शुक्रवार, 19 सितंबर 2008

शनिचरा मंदिर की मरम्मत हेतु सात लाख रूपये मंजूर

शनिचरा मंदिर की मरम्मत हेतु सात लाख रूपये मंजूर

मुरैना 17 सितम्बर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने जन भागीदारी योजना के अन्तर्गत शनिचरा मंदिर की मरम्मत हेतु 7 लाख 04 हजार रूपये की प्रशासकीय स्वीकति प्रदाय की है । इसके लिए शनिचरा मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 3 लाख 52 हजार रूपये दिए  गये है तथा शासन के हिस्से के रूप में 3 लाख 52 हजार रूपये की स्वीकृति दी गई है ।स्वीकृत कार्य कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण द्वारा पूर्ण कराया जायेगा ।

 

पीडित को एक लाख रूपये की सहायता

पीडित को एक लाख रूपये की सहायता

मुरैना 17 सितम्बर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने ग्राम खरगपुर निवासी श्रीमती पूनी बाई को एक लाख रूपये की तात्कालिक आर्थिक अनुदान सहायता स्वीकृत की है । राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों के तहत यह सहायता तहसीलदार मुरैना और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मुरैना की अनुशंसा पर स्वीकृत की गई है । श्रीमती पूनीबाई को यह सहायता उनके पति शत्रुघन की 12 अगस्त 08 को आकाशीय बिजली गिरने से हुई मृत्यु के कारण मंजूर की गई है ।

 

मुरैना में इस साल तीन गुना ज्‍यादा गिरा पानी, औसत से अधिक एक हजार मि.मी. हुयी वर्षा

मुरैना में इस साल तीन गुना ज्‍यादा गिरा पानी, औसत से अधिक एक हजार मि.मी. हुयी वर्षा

मुरैना 17 सितम्बर 08/ मुरैना जिले में 1 जून से अभी तक 975.2 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है, जो गत वर्ष इसी अवधि में हुई 383.3 मि.मी. वर्षा से 591.9 मि.मी अधिक है । जिले में वार्षिक औसत वर्षा 706.9 मि.मी. से 268.3 मि.मी. अधिक वर्षा इस वर्ष अभी तक हो चुकी है ।

       अधीक्षक भू- अभिलेख के अनुसार वर्षा मापी केन्द्र पोरसा में 1033.4 मि.मी., अम्बाह में 1221 मि.मी. , मुरैना में 860 मि.मी जौरा में 838 मि.मी. , कैलारस में 961.3 मि.मी. और सबलगढ़ में 938 मि.मी. वर्षा रिकार्ड की गई ।

 

बिहार के बाढ़ पीड़ितों की सहायता हेतु कर्मचारी देंगे एक दिन का वेतन

बिहार के बाढ़ पीड़ितों की सहायता हेतु कर्मचारी देंगे एक दिन का वेतन

मुरैना 17 सितम्बर 08/ बिहार प्रदेश के बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए मुरैना जिले के अधिकारियों और कर्मचारी एक दिवस का वेतन देंगे । यह निर्णय कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित टी.एल. की बैठक में लिया गया ।

       कलेक्टर ने कहा कि बिहार प्रदेश में कोसी नदी में आयी बाढ़ से हुई जन-धन हानि के कारण पीड़ित व्यक्तियों को सहायता पहुंचाने हेतु प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी माह सितम्बर पेड इन अक्टूबर में मिलने वाले वेतन में से एक दिवस के वेतन के रूप में एकत्रित की जाय । उन्होंने समस्त जिला प्रमुखों से अपेक्षा की है कि वे अपने तथा अपने अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों से एक दिवस का वेतन जमा कराकर एकत्रित राशि का बिहार रिलीफ फंड के नाम से बैंक ड्राफ्ट तैयार कराकर नाजिर शाखा कलेक्ट्रेट मुरैना में उपलब्ध करायें ।

 

कार्य प्रारंभ करने के लिए 24 लाख रूपये स्वीकृत

कार्य प्रारंभ करने के लिए 24 लाख रूपये स्वीकृत

मुरैना 17 सितम्बर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम म.प्र. के अन्तर्गत स्वीकृत 19 निर्माण कार्यों के लिए कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा को क्रियान्वयन एजेंसी नामित किया है और कार्य प्रारंभ करने के लिए 24 लाख रूपये की राशि प्रदाय करने की स्वीकृति दी है ।

