शनिवार, 24 अप्रैल 2010

मुरैना में भगवत कथा पंडाल में आग लगी

मुरैना 24 अप्रेल 10 , स्थानीय गाँधी कालोनी मुरैना में चल रही श्रीमदभगवद कथा के छठवें दिन आज कथा प्रारंभ होने के 15 मिनिट के भीतर ही कथा पण्डाल में अज्ञात कारणों से भीषण आग अचानक लग गई और सारा पण्डाल चन्द पलों के भीतर विशाल होली के मानिन्द धू धू कर जल गया ।
चन्द 30 मिनिट तक चले अग्निकाण्ड में लाखों का माल मशरूका साजो सामान , यहाँ तक कि कथा की व्यास गद्दी और कथा का मुख्य मंच व कथावाचक पण्डित जी के कथा ग्रंथादि तक जल कर भस्म हो गये । कथा वाचक इलाहाबाद उ.प्र. के पंडित जी मंच पर ही जडवत बैठे रह कर बेहोश हो गये जिन्हें लोगों द्वारा काफी मुश्किल से बाहर निकाला गया ।
कथा करा रहे ब्राह्मण परिवार के यजमान पंडित रमेश उपाध्याय और उनकी धर्मपत्नी को घटना के दरम्यान ही दिल का दौरा पड गया जिन्हें तुरन्त अस्पताल ले जाया गया । घटना दोपहर करीब 12 बजकर 35 मिनिट से 1 बजे के बीच घटित हुयी ।
खबर लिखे जाने तक ब्राह्मण परिवार दोबारा कथा प्रारंभ कराने की तैयारीयों में जुटा था ।
आग इतनी भीषण थी कि समूची गांधी कालोनी में भगदड और कोहराम मच गया । फायर ब्रिगेड ने पहुँच कर आग को बुझाया वरना कुछ पलों के भीतर कालोनी में घरों में भी आग फैल जाती ।
कथा की शुरूआत होने के कारण अधिक लोग कथा में नहीं पहुँचे थे यदि यह घटना एक दो घण्टे बाद घटित होती तो भारी जनहानि हो जाती और सैकडों लोग जिन्दा जल जाते । आग का दृश्य इतना हृदय विदारक था कि अनेक कूलर और पंखे तथा जनरेटर आग से पिघल कर गोलों में बदल गये । आग लगने के कारण अज्ञात हैं ।
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आलेख- साधू-संतों के 'कारनामों' से शर्मसार हुआ महाकुंभ 2010 - निर्मल रानी

आलेख- साधू-संतों के 'कारनामों' से शर्मसार हुआ महाकुंभ 2010

निर्मल रानी

163011, महावीर नगर अम्बाला शहर,हरियाणा। फोन-0171- 2535628   

email:  nirmalrani@gmail.com

 

       हिंदू धर्म की मान्याताओं के अनुसार सहस्त्राब्दियों पूर्व देवताओं तथा असुरों के मध्य हुए सागर मंथन के परिणामस्वरूप अमृत की कुछ बूंदे जिन चार प्रमुख स्थलों पा ज गिरी थीं उनमें प्रयागराज(इलाहाबाद  )हरिद्वार, उौन तथा नासिक स्थान शामिल थे। इसी अवसर की स्मृति में प्रत्येक 12 वर्ष पर उक्त चारों तीर्थ स्थलों पर बारी-बारी से महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। जबकि प्रत्येक तीन वर्ष पर क्रमबध्द रूप में इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेला भी आयोजित होता है। वैसे तो कुंभ का आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर श्रध्दालुओं को आकर्षित करता है। परंतु महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है जो केवल भारत वर्ष के हिंदु समाज को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को तथा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को भी अपनी ओर खींचता है। नि:संदेह महाकुंभ में शिरकत करने वाली साधु-संतों की विशाल भीड़ तथा उनके  दर्शन को आए श्रध्दालुओं का असीमित हुजूम कुंभ के अतिरिक्त पूरी दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता। कहा जा सकता है कि धर्म,श्रध्दा,आस्था  तथा विश्वास का इतना बड़ा प्रदर्शन तथा आयोजन विश्व में अन्यत्र कहीं भी नहीं होता। इस वर्ष 2010 में हरिद्वार में आयोजित हुआ महाकुंभ भी श्रध्दा और विश्वास का एक ऐसा ही समागम था जो पिछले दिनों लगभग 4 महीने निरंतर चलने के बाद सम्पन्न हुआ।

