शनिवार, 13 मार्च 2010
के.एस. आयल्स बनाम रमेश चन्द्र गर्ग : खाकशाह से भामाशाह और शहंशाह तक का सफर – 1
के.एस. आयल्स बनाम रमेश चन्द्र गर्ग : खाकशाह से भामाशाह और शहंशाह तक का सफर – 1
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
के.एस. आयल्स लिमिटेड और रमेश चन्द्र गर्ग हाल ही में आयकर छापों के बाद चर्चा में आये चम्बल की दो महान शख्सियत हैं । संयोग वश मुझे एक खाकशाह को भामाशाह तक और शहंशाह बनने तक का सफर तय करते नजदीक से देखना नसीब हुआ है । न तो तरक्की बुरी है, न पैसे वाला बनना बुरा है , न बिजनेस एम्परर बनना ही गलत है , लेकिन सवाल यह है कि बड़े मुकाम तक पहुँचने के लिये आप रास्ता क्या अख्त्यार करते है, किस मार्ग से ऊँचाईयों को छूते हैं । आज जब चम्बल के इस बिजनेस एम्परर पर सिंहदृष्टि फेंक कर इसका अंजाम देखता हूं तो कई बिसरी बातें अचानक दिमाग को ढिंझोड़ जाती हैं ।
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कुछ दशक पहले तक चम्बल में सरसों नहीं होती थी और लोग यहॉं अलसी का तेल खाने पकाने में उपयोग करते थे । तोमरघार के लोगों को अस्सी यानि अलसी के तेल की पूडि़यां खाने वालों के नाम से राजपूताने में एक खास कहावत से जाना जाता था । फिर यहॉं चम्बल से अम्बाह शाखा नहर निकाली गयी , इस नहर को बनाने वाले इसके ठेकेदार एक बहुत बड़े व्यावसायी और एक राजनीतिक दल के फायनेन्सर रहे ठाकुर भोला सिंह से भोपाल में जब एक बार मेरी मुलाकात हुयी तो जैसे ही उन्होंने जाना कि मैं मुरैना से आया हूं तो उन्होंने लपक कर मुझे सीने से लगा लिया और जहॉं चम्बल के पुराने धुरन्धर राजनीतिज्ञों के हाल चाल पूछ डाले वहीं इस अम्बाह शाखा नहर के बनवाने के किस्से भी सुना डाले , संयोग से यह नहर मेरे गॉंव से भी गुजरती है ।
इस नहर के आने के बाद चम्बल की तकदीर बदल गई और चम्ब को अलसी के तेल से छुटकारा मिल गया , यहॉं सरसों पैदा होने लगी , सरसों भी ऐसी और इतनी कि सारे देश में यह क्षेत्र सरसों का सबसे बड़ा और श्रेष्ठ उत्पादक बन कर मशहूर हो गया ।
धीरे धीरे क्षेत्र में तरक्की हुयी, एकाध बस आपरेटर बने, एकाध ने ट्रेक्टर लेकर तो किसी ने आटा चक्की, ट्यूबवेल और सरसों की पिराई के स्पेलर्स यानि कच्ची घानी लगवाई । इससे पहले तेल की पिराई तेलियों द्वारा कोल्हू से की जाती थी और कोल्हू भी हरेक को नसीब नहीं होता था ।
गॉंवों में दो तीन गॉंवों के बीच एकाध आटा चक्की और दो तीन पंचायतों के बीच एकाध तेल पिराई की कच्ची घानी यानि स्पेलर होता था, और एक तिहाई तेल तथा पीना पिराई में निकलते थे । लेकिन तेल भी शुद्ध और पीना भी शुद्ध होती थी । कोई दोबारा पीना को डालकर फिर तेल निकालने का रिवाज ही नहीं था । तेल की झरप इतनी तेज कि तेल पिराई के वक्त स्पेलर के पास भी बैठ जाओ या निकले तेल के ऊपर सीधे मुँह कर दो ऑखो से ऑसूओ की धार ऐसी बहे कि रूकने का नाम ही न ले ।
मैं उन भाग्यशाली लोगों में से हूं जिन्होंने यह तेल पिराया भी है और खाया भी है । राजपूताने में इसी तेल को सिर में लगाने, मालिश इत्यादि में प्रयोग किया जाता रहा ।
फिर इसी दरम्यान चम्बल में डक्ैतो और बागीयों ने चम्बल के ग्रामीण जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया, गॉवों से कई जातियॉं निकल कर शहर की ओर भागीं और मुरैना के कलेक्टर तथा एस.पी. के निकट ही यानि शहर मुरैना में आकर बसीं तथा खुद को सुरक्षित करने की कोशिश की । इसमें गॉवों को छोड़कर थानों के नजदीक या शहर में जाकर बसने वालों में सबसे बड़ी संख्या बनियों की यानि वैश्य समुदाय के लोगों की थी । उस समय डकैत या बागी बनियों की पकड़ करते थे और ओछी जाति के लोगों को सीधे या तो गोली मार देते थे या अपनी सेवा कराते थे । गॉवों में भी उन्हें सेवा ही करनी होती थी और वह भी बगैर पैसे के और इसके बदले उन्हें स्यावड़ी यानि हिस्सा राशि यानि खेतों में पैदा होने वाले अनाज का कुछ भागांश जो कि तय शुदा होता था गॉंव के हर घर से दिया जाता था ।
बनियों के गॉंव छोड़ देने से गॉवों की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण सुराज व्यवस्था एकदम चौपट हो गयी और गॉंवों की तकदीर बदहाल होने लगी । विशेषकर बसैया कुतवार, पहाड़गढ़, सबलगढ़, विजयपुर जैसे क्षेत्र बनियों से खाली होकर शहरों में बनियों के बस जाने से गाफव सूने हो गये , तोमरघार के कई गॉव भी बनिये छोड़कर अम्बाह, पोरसा और मुरैना में बसेरा कर गये ।
