शनिवार, 1 मई 2010

मध्‍यप्रदेश में भारी राजनैतिक उथल पुथल के आसार

मध्‍यप्रदेश में भारी राजनैतिक उथल पुथल के आसार

भोपाल 1 मई 10, आने वाले दो तीन हफ्ते के दरम्‍यांन मध्‍यप्रदेश में सत्‍तारूढ़ भारतीय जनतापार्टी और मुख्‍य विपक्षी दल कॉंग्रेस में भारी राजनीतिक उथल पुथल और परिवर्तन के आसार नजर आ रहे हैं । जहॉं भारतीय जनता पार्टी का नया प्रदेश अध्‍यक्ष बनना है वहीं कॉंग्रेस भी अपने पदाधिकारीयों, रणनीति और ढांचे में तगड़ा फेर बदल कर सीधा हमला प्रदेश की भाजपा सरकार पर बोलने जा रही है । दूसरी ओर उमा भारती की भाजपा में वापसी लगभग तय हो गयी है । जहॉं म.प्र. के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह, नरेन्‍द्र सिंह तोमर, प्रभात झा की तिकड़ी अपने हिसाब से गोटियां बिछाने में लगी है वहीं इनके विरोधी भी तेज गति से मुखर व सक्रिय हो गये हैं ।

उमा भारती की भाजपा में वापसी को तिकड़ी के लिये शुभ शकुन नहीं माना जा रहा, फिलहाल तिकड़ी और विरोधियों सबकी नजर दस समय नये प्रदेश अध्‍यक्ष पर है, यदि तिकड़ी विरोधी प्रदेश अध्‍यक्ष बनता है तो शिवराज सिंह की बेलगाम सरकार को लगाम लग जायेगी वहीं संभव है कि पार्टी के मुखिया परिवर्तन के कुछ समय बाद म.प्र. सरकार का भी नेतृत्‍व परिवर्तन कर दिया जाये ।

यदि तिकड़ी का कोई आदमी म.प्र. में भाजपा का प्रदेश अध्‍यक्ष बनता है तो कांग्रेस अपने फोरम में लौटने की तैयारी के साथ शिवराज सरकार के लिये न केवल मुसीबतें पैदा करेगी वरन जल्‍द से जल्‍द शिवराज सरकार को अलविदा कहने का अभियान छेड़ेगी । दोनों ही सूरतों में कयास हैं कि आने वाले कुछ हफ्ते म.प्र. में भारी राजनीतिक उथल पुथल और परिवर्तन वाले रहेंगें ।   

 

 

ग्‍वालियर श्‍योपुर छोटी लाइन ट्रेन पलटी , ड्रायवर सहित 21 घायल गंभीर रूप से घायल महिला ग्‍वालियर रैफर

ग्‍वालियर श्‍योपुर छोटी लाइन ट्रेन पलटी , ड्रायवर सहित 21 घायल

गंभीर रूप से घायल महिला ग्‍वालियर रैफर

मुरैना 1 मई 10 कल 30 अप्रेल को ग्‍वालियर श्‍योपुर नैरोगेज ट्रेन का इंजिन और उससे जुड़ी एक बोगी के पलट जाने से डायवर सहित 21 लोग घायल हो गये । एक महिला की हालत गंभीर होने से उसे तुरन्‍त ग्‍वालियर रैफर कर दिया गया । ड्रायवर के मुह में गंभीर चोट है उसके दांत टूट गये हैं । वहीं अन्‍य यात्रियों की हालत खतरे से बाहर है ।

मुरैना अस्‍पताल में बिजली नहीं होने से घायलों को भारी परेशानी और मुसीबत से गुजरना पड़ा , उल्‍लेखनीय है कि मुरैना में 20 घण्‍टे का पावर शट डाउन उस समय चल रहा था । घटना जौरा और सुमावली रेल्‍वे स्‍टेशन के बीच घटित हुयी । घायल यात्रियों ने बताया कि उन्‍होंने तेज घड़ घड़ की आवाजें सुनी उसके बाद ट्रेन पलट गयी । मौके पर मौजूद अन्‍य प्रत्‍यक्ष दर्शियों का कहना था कि तेज ऑधी आयी थी और शायद किसी ने रेल्‍वे ट्रेक पर भारी पत्‍थर या कुछ अन्‍य भारी चीजें डाल दीं थीं, ड्रायवर ने बताया कि उसे तेज ऑधी में कुछ दिखा नहीं बस तेज आवाजे आयी और अपने आप गाड़ी पलट गयी ।

