शनिवार, 31 जुलाई 2010

सावन आया कर श्रंगार – 2 - नरेन्‍द्र सिंह तोमर ‘’आनन्‍द’’

सावन आया कर श्रंगार 2

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

गोरी के नयनों में उमगा है सावन, गोरी की जुल्फों में छाया है सावन , काली घटा बन आज उतरा है सावन अये यार जरा तू देख बहारें सावन कीं ।

बादल की गर्जन पे धडके जियरा, बिजली की कडकड में लिपटे है पियरा, खौफ लिये मुखडे पर, बैचेनी है हिये पर आज गोरी साजन से यूँ मिल गयी।

जो न हुआ बरसों से, हो गया कल परसों से, पिया पे प्यार दिल भर भर के आ गया, मनमौजी भंवरे पर आज कली रीझ गयी ।

जो न हुआ बरसों से, हो गया कल परसों से, पिया पे प्यार दिल भर भर के आ गया, मनमौजी भंवरे पर आज कली रीझ गयी ।

लपेट लेती भंवरे को, छोड देती भंवरे को , कली का हाल कुछ पागलों सा हो रहा ।

बुलाती है भंवरे को कई मनुहारों से, पास आये भंवरे को कहती भाग जा ।

चले गये भंवरे को रो रो पुकारती, भरी भरी आँखो से, दिल की गहराई से काँपती आवाज मेँ फिर उसको पुकारती ।

फिर पास आया भंवरा तो पागल कली फिर बोले हे हरजाई जा भाग जा । सावन की रिमझिम में, बरसे है सावन पर गोरी के सीने में आग लगी पानी से, मिलने को साजन से बोले रो रो के सावन से ।

बैरी सुन सावनवा, मेरे बिन साजनवा तेरी बरखा से कहीं मुझमें भीतर बरसात है ।

नैनों में झडी सावन की, माथे पे बिजली बिंदिया की, बिजली तडप भरी, होंठों में लरजता सावन श्रंगार है ।

बरसूंगी सुन सावन रे, बिजली सी तडप बन, घटाओं की झलक बन, साजन पे छाऊंगी ।

दे बहारें साजन को, बन के एक सावन पिया पे लुट जाऊंगी । मत बरखा से मेरे दिल को जला, रे पापी सावन सुन, पिया के आगोश में तुझे झुठलाऊंगी ।

 

सावन आया कर श्रंगार - भाग 1 - नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

सावन आया कर श्रंगार 1

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

सावन की मल्‍हारें गूंज रहीं खेतों और खलिहानों में, बाग बगीचे हरे भरे तहँ झूले लगे कतारों में।

नाचे मन, मन मयूर नाचता, मयूर नाचते बागो में, सावन की है छटा निराली, उमग रहा गोरी का मन भी।

छाया है उल्‍लास, धरा ने भी है श्रंगार किया, सोच सोच धरती का दिल भी धड़के बरदल की धड़ धड़ में, सोच रही बन पागल धरती आज मिलेंगें मुझे पिया।

सबके प्रीतम आन मिले हैं सावन की देख बहारों को, दूर देश से आये परिन्‍दे मिलने अपने सजनों को

गीत गा रहा सावन भी रिमझिम, सबको सबसे मिला रहा , कहीं भाई बहिन मिल रहे, कहीं बेटी बाबुल का नाता ।

मस्‍त मस्‍त घटायें लेकर काली जुल्‍फों का श्रंगार किया, सावन तेरा क्‍या कहना है तूने खुद का भी श्रंगार किया ।

तेरे माथे की बिंदिया से कौंध कौंध बिजली चमके, तेरी आस भरी आहों से शीतल पवन यहॉं महके ।

सब मिल रहे अपने अपने से, वह भी मस्‍त रहे जम के, जिनका कोई नहीं यहॉं पर वह भी जम कर नाचें ले ठुमके

गोरी की नथुनी और पायल, झुमके झूलर और चूनरिया, सब झूम रहे संग संग सावन के, नाचें ले ले मस्‍त अंगडि़या ।

वाह क्‍या रंगत छायी जगत में, सावन तुझ पर वारि जाऊं , क्‍या सुन्‍दर तेरा रूप सुहाना , हाय हाय बलिहारी जाऊं ।

याद आ रही महारास की, कान्‍हा रचा जो राधा संग, गोपी ग्‍वाले याद आ रहे, नाचे सब जो कान्हा संग ।