            नि:संदेह धर्म नगरी हरिद्वार इस आयोजन के दौरान पूरी तरह धार्मिक आस्था एवं विश्वास में डूबी नार आई। हालांकि श्रध्दालुओं की संख्या का कोई सही अंदााा नहीं हैे फिर भी एक अनुमान के अनुसार मेले के दौरान लगभग 5 करोड़ लोगों ने इस पावन अवसर पर पवित्र गंगा नदी में श्रध्दा की डुबकियां लगाई तथा देश-विदेश से आए अनेक वरिष्ठ एव विशिष्ठ,त्यागी एवं महात्यागी तथा सिध्द एवं महासिध्द साधु-संतों के दर्शन किए। परंतु बड़े दुख की बात यह है कि इस वर्ष के महाकुंभ को अपने आयोजन के दौरान देश के कई कोनाें से 'साधु संतों' के संबंध में जो नकारात्मक समाचार प्राप्त हुए वह यंकीनन न केवल धर्म तथा मानवता को शर्मसार करने वाले थे बल्कि इन समाचारों ने उस पावन महाकुंभ को भी कलंकित व शर्मसार कर दिया जिसका भक्तगण 12 वर्षों तक बेसब्री से इंताार करते हें।

            अभी मेला शुरु भी नहीं हुआ था कि दिल्ली में शिवमूर्ति द्विवेदी उंर्फ संत स्वामी भीमानंद उंर्फ इच्छाधारी संत के नाम से एक ऐसा तथाकथित ढोंगी बाबा बेनंकाब हुआ जिसने लोगों के कान ही खड़े कर दिए। बताया जा रहा है कि अभी तक पुलिस की गिरंफ्त में रहने वाला उक्त इच्छाधारी बाबा देश ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बडा सेक्स रैके ट संचालित करता था। अपनी इसी गंदी व काली कमाई के  पैसों से वह कहीं मंदिर बनवाता तो कहीं अस्पताल बनाने की कोशिश करता तो कहीं ब्याज पर इन्हीं पैसों को चलाया करता था। बताया जा रहा है कि इसके नेटवर्क में सैकड़ों लड़कियां शामिल थीं जो इसके सेक्स रैकेट में इसकी सहयोगी थीं। कुछ लड़कियों का अपहरण किए जाने का भी इसपर आरोप है। अभी इच्छाधारी संत से जुड़ी  ख़बरें सुंखर्ियों में ही चल रही थीं कि इसी बीच दक्षिण भारत के प्रसिध्द शहर बैंगलोर में अपना एक आश्रम चलाने वाले युवा 'संत' नित्यानंद के चरित्र पर से भी पर्दा हट गया। स्वयं को भगवान का अवतार बताने वाला तथा सिध्द पुरुष बताने वाला यह तथाकथित संत भी सेक्स स्कैंडल में जा फंसा। दक्षिण भारत के कुछ टी वी चैनल्स द्वारा नित्यानंद की वह ंफिल्में प्रसारित कर दी गर्इं जो उसकी रति लीला के दौरान गुप्त रूप से बनाई गई थी। इस दुराचारी तथा कथित संत को गुजरात के 'दूरदर्शी' मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो भावी शंकराचार्य तथा शंकराचार्य की परंपरा का संत होने तक का प्रमाण पत्र जारी कर दिया था। परंतु दक्षिण भारत की एक अभिनेत्री तथा नित्यानंद की कुछ अन्य महिला मित्रों के साथ मनाई जा रही रासलीला की वीडियो ने उस ढोंगी संत की वास्तविकता उजागर कर दी। लगभग एक माह से भी अधिक समय तक पुलिस से लुक्का छिप्पी करने के बाद उसे आख़िरकार हिमाचल प्रदेश के सोलन ािले से एक गुप्त ठिकाने पर छिपे हुए गिरंफ्तार कर लिया गया। उधर जो श्रध्दालु इस पाखंडी व दुराचारी संत को आस्था स्वरूप अपना गुरु अथवा आदर्श पुरुष मानते थे उन्हीं लोगों के द्वारा उसके  बैंगलोर स्थिम आश्रम को तहस-नहस कर दिया गया। गोया महाकुंभ पर लगने वाले काले धब्बे का एक और भागीदार बना तथाकथित व्याभिचारी संत नित्यानंद।

