंगे।                 

                                              मोबा. नं. 9926223757

डी.डी.शाक्यवार 

मत्स्य संपदा योजना - 40 से 60 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान

Posted: 15 Mar 2021 09:54 PM PDT

 मत्स्य पालन के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मछली उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, गुणवत्ता तकनीकी आधारभूत संरचना एवं प्रबंधन के अंतर को कम करना मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण एवं सुदृढीकरण करना है।

        मत्स्य पालन प्रबंधन ढांचा की स्थापना तथा मछुआरों एवं मत्स्य कृषकों की आय को बढ़ाना है। इस योजना में विभिन्न योजनाएं जिसमें मत्स्य बीज उत्पादन के लिए बीज उत्पादन हैचरी की स्थापना, नवीन मत्स्यबीज संवर्धन के लिए पोखर, तालाब का निर्माण, नवीन तालाब, का निर्माण, मिश्रित मत्स्य पालन, पंगेसियस मछली पालन, तिलापिया मछली पालन के लिए इनपुट्स की व्यवस्था शामिल है। इसी तरह जलाशय में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन रंगीन मछलियों की ब्रीडिंग एवं रिपरिंग के लिए ईकाई की स्थापना, पुनरू संचारी जल कृषि प्रणाली की स्थापना, बायोफ्लॉक की स्थापना, आईस बॉक्स युक्त मोटर साईकिलध् मछली बिक्री के लिए ई-रिक्शा रेफ्रीजरेटर, ट्रक, जलाशय में केजपेन स्थापनाध्फिश फीड मिल प्लांट, मछली क्योस्क का निर्माण, थोक मछली बाजार का निर्माण, आईस प्लांट स्थापना इत्यादि शामिल है। योजना में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं महिला वर्ग के हितग्राहियों को इकाई लागत का 60 प्रतिशत एवं सामान्य वर्ग तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राहियों को 40 प्रतिशत अनुदान की सुविधा दी गई है।  

चना, सरसों की खरीदी अब 22 मार्च से - कलेक्टर कार्तिकेयन

Posted: 15 Mar 2021 09:52 PM PDT

 कलेक्टर श्री बी. कार्तिकेयन ने कहा है कि समर्थन मूल्य पर चना और सरसों की फसलों का उपार्जन अब 22 मार्च से होगा। उन्होंने बताया कि पहले इसका उपार्जन 15 मार्च से करने का निर्णय लिया गया था। वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए 15 मार्च के स्थान पर 22 मार्च से खरीदी का निर्णय लिया गया है।  

अमानक बीज पाये जाने पर 7 फर्मो के पंजीयन तत्काल प्रभाव से निलंबित

Posted: 15 Mar 2021 09:51 PM PDT

  किसान कल्याण तथा कृषि विकास एवं उप संचालक बीज अनुज्ञापन अधिकारी श्री पी.सी. पटेल के मार्गदर्शन में बीज निरीक्षक पदेन वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारियों द्वारा फर्मो का निरीक्षण किया।

    निरीक्षण के दौरान 7 फर्मो के बीज अमानक पाये गये। जिनके वैधता पंजीयन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जिसमें मैसर्स न्यू गायत्री बीज भंडार एमएस रोड़ मुरैना, किसान कृषि सेवा केन्द्र एमएस रोड़़ डोंगरपुर मानगढ़ कैलारस, अभी इंटर प्रायजेज बीज भंडार सबलगढ़, शिव बीज भंडार अम्बाह रोड़ पोरसा, श्रीराम बीज भंडार अटेर रोड़ पोरसा, राज राजेश्वरी बीज भंडार सब्जी मंडी रोड़ अम्बाह और मैसर्स श्री बालाजी कृषि सेवा केन्द्र पुरानी सब्जी मंडी जौरा के वैधता पंजीयन को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है।  

पीईबी ने स्पष्ट की वस्तुस्थिति-ग्रामीण कृषि विस्तार एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी भर्ती परीक्षा 2020

