नर्रा रहे मीडिया का टेंटुआ ऐंठा, बिजली पानी पूरी तरह बन्द, ग्वालियर चम्बल में कोहराम
19 घण्टे तक चैलेन्ज के साथ ठोक के बिजली कटौती, पानी सप्लाई अपने आप ही बन्द
हम अमन चाहते हैं जुल्म के खिलाफ, फैसला गर जंग से होगा तो जंग ही सही !
ग्वालियर/ भिण्ड/ मुरैना/ श्योपुर 16- 27 जून 09 , सरकार से पंगा यानि खुलेआम दंगा ! ग्वालियर चम्बल संभाग में पिछले 1 जून से की जा रही अंधाधुन्ध अघोषित कटौती पर जहाँ आम जनता और वकीलों ने सड़को पर उतर कर आन्दोलन तथा विरोध प्रदर्शन के जरिये भारी भभ्भर मचा रखा था वहीं मीडिया दनादन और धुऑंधार बिजली कटौती के खिलाफ खबरें लगाने में जुटा था !
अंतत: सरकार को जो करना था वह उसने कर डाला, भारत की दो कहावत बड़ी मशहूर हैं एक तो - काला बामन गोरा ..... इसका मतलब और अर्थ म.प्र. वासी इस समय भली भांति समझ रहे हैं दूसरी भैंस पूंछ उठायेगी तो का करेगी.....गोबर ! यानि जित्ती ज्यादा से ज्यादा बिगाड़ने की ताकत होगी बस उत्ता ही बिगाड़ेगी !
ग्वालियर चम्बल वाले इन दिनों इन कहावतों से रोजाना दो चार हो रहे हैं !
बदला बदला बदला, बदला लेना केवल चम्बल वालों का प्रायवेट हक ही नहीं बल्कि सरकार भी इस हक से परिपूर्ण है !
नर्रा रहे मीडिया और आन्दोलन कारीयों को आखिर सबक सिखाते हुये ग्वालियर चम्बल के समूचे जिले में शहरों और गॉवों में सोमवार 15 जून से सरकार ने खासी रणनीति के तहत विशेष कार्यवाही की ! हुआ ये कि चुन चुन कर कुछ चुनिन्दा क्षेत्र विशेषों में बिजली सप्लाई सुबह नियमित बिजली कटौती के साथ रात 1 बजे तक के लिये पूरी तरह बन्द कर दी ! बिजली सप्लाई बन्द होने से पीने का पानी अपने आप ही बन्द हो गया ! और सरकार के कहर से इन पीड़ित क्षेत्र विशेष में बिजली पानी के लिये त्राहि त्राहि मच गयी ! 23 जून से यह बिजली कटौती सबेरे 6 बजे से रात 3 बजे तक कर दी ।
मजे की बात ये रही कि बिजली घर पर जब इस सम्बन्ध में चर्चा की गयी तो बिजली घर वालों का रिरियाते हुये जवाब था कि का करें साब आप तो जानते ही हैं, हम मजबूर हैं ऊपर से जबरदस्ती बिजली काटने का आदेश दिया है, कारो बामन है, बमहनियाई तो दिखावेगा ! बिजलीघर के इस अप्रत्याशित जवाब को हमने रिकार्ड किया है !
कारो बामन तो स्टेट लेवल पर है लेकिन मुरैना मे तो बनियों की सरकार है, प्रभारी मंत्री, संभाग आयुक्त, कलेक्टर से लेकर एस.ई. जे.ई सब बनिये बैठे हैं, ये बनिये कब से बमहिनयाई करने लगे, हम गरजे, वह फिर रिरियाया ! का करें साब हम पर दया रखना, हम मजबूर हैं !
चलो खैर उस गरीब छोटे कर्मचारी से आगे बात करना बेकार था लेकिन यह अनुभव सारे विश्व के साथ शेयर करने लायक जरूर है !
खैर बिजली काटने से हमें नुकसान कम सरकार को नुकसान ज्यादा है , समाचार नहीं प्रकाशित होते तो साली सरकार के नहीं छपते, हमारा आलेख कभी रूकता नहीं, पूरी दम लगा लें तो भी रोक नही सकते !