 

 

मुरैना : 20 घण्‍टे से अधिक बिजली बन्‍द रही 24 घण्‍टे के दरम्‍यां

मुरैना : 20 घण्‍टे से अधिक बिजली बन्‍द रही 24 घण्‍टे के दरम्‍यां

मुरैना 1 मई 10, मुरैना शहर और मुरैना जिला वासीयों के लिये अप्रेल माह का आखरी दिन कई मनहूसियतें ले कर आया । जहॉं 30 अप्रेल को ही ग्‍वालियर श्‍योपुर छोटी लाइन ट्रेन पलट गई वहीं 30 अप्रेल को सुबह 4 बजे हुयी बिजली कटौती के बाद सुबह 10:16 बजे बिजली वापस आयी यानि पूरे 6 घण्‍टे 16 मिनिट तक बिजली कटी, उसके बाद दोपहर 2 बजे कटी बिजली फिर वापस आयी ही नहीं और दूसरे दिन यानि 1 मई को सुबह 4 बजे ही वापस आयी अर्थात 24 घण्‍टे के दरम्‍यां कुल 20 घण्‍टे 16 मिनिट तक पावर शट डाउन रहा ।

हालांकि दोपहर 2 बजे से दूसरे दिन सुबह 4 बजे तक पावर शट डाउन के बारे में मध्‍यक्षेत्रीय विद्युत वितरण कम्‍पनी का कहना है कि हाई टेंशन ट्रान्‍समिशन लाइन टूट जाने से मेजर फाल्‍ट हो जाने से 14 घण्‍टे कन्‍टीनूअस पावर शट डाउन रहा ।

इस दरम्‍यां ट्रेन पलटने से घायल लोग मुरैना अस्‍पताल में पड़े कराहते रहे, अस्‍पताल में बिजली नहीं होने से वहॉं भी कराहें कोहराम और चीख पुकार मचा रहा ।

 

मुरैना : 20 घण्‍टे से अधिक बिजली बन्‍द रही 24 घण्‍टे के दरम्‍यां

मुरैना : 20 घण्‍टे से अधिक बिजली बन्‍द रही 24 घण्‍टे के दरम्‍यां

मुरैना 1 मई 10, मुरैना शहर और मुरैना जिला वासीयों के लिये अप्रेल माह का आखरी दिन कई मनहूसियतें ले कर आया । जहॉं 30 अप्रेल को ही ग्‍वालियर श्‍योपुर छोटी लाइन ट्रेन पलट गई वहीं 30 अप्रेल को सुबह 4 बजे हुयी बिजली कटौती के बाद सुबह 10:16 बजे बिजली वापस आयी यानि पूरे 6 घण्‍टे 16 मिनिट तक बिजली कटी, उसके बाद दोपहर 2 बजे कटी बिजली फिर वापस आयी ही नहीं और दूसरे दिन यानि 1 मई को सुबह 4 बजे ही वापस आयी अर्थात 24 घण्‍टे के दरम्‍यां कुल 20 घण्‍टे 16 मिनिट तक पावर शट डाउन रहा ।

हालांकि दोपहर 2 बजे से दूसरे दिन सुबह 4 बजे तक पावर शट डाउन के बारे में मध्‍यक्षेत्रीय विद्युत वितरण कम्‍पनी का कहना है कि हाई टेंशन ट्रान्‍समिशन लाइन टूट जाने से मेजर फाल्‍ट हो जाने से 14 घण्‍टे कन्‍टीनूअस पावर शट डाउन रहा ।