Posted: 15 Mar 2021 09:49 PM PDT

 प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, मध्यप्रदेश, भोपाल के अन्तर्गत ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के 791 एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के 72 इस प्रकार कुल 863 पदों हेतु भर्ती परीक्षा का आयोजन दिनाँक 10.2.2021 एवं 11.02.2021 को कुल तीन पालियों में किया गया था। उक्त परीक्षा में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी हेतु 19971 एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी हेतु 8132 अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था। यह परीक्षा मध्यप्रदेश के 13 शहरों के 57 परीक्षा केन्द्रों में आयोजित की गई थी, जिसमें अभ्यर्थियों का उपस्थिति प्रतिशत 82.92 प्रतिशत रहा।  

   अगस्त 2015 से पी.ई.बी. द्वारा ऑनलाईन पद्धति से परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है एवं तत्समय से ही परीक्षा प्रणाली को और सुदृढ़, सुचितापूर्ण एवं पारदर्शी बनाये जाने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में परीक्षा समाप्ति के समय ही अभ्यर्थियों को उनके सही उत्तरों की संख्या, अंक प्रदर्शित किये जाते हैं। पूर्ण परीक्षा की समाप्ति के पश्चात् परीक्षा में आये प्रश्नों पर अभ्यर्थियों से आपत्तियां आमंत्रित की जाती हैं। नवम्बर-2020 से यह प्रक्रिया ऑनलाईन माध्यम से प्रारंभ की गई है। जिसमें पी.ई.बी. के पोर्टल पर प्रदर्शित लिंक के माध्यम से केवल अभ्यर्थी अपना रोल नम्बर, जन्मतिथि, परीक्षा तिथि एवं पाली को अंकित कर अपनी उत्तर पुस्तिका को मॉडल उत्तर कुंजी सहित देख सकता है तथा आपत्तिगत प्रश्नों पर ऑनलाइन अभ्यावेदन कर सकता है। तत्पश्चात आपत्तिगत प्रश्नों को विषय-विशेषज्ञों की कुंजी-समिति के समक्ष निर्णय हेतु रखा जाता है एवं समिति की अनुशंसा अनुसार निरस्त किये गये प्रश्नों, विकल्प परिवर्तन किए गए प्रश्नों के अनुसार अंकों में परिवर्तन किया जाता है। किसान कल्याण भर्ती परीक्षा हेतु प्रश्नों पर आपत्ति हेतु ऑनलाईन अभ्यावेदन प्रक्रिया दिनांक 17.02.2021 से प्रारंभ की गई थी एवं 07 दिवस पश्चात् दिनांक 23.02.2021 को समाप्त की गई।
   पी.ई.बी. द्वारा आयोजित परीक्षाएँ, जो एक से अधिक पालियों में आयोजित की जाती हैं, में यह संभव है कि भिन्न-भिन्न पालियों में प्रश्नों के कठिनता स्तर भिन्न-भिन्न हों। अतः पी.ई.बी. द्वारा पालियों में आए प्रश्नों के कठिनता स्तर के अनुसार अंकों को समरूप करने हेतु परीक्षा परिणाम में नार्मलाइजेशन प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, जो एक सांख्यिकी सूत्र पर आधारित है, जिसमें पालियों में अभ्यर्थियों के औसत अंक एवं अंको के स्डेण्डर्ड डेविएशन का उपयोग किया जाता है। यह सांख्यिकी सूत्र मान. उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश द्वारा याचिका क्रमांक- 8083, 2016, 8124, 2016, 8434, 2016 एवं 8609, 2016 एवं अन्य में पारित आदेशों में भी अधिमान्य किया गया है।  
   वर्तमान में उक्त परीक्षा हेतु विषय-विशेषज्ञों की कुंजी समिति की बैठक एवं नार्मलाइजेशन प्रक्रिया संपन्न नहीं हुई है, इसके पश्चात ही परीक्षा परिणाम घोषित किया जायेगा। समाचार-पत्रों में उल्लेख हो रहा है कि पी.ई.बी. द्वारा परीक्षाओं का संचालन अन्य राज्यों में ब्लैकलिस्टेड एजेंसी द्वारा कराया जा रहा है, जिसके संबंध में लेख है कि पी.ई.बी. द्वारा अनुबंधित परीक्षा संचालन एजेंसी एवं प्रश्न-पत्र निर्माण एजेंसी का चयन पूर्णतः पारदर्शी टेण्डर प्रक्रिया के तहत किया गया जिसमें एजेंसियों द्वारा ब्लैकलिस्ट नहीं होने संबंधी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया गया है। दिनांक 17.02.2021 के उपरांत किसी एक विशेष क्षेत्र के अभ्यर्थियों को अधिक अंक प्राप्त होने के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई हैं। परीक्षा से संबंधित समस्त डाटा, सी.सी.टी.व्ही. फुटेज तथा सर्वर लॉग डिटेल की जॉच हेतु पी.ई.बी. द्वारा MPSEDC से सहयोग प्राप्त किया जा रहा है। जिनके द्वारा संपूर्ण परीक्षा संचालन प्रक्रिया तथा डाटा ट्रांसफर की प्रणालियों का भी परीक्षण किया जा रहा है। जाँच प्रतिवेदन शीघ्र अपेक्षित है। जिसकी प्राप्ति के उपरांत ही पी.ई.बी. द्वारा उक्त परीक्षा के परीक्षा परिणाम घोषणा के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतों को मिलेंगे राष्ट्रीय पुरूस्कार

