शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

कहत कबीर सुनो भई साधो, बात कहूं मैं खरी.......बिजली जावत देख कर, जनता करी पुकार.....

कहत कबीर सुनो भई साधो, बात कहूं मैं खरी.......बिजली जावत देख कर, जनता करी पुकार.....

Narendra Singh Tomar "Anand"

 

कबिरा बिजली देंख के, जब रह गये यूं दंग ।
देख तमाशा अजब सा
, ठानी रच रस रंग ।।
ठानी रच रस रंग
, पदबन्ध रचा ।
लिखा अपढ गँवार जो जन मन बीच बसा ।।
बिजली को तो जाना है
, वक्त से पहले चली गयी ।
दिन भर पूरे गोल रह
, देर रात को आयेगी ।।
टाँग पसार के दिन भर सोवो
, करो रात में काम ।
चढ जा बेटा सूली पे
, बली करेंगे राम ।।
भली करेंगे राम
, जय श्री राम जय श्री राम ।
सदी 18 का मिले
, फोकट ही आराम ।।
बच्चों के पेपर फिर आये
, लेकिन बिजली कभी न आई ।
भर्ती सारे चोर कर लिये जिनने सूंत के करी कमाई ।।
चोर एक चोरी करे
, फिर भी सीनाजोर ।
अपनी चोरी का दे दोष
, कहता जनता चोर ।।
40 साल से चल रही व्यवस्था
, तब नहीं थी जनता चोर ।
चोरों की सत्ता आते ही अब कहते जनता चोर ।।
पूरी बिजली लील गये
, पर ना लई डकार ।
कानन में है रूई ठुसी
, सोय रही सरकार ।।
करोड अरब के करे घुटाले
, फर्जीवाडे खर्च में डाले ।
दारू बीवी और संग में 56 ऐब और हैं पाले ।।
खर्च वसूली लाली लिपिस्टक औ ऊपर की माँग ।
कैसे पूरति होवे इनकी रोज रचें नित इक स्वांग ।।
कछु लुगाई की फरमाइश कछु रखैलन संग ।
जेबें काट काट जनता की
, करें प्रजा कों तंग ।।
भडिया बैठे बिजली घर में रोज करें भडियाई ।
जो कहुँ जनता करे शिकायत
, जानो सिर पे आफत आई ।।
या चोरी का केस लगावै
, या माँगें पनिहाई ।
जो जनता माई बाप कहावे
, भई अब गरीब लुगाई ।।
लोड चेक के नाम पे
, ठांसें रोज डकैत ।
सरकारी लैसन्स पे
, लूटत फिरें भडैत ।।
इन भडियन के राज में
, खूब मचा अंधेर ।
अंधकार कायम रहे
, कोडवर्ड का ये शेर ।।
अब जनता दीखे चोर
, कहें लीलै बिजली जनता ।
जब बिजली थी खूब यहाँ
, काहे चोर बजी न जनता ।।
तब भी काँटे खूब डले थे. खूब जले थे हीटर ।
जम कर बिजली खूब जलाते और नहीं थे मीटर ।।
बिन बिजली के बिल मिल रहे अब अंधाधुंध अनंत ।
अब बढी गयी आबादी
, बोलो सरकारी संत ।।
6 शहर भारत के ऐसे
, आध करोड ऊपर आबादी ।
ना बिजली का पत्ता खडके
, ना ऐसी बर्बादी ।।
काँटे कटिया वहाँ भी डलते
, ए.सी. हीटर की भरमार ।
पहले झाँको गिरेबान में गुण्डा भडियन के सरदार ।।
हालत गुण्डा राज की
, देख कें रहे कबीरा रोय ।
पब्लिक नर्राती फिरे
, राजा रहो है सोय ।।
राजा रहो है सोय. कान में डारे नौ मन तेल ।
पाछें रजिल्ट से बुरो रहे
, छात्रों यही करमन के खेल ।।

 

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''
........क्रमश: जारी रहेगा अगले अंक में

 

मंगलवार, 26 जनवरी 2010

Jab Zero Diya Mere Bharat Ne - Purab Pashchim (UPDATED)

श्री रामसनेही को एक लाख रूपये का मध्यप्रदेश संत रविदास स्मृति सेवा पुरस्कार देने की घोषणा

श्री रामसनेही को एक लाख रूपये का मध्यप्रदेश संत रविदास स्मृति सेवा पुरस्कार देने की घोषणा

भोपाल 25 जनवरी 10। राज्य शासन ने वर्ष 2008-09 के लिये श्री रामसनेही, अध्यक्ष-विमुक्त जाति अभ्युदय संघ, ग्वालियर, चंबल संभाग वाटर र्वक्स कालोनी-मुरैना को एक लाख रूपये राशि ' का मध्यप्रदेश संत रविदास सेवा पुरस्कार ' प्रदान किये जाये की घोषणा की है। श्री रामसनेही को यह पुरस्कार उनके द्वार अनुसूचित जातियों के सामाजिक उत्थान के लिये किये गये उत्कृष्ट सेवा कार्य हेतु दिया जावेगा। शासन ने इस संबंध में आदेश जारी किये हैं।

 

सोमवार, 25 जनवरी 2010

एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों की मदद को बढ़े हाथ

एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों की मदद को बढ़े हाथ

याहू जागरण हिन्‍दी से साभार

हाजीपुर एचआईवी के साथ अंधेरी दुनिया में जी रहे बच्चों की मदद को हाथ बढ़े है। सरोकार परियोजना का रविवार को हाजीपुर में शुभारंभ के साथ ही ऐसे बच्चों के जीवन में रोशनी फैलने की उम्मीद जगी है। संस्था एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों के शिक्षा, पोषाहार, स्वास्थ्य एवं आवासीय प्रबंधन की व्यवस्था करेगी।

