शनिवार, 21 अप्रैल 2007

जनशिकायतों का निराकरण राज्य शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता

जनशिकायतों का निराकरण राज्य शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता : मुख्य सचिव श्री आर.सी. साहनी

मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव श्री आर.सी. साहनी ने कहा है कि राज्य शासन ने प्रशासनिक सुधार और जनशिकायतों के निराकरण के लिये विभिन्न स्तरों पर अभिनव प्रयास किये हैं। श्री साहनी आज नई दिल्ली में केन्द्रीय केबीनेट सचिव श्री बी.के. चतुर्वेदी की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों के मुख्य सचिवों के सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे।

मुख्य सचिव ने आडियो-विजुअल प्रेजेन्टेशन देते हुये बताया कि राज्य शासन ने सुराज, समाधान ऑन लाईन, परख और समाधान एक दिवस कार्यक्रम, जनशिकायत निवारण के लिये शुरू किये हैं। उन्होंने बताया कि समाधान ऑन लाईन के तहत हर महिने के प्रथम मंगलवार को 15 जनशिकायतें चुनी जाती हैं और संबंधित अधिकारियों को सुबह प्रेषित की जाती हैं। संबंधित अधिकारी का दायित्व होता है कि वह उन शिकायतों का शाम 4 बजे से पहले उसी दिन निराकरण करें । शाम को मुख्यमंत्री वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित शिकायतकर्ता से रूबरू होकर उसकी शिकायत के संबंध में चर्चा करते हैं और कान्फ्रेंसिंग के दौरान उपस्थित संबंधित अधिकारी शिकायत पर की गई कार्यवाई से अवगत कराता है। साथ ही विलम्ब के कारण भी बताता है।

मुख्य सचिव ने बताया कि इसी प्रकार समाधान एक दिवस कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमें नागरिकों के लिये सहायता केन्द्र स्थापित किये गये हैं। इस व्यवस्था में नागरिक अपनी चाही गई जानकारी#प्रमाण-पत्र#नकल आदि इस संबंध में सुबह आवेदन करता है और शाम को कार्यालय समय समाप्त होने के पूर्व संबंधित आवेदन पर कार्यवाई कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था से 99 प्रतिशत तक प्रकरणों का निराकरण होने लगा है। इसी प्रकार परख कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत आधारभूत सेवाओं के क्रियान्वयन की स्थिति की निगरानी की जा रही है।

श्री साहनी ने बताया कि इन कार्यक्रमों के अलावा प्रदेश के कोषालयों का कम्प्यूटरीकरण किया गया है। प्रोजेक्ट क्लीयरेन्स एण्ड इम्प्लीमेंटेशन बोर्ड का गठन किया गया है। सी.एम. मॉनीटरिंग सिस्टम अपनाया गया है। वाहन चालक लायसेंस के लिये स्मार्ट कार्ड तथा वाहन पंजीयन के लिये भी नई व्यवस्था शुरू की गई है। इस प्रकार प्रदेश शासन ने जन शिकायतों एवं समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिये अभिनव कार्यक्रम शुरू किये हैं।

 

बाबुल की दुआयें लेती जा...........

बाबुल की दुआयें लेती जा...........

मुख्‍समंत्री कन्‍यादान योजना एक बेवाक आलेख

नरेन्‍द्र सिंह तोमर''आनन्‍द'' प्रधान सम्‍पादक ग्‍वालियर टाइम्‍स

 

मुरेना 21 अप्रेल 2007 । इसमें कोई शक नहीं कि हर पिता का अरमान अपनी प्‍यारी बेटी को हसरतों से विदा करने का । बहुतेरे ऐसे भी लोग हम सबके बीच हैं, जहॉं समूचे के समूचे परिवारों को दो जून रोटी भी मयस्‍सर नहीं है ।

एक मशहूर कहावत है , कि तीन काम आदमी को तोड़ भी देते हैं, और बर्बाद कर कर्जदार भी बना देते हैं जिसमें बेटी का ब्‍याह करना और किसी चुनाव का लड़ना तथा मकान का बनवाना । यह तीन काम जिसने भी किये वही तबाह होता आया है । यह तीनों काम अच्‍छे अच्‍छों को हाथ फैलाने पर मजबूर करते हैं ।