       ग्राम पंचायत मामचोन में सी.सी. खरंजा निर्माण के लिए 50 हजार रूपये , जैन मंदिर के पास स्टापडेम और रामपुर में तालाब निर्माण कार्य के लिए दो- दो लाख रूपये, रिठौराकलां में कच्चा नाला खुदाई कार्य और मिट्टी मुरम रोड़ निर्माण के लिए एक- एक लाख रूपये, रिठौरा कलां में सी.सी. खरंजा निर्माण के लिए तीन लाख रूपये, सी.सी. रोड निर्माण के लिए 50 हजार रूपये, ग्राम एेंतरूआ  में सी.सी. रोड निर्माण के लिए एक लाख रूपये, रिठौरा कलां में नाला निर्माण कार्य के लिए 30 हजार रूपये, ग्राम किसरोली में सी.सी. खरंजा निर्माण के लिए सबा लाख रूपये, गलेथा और खांडोली में डब्ल्यू बी.एम. रोड के लिए दो- दो लाख रूपये, भैंसोरा, धनेला और पटेल का पुरा में सी.सी. खरंजा निर्माण के लिए एक- एक लाख रूपये, मलखान का पुरा में सी.सी. खरंजा निर्माण के लिए 75 हजार रूपये, भटपुरा स्टाप डेम के लिए 3 लाख रूपये और ग्राम मजरा में यू-शेप पक्का नाला निर्माण कार्य के लिए 75 हजार रूपये की राशि क्रियान्वयन एजेंसी को दी गई है ।

 

गुरुवार, 18 सितंबर 2008

आतंकवाद की छाया में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते भारतीय त्यौहार

आतंकवाद की छाया में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते भारतीय त्यौहार

तनवीर जांफरी

(सदस्य, हरियाणा साहित्य अकादमी, शासी परिषद) email:  tanveerjafri1@gmail.com tanveerjafri58@gmail.com  tanveerjafriamb@gmail.com  22402, नाहन हाऊस

अम्बाला शहर। हरियाणा फोन : 0171-2535628  मो: 098962-19228

 

       देश की राजधानी दिल्ली आतंकवादियों द्वारा किए गए सिलसिलेवार बम धमाकों से गत् 13 सितम्बर की सायम काल उस समय फिर दहल उठी जबकि मानवता के इन दुश्मनों ने राजधानी के तीन प्रमुख स्थानों कनॉट प्लेस, करोल बांग व ग्रेटर कैलाश में बम धमाके कर दो दर्जन से अधिक बेगुनाह लोगों की जान ले ली। इन धमाकों में लगभग 150 लोग बुरी तरह ंजख्मी भी हो गए। ऐसा ही जघन्य अपराध इन आतंकवादियों द्वारा गत् वर्ष भी त्यौहारों के इन्हीं अवसर पर किया गया था। हालांकि इन मानवता के दुश्मनों का मंकसद त्यौहारों के दिनों में देश में अशांति पैदा करना तथा साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना है। परन्तु इसके विपरीत उत्सव व त्यौहारों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध भारतवर्ष में इन दिनों विभिन्न सम्प्रदायों के त्यौहारों का सिलसिला पूरे हर्षोल्लास के साथ पूर्ववत जारी है। हिन्दू समुदाय के लोगों ने गत् दिनों अपने धार्मिक पर्व गणेश पूजा का आयोजन बड़े पैमाने पर पूरे श्रद्धा व उल्लास के साथ किया तो देश का मुस्लिम समुदाय भी पवित्र रमंजान के महीने रोंजा (व्रत) रखने में व्यस्त रहा। आगामी दिनों में भी भारत में दशहरा, दुर्गापूजा तथा ईद जैसे प्रमुख त्यौहार मनाए जाने की तैयारियां ंजोर शोर से चल रही हैं। अनेकता में एकता की विश्वव्यापी मिसाल पेश करने वाले इस देश में जहां प्रत्येक समुदायों के लिए उनके अपने त्यौहार धार्मिक महत्व से जुड़े होते हैं, वहीं यही त्यौहार साम्प्रदायिक सौहार्द्र एवं सर्वधर्म सम्भाव की भी ऐसी अनूठी मिसाल पेश करते हैं जिसका मुंकाबला शायद दुनिया का कोई भी देश नहीं कर सकता। इसमें आश्चर्य की बात यह है कि भारत में साम्प्रदायिक सद्भाव की ऐसी मिसालें तब भी देखने को मिलती हैं जबकि आतंकवादी व साम्प्रदायिक शक्तियां अपने साम्प्रदायिक दुर्भाव फैलाने के नापाक मिशन में दिन-रात लगी हुई हैं। आईए लेते हैं भारतीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र से जुड़ी हुई ऐसी ही कुछ घटनाओं का एक जायंजा।

