शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
गुरुवार, 9 दिसंबर 2010
शिवराज सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि- ग्वालियर चम्बल में दीवाली के बाद फिर बिजली कटौती सिर चढ़कर बोली
मुरैना/ ग्वालियर ९ दिसम्बर २०१० . इससे पूर्व 4 December 2010 और २८ नवम्बर २०१० को प्रकाशित, ग्वालियर चम्बल के संभागीय मुख्यालयों पर १० घण्टे की घोषित नियमित बिजली कटौती के बाद अब अंधाधुन्ध अघोषित बिजली कटोती - इस समाचार के प्रकाशन के वक्त तक संभागीय मुख्यालयों पर प्रात: ६ बजे से अभी तक बिजली नहीं थी ।
मुरैना एवं भिण्ड जिला में प्रतिदिन की जा रही 10 घण्टे की डिक्लेयर्ड बिजली कटौती के बाद दीपावली के त्यौहार पर तथा त्यौहार गुजरने के बाद अतिरिक्त बिजली कटौती का चम्बल संभाग के निवासियों को और अधिक सामना करना पड़ रहा है ।
नरक चतुर्दशी पर जहॉं रात में १० बजे से ११ बजे तक की अतिरिक्त बिजली कटौती की गयी वहीं ऐन दीपावली यानि आज ५ नवम्बर २०१० को प्रात: ७ बजे से काटी गयी बिजली कटौती आज दिनांक २८ नवम्बर को इस समाचार के लिखे और प्रकाशित किये जाने के वक्त तक समूचे शहर में बिजली कटोती जारी है । वर्ममान में शहर में शट डाउन चल रहा है । उल्लेखनीय है कि चम्बल के ६५ फीसदी ग्रामीण क्षेत्र में बिजली है ही नहीं वहीं जहॉं हैं वहॉं दो दिन छोड़ कर महज ४ घण्टे के लिये मात्र बिजली दी जा रही है । ऐन त्यौहार पर की जा रही अनाप शनाप भारी बिजली कटौती से जनता में भारी रोष व आक्रोश व्याप्त हो गया है । स्मरणीय है मुरेना शहर चम्बल संभाग का संभागीय मुख्यालय है । इस दरम्यान बिजली घर का शिकायत दर्ज कराने का फोन नंबर ०७५३२- २३२२४४ सहित सभी अधिकारीयों एवं कर्मचारीयों के फोन बन्द चल रहे हैं जो कि हरदम बिजली शट डाउन करने से पूर्व आउट ऑफ क्रेडल एवं स्विच आफॅ कर लिये जाते हें ।
सोमवार, 6 दिसंबर 2010
मध्यप्रदेश: भट्टा बैठा मध्यप्रदेश का, अंधेरगर्दी अराजकता और अनसुनेपन का बोलबाला – ये है हकीकत ए मध्यप्रदेश – भाग- 1
मध्यप्रदेश: भट्टा बैठा मध्यप्रदेश का, अंधेरगर्दी अराजकता और अनसुनेपन का बोलबाला – ये है हकीकत ए मध्यप्रदेश – भाग- 1
संभागीय मुख्यालयों पर घोषित बिजली कटौती १६ घण्टे हुयी, प्रदेश का सूक्ष्म व लघु व्यवसाय चौपट , बर्फ में लगा सूचना का अधिकार , सरकारी योजनाओं में करोड़ों के खुले भ्रष्टाचार और लीपापोती
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
मध्यप्रदेश का सच – मध्यप्रदेश डायरी
Part- 88
मुरेना / भिण्ड ६ दिसम्बर २०१० बदहाली अराजकता और शोषण में डूबे मध्यप्रदेश में विकट भ्रष्टाचार तो ५ साल पहले जैसे भाजपा साकार के शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री पद पर आगमन के साथ ही दस्तक दे चुका था ।
हालांकि जनता के अनसुनेपन और नाकारा और बेईमान अफसरों की फौज का जाल स्वयं भ्रष्ट और नाकारा मुख्यमंत्री तथा उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों ने प्रदेश में काफी पहले ही फैला दिया था । अब हालात ये हैं कि मध्यप्रदेश में चारों ओर त्राहि त्राहि मची है और अराजकता का माहौल ऐसा कि जनता की शिकायतें व सुनवाई ठोक बजा कर बंद हो चुकीं हैं ।
बर्फ में लगा सूचना का अधिकार - सूचना का अधिकार का म.प्र. में आलम ये है कि म.प्र. की एक भी स्वयंसेवी संस्था ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा ४ का पालन नहीं किया हैं, मध्यप्रदेश सरकार की अंधेरगर्दी की कृपापात्रता के चलते करोड़ों के मोटे अनुदान झटक रहीं स्वयंसेवी संस्थायें ऐग लेग और पैग के दम पर सूचना के अधिकार की धारा ४ को ताक पर रख चुकीं हैं मजे की बात ये है कि शराब औरतों और रिश्वत के दम पर , अनुदान राशि के बंटवारे के हिसाब से म.प्र. सरकार के नुमाइंदे स्वयंसेवी संस्थाओं को केवल अनुदान ही नहीं दिलाते अपितु सूचना का अधिकार का पालन न करने और जालसाजी के लिये भी पूरी छूट देते हैं । अंजाम ये कि सूचना का अधिकार लागू होने के चोखे ५ साल गुजरने के बाद भी आज तक सूचना का अधिनियम की धारा ४ के तहत म.प्र. की एक भी स्वयंसेवी संस्था की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है । फर्जीवाड़े का आलम ये है कि न तो असल हितग्राही हैं और न असल कर्मचारी और समाजसेवी बस केवल चंद अय्याश और दरूओं के दम पर म.प्र. का स्वयंसेवी आंदोलन गर्त में डूबकर रह गया है जिनके पास उजागर करने के नाम पर कुछ भी नहीं है ।
अधिनियम की धारा 6 में मिलने वाले आवेदनों का आलम ये है कि म.प्र. में किसी को भी सूचना के अधिकार में सूचना मिलती हो तो यह दुनियां का आठवां आश्चर्य होगा ।
हालात इतने बदतर हैं कि म.प्र. सरकार के खुद सरकारी कार्यालयों और विभागों ने ही सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा ४(१)(अ) का पालन अधिनयम को लागू हुये ५ साल गुजरने के बाद भी आज तक नहीं किया है ।
क्रमश: जारी अगले अंक में ...........