गीत - मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
मुखड़ा – मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले
नेता जी ने ढोंग रचा कर, यहॉं मिश्री बॉंटी बातों की ।
दया धरम की कर कर बातें, खुशियां कह दी रातों की ।
लोगों को जम कर भरमाया, सबको ठग कर वोट भी पाया ।
जीत के नेता बन गया राजा, कहता काम है घर पर आजा ।
मुखड़ा – मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले
नेता जी से मिलने जब भी, दीन कोई जो आ पहुँचा ।
नेता जी का पारा ऊपर , सात आकाशों तक पहुँचा ।
मिलने से इन्कार किया, पूजा में बैठे बता दिया ।
अंदर दारू और हसीना , मिलजुल कर रसपान किया ।
मुखड़ा – मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले
जब नेता से मिलने कोई, सेठ रईस जो जा पहुँचे ।
नेता जी तब छोड़ के पूजा, दौड़े दौड़े आ पहुँचे ।
क्या हुक्म है मेरे आका, लूट कहॉं पे कीना है ।
या आगे लूटोगे कोई , क्या ये इरादा कीना है ।
क्या कोई लूट लाट कर, उसका सब कुछ छीना है।
हिस्सा बॉंट बराबर करके, हमको क्या क्या दीना है ।
मुखड़ा – मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले
नेता जी के दर पर नित ही, सुन्दरियों के मेले सजे रहें ।
रोज हसीन से चेहरों पे, नेताजी हौली मालिश करते रहें ।
दर्द भगा नाजुक कलियों के, नेताजी उन पर फिदा रहें ।
हर गेट पे उनके बोर्ड लगे, महिला पहला नंबर दर्ज रहें ।
मुखड़ा – मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले
मंहगाई से रोती जनता, चौतरफा चीख पुकार मचे ।
माल बन्द कर, गोदामों में, मंहगाई का रास रचे ।
मस्त पड़ा सोता है नेता, उसके घर ना माल घटे ।
रोज सेठ गोदामों से, हैं भर भर गाड़ी माल डटे ।
मुखड़ा – मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले
ना रोजी रोटी बिजली है, ना जनता की फरियाद सुने ।
चार हसीना सदा साथ में, दारू नेता जी के साथ चलें ।
अपने करम ठोक रही जनता, देकर वोट रो रही जनता ।
ऐसा कर्णधार है जो, मस्त शवाब कवाब शराब में रहता ।
मुखड़ा – मिल के देखा इन लोगों से, सभी लुटेरे यहॉं मिले .. लूट लूट बस लूट का आलम, हमको बीच बाजार मिले