              हरियाणा के बराड़ा ंकस्बे में जहां कि गत् वर्ष देश का सबसे ऊंचा रावण बनाए जाने का कीर्तिमान स्थापित किया गया था, वहीं स्थानीय रामलीला क्लब द्वारा इस वर्ष पुन: रावण की ऊंचाई को लेकर विश्व कीर्तिमान स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। क्लब के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिन्द्र सिंह चौहान अपने सैकड़ों साथियों के साथ विश्व के सबसे ऊंचे रावण को बनाए जाने की तैयारी में गत् 3 माह से जुटे हुए हैं। इस परियोजना में उनका साथ देने के लिए आगरा से आया हुआ है मोहम्मद उस्मान का एक मुस्लिम परिवार। अपने घर से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी तय कर के मोहम्मद उस्मान अपनी पत्नी व बच्चों समेत गत् तीन माह से बराड़ा ंकस्बे में तेजिन्द्र सिंह चौहान के विशेष अतिथि के रूप में रह रहे हैं। मोहम्मद उस्मान की भी हार्दिक इच्छा है कि राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करने के बाद विश्व कीर्तिमान स्थापित करने में भी वे तेजिन्द्र चौहान के इस महत्वाकांक्षी मिशन में उनके सहयोगी बने रहें। इस विशालकाय रावण के निर्माण के दौरान पवित्र रमंजान का महीना भी गुंजरा। मोहम्मद उस्मान व उनका परिवार नियमित तौर पर रोंजा रखता है। उनके रोंजे की पूरी व्यवस्था बड़े ही आदर व आस्था के साथ तेजिन्द्र चौहान द्वारा की जाती है। इतना ही नहीं बल्कि रमंजान की शुरुआत में जब मोहम्मद उस्मान की पत्नी को ंकुरान शरींफ की ंजरूरत महसूस हुई तो चौहान द्वारा स्वयं बांजार जाकर धार्मिक पुस्तकों की दुकान से ंकुरान शरींफ मुहैया कराया गया तथा उनकी धार्मिक ंजरूरतों व इच्छाओं की पूर्ति की गई। स्वयं मोहम्मद उस्मान का यह मानना है कि तेजिन्द्र चौहान द्वारा निर्देशित रावण का निर्माण करने हेतु बराड़ा आने पर उन्हें जो मान-सम्मान व सत्कार मिलता है तथा यहां जिस धार्मिक स्वतंत्रता का उन्हें यहां एहसास होता है, वह एहसास शायद उन्हें अपने समुदाय के लोगों के साथ    रहकर भी नहीं हो पाता। यही वजह है कि चौहान के निमंत्रण पर मोहम्मद उस्मान प्रत्येक वर्ष अपने सहयोगी मुस्लिम कारीगरों व अपने पूरे परिवार के साथ बराड़ा चले आते हैं। इस विषय पर तेजिन्द्र चौहान का कहना है कि वे मोहम्मद उस्मान व उनके परिजनों की धर्म संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति कर तथा उसमें भागीदार बनकर महंज अपनेर् कत्तव्यों का पालन करते हैं तथा 'अतिथि देवो भव' की भारतीय परम्परा का निर्वाहन करते हैं। चौहान का कहना है कि उनकी कोशिश है कि उनके कला निर्देशन व संरक्षण में मोहम्मद उस्मान के परिश्रम के परिणामस्वरूप तैयार होने वाले इस विशालकाय रावण का नाम गिनींज बुक ऑंफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए। यदि ऐसा हो सका तो हरियाणा के बराड़ा ंकस्बे में इस वर्ष दशहरे पर तैयार किया जाने वाला रावण का पुतला न केवल ऊंचाई व भारी भरकमपन में विश्व कीर्तिमान स्थापित करेगा बल्कि भारतीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र के क्षेत्र में भी यह अपनी अनूठी मिसाल स्वयं पेश करेगा।