            इसी महाकुंभ के दौरान एक और दिल दहला देने वाली घटना प्रसिध्द 'संत' कृपालू जी महाराज के प्रतापगढ़ स्थित आश्रम में घटित हुई। कृपालू जी महाराज की धर्मपत्नी की बरसी के अवसर पर एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। बताया जाता है कि इस भंडारे हेतु यह मनादी की गई थी कि इस अवसर पर भोजन के अतिरिक्त बर्तन तथा पैसा भी वितरित किया जाएगा। ंगरीब तबक़े के लोग लालचवश बड़ी संख्या में उनके आश्रम में जा पहुंचे। अपेक्षा से कहीं अधिक आई भीड़ को नियंत्रित करने हेतु आश्रम कर्मियों के पास कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं थी। परिणामस्वरूप वहां भगदड़ मच गई। इसी भगदड़ में 63 लोग अपनी जानों से हाथ धो बैठे जबकि लगभग 250 लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद कृपालू जी पर भी उंगलियां उठनी शुरु हुई। दुर्भाग्यवश चूंकि यह हादसा भी महाकुंभ मेले के दौरान ही हुआ इसलिए उसकी काली छाया ने भी निश्चित रूप से महाकुंभ को दांगदार किया। प्रत्येक कुंभ एवं महाकुंभ जैसे अवसरों पर अपने प्रवचनों व सद्वचनों से भक्तजनों को सराबोर करने वाले संत आसाराम बापू भी कांफी लंबे समय से संदेह के घेरे में चल रहे हैं। ामीनों पर अवैध ंकबा,आश्रम में काला जादू करना तथा उन्हीं के आश्रम में रहने वाले कई बच्चों की संदिग्ध अवस्था में होने वाली मृत्यु तथा अब उन्हीं के आश्रम से मानव शरीर के अस्थिपिंजर मिलने के समाचार ने बापू आसाराम जैसी सम्मानित समझी जाने वाली 'संत' रूपी एक महान हस्ती को भी संदिग्ध कर दिया है। इस महाकुंभ के दौरान बापू आसाराम को भी भक्तजनों ने एक शुध्द एवं सिध्द संत के बजाए संदेहपूर्ण संत के रूप में देखा व सुना। निश्चित रूप से यह भी महाकुंभ के लिए एक गहरा आघात तथा श्रध्दालुओं के लिए एक बड़ा झटका था। इसके अतिरिक्त भी धर्मनगरी हरिद्वार से इस बार कई ऐसे समाचार मिले जो धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ तथा भक्तजनों व श्रध्दालुओं के लिए धोखा साबित हो रहे थे। एक समाचार के अनुसार हरिद्वार में एक तथाकथित संत मेले से पूर्व विदेश यात्रा पर गया था। वहां से जब वह वापस लौटा तो अपने साथ एड्स जैसी बीमारी भी साथ लाया। यह बीमारी स्वयं उस तथाकथित संत के चरित्र का चित्रण करती है। इसी प्रकार एक समाचार के अनुसार एक एक वृध्द व बीमार व्यक्ति को मरणोंपरांत तपती धूप में आश्रम से बाहर उठाकर फेंक दिया गया। बताया जाता है कि मृतक व्यक्ति गत् दो दशकों से इसी आश्रम का भक्त तथ सेवादार था। आश्रम के विभिन्न आयोजनों में आश्रम संचालकों की मांग पर समय-समय पर वह हाारों रुपये भी दानस्वरूप देता रहता था। यही भक्त मेले के दौरान इसी आश्रम में चल बसा। मृतक की पत्नी ने आश्रम संचालकों से विनती की कि उसके परिजनों के यहां आने तक शव को आश्रम में ही रहने दें। परंतु उसके निवेदन को ठुकराते हुए वृध्द की लाश आश्रम संचालकों द्वारा सड़क पर फेंक दी गई। इस शव का बाद में आश्रम के समीप रहने वाले स्थानीय लोगों व राहगीरों ने अंतिम संस्कार किया तथा संस्कार से पूर्व उसके लिए तंबू तथा बर्फ़ का समुचित प्रबंध किया। आश्रम संचालकों द्वारा किया गया इस प्रकार का अधर्म भी महाकुंभ जैसे आस्थापूर्ण महापर्व पर कलंक ही माना जाएगा।