हाजीपुर के नारायणी नगर स्थित नारायणी सेवा संस्थान के सभागार में सरोकार परियोजना का शुभारंभ हुआ। अप्रवासी भारतीय एवं प्रतिज्ञा सामाजिक सेवा संस्थान के संरक्षक साधना सिंह ने दीप प्रज्वलित कर परियोजना का विधिवत शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों के लिए पोषाहार, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवासीय प्रबंध की व्यवस्था की जायेगी। इस मौके पर ऐसे छह बच्चों को टोकन के रूप में पोषाहार में हार्लिक्स सहित अन्य खाद्य सामग्री एवं किताब, कांपी, कलम, बैग एवं स्वेटर इत्यादि का वितरण श्रीमती सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने इस मौके पर जल्द ही ऐसे बच्चों के लिए आवासीय व्यवस्था करने की घोषणा की। बच्चों के रखरखाव, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की नि:शुल्क व्यवस्था होगी। इस मौके पर जिला एचआईवी कार्यक्रम 'दिशा' वैशाली के मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारी अमरजीत कुमार सिन्हा ने बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से जिले में एचआईवी के साथ जी रहे सभी बच्चों के जीवन में काफी सुधार आयेगा।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित एचआईवी संक्रमित नेटवर्क के अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार ने सरोकार परियोजना की सराहना करते हुए हरसंभव सहयोग करने की अपील की। शिशु रोग विशेषज्ञ डा. संतोष कुमार ने इस मौके पर कहा कि एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों में प्रतिरक्षण क्षमता कम हो जाती है जिसके कारण कोई भी बीमारी तुरंत पकड़ लेती है। इन बच्चों के पोषण एवं स्वच्छता पर सरोकार परियोजना ध्यान केन्द्रित करेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रतिज्ञा के संस्थापक सचिव संजय कुमार ने सरोकार परियोजना पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि इस परियोजना के माध्यम से जिले में एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों के जीवन में गुणात्मक सुधार लाने की कोशिश की जायेगी जिससे समाज में व्याप्त दूरी को मिटाया जा सके। आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए नारायणी सेवा संस्थान के सचिव ऋतुराज ने कहा कि इस परियोजना का शुरूआत होने से बच्चों को काफी मदद मिलेगी। इस मौके पर जागृति कला केन्द्र के सचिव अभय नाथ सिंह, डा. जेएस मिश्रा, डा. संजीव कुमार, सुरेश कुमार, सुनील कुमार, अजय प्रकाश, अवधेश कुमार, आशीष गौतम, आशुतोष राज, प्रेमनाथ, सुमित कुमार, मनीष कुमार समेत कई लोगों ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखते हुए कहा कि एचआईवी के साथ जी रहे बच्चों के जीवन में सरोकार परियोजना नई रोशनी फैलाने में मददगार साबित होगी।



रविवार, 24 जनवरी 2010

कहत कबीर सुनो भई साधू.....बात कहूँ मैं खरी____

कहत कबीर सुनो भई साधू.....बात कहूँ मैं खरी

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

 

कबिरा फँसे बाजार में, माँगें खुद की खैर ।
कापीराइट में ले गये सब रचनन के खैर ।।
पढे लिखेन की मंडी में
, कबिरा अपढ गंवार ।
कवियन मूरख नाम धर
, इज्जत रहे उतार ।।
इज्जत रहे उतार
, सुनावें नित नूतन कविता ।
कबिरा रोय पुकार
, कित गयी छंद की सविता ।।
ना दोहा ना चौपाई
, ना रोला ना मुक्तक ।
कहाँ सवैया
, सोरठा ना रची कुंडली अभी तक ।।
बडे बडे कविराय
, मण्डी के मठराज सलाह कबीरा दीनी ।
जाइन मठ कर
, लिख तारीफा जो आपुन हित चीन्ही ।।
वरना रहे फकीरा बन फिरे गरीबा गमछा टांगे फिरिहे ।
नहीं होय उद्धार ना बेडापार जो तारीफ हमारी ना करिहे ।।
पावै लाभ अपार यूनियन गर नूतन कविता की लेवे ।
हैल्मेट बिन बीमा के कोऊ कवि सम्मेलन में ठुकवे ।।
बस करता जा तारीफ
, पल्ले भले ना अधेला समझे ।
तुकबंदी बकवास की ये नूतन कविता समझे ।।
हैलमेट औ बीमा संग ट्रेनिंग कविता की देंगे ।
टैक्नालाजी औ मार्केटिंग संग कवि कबिरा नाम धरेंगे ।।
कहाँ फकीरी और गरीबी में लिये ताँत और बान ।
हुक्का बीडी और तमाखू
, कैसे मिटे थकान ।।
ऊँच सोसाइटी ऊँची संगत ऊँची बडी दुकान ।
कविता बिकती तारीफें बिकतीं बिकता है सम्मान ।।
चढी पसेरी हाट में तुलतीं
, कबिरा की पद बन्ध ।
कबिरा उलट बांसी ऐसी रची प्रस्तुत ये इक बंध ।।
ज्यों की त्यों धर दीनि चदरिया अब बोले संत कबीर ।
प्रिया फकीरी और गरीबी इनसों पैदा भयो कबीर ।।
ना नूतन पाखंड चहूँ
, ना चाहूँ बडी दूकान ।
मंडी तुम्हार चलती रहबे होय फरक पहचान ।।
कबिरा एम.ए. ना करी
, ना बन पाये अन जीनियर ।
पर पी.एच.डी. कर रहे कई कबिरा औ रहीमा पर ।।


.....जारी रहेगा क्रमश:

 

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''