              इसी प्रकार गणेश पूजा का त्यौहार भी प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी साम्प्रदायिक सद्भाव के अनूठे उदाहरण पेश कर रहा है। जहां भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध नायक सलमान ंखान प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणेश पूजा के अवसर पर भक्ति भाव में सराबोर नंजर आए, वहीं देश के कई हिस्सों में ऐसे गणेशोत्सव भी मनाए गए जिनकी अधिकांश व्यवस्था मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा की गई। इतना ही नहीं बल्कि दिल्ली में हुए बम धमाकों के बावजूद देश में गणेश पूजा के अनेकों आयोजन ऐसे भी हुए जिसमें मुसलमानों द्वारा गणेश प्रतिमा अपने घरों में स्थापित की गई तथा उनका पूजा पाठ किया गया। दिल्ली के धमाकों को साम्प्रदायिक सौहार्द्र पर बदनुमा दांग बताते हुए गणेश प्रतिमा विसर्जन में इसी वर्ष मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। एक और प्रसिद्ध ंफिल्म अभिनेता शाहरुंख ंखान भी हिन्दू व मुस्लिम धर्मों के लगभग सभी त्यौहार स्वयं बड़े जोश व उत्साह के साथ मनाते हैं। होली दिवाली तथा ईद बंकरीद जैसे सभी त्यौहारों को अपने परिजनों एवं मित्रों के साथ मनाकर वे सच्चे भारतीय होने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

              ऐसा नहीं है कि सर्वधर्म सम्भाव या साम्प्रदायिक सौहार्द्र से ओत-प्रोत उक्त आयोजन केवल सम्पन्न व्यक्तियों अथवा प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा ही किए जाते हैं। बल्कि ंगरीबी, बदहाली व बेबसी से जूझते हुए लोगों के मध्य भी ऐसी भावना भारत में देखी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर भारत के बिहार राज्य के 19 ंजिले इस वर्ष बिहार की कोसी नदी के तटबंध टूट जाने के कारण आई प्रलयकारी बाढ़ से प्रभावित हैं। इस बाढ़ के दौरान प्रभावित लोगों ने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के एक दूसरे धर्म के लोगों को न केवल सहयोग व संरक्षण दिया बल्कि उनकी धार्मिक गतिविधियों में भी परस्पर सहयोगी रहे। अनेक स्थानों पर प्रलयकारी बाढ़ से शीघ्र निजात पाने के लिए पूजा पाठ करने व दुआएं आदि मांगने के सामूहिक तौर पर आयोजन किए गए। एक ही छत के नीचे हिन्दू समुदाय द्वारा भजन पूजन करने तथा मुसलमानों द्वारा नमांज पढ़कर ंखुदा से दुआ मांगने के नंजारे देखने को मिले। यही नहीं रमंजान के महीने में आई इस बाढ़ में मुस्लिम भाईयों के रोंजा रखने संबंधी ंजरूरतों को पूरा करने में भी हिन्दू समुदाय ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। कई स्थानों पर तो हिन्दू समुदाय के लोगों द्वारा भी रमंजान में रोंजा (व्रत) रखे जाने के समाचार प्राप्त हुए हैं।

              भारत में तेंजी से फैलता जा रहा आतंकवाद तथा इन आतंकवादी घटनाओं में अधिकांशतय: मुस्लिम समुदाय के लोगों के सम्मिलित होने के समाचार तथा इसके जवाब में गुजरात राज्य की तंर्ज पर भारत की हिन्दुत्ववादी शक्तियों द्वारा किए जाने वाले साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के घिनौने प्रयास और इन सबके बीच देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश करने वाली उपरोक्त घटनाएं यह समझ पाने के लिए कांफी हैं कि रामानन्द, कबीर, नानक, चिश्ती, ंखुसरु, साईं बाबा, ंफरीद व बुल्लेशाह की इस पावन धरती पर साम्प्रदायिक दुर्भावना फैलाने की साम्प्रदायिक शक्तियों अथवा आतंकवादियों द्वारा कितनी ही कोशिशें क्यों न की जाएं। किन्तु सन्तों व ंफंकीरों के इस देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उन्हें कोई भी आतंकवादी अथवा साम्प्रदायिक संगठन हिला नहीं सकता।

                                                                                           तनवीर जांफरी  

देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देने वाले ढोंगी नेताओं से सावधान

देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देने वाले ढोंगी नेताओं से सावधान

निर्मल रानी

163011, महावीर नगर,  अम्बाला शहर,हरियाणा। फोन-09729229728 email: nirmalrani@gmail.com

 

