बुधवार, 19 दिसंबर 2007

19 दिसम्‍बर – रामप्रसाद विस्मिल जयन्‍ती पर विशेष जन्‍म तिथि और पुण्‍य तिथि का संयोग

19 दिसम्‍बर रामप्रसाद विस्मिल जयन्‍ती पर विशेष जन्‍म तिथि और पुण्‍य तिथि का संयोग  

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले........

सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है

 

भारत  के स्‍वतंत्रता संग्राम के अमर नायकों में जिन चुनिन्‍दा महामानवों का जिक्र आता है उसमें एक अव्‍वल नाम अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल का भी है । काकोरी ट्रेन डकैती जैसा वीरता पूर्ण दुस्‍साहसी कार्य केवल भारतीय रण बाकुरों की टोली स्‍व. रामप्रसाद विस्मिल के नेतृत्‍व में ही कर सकती थी । भारत के इन महान वीरों के तेज और शौर्य का ही प्रभाव था कि ब्रिटिश सत्‍ता का न केवल सिंहासन हिला बल्कि उसके राज्‍य का कभी न डूबने वाला सूरज भी अंतत: अस्‍त हो गया ।

''सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है.............'' जैसे महान क्रान्ति गीत के रचयिता स्‍व. विस्मिल मुरैना जिला की अम्‍बाह तहसील के ग्राम बरवाई के रहने वाले थे । तोमर राजपूत परिवार में जन्‍मे इस तेजस्‍वी बालक ने बिटिश सत्‍ता के सिंहासन को जिस तरह हिला दिया उससे भारत का बच्‍चा बच्‍चा वाकिफ है ।

आज 19 दिसम्‍बर को इस अमर शहीद की जयन्‍ती है , चम्‍बल घाटी की ओर से हम इस वीर योद्धा को सादर नमन कर अपनी सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । धन्‍य है वो धरा जिस पर जन्‍मे विस्मिल जैसे वीर, पूज्‍य और वन्‍दनीय है वह मातृभूमि जहॉं जान निछावर करने वाले लाल जन्‍मे, धन्‍य हैं वे रक्‍त दानी और प्राणों का बलिदान करने वाले भारतीय नौजवान जिन्‍होंने अपने सुख ऐश्‍वर्य और जीवन का दान देकर हमें आज का भारत दिया । जय हिन्‍द

हंसते-हंसते झूल गए फांसी के फंदे पर

 

    याहू इण्डिया हिन्‍दी से साभार

Dec 19, 01:13 am

नई दिल्ली। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में काकोरी कांड एक ऐसी घटना है जिसने अंग्रेजों की नींव झकझोर कर रख दी थी। अंग्रेजों ने आजादी के दीवानों द्वारा अंजाम दी गई इस घटना को काकोरी डकैती का नाम दिया और इसके लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों को 19 दिसंबर 1927 को फांसी के फंदे पर लटका दिया।

फांसी की सजा से आजादी के दीवाने जरा भी विचलित नहीं हुए और वे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। बात नौ अगस्त 1925 की है जब चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह सहित 10 क्रांतिकारियों ने मिलकर लखनऊ से 14 मील दूर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया।

दरअसल क्रांतिकारियों ने जो खजाना लूटा उसे जालिम अंग्रेजों ने हिंदुस्तान के लोगों से ही छीना था। लूटे गए धन का इस्तेमाल क्रांतिकारी हथियार खरीदने और आजादी के आंदोलन को जारी रखने में करना चाहते थे।

इतिहास में यह घटना काकोरी कांड के नाम से जानी गई, जिससे गोरी हुकूमत बुरी तरह तिलमिला उठी। उसने अपना दमन चक्र और भी तेज कर दिया।

अपनों की ही गद्दारी के चलते काकोरी की घटना में शामिल सभी क्रांतिकारी पकडे़ गए, सिर्फ चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों के हाथ नहीं आए। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के 45 सदस्यों पर मुकदमा चलाया गया जिनमें से राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई।