गरीबों की कहानी भी अजीब होती है, जीवन भर रोटी के टुकड़े के लिये सारा परिवार जूझता रहता है, पूर्ति नहीं होने पर उनके परिवार के लोग उस काम को भी करने पर बाध्‍य हो जाते हैं, जिसे आम खाता पीता आदमी हेय, घृणित या तुच्‍छ समझता है । तो कई बार ऐसे परिवार मजबूरी में अपराध की राह पर कदम रख बैठते हैं ।

पेट की आग बुझाने के लिये कई बार गरीबों की बेटियों को देह व्‍यापार जैसे व्‍यवसाय मजबूरन करना पड़ते हैं ।

बड़े लोग गलत करें चाहे सही, उन्‍हें किसी बात पर दोष नहीं दिया जाता, उनके द्वारा किया हर कार्य चाहे वह सरासर गलत या आपराधिक ही क्‍यों न हो, उसे नियम या कानून का दर्जा तुरन्‍त मिल जाता है, जबकि गरीब कितना भी सही करे, उसके हर काम में दोष व गलती ढूंढ़ कर आरोपित, प्रताडि़त व लांछित करना भारतीय समाज की पुरानी आदत है । इसी लिये तुलसीदास ने कहा 'समरथ को नहिं दोष गुसाईं'

गरीब के लिये भारतीय परिवेश हमेशा दोहरे मानदण्‍ड अपनाता आया है, हम गरीब को हमेशा चोर, अपराधी और कौमजात अपराधी के नजरिये से ही नापते आये हैं, अपराध शास्‍त्र में तो खुलकर कुछ विशेष जाति और रंग रूप वाले लोगों को आपराधिक जाति कह दिया गया है, जबकि सच्‍चाई ठीक इसके विपरीत है, मेरे पास सैकड़ों उदाहरण हैं तहॉं वे राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री बनने के अलावा उच्‍च प्रशासनिक पदों तक पहुँचे हैं । लेकिन मिथ्‍या अवधारणाओं ने समाज को बहुत गहराई तक अपने में लपेट रखा है ।

गरीब की बेटी की शादी भी एक मजाक मात्र बनकर रह गयी है, अव्‍वल तो उसकी शादी या तो मजबूरन या परिस्थितियों वश हो ही नहीं पाती या यदि हो भी तो भारतीय समाज उसमें भी सौ छिद्र खोजने की कोशिश कर किसी न किसी तरह उसका चुटकुला बनाने का काम करता आया है ।

ऐसी विकट परिस्थितियों में मध्‍यप्रदेश सरकार विशेषकर व्‍यक्तिगत तौर पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह ने गरीबों की बेटियों के विवाह कराने का एक विकट अश्‍वमेध यज्ञ प्रारंभ किया है, वाकई तहे दिल से काबिल ए तारीफ है । मध्‍यप्रदेश सरकार और शिवराज सिंह को इन गरीब कन्‍याओं का धर्म पिता कहा जाये तो कोई शक नहीं कि यह सम्‍बोधन मेरी नजर में एकदम उचित ही है, वाकई शिवराज सिंह जो कर सकता था , उससे कहीं ज्‍यादा उसने कर भी दिया और करने की हिम्‍मत भी दिखाई । हजारों लाखों बेटियों का बाबुल या जनक बन पाना हरेक की कूबत भी नहीं और मुकददर भी नहीं । भई वाकई कमाल किया है, अच्‍छी बात है ।

लाड़ली लक्ष्‍मी योजना जहॉं बेटियों के लिये वरदान ही नहीं हुयी बल्कि उनकी जीवन दायिनी भी बन गयी, इसके अलावा गरीबों के आत्‍म सम्‍मान की रक्षा का भी एक दीर्घ कालीय मूल भी सिद्ध होगी, इसमें भी शक नहीं ।