एक बहुत बड़ा और समृद्ध गॉंव जहॉं न केवल विशाल हवेलियॉं है और महल तथा किलेनुमा रहवासों आलीशान नक्काशीदार मकानों को छोड़ कर कुतवार जैसे एक समय के महाराजा कुन्तीभोज के महान साम्राज्य की राजधानी को छोड़कर मुरैना भाग आये, लेकिन बनियों का उस समय लाखों का आज करोड़ों का माल मत्ता और खजाना वहीं उनके मकानों में दबा रह गया ।
क्रमश: जारी
शुक्रवार, 12 मार्च 2010
के.एस. छापा सी.बी.आई छानबीन की दिशा में
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बिजली कटौती के कारण समाचार अपडेट नहीं
हमें खेद है मुरैना में चल रही भारी बिजली कटौती के कारण समाचार, फोटो वीडीयो अपडेट नही हो पा रहे हैं । बिजली प्राप्त होते ही इन्हें प्रसारित व प्रकाशित कर दिया जायेगा
मुरैना के के एस आयल समूह पर आयकर का छापा
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बुधवार, 10 मार्च 2010
लादेन ही नहीं हांफिज सईद का भी प्रेरक है सऊदी अरब - तनवीर जांफरी
लादेन ही नहीं हांफिज सईद का भी प्रेरक है सऊदी अरब
तनवीर जांफरी
(सदस्य, हरियाणा साहित्य अकादमी, शासी परिषद) email tanveerjafri1@gmail.com , 163011, महावीर नगर. Phone Ñ ®v|v-wzxz{w} मो: 098962-19228 tanveerjafri58@gmail.com ttanveerjafriamb@gmail.com
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले दिनों अपने एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल के साथ सऊदी अरब की यात्रा की। लगभग 25 वर्षों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा सऊदी अरब की की गई इस यात्रा को भारत व सऊदी अरब के मध्य आपसी रिश्तों को माबूत बनाने के लिए कांफी उपयोगी बताया जा रहा है। इस सिलसिले में एक ख़बर यह भी सुनाई दी कि भारतीय प्रधानमंत्री का सऊदी अरब के शाही परिवार द्वारा ऐसा विशेष स्वागत किया गया जो आमतौर पर अन्य अतिथियों के अरब आने पर नहीं किया जाता। मनमोहन सिंह की इस अरब यात्रा के दौरान जहां अनेक समझौतों पर सहमति हुई वहीं सबसे प्रमुख समझौता दोनों देशों के मध्य प्रत्यापर्ण संधि को लेकर भी हुआ है। इस समझौते के बाद अब भारत के लिए अपने देश के किसी वांछित अपराधी को सऊदी अरब से भारत लाए जाने में आसानी हो जाएगी। परंतु क्या इस प्रकार के समझौतों से इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि सऊदी अरब की वैश्विक स्तर पर फैले आतंकवाद तथा इस आतंकवाद को इस्लामी जेहाद के साथ जोडे ज़ाने में कोई भूमिका नहीं है? आमतौर पर दुनिया की नज़र में शांत दिखाई देने वाला सऊदी अरब क्या वास्तव में वैचारिक रूप से भी वैसा ही शांतिपूर्ण है जैसाकि वह दिखाई देता है?
इस विषय पर चर्चा आगे बढ़ाने से पूर्व यहां यह स्पष्ट करना ारूरी है कि वहाबी विचाारधारा जोकि इस समय पूरी दुनिया के लिए इस्लामी आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रेरक बन चुकी है उसकी जड़ें दुनिया में और कहीं नहीं बल्कि सऊदी अरब में ही हैं। अर्थात यदि वहाबी विचारधारा अतिवादी इस्लाम के रास्ते पर चलना सिखाती है तो अतिवादी इस्लाम ही जेहाद शब्द को अपने तरीके से परिभाषित करते हुए इसे सीधे आतंकवाद से जोड़ देता है। आईए वहाबी विचारधारा के स्त्रोत पर भी संक्षेप में दृष्टिपात करते हैं। 18वीं शताब्दी में सऊदी अरब के एक अतिवादी विचार रखने वाले मुस्लिम विद्वान मोहम्मद इब्े अब्दुल वहाब द्वारा इस्लाम को कट्टरपंथी रूप देने का यहअतिवादी मिशन चलाया गया। उसने 'शुध्द इस्लाम' के प्रचार व प्रसार पर बल दिया। जिसे वह स्वयं ारूरी समझता था उसे तो उसने इस्लामी कार्यकलाप बताया और जो कुछ उसकी नारों में उचित नहीं था उसे उसने ंगैर इस्लामी,बिदअत अथवा ंगैर शरई घोषित किया। मोहम्मद इब्े अब्दुल वहाब का यह मत था कि मुस्लिम समाज के जो लोग ंगैर इस्लामी (उसके अनुसार)कार्यकलाप करते हैं वे भी कांफिर हैं। अशिक्षित अरबों के मध्य वह जल्द ही कांफी लोकप्रिय हो गया। इस विचारधारा के विस्तार के समय अरब के मक्का व मदीना जैसे पवित्र शहरों में वहाबी समर्थकों ने बड़े पैमाने पर सशस्त्र उत्पात मचाया। परिणामस्वरूप मक्का व मदीना में बड़ी संख्या में निहत्थे मुस्लिम औरतों,बच्चों व बाुर्गों का ंकत्लेआम हुआ। इन्हीं के द्वारा उस ऐतिहासिक मकान को भी ध्वस्त कर दिया गया जहां हारत मोहम्मद का जन्म हुआ था। इस विचारधारा के समर्थकों द्वारा अरब में स्थित तमाम सूंफी दरगाहों तथा मज़ारों को भी नष्ट किया गया। आगे चलकर इसी विचारधारा ने सऊदी अरब की धरती पर ही जन्मे ओसामा बिन लाडेन जैसे मुसलमान को दुनिया का सबसे ख़तरनाक आतंकवादी बनने के मार्ग पर पहुंचा दिया।