ब्रिटिश हुकूमत ने पक्षपातपूर्ण ढंग से मुकदमा चलाया जिसकी बड़े पैमाने पर निंदा हुई क्योंकि डकैती जैसे मामले में फांसी की सजा सुनाना अपने आप में एक अनोखी घटना थी। फांसी की सजा के लिए 19 दिसंबर 1927 की तारीख मुकर्रर की गई लेकिन राजेंद्र लाहिड़ी को इससे दो दिन पहले 17 दिसंबर को ही गोंडा जेल में फांसी पर लटका दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल को 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल और अशफाक उल्ला खान को इसी दिन फैजाबाद जेल में फांसी की सजा दी गई।

फांसी पर चढ़ते समय इन क्रांतिकारियों के चेहरे पर डर की कोई लकीर तक मौजूद नहीं थी और वे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए।

काकोरी की घटना को अंजाम देने वाले आजादी के सभी दीवाने उच्च शिक्षित थे। राम प्रसाद बिस्मिल प्रसिद्ध कवि होने के साथ ही भाषायी ज्ञान में भी निपुण थे। उन्हें अंग्रेजी, हिंदुस्तानी, उर्दू और बांग्ला भाषा का अच्छा ज्ञान था।

अशफाक उल्ला खान इंजीनियर थे। काकोरी की घटना को क्रांतिकारियों ने काफी चतुराई से अंजाम दिया था। इसके लिए उन्होंने अपने नाम तक बदल लिए। राम प्रसाद बिस्मिल ने अपने चार अलग-अलग नाम रखे और अशफाक उल्ला ने अपना नाम कुमार जी रख लिया।

खजाने को लूटते समय क्रांतिकारियों को ट्रेन में एक जान पहचान वाला रेलवे का भारतीय कर्मचारी मिल गया। क्रांतिकारी यदि चाहते तो सबूत मिटाने के लिए उसे मार सकते थे लेकिन उन्होंने किसी की हत्या करना उचित नहीं समझा।

उस रेलवे कर्मचारी ने भी वायदा किया था कि वह किसी को कुछ नहीं बताएगा लेकिन बाद में इनाम के लालच में उसने ही पुलिस को सब कुछ बता दिया। इस तरह अपने ही देश के एक गद्दार की वजह से काकोरी की घटना में शामिल सभी जांबाज स्वतंत्रता सेनानी पकड़े गए लेकिन चंद्रशेखर आजाद जीते जी कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आए।

 

 

मंगलवार, 18 दिसंबर 2007

सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है

19 दिसम्‍बर रामप्रसाद विस्मिल जयन्‍ती पर विशेष

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले........

सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है

 

भारत  के स्‍वतंत्रता संग्राम के अमर नायकों में जिन चुनिन्‍दा महामानवों का जिक्र आता है उसमें एक अव्‍वल नाम अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल का भी है । काकोरी ट्रेन डकैती जैसा वीरता पूर्ण दुस्‍साहसी कार्य केवल भारतीय रण बाकुरों की टोली स्‍व. रामप्रसाद विस्मिल के नेतृत्‍व में ही कर सकती थी । भारत के इन महान वीरों के तेज और शौर्य का ही प्रभाव था कि ब्रिटिश सत्‍ता का न केवल सिंहासन हिला बल्कि उसके राज्‍य का कभी न डूबने वाला सूरज भी अंतत: अस्‍त हो गया ।

''सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है.............'' जैसे महान क्रान्ति गीत के रचयिता स्‍व. विस्मिल मुरैना जिला की अम्‍बाह तहसील के ग्राम बरवाई के रहने वाले थे । तोमर राजपूत परिवार में जन्‍मे इस तेजस्‍वी बालक ने बिटिश सत्‍ता के सिंहासन को जिस तरह हिला दिया उससे भारत का बच्‍चा बच्‍चा वाकिफ है ।