सावन उन्‍हें भी साथ में लाते, जिनसे अमर हुयी तेरी याद, कहॉं छोड़ के आये सावन कान्‍हा मुरली राधा साथ ।

क्‍यों महारास संग तुम न लाये, क्‍यूं छोड़ के आये मस्‍त गोपीयन टोल, कहॉं रह गया बंसी वाला, रह कहॉं गये नगाड़े ढोल ।

 

Importance of Shravan Mas - The Holy Month of Festivals- RENU SHARMA (Film Actress and Model - Mumbai)

Importance of Shravan Mas - The Holy Month of Festivals

 

RENU SHARMA

 

Film Actress and Model – Mumbai


The month of Shravan is the fifth month of the Hindu calender beginning from
Chaitra, and is the most auspicious month of the Chaturmas. On Purnima or
fullmoon day, or during the course of the month the star 'Shravan' rules the
sky, hence the month is called Shravan. This month is spread out with
innumerably religious festivals and ceremonies and almost all the days of this
month are auspicious. Shravan is considered the holiest month of the year.
Each monday of this month, known as Shravana Somvar, is a special day in Shiva
temples where the dharanatra hangs over the linga or the idol to bathe it with
holy water, day and night. Devotees pile the linga high with Bel leaves and
flowers and fast till sunset. The nandadeep (24 hour lamp) burns steadily in
the temples.
Lord Shiva and Shravan Mas
The legend says that when the churning of oceans - Samudra Manthan - took place
in the month of Shravan, fourteen different types of rubies came out. Thirteen
of these were distributed amongst the demons, except Halahal (poison). Lord
Shiva drank the Halahal and stored it in his throat. Hence the name Neelkantha
(meaning blue throat) is attributed to Shiva. To reduce the strong effect of
poison, Lord Shiva wore the crescent moon on his head. All the Gods, thereafter
started offering the Ganges water to Lord Shiva to make lessen the effect of
poison. Since, this happened in the month of Shravana, since then the Shiva
devotees offer the Ganges water in this month. It is considered highly
auspicious to wear a rudraksha in Shravan month. As, Mondays or Somvars of
Shravan month are specially observed with
austerity. All Mondays are devoted to the worship of Shiva as this day is sacred
to Lord Shiva. No other Mondays of other months are so greatly honoured.The
belief is that in Shravan month, offering milk to Lord Shiva earns a lot of
punya.

सोमवार, 26 जुलाई 2010

मुरैना में दिन भर की बिजली कटौती के साथ रात भर की जाने वाली बिजली कटौती से हडकम्प

मुरैना में दिन भर की बिजली कटौती के साथ रात भर की जाने वाली बिजली कटौती से हडकम्प

मुरैना 26  जुलाई 10 , चम्बल में यू तो भ्रष्ट व बेईमान अधिकारीयों को पदस्थ कर जनता का लहू चूसना आम बात है, स्थानीय नेताओं के पालतू और कमाई अधिकारीयों का जुल्मो सितम इस हद तक पार कर गया है कि साल भर चलने वाली बिजली कटौती गर्मी और घुआंधार मच्छरों के बीच बढ़ा कर दिन भर की बिजली कटौती के साथ पिछले दो दिनों से रात में भी शुरू कर दी गयी है ! उल्लेखनीय है स्थानीय भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारीयों और नाकारा हो चुकी नगर पालिका के सितमो आलम ये हैं कि भारी मच्छरों से त्रस्त शहर में पिछले तीन साल से मच्छरों के लिये न तो कोई दवा कभी छिड़कवायी गई और न फोगिंग ही करवाई गई ! जबकि नगरपालिका के पास फोगिंग मशीन उपलब्ध है !

कल शाम 7 बजे से शुरू हुयी बिजली कटोती 20 20 मिनिट के लिये रात 12 बजे तक चलती रही । इसके बाद रात 2:30 अजे अचानक पूरी तरह बन्‍द कर दी गयी जो कि सबेरे 4:45 बजे चालू की गयी । उल्‍लेखनीय है कि दसके बाद सुबल 6 बजे घोषित बिजली कटौती के तहत सबेरे 10 बजे तक फिर बिजली काटी जाती है । इसी प्रकार दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक पुन: बिजली कटौती की जाती है ।