मेरी नजर में इन योजनाओं को जाति, धर्म, सम्‍प्रदाय और वर्ग विशेष के अर्जी फर्जी एजेण्‍डों के बजाय सारे के सारे समाज के लिये बिजा लाग लपेट और बिना भेदभाव लागू किये जाना ही इनका सकारात्‍मक उपलब्धियों का प्रमुख कारण रहा है ।

इससे पहले सरकारें किसी जाति या वर्ग विशेष को केन्द्रित कर योजनायें बनाती और चलाती आयी है परिणामत: न केवल वे असफल हों गयीं बल्कि सामाजिक विषमता की गहरी खाई को और पारस्‍परिक घृणा को बढ़ाती ही आयीं हैं ।

निसंदेह मध्‍यप्रदेश सरकार को और उसके मुखिया शिवराज सिंह को इसके लिये साधुवाद दिया जाना चाहिये , बल्कि पुरूस्‍कार और सामाजिक सम्‍मान भी दिया जाना चाहिये ।

इन अच्‍छी योजनाओं का अब वर्तमान तकाजा यह है , कि इन योजनाओं में केन्‍द्र सरकार को विस्‍तार दृश्‍य लागू करना चाहिये, जिससे गरीबों को इन योजनाओं में मिलने वाली इमदाद में कुछ बढ़ोत्‍तरी हो सके । और यदि ऐसा हुआ, तो सचमुच गजब हो जायेगा, मध्‍यप्रदेश सरकार जो कर सकती थी, उसने अपनी क्षमता से कहीं ज्‍यादा कर दिखाया है, अब केन्‍द्र सरकार की बारी है कि जाति वर्ग समुदाय के अर्जी फर्जी ढकोसले छोड़ कर हर तबके और हर समाज के हर आदमी के लिये एकसार विस्‍तार दृश्‍य कल्पित करे और अमल में लाये, तभी कुछ वास्‍तविक कमाल हो पायेगा ।

कोई चोर नहीं आया

इन योजनाओं के क्रियान्‍वयन और पालन की सबसे बड़ी चमात्‍कारिक विशेषता यह रही है कि ,सरकार द्वारा सबके लिये खुल्‍लेआम योजनायें छोड़ देने से लाभ लेने वाले हितग्राही केवल वही लोग रहे जो वाकई इसके पात्र थे, किसी चोरी और बेईमानी का कोई मामला सामने नहीं आया, वाकई हैरत अंगेज है । क्‍या जनता ने संदेश दिया है कि अगर चोर कहोगे तो जरूर चोरी करेंगें और बेईमानी भी वरना भारतवासीयों से अधिक ईमानदार और सच्‍चा समूचे विश्‍व में दूसरा कौन है ।

चरम उपलब्धि और सफलता के भावी संकेत इन योजनाओं की भावी सफलता सम्‍भवत: अतुलनीय हो सकती है, ऐसे पूर्वाभास हो रहे हैं । चूंकि अभी तक इन योजनाओं का ग्रास रूट लेवल यानि जमीनी स्‍तर पर प्रचार व फैलाव नहीं हो पाया था लेकिन जंगल की आग की तरह फैलती इनकी शोहरत वाकई बहुत बड़े परिणाम का खुद ब खुद आगाज करती है ।

मीडिया का रोल शर्मनाक यह सचमुच शर्मनाक व चिन्‍ताजनक है कि जब मध्‍यप्रदेश गरीब की बेटियों की शादीयां करवा रहा था, मीडिया बेशर्मी से अमीरों की शादी की प्रतीक्षा के सामने प्रतीक्षा कर रहा था, वह भी ऐसी जगह जहॉं न उसे बुलाया गया न तवज्‍जुह दी गई, फिर भी मीडिया दीवालें दरवाजें ताक ताक कर अपने को धन्‍य मानता रहा, मगर धन्‍य है अमिताभ बच्‍चन जिसने भारतीय मीडिया को उसकी जात और औकात बता कर कुत्‍तों की तरह दरवाजे के बाहर ही भौंकते रहने दिया । जब गरीब बेटियों की हजारों शादीयां हो रही थीं, मीडिया वहॉं से नदारद था, गरीब की लुगाई सारे गांव की भौजाई, यह पुरानी कहावत है, मगर भारत के मीडिया के लिये शर्मनाक और चुल्‍लू भर पानी में डूब मरने लायक ।

