गुरुवार, 26 अगस्त 2010
संभागीय मुख्यालय 206 घण्टे से अंधेरेमें
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मंगलवार, 24 अगस्त 2010
संभागीय मुख्यालय 161 घण्टे से अंधेरेमें
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रक्षाबन्धन जब पत्नी ने बांधी पति को राखी ... क्या है , क्यों व कैसे मनायें रक्षा बन्धन - नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनन्द''
रक्षाबन्धन जब पत्नी ने बांधी पति को राखी ... क्या है , क्यों व कैसे मनायें रक्षा बन्धन
नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनन्द''
रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के अंतिम दिन यानि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को होता है । मदन रत्न- भविष्योत्तर पुराण के अनुसार इसमें पराह्नव्यापिनी तिथि ली जाती है । यदि वह दो दिन हो या दोनों ही दिन न हो, तो पूर्वा लेनी चाहिये, यदि उस दिन भद्रा हो तो उसका त्याग करना चाहिये । भद्रा में श्रावणी और फाल्गुनी दोनों ही नक्षत्र वर्जित हैं, क्योंकि श्रावणी से राजा का और फाल्गुनी से प्रजा का अनिष्ट होता है । पर्व मनाने वाले को चाहिये कि उस दिन प्रात:स्ननादि से निवृत्त होकर वेदोक्त विधि से रक्षाबन्धन , पितृ तर्पण और ऋषि पूजन करे । रक्षा के लिये किसी विचित्र वस्त्र या रेशम आदि की रक्षा बनावे, उसमें सुवर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रख कर रंगीन सूत केडोरे में बांधे और अपने मकान के शुद्ध स्थान में कलशादि स्थापन करके उस पर उसका यथा विधि पूजन करे , फिर उसे राजा, मंत्री, वैश्य या शिष्ट शिष्यादि के दाहिने हाथ में 'येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: । तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल । ' इस मंत्र से बांधे । इसके बांधने से वर्ष भर तक पुत्र पौत्रादि सहित सभी सुखी रहते हैं ।
इसकी कथा यों है - एक बार देवता और दानवों में बारह वर्ष तक युद्ध हुआ, पर देवता विजयी नहीं हुये तब बृहस्पति जी ने सम्मति दी कि युद्ध रोक देना चाहिये , यह सुन कर इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी ने कहा कि मैं कल इन्द्र के रक्षा सूत्र बांधूंगी, उसके प्रभाव से इनकी रक्षा रहेगी और यह विजयी होंगें । श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को वैसा ही किया गया और इन्द्र के साथ सम्पूर्ण देवता विजयी हुये ।
इसी दिन के अन्य व्रत एवं पर्व - श्रावण शुक्ला पूर्णिमा को ही अन्य महत्वपूर्ण व्रत एवं त्यौहारों में श्रवण पूजन ( अंधे माता पिता का एक मात्र पुत्र - जिसका वध महाराजा दशरथ के हाथों हो गया था ) किया जाता है तथा इसी दिन से सम्पूर्ण सनातनी श्रवण पूजा की जाती है एवं ऋषि तर्पण नामक पर्व भी मनाये जाते हैं ।
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
संभागीय मुख्यालय 142 घण्टे से अंधेरेमें
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सोमवार, 23 अगस्त 2010
संभागीय मुख्यालय 132 घण्टे से अंधेरेमें
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रविवार, 22 अगस्त 2010
A CULRUTAL EVENT BY YOUTH UTSAV TARUN BHARAT will be held ON WEDNESDAY, 25 AUG. 2010 at New Delhi
UTSAV TARUN BHARAT
A CULRUTAL EVENT BY YOUTH
ON WEDNESDAY, 25 AUG. 2010
at : SRI RAM CENTRE, New
UTSAV TARUN BHARAT takes place this coming Wednesday, 25 August 2010, at Shri Ram Centre, Mandi House. Tarun Bharat is a movement that believes “it's not just politicians, institutions and big businesses that can change the world — ordinary people can do it too”.
UTSAV TARUN BHARAT is a celebration of Youth by Youth, to create a platform where the young ones can discover their values, their aspirations, the answers to their hopes and get inspired to build the “Future that they can Love”.
Created by young people, organized as a voluntary effort named TARUN BHARAT NIRMAAN, the group was formed due to the lack of space for young people in today's world. While everyone talks about the Youth being the future of the country, the ground reality is very different. Young people have no voice, no authority, no say and no way to make real contribution in the decision making process of today's world.
TARUN BHARAT believes that the lack of cultural values is a serious issue and this UTSAV is an attempt to create a space for youth where they can begin expressing themselves freely and without bindings.
Hence, there are events in the areas of RANGOLI, FOLK DANCE, SHORT FILM, NUKKAD NATAK, STILL PHOTOGRAPHY and these works will be exhibited at the UTSAV TARUN BHARAT.
The program of 25th August evening will consist of the following :
· Screening of Movie - "Shuruaat Aap Se"
· "Woman Eternal..." a Contemporary Group Choreography, by Bhavni Mishra from Sandhya Unit of Performing Art
· Lecture Demonstration by Ms. Nisha Mahajan (Senior Guru of Kathak), accompanied by Shalini Singh
· Confluence of Rhythm by Ramamoorthy Sriganesh on Mridangam and Govind Chakraborthy on Tabla
We invite you to be a part of the event and cover it for the benefit of your audience so that more young people can know about this initiative and explore it.