       दुनिया के किसी भी स्वच्छ लोकतंत्र में 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का अपना अलग ही महत्व होता है। जिस लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घुटने लग जाए, उसे लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाह शासन या अलोकतांत्रिक व्यवस्था का नाम दे दिया जाता है। देशवासी भली-भांति उस राजनैतिक घटनाक्रम से परिचित है जबकि 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी। इस दौरान जहां अन्य तमाम कड़े ंफैसले लिए गए थे, वहीं मीडिया को भी नियंत्रित रखने हेतु कई कड़े नियम लागू किए गए थे। हमारे देश में आपातकाल का विरोध करने वालों ने तत्कालीन सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने का आरोप लगाया था। इसका परिणाम यहां तक हुआ था कि आपातकाल लागू करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व उनकी सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को स्वतंत्रता के पश्चात पहली बार भारतीय मतदाताओं ने सत्ता से बेदंखल कर दिया था। यही वह दौर था जबकि इंदिरा गांधी जैसी तेंज तर्रार, दूर दृष्टि रखने वाली महिला को एक तानाशाह शासक होने का प्रमाण पत्र भी उनके विरोधियों द्वारा जारी कर दिया गया था।

              क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारत जैसे बहुभाषी व बहुआयामी देश में कारगर प्रतीत होता है। अभी पिछले दिनों अमरनाथ श्राईन बोर्ड को जम्मु-कश्मीर सरकार द्वारा आबंटित की गई मामूली सी ंजमीन के मुद्दे को लेकर 'अभिव्यक्ति' का बांजार ंखूब गर्म देखा गया। कहीं सीमा पार चले जाने की धमकियां सुनने को मिलीं तो कहीं अलगाववादी विचार रखने वाले नेताओं द्वारा इसे 1947 के विभाजन जैसा माहौल बताया जाने लगा। मतों के ध्रुवीकरण के मद्देनंजर न सिंर्फ घाटी के क्षेत्रीय नेताओं द्वारा बल्कि साम्प्रदायिकता की आग में अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने वाले तथाकथित राष्ट्रवादी नेताओं द्वारा भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसे ंजहर बोए जाने लगे जिसका नकारात्मक प्रभाव पूरे देश पर पड़ सकता था। परन्तु जैसा कि हमेशा होता आया है, भारत माता की रक्षा उसी ईश्वीरीय शक्ति ने की तथा अमरनाथ श्राईन बोर्ड की ंजमीन को लेकर लगी आग जोकि बुझती हुई प्रतीत नहीं हो रही थी आंखिरकार किसी समझौते पर पहुंचकर नियंत्रित हो गई। जबकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार तथा सौदागर इस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर इसे पूरी हवा देना चाह रहे थे। और कोई आश्चर्य नहीं कि आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान स्वयं को राष्ट्रवाद का स्वयंभू ठेकेदार समझने वाली देश की एक पार्टी इस मुद्दे का प्रयोग अभी भी अपने राजनैतिक हित साधने के लिए करे।

              उड़ीसा लगभग एक माह तक साम्प्रदायिकता की आग में जलता रहा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में ही उस राज्य में ईसाई मिशनरियों द्वारा बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराए जाने के आरोप हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा लगाए जाते रहे हैं। हिन्दू नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के पश्चात उड़ीसा के कंधमाल क्षेत्र में हिंसा का तांडव शुरु हो गया था। हिन्दुत्ववादी संगठनों का आरोप था कि धर्म परिवर्तन को रोकने के मिशन में लगे लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के पीछे उग्र ईसाई संगठनों का हाथ है। जबकि एक माओवादी संगठन द्वारा इस हत्या की ंजिम्मेदारी अपने ऊपर ली गई। इस प्रकरण में भी 'अभिव्यक्ति' का बांजार पूरी तरह गर्म रहा। हिन्दुत्ववाद के नाम पर ंजहर उगलने में महारत रखने वाले प्रवीण तोगड़िया ने कंधमाल जाकर अपनी 'विशेष स्वतंत्र अभिव्यक्ति' के

माध्यम से वह गुल खिलाया कि सैकड़ों ंगरीब व बेगुनाह लोग जाने से मारे गए तथा अपने घरों से बेघर होकर शरणार्थी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हो गए। इसी प्रकरण में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी अपने दूरगामी लक्ष्य व प्रतिक्रिया के मद्देनंजर माओवादियों द्वारा लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या की ंजिम्मेदारी लेने को ंगलत करार दिया तथा ईसाई संगठनों पर ही उनकी हत्या करने का संदेह जताया।