''वे कत्‍ल भी कर दें तो चर्चा नहीं होता, हम आह भी भरें तो हो जाते हैं बदनाम''

गरीब की बेटियों की शादी के इवेण्‍ट तो इवेण्‍ट नहीं होते, वे कवरेज योग्‍य भी नहीं होते ।

 

नवीन राशन कार्डों पर ही मिलेगा कैरोसिन

नवीन राशन कार्डों पर ही मिलेगा कैरोसिन

मुरैना 20 अप्रैल 07/ सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत माह अप्रैल से प्रत्येक राशन कार्ड पर चार लीटर कैरोसिन का वितरण किया जायेगा। कैरोसिन का वितरण केवल नवीन राशनकार्ड धारियों को ही किया जायेगा। पुराने राशन कार्डों पर कैरोसिन का वितरण नहीं किया जायेगा।

 

बार्ड क्रमांक 30 के उपभोक्ताओं को 23 अप्रैल से बटेंगा कैरोसिन

बार्ड क्रमांक 30 के उपभोक्ताओं को 23 अप्रैल से बटेंगा कैरोसिन

मुरैना 20 अप्रैल 07/ जिला आपूर्ति अधिकारी श्री आश्रकृत तिवारी के अनुसार बार्ड क्रमांक 30 के उपभोक्ताओं को नगर पालिका कार्यालय के पीछे परिसर से 26,27 और 28 अप्रैल के स्थान पर 23,24 और 25 अप्रैल को कैरोसिन का वितरण किया जायेगा।

 

 

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुरैना में 111 कन्याओं के हाथ पीले

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुरैना में 111 कन्याओं के हाथ पीले

मुरैना 20 अप्रैल 07/ दीनदयाल अन्त्योदय मिशन के अन्तर्गत मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में अक्षय तृतीया के अवसर पर 19 और 20 अप्रैल को मुरैना जिले में 111 कन्याओं के विवाह कराये गये। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के प्रत्येक जोड़े को 5 हजार रूपये की सामग्री तथा आयोजकों को व्यवस्था हेतु एक हजार रूपये के मान से इन शादियों के लिये 6 लाख 66 हजार रूपये की मदद दी गई। जिले के विभिन्न अंचलों पर सम्पन्न सामूहिक विवाह समारोहों में पंचायत एवं ग्रामीण विकस मंत्री श्री रूस्तमसिंह, एम.पी. एग्रो के अध्यक्ष श्री मुंशीलाल, विधायक श्री गजराज सिंह सिकरवार, श्री उम्मेदसिंह बना प्रभारी कलेक्टर श्री एस.के. सेवले, सी.ई.ओ. जिला पंचायत श्री सभाजीत यादव तथा अन्य जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों ने सिरकत की और बर-बधू को शुभाशीष प्रदान किये।

पंचायत मंत्री श्री रूस्तमसिंह ने मुरैना में नई सब्जी मंडी परिसर में आयोजित कुशवाह समाज तथा पहाड़गढ़ जनपद के ग्राम बिजगढ़ी में आयोजित धोवी समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलनों में भाग लिया। उन्होंने कहा कि निर्धन परिवार को बेटी के विवाह की चिंता अब नहीं करनी पड़ेगी। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत उनके विवाह कराये जारहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बेटी की शिक्षा और विवाह की चिन्ता की हैं। कन्या के जन्म को परिवार का बोझ नहीं माना जाय, इस उध्देश्य से सरकार ने एक जनवरी 06 के बाद पैदा होने वाली हर कन्या के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की हैं। इसके तहत प्रत्येक कन्या के नाम से 30 हजार रूपये के राष्ट्रीय बचत पत्र सरकार राशि खरीदेगी और उसके 21 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर एक लाख रूपये से अधिक की राशि का भुगतान किया जायेगा। पढ़ाई के लिए भी मदद की जायेगी।

