छोटे और मझोले समाचार पत्रों को विज्ञापनों का आधा हिस्सा
मध्यप्रदेश की जनसंपर्क नीति के विज्ञापन संबंधी नये प्रावधान लागू
संजय गुप्ता 'मांडिल'
जिला संवाददाता मुरैना
राज्य शासन द्वारा जनसंपर्क नीति के तहत विज्ञापन संबंधी नये प्रावधान लागू कर दिये गए हैं। इसके तहत लघु और मध्यम श्रेणी के समाचार पत्र-पत्रिकाओं पर प्रदर्शन विज्ञापन बजट का पचास प्रतिशत हिस्सा व्यय किया जाएगा। इसके साथ ही पत्रों की नियमितता, स्तर और प्रसार संख्या के सत्यापन संबंधी नियमों को भी और कड़ा बनाया गया है।
मध्यप्रदेश, विज्ञापन बजट का आधा हिस्सा लघु और मध्यम श्रेणी के समाचार पत्र-पत्रिकाओं को देने का प्रावधान करने वाला, देश का पहला राज्य है। भारत सरकार के दृश्य एवं प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) द्वारा इन श्रेणी के पत्रों के लिये प्रदर्शन विज्ञापन का मात्र चालीस प्रतिशत हिस्सा ही आरक्षित किया गया है। इन प्रावधानों के अनुसार लघु पत्र-पत्रिकाओं को बजट का 15 प्रतिशत मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों को 35 प्रतिशत और बड़े समाचार पत्र -पत्रिकाओं को बजट का पचास प्रतिशत हिस्सा दिया जायेगा। पच्चीस हजार तक की प्रसार संख्या वाले पत्रों को लघु, पच्चीस हजार एक से लेकर 75 हजार तक की प्रसार संख्या वाले पत्रों को मध्यम श्रेणी का माना गया है। 75 हजार से अधिक प्रसार संख्या वाले पत्रों को बड़े समाचार पत्रों की श्रेणी में रखा गया है।
नयी नीति के अनुसार समाचार पत्रों की विज्ञापन की 'राज्य दर' को दुगुना किया गया है और प्रदर्शन विज्ञापन पर की जाने वाली पंद्रह प्रतिशत की कटौती से लघु समाचार पत्र-पत्रिकाओं को मुक्त कर दिया गया है। अभी तक सभी श्रेणी के समाचार पत्र पत्रिकाओं से यह कटौती की जाती थी।
विज्ञापन की पात्रता में अब इलेक्ट्रानिक मीडिया को भी शामिल किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में टी.वी.चैनल और वेबसाइटस् के अलावा सामुदायिक रेडियो को शामिल किया है। इसके अलावा सामुदायिक अखबार (कम्यूनिटी न्यूज पेपर्स) और ग्रामीण नेबरहुड पत्रकारिता को भी शासकीय विज्ञापन की पात्रता में शामिल किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइटस को विज्ञापन देने के आधारभूत नियम भी बनाये गए हैं। इनमें टी वी चैनल के प्रसार वाले जिलों की संख्या और कवरेज क्षेत्र, वेबसाइटस के मामले में देखे जाने के प्रमाण (हिटस्), नियमित अपडेट आदि आधार बनाए गये हैं। स्थानीय केबल के मामले में प्रसार क्षेत्र और ग्राहक संख्या का प्रमाण पत्र लिया जायेगा। अशासकीय, व्यवसायिक रेडियो और अव्यवसायिक प्रसारणों के लिये भी विज्ञापन, टी.वी. चैनल्स के समान मानदंडों के लिये दिये जा सकेंगे। साहित्यक, सामाजिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण विषय विशेष और महिलाओं - बच्चों संबंधी प्रकाशनों को विज्ञापनों में विशेष सहयोग दिया जायेगा।
प्रसार संख्या के सत्यापन के लिये अब कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समितियों का प्रावधान किया गया है। समिति के सदस्यों में कलेक्टर द्वारा नामांकित प्रथम श्रेणी के दो अधिकारी, जिनमें से एक वाणिज्यक कर विभाग का होगा, श्रम अधिकारी और जिला जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी अधिकारी शामिल किये गये हैं। इस तरह के प्रकरणों में एक अपील समिति भी बनाई गयी है। सचिव जनसंपर्क इस समिति के अध्यक्ष बनाये गये हैं। सूची से बाहर के समाचार पत्रों के लिये जानकारी का एक प्रपत्र निर्धारित किया गया है। इसका उद्देश्य नियमित और वास्तविक समाचार पत्र-पत्रिकाओं की पहचान करना है।