जब यही ओसामा बिन लाडेन दुनिया का मोस्ट वांटेड अपराधी बन जाता है तब यही सऊदी अरब की सरकार उसे देश निकाला देकर स्वयं को पुन: पाक-सांफ, शांतिप्रिय तथा अविवादित स्थिति में ला खड़ा करती है। और तो और यदि उसे लाडेन या दुनिया के अन्य जेहादी अतिवादियों तथा आतंकवादियों के विरुध्द कुछ कहना सुनना पड़े तो सऊदी अरब इससे भी नहीं हिचकिचाता। इस समय भारत-पाक रिश्तों में रोड़ा बनकर जो नाम सबसे आगे आ रहा है वह है पाकिस्तान स्थित जमाअत-उद-दावा के प्रमुख हांफिा मोहम्मद सईद का। हांफिा मोहम्मद सईद इस समय दुनिया का सबसे विवादित एवं मोस्ट वांटेड अपराधी बन चुका है। मुंबई में हुए 26-11 के हमले के योजनाकारों के रूप में उसका नाम सबसे ऊपर उभर क र सामने आया है। भारत में 26-11 के हमले के दौरान गिरफ्तार किए गए एकमात्र जीवित आतंकीअजमल आमिर कसाब ने ही हांफिा मोहम्मद सईद के 26-11 में शामिल होने की बात कही है। उसी ने पाकिस्तान के मुरीदके नामक आतंकी प्रशिक्षण कैं प से प्रशिक्षण प्राप्त करने की बात भी ंकुबूल की है। यह प्रशिक्षण केंद्र जमात-उद- दावा द्वारा संचालित है। नई दिल्ली में गत् 25 फरवरी को भारत-पाक के मध्य हुई विदेश सचिव स्तर की बातचीत के दौरान भारत की ओर से पाकिस्तानी विदेश सचिव सलमान बशीर को जो तीन डोसियर सौंपे गए हैं उनमे हांफिा मोहम्मद सईद सहित 34 आतंकवादियों को भारत को सौंपने की मांग भी की गई थी। इस पर पाकिस्तान ने अपना रुंख स्पष्ट करते हुए यह सांफ कर दिया है कि वह हांफिा सईद को भारत के हाथों ंकतई नहीं सौंपेगा।
25 ंफरवरी को नई दिल्ली में हुई इस वार्ता के बाद हांफिा मोहम्मद सईद ने पाकिस्तान में एक टी वी चैनल को अपना साक्षात्कार दिया। इस साक्षात्कार में जहां उसने अन्य तमाम बातें कीं वहीं वह यह बताने से भी नहीं चूका कि उसकी सोच व ंफिक्र के पीछे सऊदी अरब में ग्रहण की गई उसकी शिक्षा का सबसे बड़ा योगदान है। संभवत: इसी अतिवादी शिक्षा के ही परिणामस्वरूप साक्षात्कार के दौरान उसने टी वी कैमरे के समक्ष अपना चेहरा रखने के बजाए कैमरे को अपनी पीठ की ओर करने का निर्देश दिया। पत्रकार द्वारा इसका कारण पूछे जाने पर उसने यही कहा कि ंफोटो ंखिचवाना इस्लामी शरिया के लिहाा से जाया नहीं है। गाैरतलब है कि हांफिा सईद इस्लामी शिक्षा का प्रोफेसर रह चुका है तथा शैक्षिक व्यस्तताएं छोड़कर अब जमात-उद- दावा संगठन गठित कर इसी के अंतर्गत तमाम स्कूल स्तर के मदरसे, जेहादी विचारधारा फैलाने वाली शिक्षा देने,अस्पताल चलाने तथा अन्य ंगैर सरकारी संगठन संचालित करने का काम कर रहा है। उसका स्वयं मानना है कि जमात के माध्यम से दुनिया के मुसलमानों को अपने साथ जोड़ना, उनका सुधार करना तथा इस्लामी शिक्षा का वैश्विक स्तर पर प्रचार व प्रसार करना उसके जीवन का मुख्य उद्देश्य है। हांफिा सईद स्वयं न केवल यह स्वीकार करता है बल्कि बड़े गर्व से यह बताता भी है कि धर्म के नाम पर चलने की सीख उसने सऊदी अरब में रहकर वहां के धर्माधिकारियों से ही हासिल की है।
गौरतलब है कि 26-11 के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान पर अत्यधिक दबाव डालने के बाद पाकिस्तान द्वारा हांफिा सईद को नारबंद कर दिया गया था। उस समय सऊदी अरब से अब्दुल सलाम नामक मध्यस्थताकार पाकिस्तान आए थे जिन्होंने हांफिा सईद व पाक सरकार के मध्य समझौता कराने में अहम भूमिका अदा की थी। आज यह घटना क्या हमें यह सोचने के लिए मजबूर नहीं करती कि आख़िर हांफिा सईद के प्रति सऊदी अरब की इस हमदर्दी की वजह क्या थी? इसी समझौते के बाद न सिंर्फ हांफिा सईद की नारबंदी हटाई गई बल्कि उसके बाद से ही उसने पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में जनसभाओं व रैलियों के माध्यम से भारत