उल्लेखनीय है कि अक्षय तृतीया पर जिले में सम्पन्न 111 कन्याओं के विवाह के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अन्तर्गत 6 लाख 66 हजार रूपये की मदद प्रदान की गई। प्रत्येक कन्या को सोने की वाली और मंगलसूत्र, चांदी की करधोनी, तोड़िया और विछिया के अलावा गृहस्थी के लिए वर्तन,बक्सा, सिलाई मशीन, पंखा, कन्यादान के रूप में प्रदान किये गये। ज्ञात हो कि गत वर्ष मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में 170 कन्याओं के विवाह कराये गये और शादी हेतु 10 लाख 20 हजार रूपये की सहायता दी गई।

 

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2007

मुरैना पुलिस ने आगरा व मथुरा के व्‍यापारीयों को लूटा

मुरैना पुलिस ने आगरा व मथुरा के व्‍यापारीयों को लूटा

 

मुरैना 20 अप्रेल 07 । आगरा एवं मथुरा से लगभग 6 लाख रूपये की सोना व चांदी लेकर ग्‍वालियर जा रहे  दो कोरियर पर्सन्‍स को मुरैना पुलिस के पॉंच कर्मचारीयों ने लूट लिया ।

बताया गया है कि, इन दो कोरयर पर्सन्‍स को मुरैना पुलिस के पॉच कर्मियों ने इण्‍टरसिटी एक्‍सप्रेस से रेल्‍वे स्‍टेशन मुरैना पर उस वक्‍त उतार लिया , जब इण्‍टरसिटी एक्‍सप्रेस मुरैना रेल्‍वे स्‍टेशन पर रूकी । घटना बुधवार को सायं साढ़े चार बजे के आस पास की है ।

स्‍टेशन से इन्‍हें ले कर एक पुलिस की शासकीय जीप जिसका नीला रंग था और पीली बत्‍ती लगी थी में बिठाल कर  मुरैना पुलिस लाइन में ले जाया गया और, एक पुलिस क्‍वार्टर में बन्‍द कर के उनकी मारपीट की गयी तथा 6 लाख रूपये का माल मशरूका और नकदी लूट ली इसके बाद इन्‍हें धौलपुर राजस्‍थान ले जाकर छोड़ दिया गया ।

इस घटना के विरोध में तीन राज्‍यों के व्‍यापारी लामबन्‍द हो गये और कल मुरैना पुलिस के वरिष्‍ठ अधिकारीयों से मिलकर अपनी बात रखी । मुरैना पुलिस के अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक आर.पी. सिंह का इस घटना के बारे में कहना है कि, चूंकि इण्‍टरसिटी एक्‍सप्रेस में घटना घटित हुयी है अत: मामला जी.आर.पी. थाने में  में दर्ज होगा ।

खबर लिखे जाने तक व्‍यापारी और कोरियर पर्सन्‍स रेल्‍वे पुलिस और सिटी पुलिस के बीच कायमी और गिरफतारी के लिये पेण्‍डुलम बने हुये  थे ।

 

जनदर्शन के कार्यालय पर गुण्‍डों का हमला

जनदर्शन के कार्यालय पर गुण्‍डों का हमला

मुरैना 20 अप्रेल 07 । विगत दिवस लगभग 8-9 गुण्‍डों द्वारा शहर से प्रकाशित मशहूर सांध्‍य समाचार पत्र दैनिक मध्‍य जनदर्शन के कार्यालय पर हमला कर दिया । प्राप्‍त जानकारी के अनुसार गुण्‍डे निकटस्‍थ एक होटल से शराब आदि पीकर आये और अखबार के कार्यालय में जबरन घुस कर तोड़ फोड़ करने लगे । उनके द्वारा उपस्थित स्‍टाफ के साथ भी काफी बदतमीजी की गयी ।

इसके बाद ये गुण्‍डे निकट में स्थित एक वरिष्‍ठ अभिभाषक के कार्यालय में घुस गये और वहॉं भी इन्‍होंने काफी तोड़ फोड़ की । 

घटना से समस्‍त मीडिया कर्मियों में तथा अभिभाषकों में भारी रोष व आक्रोश व्‍याप्‍त हो गया है , मीडिया कर्मी तथा अभिभाषक गण आज इस मामले पर अपना विरोध व प्रतिक्रया करने हेतु रणनीति बनायेंगें ।