इस दरम्‍यां ट्रेन पलटने से घायल लोग मुरैना अस्‍पताल में पड़े कराहते रहे, अस्‍पताल में बिजली नहीं होने से वहॉं भी कराहें कोहराम और चीख पुकार मचा रहा ।

 

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

खाद्य राज्य मंत्री ने मुरैना जिले में किया उचित मूल्य दुकानों का निरीक्षण

खाद्य राज्य मंत्री ने मुरैना जिले में किया उचित मूल्य दुकानों का निरीक्षण

एक दुकान निलम्बित: एक को नोटिस

मुरैना 28 अप्रेल 10/ खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पारस चन्द्र जैन ने आज मुरैना जिले के मुरैना बानमौर और नूराबाद क्षेत्र में स्थित उचित मूल्य दुकानों का आकस्मिक निरीक्षण किया । उन्होंने खाद्यान्न वितरण में अनियमितता पाये जाने पर बानमौर के प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार दुकान क्रमांक 10-11 को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने के निर्देश दिए । निरीक्षण के दौरान नूराबाद स्थित सेवा सहकारी संस्था सिहोरा बंद पाई गई । खाद्य मंत्री ने इसके लिए कारण बताओ सूचना पत्र जारी करने के निर्देश दिए । निरीक्षण के दौरान अम्बाह विधायक श्री कमलेश सुमन, दिमनी विधायक श्री शिवमंगल सिंह तोमर, कलेक्टर श्री एम.के. अग्रवाल पुलिस अधीक्षक श्री गौरव राजपूत, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री डी.के. कम्ठान, जिला आपूर्ति अधिकारी श्री एस. दोहरे तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा नापतौल विभाग के अधिकारी साथ थे ।

      खाद्य राज्य मंत्री श्री जैन के बानमौर की जैतपुर उ.मूल्य दुकान के निरीक्षण के दौरान दुकान खुली पाई गई और सामग्री भी उपलब्ध पाई गई । दुकान क्रमांक 10-11 प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार के निरीक्षण के दौरान बंद पाई गई । उपभोक्ताओं से पूछताछ करने पर जानकारी मिली कि दुकानदार द्वारा बी पी एल कार्डो पर 19 किलो गेंहू और 1 किलो 400 ग्राम शक्कर का वितरण किया जा रहा है, जबकि सरकारी आदेश 20 किलो गेंहू और 2 किलो शक्क्रर वितरण का है । खाद्य मंत्री ने उपभोक्ताओं के कथन के आधार पर पंचनामा कराया और इस दुकान को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करने के निर्देश दिए । निरीक्षण के दौरान सेवा सहकारी संस्था सिहोरा नूराबाद द्वारा संचालित उ.मूल्य दुकान बंद पाई गई । उपभोक्ता हरीसिंह रमेश सिंह आदि ने बताया कि शक्कर डेढ किलो प्रति कार्ड के मान से प्राप्त होती है । खाद्य मंत्री ने इस अनियमितता के लिए दुकान दार को कारण बताओं सूचना पत्र जारी करने के निर्देश दिए ।

      खाद्य राज्यमंत्री श्री जैन ने कृषि उपज मंडी समिति मुरैना में पहुंचकर समर्थन मूल्य पर चल रही गेहू खरीदी कार्य का निरीक्षण किया । वे मोटर साईकिल पर बैठकर तौल स्थल पर पहुंचे और तौल कांटे का भी निरीक्षण किया । इसके पश्चात उन्होने वार्ड नं. 6 में स्थित उचित मूल्य दुकान का भी निरीक्षण किया ।

      खाद्य राज्य मंत्री श्री पारस जैन ने खाद्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्रति माह आवंटित खाद्यान्न कोटा की जानकारी स्थानीय जन प्रतिनिधियों को उपलब्ध कराये और अखवारों में भी प्रचारित करायें, ताकि उपभोक्ता को सरकार द्वारा दी जा रही सुविधा की जानकारी प्राप्त हो सके ।

 

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

जैविक खेती: प्राकृतिक एवं टिकाऊ खेती

जैविक खेती: प्राकृतिक एवं टिकाऊ खेती

       संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थो के बीच आदान-प्रदान के चक्र को (इकोलाजी सिस्टम) प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती   है।