के विरुध्द जेहाद छेड़ने जैसा नापाक मिशन भी सार्वजनिक रूप से चलाना शुरु कर दिया। इसी सिलसिले में एक बात और याद दिलाता चलूं कि पाकिस्तान में इस्लाम को अतिवादी रूप देने के जनक समझे जाने वाले फौजी तानाशाह जनरल ज़िया उल हंक के सिर पर भी सऊदी अरब की पूरी छत्रछाया थी। एक और घटना का उल्लेख करना यहां प्रासंगिक होगा। जनरल परवो मुशर्रंफ ने जब नवाा शरींफ की सरकार का तख्ता पलटा तथा उन्हें जेल में डाल दिया उस समय भी सऊदी अरब ने मध्यस्थता कर नवाा शरींफ को जनरल परवो मुशर्रंफ के प्रकोप से बचाने में उनकी पूरी मदद की थी तथा शरींफ को सऊदी अरब बुला लिया गया था। यह उदाहरण इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए कांफी है कि पाकिस्तान व सऊदी अरब के मध्य कोई साधारण रिश्ते नहीं हैं बल्कि सऊदी अरब पाकिस्तान के प्रत्येक राजनैतिक उतार-चढ़ाव पर न केवल अपनी गहरी नार रखता है बल्कि संभवत: वह पाकिस्तान में अपना पूरा दंखल भी रखता है।
कितनी विचित्र बात है कि एक ओर तो भारतीय प्रधानमंत्री सऊदी अरब से मधुर रिश्ते स्थापित करने की ग़रा से सऊदी अरब जा रहे हैं तथा अरब का शाही परिवार उनका अभूतपूर्व स्वागत कर यह संदेश भी दुनिया को देने की कोशिश कर रहा है कि भारत व सऊदी अरब दोस्ती की राह पर आगे बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर यही सऊदी अरब पाकिस्तान में जमात-उद- दावा सहित ऐसे कई संगठनों की आर्थिक सहायता भी कर रहा है जोकि भारत के विरुध्द आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय हैं। लश्करे तैयबा जोकि पाकिस्तान स्थित सबसे खूंखार आतंकी संगठन है तथा जिस पर 26 ंफरवरी को काबुल में हुए भारतीयों पर हमले करने का भी तााातरीन आरोप है उस संगठन के प्रति हांफिा सईद ने अपनी पूरी हमदर्दी का इाहार भी किया है। उसने अपने साक्षात्कार में सांफतौर पर यह बात कही है कि वह न केवल लश्करे तैयबा के साथ है बल्कि प्रत्येक उस संगठन के साथ है जो कश्मीर की स्वतंत्रता के लिए जेहाद कर रहे हैं। जेहाद को भी हांफिा सईद अपने ही तरीके से परिभाषित करते हुए यह कहता है कि किसी ाालिम से स्वयं को बचाने हेतु की जाने वाली जद्दोजहद को ही जेहाद कहते हैं। उसके अनुसार वह कश्मीरी मुसलमानों को भारतीय सेना से बचाने हेतु जो प्रयास कर रहा है वही जेहाद है।
सऊदी अरब से अतिवादी शिक्षा प्राप्त करने वाला यह मोस्ट वांटेड अपराधी कश्मीर में सशस्त्र युध्द को भी सही ठहराता है तथा इसमें शामिल लोगों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देता है। वह संसद पर हुए हमले तथा 26-11 के मुंबई हमलों में अपनी संलिप्तता होने से तो इंकार करता है परंतु जब उससे यह पूछा गया कि सार्वजनिक रूप से आपके यह कहने का क्या अभिप्राय है कि 'एक मुंबई कांफी नहीं'। इसके जवाब में हांफिा सईद के पास बग़लें झांकने के सिवा कुछ नहीं था। वह भारत द्वारा सौंपे गए डोसियर को भी अपने विरुध्द प्रमाण नहीं बल्कि साहित्य बताता है। उसने सांफतौर पर पाक सरकार को यह भी कहा है कि वह भारत के विरुध्द जेहाद का एलान कर जंग की घोषणा करे अन्यथा पाक स्थित धर्मगुरु भारत के विरुध्द जेहाद घोषित करने के बारे में स्वयं ंफैसला लेंगे। उसका कहना है पाकिस्तान का बच्चा-बच्चा तथा जमात-उद- दावा के सदस्य पाकिस्तान के साथ भारत के विरुध्द लड़ने को तैयार हैं।
उपरोक्त हालात भारत के लिए निश्चित रूप से अत्यंत चिंता का विषय हैं। दुनिया को पाकिस्तान में फैले आतंकवाद के साथ-साथ सऊ दी अरब में चलने वाली उन अतिवादी गतिविधियों पर भी नार रखनी चाहिए जिनके परिणामस्वरूप पूरी दूनिया में सांप्रदायिकता तथा इस्लामी वर्गवाद की जड़ें तोी से फैल रही हैं तथा माबूत होती जा रही हैं। ािया उल हंक से लेकर हांफिा सईद तक की जाने वाली सऊदी अरब की सरपरस्ती का परिणाम पाकिस्तान को क्या भुगतना पड़ रहा है यह न केवल पाकिस्तानी अवाम बल्कि पूरी दुनिया भी देख रही है। तनवीर जांफरी
आंगनवाडी कार्यकताओं का मूलभूत प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न
आंगनवाडी कार्यकताओं का मूलभूत प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न