खैर म.प्र. स्वर्णिम राज्य बनने जा रहा है, पूत के पाँव पालने में नजर आ रहे हैं, जब आप पूरे संभाग में पूरी प्रशासनिक सरकार केवल एक जाति विशेष की बैठा देते हैं तब ऐसा ही होता है, यह हमारा पुराना अनुभव है ! खैर मुरैना की सरकार तो सेठ जी के हाथों में है सो यहाँ जो भी अफसर रहेगा सेठ जी का आदमी ही रहेगा, कोई हैरत की बात नहीं ! पता नहीं कैसे पुलिस विभाग में अभी तक बनिये क्यों नहीं भेजे , मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी हमारी इल्तजा है कि मुरैना पुलिस जो अब तक ठीक ठाक चल रही है, कोई बनिया एस.पी. और सी.एस.पी. तलाश के मुरैना भिजवा दो, दूसरी जाति के अफसर शोभा नहीं दे रहे और ऐसे लग रहे हैं जैसे बगुलों के बीच में हँस घुस बैठे हों । बनिये कलेक्टर और कमिश्नर यहॉं पहले भी रहे हैं लेकिन सरकार की आजादी से लेकर ऐसी दुर्दशा हमने आज तक नहीं देखी । और हॉं लगे हाथ एकाध बनिये को जिला पंचायत और शिक्षा विभाग में भी भिजवा देना, जिससे बनिया प्रशासन की टेढ़ी नजर इन विभाग पर से हट जाये । बनिया प्रशासन अभी उन्हीं विभागों पर कहर ढा रहा है जहॉं बनिये अफसर नहीं हैं ।
अभी प्रभारी मंत्री की पत्रकारवार्ता को गुजरे महज दो हफ्ते ही गुजरे हैं और बिजली कटौती पर प्रभारी मंत्री की पत्रकारों ने 70 फीसदी टाइम तक खिंचाई की ओर मंत्री को बिना जवाब दिये ही पत्रकार वार्ता खत्म करके बिलबिलाते हमने ऑखों से देखा था ! संयोग देखिये कि प्रभारी मंत्री भी बनिया है ! यानि ऊपर से नीचे तक तराजू तनी है !
अब का कहिये - अंजामे गुलिस्तां का होगा, हर जगह तराजू ठुकी हुयी ! तौल के मिलेगी पानी और बिजली, नर्राओगे तो टेंटुआ दाब के कटेगी बिजली और पानी !
बनिया प्रशासन के कारनामों पर हमने पूरी रिपोर्ट तैयार की है और हम जगत को बताने के भारी इच्छुक हैं कि कैसे चम्बल में इन दिनों हर चीज पर हर सरकारी काम पर सौदेबाजी होती है और भ्रष्टाचार का नंगा ताण्डव चम्बल में चल रहा है, केवल भ्रष्टाचार ही नहीं बल्कि कई नंगे सच इस रिपोर्ट में हैं । हमें नहीं लगता कि आपका बनिया प्रशासन इसे छपने देगा , हॉंलांकि इस रिपोर्ट का 70 फीसदी भाग चम्बल पर और 30 फीसदी भाग समूचे मध्यप्रदेश पर है , हम आपके स्वर्णिम मध्यप्रदेश के कुछ राज फाश करने के लिये बेताब हैं, कुछ मामले तो तत्काल कार्यवाही योग्य हैं । बिजली रही तो वायदा है जल्दी ही इसकी पूरी श्रंखला छापेंगें भी और कार्यवाही भी करवायेंगें । आप नहीं करोगे तो कोई और करेगा । विष वृक्षों को उखाड़ फेंकना अपना पुराना शौक है । हम इसे उखाड़ फेंकेंगे यह हमारा प्रण है । बिजली नहीं रहे ये दुआ करना, जब तक बिजली नहीं तभी तक टोपी सलामत मानना सेठजी ।
ये भारत का नया संविधान है, नया संस्करण है भईये जहाँ हर अफसर, मंत्री और मातहत बनिया होवेगा, तराजू साथ रखेगा, ठाला बैठा तौल बॉट करेगा, धरजा और मरजा का राग अलापेगा ! ऐसी की तैसी लोकतंत्र की करेगा ! जय श्री राम, जय हिन्द, जय भारत !