       प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थो के बीच आदान-प्रदान का चक्र इकोलाजी सिस्टम निरन्तर चलता रहा था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रंथों में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं अर्थात कृषि एवं गोपालन संयुक्त रूप से अत्याधिक लाभदायी था, जोकि प्राणी मात्र व वातावरण के लिए अत्यन्त उपयोगी था। परन्तु बदलते परिवेश में गोपालन धीरे-धीरे कम हो गया तथा कृषि में तरह-तरह की रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है जिसके फलस्वरूप जैविक और अजैविक पदार्थो के चक्र का संतुलन बिगड़ता जा रहा है, और वातावरण प्रदूषित होकर, मानव जाति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अब हम रसायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों के उपयोग के स्थान पर, जैविक खादों एवं दवाईयों का उपयोग कर, अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुध्द रहेगा और मनुष्य एवं प्रत्येक जीवधारी स्वस्थ रहेंगे।

       भारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। हरित क्रांति के समय से बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए एवं आय की दृष्टि से उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है अधिक उत्पादन के लिये खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरको एवं कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता है जिससे सीमान्य व छोटे कृषक के पास कम जोत में अत्यधिक लागत लग रही है और जल, भूमि, वायु और वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है साथ ही खाद्य पदार्थ भी जहरीले हो रहे हैे। इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत वर्षो से निरन्तर टिकाऊ खेती के सिध्दान्त पर खेती करने की सिफारिश की गई, जिसे प्रदेश के कृषि विभाग ने इस विशेष प्रकार की खेती को अपनाने के लिए, बढ़ावा दिया जिसे हम ''जैविक खेती'' के नाम से जानते है।

 

       जैविक खेती से विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं। कृषकों की दृष्टि से होने वाले लाभों में भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृध्दि हो जाती है। साथ ही सिंचाई अंतराल में वृध्दि होती है। रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से कास्त लागत में कमी आती है। फसलों की उत्पादकता में भी वृध्दि होती है।

       मिट्टी की दृष्टि से भी जैविक खेती लाभप्रद है। जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है। भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं और भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होता है।

       जैविक खेती पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभकारी है इससे भूमि के जल स्तर में वृध्दि होती हैं। मिट्टी खाद पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण मे कमी आती है। खाद बनाने में कचरे का उपयोग होने से बीमारियों में कमी आती है। फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृध्दि होती है। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ता भी खरी उतरी है। जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन देती है अर्थात जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णत: सहायक है। वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है। जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत तो कम होती ही है इसके साथ ही कृषक भाइयों को आय अधिक प्राप्त होती है तथा अंतराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अधिक खरे उतरते हैं। जिसके फलस्वरूप सामान्य उत्पादन की अपेक्षा में कृषक भाई अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक समय में निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शक्ति का संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह अत्यन्त लाभदायक है। मानव जीवन के सवर्ांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है कि प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित हों, शुध्द वातावरण रहे एवं पौष्टिक आहार मिलता रहे, इसके लिये हमें जैविक खेती की कृषि पध्दतियाँ को अपनाना होगा जोकि हमारे नैसर्गिक संसाधनों एवं मानवीय पर्यावरण को प्रदूषित किये बगैर समस्त जनमानस को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सकेगी तथा हमें खुशहाल जीने की राह दिखा सकेगी।

            जैविक खेती के लिये प्रमुख जैविक खाद नाडेप, बायोगैस स्लरी, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, जैव उर्वरक (कल्चर), गोबर की खाद, नाडेप फास्फो कम्पोस्ट, पिट कम्पोस्ट (इंदौर विधि), मुर्गी का खाद इत्यादि हैं। जैविक पध्दति द्वारा व्याधि नियंत्रण के लिये कृषक गौ-मूत्र, नीम- पत्ती का घोल#निबोली#खली, मट्ठा, मिर्च# लहसुन, लकड़ी की राख, नीम करंज खली का उपयोग करते हैं।