बानमोर.. कस्बे के आंगनवाड़ी केन्द्र में आंगनवाडी कार्यकर्ताओं का मूलभूत प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न हुआ। जिसमें करीबन 38 कार्यकर्ताओं को प्रशिक्ष्ज्ञण देकर प्रमाण पत्र दिये गये।
शिविर में जौरा, कैलारस, बानमौर, मुरैना आदि स्थानों से आंगनवाडी कार्यकर्ता महिलाए शामिल हुई। केन्द्रप्रभारी योगेश माथुर तथा परियोजना अधिकारी द्वारा इस अवसर पर 38 महिलाओं को प्रमाण पत्र वितरण किए गए।
सी.एम.ओ ऑफिस ने नदारद
सी.एम.ओ ऑफिस ने नदारद
बानमोर- नगर पंचायत में पदस्थ सीएम ओ के आफिस में न आने से लोग बेहद परेशान है। कर्मचारियों तथा नागरिकों ने बताया कि नगर पंचायत में पदस्थ नए सीएमओं ने चार्ज लेने के बाद ऑंफिस की सुध नही ली है। सी.एम.ओ. के आए दिन अनुपस्थित रहने के कारण नगर पंचायत के कर्मचारी भी नगर की सफाई की ओर ध्यान नही दे रहे है। नगर के वार्डो में चारो ओर गंदगी का साम्राज्य है लोगों को वार्डो की गलियों में निकलना मुश्किल हो रहा है। कर्मचारी भी नहीं समय पर आते है।
गीता रखती कुरान रखती हॅ दिल में हिन्दुस्तान रखती हॅ - प्रेस क्लब जौरा का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न
गीता रखती कुरान रखती हॅ दिल में हिन्दुस्तान रखती हॅ - प्रेस क्लब जौरा का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न
जौरा- गत दिवस प्रेस क्लब जौरा द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने श्रोताओं की तालियॉ लूटी वही लखनऊ से पधारी कु. कविता तिवारी श्रोताओं की धड़कने उस समय थमने को मजबूर कर दी जब उन्होंने कहा की गीत रखती हॅू कुरान रखती हॅू ग्रंथ, बाइबिल महान रखती हॅू, फर्क रखती नहीं मजहबों में दिल में हिन्दुस्तान रखती हॅू। वहीं कड़ी से पधारे रामबाबू सिकरवार ने भी श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी उन्होंने कहा कि ऋषि मुनियों का ज्ञानी कर्मयोगियोें का देश, सोने की चिड़िया का ऐसा हाल कैसे हो गया, रात दिन मेहनत कर चूर हुआ फिर भी किसान बदहाल कैसे हो गया। एक नेता को देखा तो ऐसा लगा.. सुमावली से पधारे अरविन्द्र कोटा ने कहा की रामजी का गॉव भूले और कैलाधाम भूले रास के रचैया श्रीरामजी को भूल गये सूरदास मीराबाई रहिमन भूले आप कवि बिहारी तुलसी दास जी को भूल गये। मेरठ से पधारे अर्जुन सिसौदिया ने कहा कि जब-जब कंस शिशुपाल के लडेगें पाप नटखट कृष्ण की कहानी काम आयेंगी। देश को जरूरत पडेगी जब खून की तो अल्हड सी यही नौजवानी काम आयेगी। इसी तरह मेनपुरी से पधारे गीतकार बलिराम श्रीवास्तव ने कहा कि किसी से प्यार के प्रतिदिन की इच्छा नही कुरते स्वप्न के व्यार्थ में यशगान की इच्छा नहीं डरते जन्म हर बार लेना चाहता हॅू भूमि भारत पर अमरता के किसी वरदान की इच्छा नहीं करते । ललितपुर से पधारे वीरेन्द्र विद्रोही ने कहा कि विजयी विश्व तिरंगा प्यारा भारत की पहचान रहे सारे जग से अच्छा अपना हिन्दुस्तान रहे। इसके बाद हास्य के कवि सवरस मुरसानी मथुरा ने तो श्रोताओं को खूब हसाया उन्होंने कहा कि स्वार्थ को जो भी जीते है उनकी भी क्या जिन्दगानी मात्र भूमि पर जो मिटन सके वो भी क्या जवानी है। मुरैना से पधारे लडिले कवि रत्नेश पाराशर ने सम्मेलन का संचालन संभालते हुऐ कहा कि छूकर चरण बोला रो रही हो तुम सिंहनी के है मैया सिहनी के जाये हम यों ने में रोपी मेरा लाल जा रहा बार-बार एक ही मलाल आ रहा, मात्र भूमि का में थोडा पुण्य से सही देश हित बस एक लाल देश देसकी आज सौ-सौ होते तो भी पड़जाते कम लाडले ने गीत गाया वन्देमातरम् इससे पूर्व कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष सत्यपाल सिंह सिकरवार एवं विशेश अतिथि नगर पंचायत जौरा के अध्यक्ष राजेश वर्मा एवं जनपद पंचायत जौरा की अध्यक्ष श्रीमती राजदा सादिक कुर्रेशी व जनपद पहाडगढ के अध्यख राजकुमार सिंह सिकरवार ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्या अर्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की तत्पश्चात अतिथियों एवं कवियों का स्वागत प्रेस क्लब के अध्यक्ष जनक सिंह कुशवाह द्वारा फूल मालाओं से किया गया।
** बुरे फसे **
** बुरे फसे **
सेठ जी पड़ गऐ जब बीमार,
चोरी हो गई उनकी कार।
पहूचे थारे, रपट लिखाने
बोले दरोगा-कया है बात ?
किससे हो गई, घूंसा-लात
सेठ जी बोले. चोरी हो गई कार
रपोट लिखो , मेरी सरकार....