              और अब भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई इसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दंश झेल रही है। 'अभिव्यक्ति' करने वाले हैं मुंबई के तथाकथित स्वयंभू स्वामी ठाकरे परिवार विशेषकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे। उनकी इस ंजहरीली अभिव्यक्ति के निशाने पर हैं उत्तर भारतीय विशेषकर उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग। राज ठाकरे क्षेत्रवाद का ंजहर बोकर अपनी ंजहरीली अभिव्यक्ति के माध्यम से मराठों के दिल में उत्तर भारतीयों के प्रति नंफरत पैदा करना चाह रहे हैं। इसका कारण यह ंकतई नहीं है कि उन्हें मुम्बई या महाराष्ट्र से गहरा लगाव है बल्कि उनकी इस चाल का मंकसद बहुसंख्य मराठा मतों पर अपना अधिकार जमाना मात्र है। ठाकरे परिवार ने मराठों के कल्याण के लिए कोई अभूतपूर्व कार्य किया हो, ऐसा कुछ भी नहीं। मात्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में उत्तर भारतीयों को गालियां देकर ठाकरे परिवार के लोग मराठों के दिलों में अपनी जगह बनाने का प्रयास कर रहे हैं। राज ठाकरे की हरकतें तो देखते ही बन पड़ती हैं। सार्वजनिक रूप से वे जिसकी चाहते हैं नंकल उतारने लग जाते हैं, जिसकी चाहें वे बोली बोलने लग जाते हैं तो कभी किसी को गालियां देने लग जाते हैं। मुम्बई में दुकानदारों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों तथा कार्यालयों पर लगने वाले साईनबोर्ड किस भाषा में हों, इसकी इजांजत राज ठाकरे से लेनी पड़ेगी। मुम्बई में किसी कलाकार की ंफिल्म कब चलनी है और कब नहीं, यह भी राज ठाकरे की कृपादृष्टि पर ही निर्भर करता है। अपनी राजनैतिक हैसियत व अपने ंकद को नापे तोले बिना जिस कलाकार अथवा नेता को चाहें, राज ठाकरे क्षण भर में अपमानित कर सकते हैं। और यह सब मात्र 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर खेले जाने वाले ंखतरनाक खेल हैं।

              गत् दिनों जब राज ठाकरे को उन जैसी रूखी भाषा में मुम्बई के संयुक्त पुलिस कमीश्र के एल प्रसाद द्वारा सांफ शब्दों में यह जवाब दिया गया कि 'मुम्बई किसी के बाप की नहीं है' तो राज ठाकरे तिलमिला उठे। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के 1982 बैच के आई पी एस अधिकारी प्रसाद द्वारा मुम्बई की ंकानून व्यवस्था के मद्देनंजर की गई यह 'अभिव्यक्ति' तो कोई इतनी ंगलत एवं कष्टदायक नहीं थी कि राज ठाकरे तिलमिला उठें। परन्तु राज ठाकरे को पुलिस कमीश्र प्रसाद का यह दो टूक बयान नहीं भाया। उन्होंने प्रसाद को नौकरी छोड़कर मैदान में आने की चुनौती दे डाली। इससे सांफ ंजाहिर होता है कि एक तथाकथित नेता होने के नाते राज ठाकरे को तो यह अधिकार है कि वे जब और जिसे चाहें और जिस भाषा में चाहें अपमानित कर दें। परन्तु ंकानून व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनंजर यदि एक पुलिस अधिकारी खरी-खरी सुना दे तो वह ठाकरे को ंकतई बर्दाश्त नहीं है।

              कश्मीर से कन्याकुमारी तक महबूबा मुंफ्ती व राज ठाकरे जैसे और भी कई ऐसे नेता देखे जा सकते हैं जोकि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी न तो कोई पहचान रखते हैं, न ही उनकी राजनैतिक गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि उनमें सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रति कोई लगाव है। यदि हमें देश की एकता व अखण्डता को ंकायम रखना है तो ऐसी सीमित सोच रखने वाले स्वार्थी एवं ढोंगी नेताओं के राजनैतिक हथकंडों से हमें सावधान रहना होगा। हमें बड़ी सूक्ष्मता से इस बात पर नंजर रखनी होगी कि ऐसे नेता कब और क्या वक्तव्य दे रहे हैं और उनकी इस 'अभिव्यक्ति' के पीछे छुपा हुआ असली मंकसद क्या है? वह जो सुनाई दे रहा है और दिखाई नहीं दे रहा या फिर वास्तव में वह जो दिखाई बिल्कुल नहीं पड़ रहा अर्थात् सत्ता का सीधा रास्ता और वह भी नंफरत, दुर्भावना, दंगों व ंफसादों के रास्ते से होता हुआ।       निर्मल रानी

 

देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देने वाले ढोंगी नेताओं से सावधान

देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देने वाले ढोंगी नेताओं से सावधान

निर्मल रानी

163011, महावीर नगर,  अम्बाला शहर,हरियाणा। फोन-09729229728 email: nirmalrani@gmail.com

 