            और रही सही कसर 14अपैल को आयोजित हुए चौथे व अंतिम शाही स्नान के दौरान उस समय पूरी हो गई जबकि शाही स्नान के लिए जा रहे साधु-संतों के क़ाफ़िले में शामिल गाड़ी के नीचे आ जाने से तथा इस घटना के बाद मची भगदड़ के परिणामस्वरूप सात श्रध्दालु मारे गए। यह कैसी विडंबना है कि जिन साधु-संतों के दर्शन मात्र करने हेतु देश के कोने-कोने से बच्चे-बड़े, बूढ़े तथा औरतें ऐसे आयोजनों में पूरी भक्ति व श्रध्दा के साथ शिरकत करते हैं तथा तपती धूप व रेत में दिनभर खड़े होकर शाही स्नान में शिरकत करने जा रहे इन 'वैभवशाली' बाबाओं की एक झलक पाने को बेताब रहते हैं, उन्हीं संतों को गाड़ी श्रध्दालुओं की छाती पर चढ़कर आगे बढ़ेगी यह तो किसी भक्त ने सोचा भी नहीं होगा। अंतत: इस घटना के बाद श्रध्दालुओं का रोष फूट पड़ा तथा वहां मेले के अंतिम स्नान के अवसर पर अंफरा-तंफरी फैल गई। परिणामस्वरूप भगदड़ में 7 श्रध्दालू मारे गए।

            हां सुरक्षा तथा किसी प्रकार की आतंकी घटना को रोक पाने में अवश्य मेला प्रशासन सफल रहा। सुरक्षा एवं यातायात के जो उच्चस्तरीय प्रबंध किए गए थे, उनके परिणामस्वरूप मेला कुल मिलाकर प्रशासनिक दृष्टिकोण से शांतिपूर्ण रहा। इसे सुव्यवस्थित रखने का श्रेय निश्चित रूप से उत्तराखंड सरकार लेना चाहेगी। सुरक्षा व्यवस्था के तमाम दावों के बावजूद सैकड़ों श्रध्दालू ऐसे भी मिले जिन्होंने मेले के दौरान कई बार हरिद्वार की यात्रा विभिन्न वाहनों से की परंतु उनकी कहीं भी किसी भी सुरक्षा एजेंसी द्वारा कोई तलाशी नहीं ली गई। बहरहाल प्रशासन की चौकसी व श्रध्दालुओं व भक्तजनों के सहयोग व सहनशक्ति ने तो अवश्य इस महाकुंभ 2010 को सफलता की मंािल तक पहुंचा दिया। परंतु इस मेले से पूर्व तथा मेले के दौरान तथाकथित साधु-संतों के जो कारनामे उजागर हुए, उससे निश्चित रूप से महाकुंभ 2010 बेहद शर्मसार हुआ तथा भक्तजनों की आस्था व श्रध्दा बुरी तरह आहत हुई।                                                       निर्मल रानी

 

 

 

 

        

 

 

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

एयरटेल की नेटवर्क फिर ध्‍वस्‍त, शिकायतें न दर्ज हो रहीं न सुनवाई हो रही है, बड़े बड़े दावों के पीछे ढोल की पोल

एयरटेल की नेटवर्क फिर ध्‍वस्‍त, शिकायतें न दर्ज हो रहीं न सुनवाई हो रही है, बड़े बड़े दावों के पीछे ढोल की पोल 

क्‍या आप भी किसी मोबाइल सेवा प्रदाता कम्‍पनी की ठगी का शिकार हैं तो इसे ध्‍यान से पढ़ें

हर तीसरे दिन लुप्‍त हो जाता है एयरटेल का नेटवर्क

यूं ही नहीं चलते लाखों के इनामी टी.वी. कार्यक्रम कम्‍पनीयों के , इस तरह करोड़ो अरबों बटोरतीं हैं कम्‍पनीयॉं, और चलाती हैं देश की आवाज और क्रेजी किया रे जैसे लुभावने कार्यक्रम

मुरैना 21 अप्रेल 10 , विगत 8 फरवरी से गड़बड़ाया एयरटेल (भारती एयरटेल) का नेटवर्क पिछले दिनों की तरह आज फिर ध्‍वस्‍त हो गया ।

विगत 8 फरवरी से ठप्‍प हुये एयरटेल संचार प्रणाली में मजे की बात यह भी है कि उपभोक्‍ताओं को जम कर कम्‍पनी द्वारा चूना भी लगाया जा रहा है । जहॉं कम्‍पनी द्वारा घोषित टोल फ्री शिकायत नंबर 198 कभी भी नहीं लगता वही कम्‍पनी जबरन बाध्‍य कर शिकायतें पहले खुद ही पैदा करती है और उसके बाद शिकायत दर्ज कराने के पैसे वसूलती है ।