बोले दरोगा- थोडा सा कुछ पुण्य कमाओं
रपोट लिखूगा भेंट चढ़ाओं।
सेठ जी बोले पहिले मिल जाऐ मेरी कार ,
भेंट चढेंगी तब सरकार...
चिड़ा दरोगा, बोला सेठ
देखूगा तू मत दे भेंट
गाडी नम्बर नाम बताओ,
सेठ जी बोले विन पहिओ के खड़ी हुई थी,
सीटे- बॉडी सड़ी हुई थी।
चार के पीछे, आठ-अठरह,
मिली दहेज में, मुझे खटरा
बोले दरोगा-अब तेरे बज गए बारह,
दहेज एक्ट की, लगेगी धारा
सेठ जी बोले-गलती हो गई माई-बाप।
जो लेना है ले लो आप
बोले दरोगा-कार की कीमत जितनी भाई
भेंट लगेगी एक चौथाई
सेठ जी बोले.. कार मिली न रपट लिखाई,
फिर भी लग गई एक चौथाई।
बोले दरोगा- रखता हूॅ, मैं तेरी भेंट।
लम्बा हो ले.... अब... तू सेठ...
सेठ जी बोले. घर लुटे या लुटे लुगाई
अब नहीं आना थाने भाई
-सुहेलउद्दीन-
बानमोर जिला मुरैना
दहेज की खातिर युवती को पीटा
दहेज की खातिर युवती को पीटा
मुरैना..दहेज की खातिर ससुराल वालों ने एक युवती के साथ मारपीट कर उसे प्रताउित किया पुलिसने मामला कायम कर लिया है। पुलिस के अनुसार सिविल लाईन थाना क्षेत्र के ग्राम मुंगावली तिराहे पर गत दिवस आरोपी बंटी राठोर गबबर ऊषा देवी राठोर ने एक राय होकर श्रीमती लक्षमी राठोर उम्र 32 साल की मारपीट कर गंभीर चोट पहुंचाई पुलिस ने दहेज की खातिर युवती को प्रताडित करने वाले आरोपियों के बिरूद्ध धारा 498ए 324,34 का मामला कायम कर लिया है।
वाणिज्य कर चौकी पर मारपीट करने वालों पर मामला कायम
वाणिज्य कर चौकी पर मारपीट करने वालों पर मामला कायम
मुरैना..सैल टेक्स वेरियर वाणिज्य कर चौकी पर गत दिवसमारपीट कर शासकीय कार्य में बाधा डालने की घटना पर पुलिस ने नामजद आरोपियों के खिलाफ मामला कायम कर लिया है। पुलिस थाना सिविल लाईन में चौकी प्रभारी महादेव चौवे ने शिकायत दर्ज कराई कि आरोपी महेश ,सुरेश ,पप्तू, नरेश निवासी मुरैना ने मारपीट करचोट पहुंचाई और शासकीय कार्य में बाधा डाली पुलिस ने धारा 353,332,341 का मामला कायम कर लिया है ।
कुकृत्य के बाद की थी बालक की हत्या
कुकृत्य के बाद की थी बालक की हत्या .मर्ग जांच के बाद हत्या का मामला कायम
मुरैना..दिमनी थाना क्षेत्र में बालक की संदिग्ध मौत की घटना में पुलिस ने मर्ग जांच के बाद हत्या का मामला कायम कर लिया है। पुलिस ने बताया कि बालक की हत्या से पूर्व आरोपियों ने उसके साथ अप्राकृतिक कुकृत्य किया था। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छिले दिनों दिमनी थाना क्षेत्र के ग्राम जखोनागढी निवासी निक्की उर्फ संदीप राठोर उम्र 10 साल का खेत में शव मिलने के बाद शव का पोस्टर्माट कराया तथा मग्र कायम कर विवेचना की गई पोस्टर्माटम रिर्पोट में बालक की हत्या से पूर्व उसके साथ अप्राकृतिक कुकृत्य किया जाना बताया गया है।
पुलिस ने बताया कि हत्या के आरोपियों का अभी तक सुराग नही लगा है। अज्ञात आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने धारा 302,377 का मामला कायम कर लिया है। पुलिस का कहना है कि अज्ञात आरोपियों की तलाश की जा रही है।
किशोरी और युवती से को छेडाखानी
किशोरी और युवती से को छेडाखानी
मुरैना..दो जगहों पर मनचलों ने किशोरी एवं एक युवती के साथ बुरी नियत से छेडखानी की गई पुलिस ने नामजद आरोपियों के खिलाफ मामला कायम कर लिया है।
पुलिससूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पोरसा थाना क्षेत्र के ग्राम खेरिया के हार में एक दलित किशोरी को अकेला पाकर गांव के ही विंकू उर्फ संतोष तोमर ने उसके साथ छेडखानी की विरोध करने पर आरोपी ने जातीय अपमान की गालियां दी पुलिस ने आरोपी के बिरूद्ध धारा 354 आईपीसी एवं हरिजन एक्ट का मामला दर्ज कर लिया है वही रिठोरा कला थाना क्षेत्र के ग्राम रूूंदका पुरा में आरोपी मूंगाराम कुशवाह ने अपने ही समाज की एक विवाहिता युवती को एकांत में पाकर उसे डरा धमका कर उसके साथ छेडखानी की गई।
पुलिस ने पीडित युवती की शिकायत पर आरोपी के बिरूद्ध धारा 354 ,506 का मामला कायम कर पुलिस ने प्रकरण को विवेचना में लिया है।
ट्रक की टक्कर से युवक की मौत ..मार्सल जीप की चपेट में आने से एक घायल
ट्रक की टक्कर से युवक की मौत ..मार्सल जीप की चपेट में आने से एक घायल
मुरैना ..दो अलग अलग सडक दुर्घटनाओं में एक युवक की मौत हो गई जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया पुलिस ने लापरवाह वाहन चालक कों खिलाफ मामला कायम कर लिया है।
पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते रोज बामौर कस्वे में हाईवे पर ट्रक क्रमांक आर जे 11 जेए 4427 के चालक ने वाहन को तेजी व लारपवाही से चलाकर बामौर निवासी शिखरचंद जेन उम्र 20 साल को टक्कर मार दी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई पुलिस थ्राना बामौर ने पुरूषोत्तम की शिकायत पर उक्त ट्रक चालक के खिलाफ धारा 304ए का मामला कायम कर लिया है।
