कहत कबीर सुनो भई साधो, बात कहूं मैं खरी.......बिजली जावत देख कर, जनता करी पुकार.....
Narendra Singh Tomar "Anand"
कबिरा बिजली देंख के, जब रह गये यूं दंग ।
देख तमाशा अजब सा, ठानी रच रस रंग ।।
ठानी रच रस रंग, पदबन्ध रचा ।
लिखा अपढ गँवार जो जन मन बीच बसा ।।
बिजली को तो जाना है, वक्त से पहले चली गयी ।
दिन भर पूरे गोल रह, देर रात को आयेगी ।।
टाँग पसार के दिन भर सोवो, करो रात में काम ।
चढ जा बेटा सूली पे, बली करेंगे राम ।।
भली करेंगे राम, जय श्री राम जय श्री राम ।
सदी 18 का मिले, फोकट ही आराम ।।
बच्चों के पेपर फिर आये, लेकिन बिजली कभी न आई ।
भर्ती सारे चोर कर लिये जिनने सूंत के करी कमाई ।।
चोर एक चोरी करे, फिर भी सीनाजोर ।
अपनी चोरी का दे दोष , कहता जनता चोर ।।
40 साल से चल रही व्यवस्था, तब नहीं थी जनता चोर ।
चोरों की सत्ता आते ही अब कहते जनता चोर ।।
पूरी बिजली लील गये, पर ना लई डकार ।
कानन में है रूई ठुसी, सोय रही सरकार ।।
करोड अरब के करे घुटाले, फर्जीवाडे खर्च में डाले ।
दारू बीवी और संग में 56 ऐब और हैं पाले ।।
खर्च वसूली लाली लिपिस्टक औ ऊपर की माँग ।
कैसे पूरति होवे इनकी रोज रचें नित इक स्वांग ।।
कछु लुगाई की फरमाइश कछु रखैलन संग ।
जेबें काट काट जनता की, करें प्रजा कों तंग ।।
भडिया बैठे बिजली घर में रोज करें भडियाई ।
जो कहुँ जनता करे शिकायत, जानो सिर पे आफत आई ।।
या चोरी का केस लगावै, या माँगें पनिहाई ।
जो जनता माई बाप कहावे, भई अब गरीब लुगाई ।।
लोड चेक के नाम पे, ठांसें रोज डकैत ।
सरकारी लैसन्स पे, लूटत फिरें भडैत ।।
इन भडियन के राज में, खूब मचा अंधेर ।
अंधकार कायम रहे, कोडवर्ड का ये शेर ।।
अब जनता दीखे चोर, कहें लीलै बिजली जनता ।
जब बिजली थी खूब यहाँ , काहे चोर बजी न जनता ।।
तब भी काँटे खूब डले थे. खूब जले थे हीटर ।
जम कर बिजली खूब जलाते और नहीं थे मीटर ।।
बिन बिजली के बिल मिल रहे अब अंधाधुंध अनंत ।
अब बढी गयी आबादी, बोलो सरकारी संत ।।
6 शहर भारत के ऐसे, आध करोड ऊपर आबादी ।
ना बिजली का पत्ता खडके, ना ऐसी बर्बादी ।।
काँटे कटिया वहाँ भी डलते, ए.सी. हीटर की भरमार ।
पहले झाँको गिरेबान में गुण्डा भडियन के सरदार ।।
हालत गुण्डा राज की , देख कें रहे कबीरा रोय ।
पब्लिक नर्राती फिरे, राजा रहो है सोय ।।
राजा रहो है सोय. कान में डारे नौ मन तेल ।
पाछें रजिल्ट से बुरो रहे, छात्रों यही करमन के खेल ।।
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
........क्रमश: जारी रहेगा अगले अंक में