आज 19 दिसम्‍बर को इस अमर शहीद की जयन्‍ती है , चम्‍बल घाटी की ओर से हम इस वीर योद्धा को सादर नमन कर अपनी सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । धन्‍य है वो धरा जिस पर जन्‍मे विस्मिल जैसे वीर, पूज्‍य और वन्‍दनीय है वह मातृभूमि जहॉं जान निछावर करने वाले लाल जन्‍मे, धन्‍य हैं वे रक्‍त दानी और प्राणों का बलिदान करने वाले भारतीय नौजवान जिन्‍होंने अपने सुख ऐश्‍वर्य और जीवन का दान देकर हमें आज का भारत दिया । जय हिन्‍द

 

विस्मिल जयन्‍ती पर आज स्थानीय अवकाश

विस्मिल जयन्‍ती पर आज स्थानीय अवकाश 

मुरैना 18 दिसम्बर 2007 // कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने मुरैना जिले के लिए बुधवार 19 दिसम्बर को चम्‍बल के अमर शहीद क्रान्तिकारी राम प्रसाद विस्मल जयंती के उपलक्ष्य में स्थानीय अवकाश घोषित किया है । यह अवकाश बैंक एवं कोषालयों पर प्रभावशील नहीं होगा । उल्‍लेखनीय है इस अमर शहीद का जन्‍म मुरैना जिला की अम्‍बाह तहसील के ग्राम बरवाई में हुआ था । बरवाई के इस नौजवान क्रान्तिकारी ने भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम अग्रणी भूमिका निभाई ।  

 

श्रीमती मनोरमा देवी को दस लाख रूपये का चैक प्रदाय

श्रीमती मनोरमा देवी को दस लाख रूपये का चैक प्रदाय

मुरैना 18 दिसम्बर 2007 // उग्रवादियों से लड़ते हुए ग्राम गुरजा, तहसील सबलगढ़ निवासी कांस्टेबिल श्री द्वारिका सिंह गत 17 अप्रैल 2001 को मणिपुर में शहीद हो गये थे। शहीद की पत्नी श्रीमती मनोहरमा देवी को अपर कलेक्टर श्री उपेन्द्र नाथ शर्मा द्वारा राज्य शासन की स्वीकृति के अनुसार दस लाख रूपये का चैक गत दिवस प्रदान किया गया । इस अवसर पर जिला सैनिक कल्याण अधिकारी उपस्थित थे ।

 

चक्का जाम संबंधी उच्च न्यायालय के निर्देश कलेक्टर द्वारा अधिकारियों को कड़ाई से पालन कराने के आदेश

चक्का जाम संबंधी उच्च न्यायालय के निर्देश

 

कलेक्टर द्वारा अधिकारियों को कड़ाई से पालन कराने के आदेश

 

मुरैना 18 दिसम्बर 2007// कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री आकाश त्रिपाठी और पुलिस अधीक्षक श्री संतोष कुमार सिंह ने मुरैना जिले के सभी एस.डी.एम., एस.डी.ओ.पी., तहसीदार और थाना प्रभारियों को निर्देश दिये हैं कि चक्काजाम के संबंध में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देशों का पूरी तरह पालन कराया जाय। इन निर्देशों का पालन न होने की दशा में संबंधित अधिकारियों को न्यायालय की अवमानना के लिए जिम्मेदार माना जायेगा ।

       चक्काजाम के संबंध में उच्च न्यायालय ने निर्देश दिये हैं कि चक्काजाम के कारण किसी भी जगह किसी भी नागरिक को आवागमन में वाधा नहीं आना चाहिए । इसके द्वारा सड़कों पर कोई बाधा उत्पन्न नहीं होना चाहिए और यातायात में किसी भी तरह का अवरोध नहीं होना चाहिए । कोई आन्दोलनकारी किसी को भी अपना काम धन्धा करने से न तो जबरदस्ती से रोकेगा और न ही चक्का जाम के नाम पर किसी भी व्यक्ति के आवागमन में कोई बाधा उत्पन्न करेगा । यदि आन्दोलनकारी अपना विरोध जताना चाहते हों, तो अपनी शिकायत, किसी भी प्रकार की हिंसा का सहारा लिये बिना शांति पूर्वक तरीके से व्यक्त करेंगे । प्रदर्शनकारियों के प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण किये जाने पर पावंदी होगी, क्यों कि यह कनून के अन्तर्गत निषेध है । कोई प्रदर्शनकारी अथवा असंतुष्ट व्यक्ति कोई ऐसा काम नहीं करेगा, जिससे कानून व्यवस्था भंग होने की स्थिति निर्मित हो और जिससे अराजकता आये ।

       अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि वे अपने क्षेत्र में कड़ी निगाह रखें और किसी भी प्रकार की चक्काजाम की स्थिति निर्मित होने पर तत्काल अवगत करायें और चक्काजाम करने वालों के विरूध्द कठोर वैधानिक कार्रवाई करें ।

 

ग्रामीण क्षेत्र में राशन और कैरोसिन का वितरण 21 से

ग्रामीण क्षेत्र में राशन और कैरोसिन का वितरण 21 से

मुरैना 17 दिसम्बर 07// मुरैना जिले के ग्रामीण क्षेत्र में शासकीय उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से एक साथ 21,22 और 23 दिसम्बर को खाद्यान्न, शक्कर और कैरोसिन का वितरण किया जायेगा। ढाई हजार से अधिक राशन कार्ड वाली 32 दुकानें 21, 22 और 23 दिसम्बर के अलावा 24 दिसम्बर को भी खुलेंगी।

       कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नई वितरण व्यवस्था के अन्तर्गत 21, 22 और 23 दिसम्बर को नोडल अधिकारियों की उपस्थिति में खाद्यान्न, शक्कर और कैरोसिन का वितरण किया जायेगा। इसके अलावा तहसील पोरसा में सुरजन का पुरा, रजौदा, नगरा पोरसा, बरबाई और एल.एल.एस. पोरसा, अम्बाह में थरा, गोठ, बडफरा और विरहरूआ, मुरैना में जींगनी, दतहरा, बडागांव, नावली, हिंगोना खुर्द और जौरा खुर्द, जौरा में सुमावली, धमकन, निटहरा, पहाडगढ, सुजानगढी, जौरा ग्रामीण, मुद्रावजा, परसोटा, पिसनौरी और छैरा, कैलारस में सुजरमा, कैलारस ग्रामीण, तिलौजरी, कुल्होली और मानचौन तथा सबलगढ में राम पहाडी, रामपुर कलां और सहकारी भण्डार की दुकानें एक दिन अधिक अर्थात 21, 22 और 23 दिसम्बर के अलावा 24 को भी खुलेगी और सामग्री का वितरण सुनिश्चित करायेंगी।

       खाद्यान्न और कैरोसिन वितरण हेतु जिले में लागू इस व्यवस्था के तहत 166 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो प्रत्येक माह निर्धारित 21, 22 और 23 तारीख को दुकान पर उपस्थित रहकर सामग्री का वितरण करायेंगे। नोडल अधिकारियों की उपस्थिति पर नगर रखने के लिए 13 जोनल अधिकारी भी अपने क्षेत्र में वितरण दिनांकों में नियमित भ्रमण पर रहेगे। इसके अलावा सम्बन्धित एस.डी.एम. भी कम से कम 50 प्रतिशत दुकानों का निरीक्षण कर सामग्री की सुगम उपलब्धता और विवरण सुनिश्चित करायेंगे। वितरण व्यवस्था को और अधिक सुचारू और प्रभावी बनाने के लिए कलेक्टर के निर्देशानुसार अपर कलेक्टर श्री उपेन्द्र नाथ शर्मा, मुरैना, अम्बाह और पोरसा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अभय कुमार वर्मा, जौरा और पहाडगढ तथा संयुक्त कलेक्टर श्री आशकृत तिवारी कैलारस और सबलगढ क्षेत्र का वितरण दिनांकों में भ्रमण कर सामग्री की सुगम उपलब्धता और दुकानों पर नोडल अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करायेंगे।

       ज्ञात हो कि उपभोक्ताओं की सुविधा के दृष्टिगत कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी की पहल पर गत चार माह पूर्व माह सितम्बर से प्रारंभ की गई तीन दिवसीय वितरण व्यवस्था बेहद कारगार सावित हुई है। ग्रामीणों द्वारा भी जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ की गई इस अभिनव पहल की सराहना की जारही है। ग्रामीणों का मानना है कि इस व्यवस्था के कारण अब खाद्यान्न, शक्कर और कैरोसिन असानी से मिलने लगा है। .