पुलिस द्वारा दी गई एक अन्य जानकारी के अनुसार जौरा थाना क्षेत्र के ग्राम छेरा के सामने एम एस रोड पर गत दिवस मार्सल जीप क्रमांक एमपी06वी1649 के चालक ने तेजी व लापरवाही से चलाकर बंटी कुशवाह उम्र 22 साल को टक्कर मार कर घायल कर दिया घायल युवक कोइलाज हेतु अस्पताल में दाखिल करा दिया है। पुलिस ने फरियादी राकेश कुशवाह निवासी महावीरपुरा जौरा की शिकायत परजीप चालक के बिरूद्ध धारा 279,337 का मामला कायम कर लिया है।
मंगलवार, 9 मार्च 2010
पंचायतों का सशक्तीकरण
पंचायतों का सशक्तीकरण
सुधीर तिवारी
पंचायती राज संस्थायें भारत में लोकतंत्र की मेरूदंड है। निर्वाचित स्थानीय निकायों के लिए विकेन्द्रीकृत, सहभागीय और समग्र नियोजन प्रक्रिया को बढावा देने और उन्हें सार्थक रूप प्रदान करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय ने अनेक कदम उठाए हैं।
पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ)
इस योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने की अनिवार्य शर्त विकेन्द्रीकृत, सहभागीय और समग्र नियोजन प्रक्रिया को बढावा देना है। यह विकास के अन्तर को पाटता है और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और उसके पदाधिकारियों की क्षमताओं का विकास करता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने में बीआरजीएफ अत्यधिक उपयोगी साबित हुआ है और पीआरआई'ज तथा राज्यों ने योजना तैयार करने एवं उन पर अमल करने का अच्छा अनुभव प्राप्त कर लिया है। बीआरजीएफ के वर्ष 2009-10 के कुल 4670 करोड़ रुपए के योजना परिव्यय में से 31 दिसबर, 2009 तक 3240 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
ई-गवर्नेंस परियोजना
एनईजीपी के अन्तर्गत ईपीआरआई की पहचान मिशन पध्दति की परियोजनाओं के ही एक अंग के रूप में की गई है। इसके तहत विकेन्द्रीकृत डाटाबेस एवं नियोजन, पीआरआई बजट निर्माण एवं लेखाकर्म, केन्द्रीय और राज्य क्षेत्र की योजनाओं का क्रियान्वयन एवं निगरानी, नागरिक-केन्द्रित विशिष्ट सेवायें, पंचायतों और व्यक्तियों को अनन्य कोड (पहचान संख्या), निर्वाचित प्रतिधिनियों और सरकारी पदाधिकारियों को ऑन लाइन स्वयं पठन माध्यम जैसे आईटी से जुड़ी सेवाओं की सम्पूर्ण रेंज प्रदान करने का प्रस्ताव है। ईपीआरआई में आधुनिकता और कार्य कुशलता के प्रतीक के रूप में पीआरआई में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने और व्यापक आईसीटी (सूचना संचार प्रविधि) संस्कृति को प्रेरित करने की क्षमता है।
ईपीआरआई में सभी 2.36 लाख पंचायतों को तीन वर्ष के लिए 4500 करोड़ रुपए के अनन्तिम लागत से कम्प्यूटरिंग सुविधाएं मय कनेक्टिविटी (सम्पर्क सुविधाओं सहित) के प्रदान करने की योजना है। चूंकि पंचायतें, केन्द्र राज्यों के कार्यक्रमों की योजना तैयार करने तथा उनके क्रियान्वयन की बुनियादी इकाइयां होती हैं, ईपीआरआई, एक प्रकार से, एमएमपी की छत्रछाया के रूप में काम करेगा। अत: सरकार, ईएनईजीपी के अन्तर्गत ईपीआरआई को उच्च प्राथमिकता देगी। देश के प्राय: सभी राज्यों (27 राज्यों) की सूचना और सेवा आवश्यकताओं का आकलन, व्यापार प्रक्रिया अभियांत्रिकी और विस्तृत बजट रिपोर्ट पहले ही तैयार की जा चुकी हैं और परियोजना पर अब काम शुरू होने को ही है।
महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण
राष्ट्रपति ने 4 जून, 2009 को संसद में अपने अभिभाषण में कहा था कि वर्ग, जाति और लिंग के आधार पर अनेक प्रकार की वर्जनाओं से पीड़ित महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण के फैसले से अधिक महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश का अवसर प्राप्त होगा। तद्नुसार मंत्रिमंडल ने 27 अगस्त, 2009 को संविधान की धारा 243 घ को संशोधित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया ताकि पंचायत के तीनों स्तर की सीटों और अध्यक्षों के 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किये जा सकें। पंचायती राज मंत्री ने 26 नवम्बर, 2009 को लोकसभा में संविधान (एक सौ दसवां) सशोधन विधेयक, 2009 पेश किया।
वर्तमान में, लगभग 28.18 लाख निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों में से 36.87 प्रतिशत महिलायें हैं। प्रस्तावित संविधान संशोधन के बाद निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या 14 लाख से भी अधिक हो जाने की आशा है।
पंचायती राज संस्थाओं को कार्यों, वित्त और पदाधिकारियों का हस्तान्तरण
पंचायतें जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक संस्थायें हैं और कार्यों, वित्त तथा पदाधिकारियों के प्रभावी हस्तांतरण से उन्हें और अधिक सशक्त बनाए जाने की आवश्यकता है। इससे पंचायतों द्वारा समग्र योजना बनाई जा सकेगी और संसाधनों को एक साथ जुटाकर तमाम योजनाओं को एक ही बिन्दु से क्रियान्वित किया जा सकेगा।
ग्राम सभा का वर्ष