जहॉं कम्‍पनी कुछ नंबरों पर एस.एम.एस. से शिकायत भेजने के लिये शुल्‍क नहीं लेती थी मसलन 121, अब इस नंबर पर भी एस.एम.एस. भेजने के पैसे काटे जाते हैं वह भी 1 रू. प्रति एस.एम.एस. की दर से शुल्‍क वसूलती है , आज हमने जब 198 , 121 सभी नंबरों के फेल होने पर 121 पर एस.एम.एस. भेजे तो पूरे 6 रू. काट लिये गये ।

उल्‍लेखनीय है कि कम्‍पनी के नेटवर्क टावर विगत 8 फरवरी से चम्‍बल में उपलब्‍ध नहीं हो रहे हैं । सैकड़ों उपभोक्‍ता कम्‍पनी के पास शिकायत दर्ज कराने को झकमारी करते फिर रहे हैं , अव्‍वल तो कम्‍पनी शिकायत ही दर्ज नहीं करती और कोई उपभोक्‍ता पैसे खर्च कर शिकायत दर्ज भी करवा दे तो फिर उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती । उपभोक्‍ता पैसे खर्च करता रहता है और ठगा जा कर कम्‍पनी की चालबाजी और धोखाधड़ी का शिकार होता रहता है ।

कम्‍पनी के तमाम उपभोक्‍ता मोबाइल आफिस के नाम से इण्‍टरनेट सेवायें प्रयोग करते हैं , उनके साथ कम्‍पनी न केवल धोखाधड़ी कर रही है बल्कि जम कर ठगी भी कर रही है । कुछ उपभोक्‍ताओं से मासिक शुल्‍क एकमुश्‍त काट कर कम्‍पनी महीने भर इण्‍टरनेट सेवायें प्रदान करने का वायदा करके साधारण संचार नेटवर्क तक उपलब्‍ध नहीं करा पाई वही कुछ उपभोक्‍ता 10 रू प्रति दिवस का भुगतान करके भी इण्‍टरनेट छोडि़ये साधारण फोन पर बात भी नहीं कर पाये । और विगत 8 फरवरी से तकरीबन हर दूसरे दिन अपने गांठ से पैसे खर्च करके शिकायतें भी करते रहे और रोजाना 10 रू भी कटाते रहे फिर भी वही ढाक के तीन पात ही रहे ।

इससे भी आगे बढ़ कर कम्‍पनी और भी कई करिश्‍मे दिखाती है , मसलन इस कम्‍पनी की मोगाइल सेवाओं पर बिना चालू किये ही अपने आप ही अश्‍लील गानों की कालर टयून नामक सेवा प्रारंभ हो जाती है और जबरन रातों रात आपके मोबाइल फोन से 60- 70 रूपये गायब हो जायेंगें ।

और भी तमाशा ये हैं कि आप के फोन पर कोई भी सुविधा आप प्राप्‍त करें या न करें यदि आपने अपना बैलेन्‍स 100 रूपये से ऊपर मोबाइल में रखा है तो रातों रात सैकड़ों रूपये गायब होकर चन्‍द पैसे का बैलेन्‍स मात्र शेष रह जायेगा । कई उपभोक्‍ताओं के इस तरह सैकड़ो हजारों रूपये साफ हो चुके हैं । जिसकी शिकायतें जागो ग्राहक जागो और ट्राई तक हो चुकीं हैं , ज्‍यादा पीछे पड़ने वाले ग्राहक के पैसे तो कम्‍पनी लौटा देती है लेकिन लापरवाह , सुस्‍त या शिकायत न करने वाले या पीछे न पड़ने वालों के पैसे कम्‍पनी हजम कर जाती है । हमने इस समाचार के सम्‍बन्‍ध में सभी साक्ष्‍य प्राप्‍त कर लिये हैं और हमारे पास सुरक्षित हैं । जनहित में सूचित करते हैं कि ऐसी किसी भी कम्‍पनी से पीडि़त होने पर बी.एस.एन.एल. के फोन से टोल फ्री नंबर 1800-11-4000 पर शिकायत तुरन्‍त दर्ज करायें ।