व्यंग्य
इतैं तो चचा मंदी है छायी, वहाँ का हाल हैं भाई
नरेन्द्र सिंह तोमर "आनंद"
चचा बहुत दिनोँ से चची से मोबाइल पे बतिया बतिया के उकता गये थे और अब जब से देश में वेलेन्टाईन की बहार आयी है, चचा का मन मयूर भी रोमान्स की नयी स्टाइलें तलाश रहा था ।
चची जब से मायके गयीं हैं तब से चचा का मोबाइल का बैलेंस सेन्सेक्स के मानिंद ऊपर नीचे जा रहा है । मंदी का टैम चल रिया है, सी.एम. कह रिया है कि एम.पी. में मंदी आ गयी है सो नौकरियों पे रोक का बैरियर डाल दिये हैं । अब सी.एम. बेचारा का करे कि ससुरी मंदी सात समंदर फलांगती सीधे म.प्र. में आ धमकी , साला बीच में दूसरा कोई स्टेशन ही नहीं मिला । इस मुयी मंदी को भारत की बकाया सारी स्टेट छोड कर म.प्र. ही मिला अपना ठीया बनाने को ।
पर म.प्र. की मंदी कुछ अलग किसम की है यहां मंदी में किसी चीज के दाम कम नहीं हुये बल्कि उल्टे बढ और गये । एक और मजेदार बात इस मंदी की यह है कि मंदी का असर निर्माता और विक्रेता पर होता है यह ठीक बात है लेकिन सरकार पर भी होता है यह तो केवल म.प्र. में ही होता है । पता नहीं का बनाती और बेचती है सरकार । खैर हमें का बनियों की सरकार है सो सरकार में भी तराजू लगाय रखें हैं सो सरकार में भी मंदी घोषित हो रही है कौन अजीब बात है । वैसे मंदी में सरकार राहत साहत के पैकेज की दनादन बँटाई करके मंदी को डाउन करती कई बार सुनी होगी लेकिन मंदी में हिँगामुती बंदी यहीं म.प्र. ही में मिलेगी जहाँ मंदी के कारण उल्टे सरकार ही राहत पैकेज माँगे है । धन्य है मंदी, धन्य है मामा । म्हारो भारत सच्ची मुच्ची महान है ।
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