       दुनिया के किसी भी स्वच्छ लोकतंत्र में 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का अपना अलग ही महत्व होता है। जिस लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घुटने लग जाए, उसे लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाह शासन या अलोकतांत्रिक व्यवस्था का नाम दे दिया जाता है। देशवासी भली-भांति उस राजनैतिक घटनाक्रम से परिचित है जबकि 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी। इस दौरान जहां अन्य तमाम कड़े ंफैसले लिए गए थे, वहीं मीडिया को भी नियंत्रित रखने हेतु कई कड़े नियम लागू किए गए थे। हमारे देश में आपातकाल का विरोध करने वालों ने तत्कालीन सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने का आरोप लगाया था। इसका परिणाम यहां तक हुआ था कि आपातकाल लागू करने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व उनकी सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को स्वतंत्रता के पश्चात पहली बार भारतीय मतदाताओं ने सत्ता से बेदंखल कर दिया था। यही वह दौर था जबकि इंदिरा गांधी जैसी तेंज तर्रार, दूर दृष्टि रखने वाली महिला को एक तानाशाह शासक होने का प्रमाण पत्र भी उनके विरोधियों द्वारा जारी कर दिया गया था।

              क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारत जैसे बहुभाषी व बहुआयामी देश में कारगर प्रतीत होता है। अभी पिछले दिनों अमरनाथ श्राईन बोर्ड को जम्मु-कश्मीर सरकार द्वारा आबंटित की गई मामूली सी ंजमीन के मुद्दे को लेकर 'अभिव्यक्ति' का बांजार ंखूब गर्म देखा गया। कहीं सीमा पार चले जाने की धमकियां सुनने को मिलीं तो कहीं अलगाववादी विचार रखने वाले नेताओं द्वारा इसे 1947 के विभाजन जैसा माहौल बताया जाने लगा। मतों के ध्रुवीकरण के मद्देनंजर न सिंर्फ घाटी के क्षेत्रीय नेताओं द्वारा बल्कि साम्प्रदायिकता की आग में अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने वाले तथाकथित राष्ट्रवादी नेताओं द्वारा भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसे ंजहर बोए जाने लगे जिसका नकारात्मक प्रभाव पूरे देश पर पड़ सकता था। परन्तु जैसा कि हमेशा होता आया है, भारत माता की रक्षा उसी ईश्वीरीय शक्ति ने की तथा अमरनाथ श्राईन बोर्ड की ंजमीन को लेकर लगी आग जोकि बुझती हुई प्रतीत नहीं हो रही थी आंखिरकार किसी समझौते पर पहुंचकर नियंत्रित हो गई। जबकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार तथा सौदागर इस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर इसे पूरी हवा देना चाह रहे थे। और कोई आश्चर्य नहीं कि आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान स्वयं को राष्ट्रवाद का स्वयंभू ठेकेदार समझने वाली देश की एक पार्टी इस मुद्दे का प्रयोग अभी भी अपने राजनैतिक हित साधने के लिए करे।

              उड़ीसा लगभग एक माह तक साम्प्रदायिकता की आग में जलता रहा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में ही उस राज्य में ईसाई मिशनरियों द्वारा बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराए जाने के आरोप हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा लगाए जाते रहे हैं। हिन्दू नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के पश्चात उड़ीसा के कंधमाल क्षेत्र में हिंसा का तांडव शुरु हो गया था। हिन्दुत्ववादी संगठनों का आरोप था कि धर्म परिवर्तन को रोकने के मिशन में लगे लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के पीछे उग्र ईसाई संगठनों का हाथ है। जबकि एक माओवादी संगठन द्वारा इस हत्या की ंजिम्मेदारी अपने ऊपर ली गई। इस प्रकरण में भी 'अभिव्यक्ति' का बांजार पूरी तरह गर्म रहा। हिन्दुत्ववाद के नाम पर ंजहर उगलने में महारत रखने वाले प्रवीण तोगड़िया ने कंधमाल जाकर अपनी 'विशेष स्वतंत्र अभिव्यक्ति' के

माध्यम से वह गुल खिलाया कि सैकड़ों ंगरीब व बेगुनाह लोग जाने से मारे गए तथा अपने घरों से बेघर होकर शरणार्थी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हो गए। इसी प्रकरण में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी अपने दूरगामी लक्ष्य व प्रतिक्रिया के मद्देनंजर माओवादियों द्वारा लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या की ंजिम्मेदारी लेने को ंगलत करार दिया तथा ईसाई संगठनों पर ही उनकी हत्या करने का संदेह जताया।