Posted: 15 Mar 2021 09:46 PM PDT

 राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल 2021 के अवसर पर ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत व जिला पंचायतों को भारत सरकार पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत किया जाना है। भारत सरकार पंचायती राज मंत्रालय द्वारा उक्त पुरस्कारों के लिए तीन स्तरों की पंचायतों से विभिन्न श्रेणियों के लिए नामांकन आमंत्रित किए गए है।

    इस वर्ष दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार सामान्य और विषयात्मक श्रेणी के लिए तीनों स्तर की पंचायतों को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार- ग्राम पंचायतों को ग्रामसभा के उत्कृष्ट कार्य निष्पादन के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार-ग्राम पंचायतों को बाल हितेषी ग्राम पंचायत पुरस्कार- ग्राम पंचायतों को। जिला पंचायत को प्रमाण पत्र के साथ 50 लाख रूपये की राशि, जनपद पंचायत को प्रमाण पत्र के साथ 25 लाख रूपये की राशि, ग्राम पंचायतों को उनकी जनसंख्या के अनुसार प्रमाण पत्र के साथ 5 लाख रूपये से 15 लाख रूपये तक की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाती है।
   प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में 24 अप्रैल को भारत सरकार पंचायती राज मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत किया जाता है। इन पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन नामांकन ऑनलाइन पोर्टल लिंक http//panchayataward.gov के माध्यम से अग्रेषित किये जा सकते है। नामांकन निर्धारित ऑनलाईन प्रपत्र में निम्नांकित श्रेणियों के लिए किए जा सकेंगे। यह मूल्यांकन वर्ष 2019-20 के आधार पर होगा। पंचायतों के चयन कार्य एवं खण्ड स्तर पर गठित समितियों के माध्यम से किया जायेगा। प्रथम स्तर, खण्ड स्तर पर चयन प्रत्यक्ष विचार विमर्श साक्षात्कार के आधार पर होगा। आवेदक ग्राम पंचायत प्रस्तुतिकरण देगी और मूल्यांकन वर्ष में पंचायत द्वारा अर्जित उपलब्धियों को वीडियों के माध्यम से भी खण्ड स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी। इसी अनुक्रम में चयनित ग्राम पंचायत एक प्रस्तुतिकरण जिला स्तर चयन समिति के समक्ष करेगी।