ग्‍वालियर टाइम्‍स समाचार सेवा समूह ने भी घटनाक्रम की तीव्र निन्‍दा की है , और मीडियाकर्मियों व अभिभाषकों की सुरक्षा बीच शहर में ऐसी गुण्‍डागर्दी से खतरे में पड़ने पर चिन्‍ता जताई है । 

 

महक मोहब्बत की, झलक विकास की

महक मोहब्बत की, झलक विकास की

किशन रतनानी

भारतीय सूचना सेवा,वरिष्ठ मीडिया संचार अधिकारी,पसूका,कोटा

      महसूस करना चाहते हैं महक मोहब्बत की, देखना चाहते हैं झलक विकास की , तो आपको चलना पड़ेगा झालावाड़ जिले के खानपुर कस्बे में । झालावाड़ से लगभग 35 कि0मी0 दूर बसा खानपुर पंचायत समिति मुख्यालय है जहां ख्वाजा गरीब नवाज़ महिला स्वयं सहायता समूह से जब आपका सामना होगा तो आप इस कहानी की सच्चाई को समझ भी पाएंगे और महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण देख भी पाएंगे ।

      न्न मोहब्बत तो बनी बनाई है न्न समूह की कोषाध्यक्ष जुमरत बाई तपाक से जवाब देती हैं जब उनसे पूछा कि न्न ख्वाजा गरीब नवाज़ समूह न्न नाम क्यों ?

      अध्यक्ष कांतिबाई कहती हैं कि ख्वाजा गरीब नवाज तो सबके हैं, सबका भला चाहते हैं हमारा भी भला हो यह  सोच कर नाम रखा । बारह महिलाओं के इस समूह में 10 मुस्लिम तथा दो हिन्दू महिलाएं हैं । दिसम्बर 2001 में बना यह समूह आर्थिक उन्नति की मिसाल भी है तो हमारे देश की विशेषता साम्प्रदायिक सद्भाव का सुखद अहसास भी ।

      इस समूह को हाड़ौती क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की खानपुर शाखा से पहले पहल 25 हजार रूपए का रिण मिला जिसमें से 10 हजार अनुदान था । इन 12 महिलाओं ने 4-4 का समूह बनाकर ढाबा, चूड़ी और फल-फ्रूट की दुकानें खोलीं । इनकी मेहनत, इनका मिलनसार स्वभाव तथा इनमें लक्ष्य के प्रति मजबूती, ऐसे मिले की सफलता सामने आ गई । 21 जुलाई 2004 को समूह को इन व्यवसायों को बढाने के लिए ढाई लाख रूपए का रिण इसी बैंक से मिला । सरकार की योजना के तहत इसमें से एक लाख 15 हजार अनुदान था शे­ा एक लाख 35 हजार रूपए इस समूह को चुकाना था, जो इन्होने चुकाने में कोई कसर नहीं रखी, लगभग सारा चुकता हो गया है ।

      इनकी खुद की बचत जो समूह बनाते वक्त बीस-बीस रूपए से शुरू की गई है आज 23 हजार रूपए की राशि बन गई है जिसको जरूरत पड़ने पर यह समूह आपस में लेन देन करता हैं । समूह की बैठकें, समूह का रिकार्ड सब सलीके से चल रहा है, यही सलीका उनके आपसी व्यवहार में भी आप सूंघ पाएंगे ।

      भारत निर्माण अभियान के लिए खानपुर में जब इनसे संपर्क हुआ तो इन्हें भी स्टाल लगाने के लिए कहा गया । न्न स्टाल क्यों न्न सवाल इनका था , जवाब भी इन्हाने ही दिया न्न ताकि हमारे काम को देखकर बाकी लोग प्रेरणा ले सकें  न्न

      समझ, सलीका, सामर्थ्य और सफलता सब संभव है, सरकार और संस्थाएं मिलकर इसे एक शाश्वत सत्य बना सकते हैं, इसका पुख्ता प्रमाण है खानपुर का ख्वाजा गरीब नवाज महिला स्वयं सहायता समूह