पंचायती राज के 50 वर्ष पूरे होने पर 2 अक्तूबर, 2009 को समारोह का आयोजन किया गया। स्वशासन में ग्राम सभाओं और ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के महत्व को देखते हुए 2 अक्तूबर, 2009 से 2 अक्तूबर, 2010 तक की अवधि को ग्राम सभा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। ग्राम सभाओं की कार्य प्रणाली में प्रभाविकता सुनिश्चित करने के सभी संभव प्रयासों के अतिरिक्त, निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं--पंचायतों, विशेषत: ग्राम सभाओं के सशक्तीकरण के लिए आवश्यक नीतिगत, वैधानिक और कार्यक्रम परिवर्तन, पंचायतों में अधिक कार्य कुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु सुव्यवस्थित प्रणालियों और प्रक्रियाओं को और ग्राम सभाओं तथा पंचायतों की विशिष्ट गतिविधियों को आकार देना और ग्राम सभाओं तथा पंचायतों की विशिष्ट गतिविधियों के बारे में जन-जागृति फैलाना।
न्याय पंचायत विधेयक, 2010
वर्तमान न्याय प्रणाली, व्ययसाध्य, लम्बी चलने वाली प्रक्रियाओं से लदी हुई, तकनीकी और मुश्किल से समझ में आने वाली है, जिससे निर्धन लोग अपनी शिकायतों के निवारण के लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा नहीं ले पाते। इस प्रकार की दिक्कतों को दूर करने के लिए मंत्रालय ने न्याय पंचायत विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है। प्रस्तावित न्याय पंचायतें न्याय की अधिक जनोन्मुखी और सहभागीय प्रणाली सुनिश्चित करेंगी, जिनमें मध्यस्थता, मेल-मिलाप और समझौते की अधिक गुंजाइश होगी। भौगोलिक और मनोवैज्ञानिक रूप से लोगों के अधिक नजदीक होने के कारण न्याय पंचायतें एक आदर्श मंच संस्थायें साबित होंगी, जिससे दोनों पक्षों और गवाहों के समय की बचत होनी, परेशानियां कम होंगी और खर्च भी कम होगा। इससे न्यायपालिका पर काम का बोझ भी कम होगा।
पंचायत महिलाशक्ति अभियान
यह निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) के आत्मविश्वास और क्षमता को बढाने की योजना है ताकि वे उन संस्थागत, समाज संबंधी और राजनीतिक दबावों से ऊपर उठकर काम कर सकें, जो उन्हें ग्रामीण स्थानीय स्वशासन में सक्रियता से भाग लेने में रोकते हैं। बाइस राज्यों में कोर (मुख्य) समितियां गठित की जा चुकी हैं और राज्य स्तरीय सम्मेलन हो चुके हैं। योजना के तहत 9 राज्य समर्थन केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है। ये राज्य हैं-- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, केरल, पश्चिम बंगाल और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह। योजना के तहत 11 राज्यों में प्रशिक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता लाने के कार्यक्रम हो चुके हैं। ये राज्य हैं-- आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ, ग़ोवा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, मणिपुर, केरल, असम, सिक्किम और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
संभागीय स्तर के 47 सम्मेलन 11 राज्यों (छत्तीसगढ, ग़ोवा, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, मणिपुर, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह) में आयोजित किए गए हैं। गोवा और सिक्किम में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों और निर्वाचित युवा प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर्स ईवाईआर्स) के राज्य स्तरीय संघ गठित किये जा चुके हैं।
ग्रामीण व्यापार केन्द्र (आरबीएच) योजना
भारत में तेजी से हो रहे आर्थिक विकास को ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से पहुंचाने के लिए 2007 में आरबीएच योजना शुरू की गई थी। आरबीएच, देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विकास का एक ऐसा सहभागीय प्रादर्श है जो फोर पी अर्थात पब्लिक प्राईवेट पंचायत पार्टनरशिप (सरकार, निजी क्षेत्र, पंचायत भागीदारी) के आधार पर निर्मित है। आरबीएच की इस पहल का उद्देश्य आजीविका के साधनों में वृध्दि के अलावा ग्रामीण गैर-कृषि आमदनी बढाक़र और ग्रामीण रोजगार को बढावा देकर ग्रामीण समृध्दि का संवर्धन करना है।
राज्य सरकारों के परामर्श से आरबीएच के अमल पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने के लिए 35 जिलों का चयन किया गया है। संभावित आरबीएच की पहचान और उनके विकास के लिए पंचायतों की मदद के वास्ते गेटवे एजेन्सी के रूप में काम करने हेतु प्रतिष्ठित संगठनों की सेवाओं को सूचीबध्द किया गया है। आरबीएच की स्थापना के लिए 49 परियोजनाओं को वित्तीय सहायता दी जा चुकी है। भविष्य में उनका स्तर और ऊंचा उठाने के लिए आरबीएच का मूल्यांकन भी किया जा रहा है।
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वि.जोशी अवस्थी बिष्ट
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