 

भारी बिजली कटौती से मची त्राहि त्राहि, किसान छात्र और व्‍यवसायी संकट में बिजली कित जाय रई है काऊ को नहीं पता

भारी बिजली कटौती से मची त्राहि त्राहि, किसान छात्र और व्‍यवसायी संकट में

बिजली कित जाय रई है काऊ को नहीं पता

मुरैना/ भिण्‍ड/ श्‍योपुर 17 दिसम्‍बर 2007 । चम्‍बल में इन दिनों जहॉं बिजली की भारी दरकार है, वहीं अन्‍धाधुन्‍ध अघोषित बिजली कटौती के चलते किसानों, छात्रों और व्‍यवसायीयों के हलक इस भरी सर्दी में सूखने लगे हैं ।

जहॉं किसान अभी तक खाद, पानी और बिजली की लड़ाई से जूझ रहे हैं वहीं इन दिनों छात्रों की छमाही परीक्षायें चल रही हैं , अनेक छात्र छात्रा तो बोर्ड की परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारीयां कर रहे हैं । वहीं छिटपुट कुटीर व्‍यवसायी जिनकी रोजी रोटी और कारोबार बिजली पर ही आश्रित है पूरी तरह चौपट होकर दिहाड़ी धन्‍धों से बेगार हो भुखमरी की नौबत तक आ पहुँचे हैं ।

हालांकि बिजली कटौती तो वर्ष भर चलती है और सदाबहार आलम दर्शाती रहती है लेकिन जब पानी सिर से ऊपर हो जाता है तो जनता नर्राती है, लेकिन इस देश का दुर्भग्‍य है कि यहॉं नेता और अफसर कान में तेल डाल कर बैठे रहते हैं, खैर अंधेरा कायम रहे महामहिम किल्विष ।

किसानों को जहॉं चम्‍बल नहर से पानी नहीं मिला , खाद नहीं मिली, बिजली नहीं मिली तो वे रो पड़े और कातर स्‍वरों तथा अविरल ऑंसूओं से धरा भिगोने लगे, उनकी यह दशा देख आसमान भी रो पड़ा और चन्‍द मावठी बून्‍दों से उसने भी धरती भिगो दी तो किसानों को जीवन के लिये चन्‍द सांसें और हासिल हो गयीं ।

अब उन बच्‍चों का क्‍या हो, जो इन दिनों छमाही परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं या सेमेस्‍टर परीक्षाओं में व्‍यस्‍त हैं, वे भी खून के ऑंसू रो रहे हैं, दिन भर बिजली नहीं तो रात में भी धुऑंधार कटौती, आखिर कब तक जलायें मोमबत्‍ती और दिये या लालटेन । रिजल्‍ट बिगड़ेगा तो भी डण्‍डा उन्‍हीं के सिर, और पढ़ें तो न दिन बिजली न रात बिजली । पढ़ लिये ठीक है, ज्‍यादा बच्‍चे फेल होंगें तो शिक्षित बेरोजगार कम होंगें, वाह क्‍या आइडिया है । खूब फेल करवाओ, न बेटा पढ़ पाओगे न शिक्षित बेरोजगार कहलाओगे ।

कहॉं तक बयॉं करें हालात ए गुलिस्‍तां यहॉं हर शाख पे ..... छोटे मोटे काम धन्‍धे वाले बिजली पर ही दिहाड़ी कारोबार कर रहे हैं और इन दिनों रात और दिन की धुऑंधार कटौती पर दहाड़ें मार कर रो रहे हैं ।

हमें तो अब सारा जमाना ही रोता दिखता है तो हमने रोना छोड़ दिया । समझ गये, नहीं समझे, इन्‍तजार करो समझ जाओगे । जय हिन्‍द ।