              और अब भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई इसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दंश झेल रही है। 'अभिव्यक्ति' करने वाले हैं मुंबई के तथाकथित स्वयंभू स्वामी ठाकरे परिवार विशेषकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे। उनकी इस ंजहरीली अभिव्यक्ति के निशाने पर हैं उत्तर भारतीय विशेषकर उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग। राज ठाकरे क्षेत्रवाद का ंजहर बोकर अपनी ंजहरीली अभिव्यक्ति के माध्यम से मराठों के दिल में उत्तर भारतीयों के प्रति नंफरत पैदा करना चाह रहे हैं। इसका कारण यह ंकतई नहीं है कि उन्हें मुम्बई या महाराष्ट्र से गहरा लगाव है बल्कि उनकी इस चाल का मंकसद बहुसंख्य मराठा मतों पर अपना अधिकार जमाना मात्र है। ठाकरे परिवार ने मराठों के कल्याण के लिए कोई अभूतपूर्व कार्य किया हो, ऐसा कुछ भी नहीं। मात्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में उत्तर भारतीयों को गालियां देकर ठाकरे परिवार के लोग मराठों के दिलों में अपनी जगह बनाने का प्रयास कर रहे हैं। राज ठाकरे की हरकतें तो देखते ही बन पड़ती हैं। सार्वजनिक रूप से वे जिसकी चाहते हैं नंकल उतारने लग जाते हैं, जिसकी चाहें वे बोली बोलने लग जाते हैं तो कभी किसी को गालियां देने लग जाते हैं। मुम्बई में दुकानदारों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों तथा कार्यालयों पर लगने वाले साईनबोर्ड किस भाषा में हों, इसकी इजांजत राज ठाकरे से लेनी पड़ेगी। मुम्बई में किसी कलाकार की ंफिल्म कब चलनी है और कब नहीं, यह भी राज ठाकरे की कृपादृष्टि पर ही निर्भर करता है। अपनी राजनैतिक हैसियत व अपने ंकद को नापे तोले बिना जिस कलाकार अथवा नेता को चाहें, राज ठाकरे क्षण भर में अपमानित कर सकते हैं। और यह सब मात्र 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर खेले जाने वाले ंखतरनाक खेल हैं।

              गत् दिनों जब राज ठाकरे को उन जैसी रूखी भाषा में मुम्बई के संयुक्त पुलिस कमीश्र के एल प्रसाद द्वारा सांफ शब्दों में यह जवाब दिया गया कि 'मुम्बई किसी के बाप की नहीं है' तो राज ठाकरे तिलमिला उठे। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के 1982 बैच के आई पी एस अधिकारी प्रसाद द्वारा मुम्बई की ंकानून व्यवस्था के मद्देनंजर की गई यह 'अभिव्यक्ति' तो कोई इतनी ंगलत एवं कष्टदायक नहीं थी कि राज ठाकरे तिलमिला उठें। परन्तु राज ठाकरे को पुलिस कमीश्र प्रसाद का यह दो टूक बयान नहीं भाया। उन्होंने प्रसाद को नौकरी छोड़कर मैदान में आने की चुनौती दे डाली। इससे सांफ ंजाहिर होता है कि एक तथाकथित नेता होने के नाते राज ठाकरे को तो यह अधिकार है कि वे जब और जिसे चाहें और जिस भाषा में चाहें अपमानित कर दें। परन्तु ंकानून व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनंजर यदि एक पुलिस अधिकारी खरी-खरी सुना दे तो वह ठाकरे को ंकतई बर्दाश्त नहीं है।

              कश्मीर से कन्याकुमारी तक महबूबा मुंफ्ती व राज ठाकरे जैसे और भी कई ऐसे नेता देखे जा सकते हैं जोकि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी न तो कोई पहचान रखते हैं, न ही उनकी राजनैतिक गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि उनमें सम्पूर्ण राष्ट्र के प्रति कोई लगाव है। यदि हमें देश की एकता व अखण्डता को ंकायम रखना है तो ऐसी सीमित सोच रखने वाले स्वार्थी एवं ढोंगी नेताओं के राजनैतिक हथकंडों से हमें सावधान रहना होगा। हमें बड़ी सूक्ष्मता से इस बात पर नंजर रखनी होगी कि ऐसे नेता कब और क्या वक्तव्य दे रहे हैं और उनकी इस 'अभिव्यक्ति' के पीछे छुपा हुआ असली मंकसद क्या है? वह जो सुनाई दे रहा है और दिखाई नहीं दे रहा या फिर वास्तव में वह जो दिखाई बिल्कुल नहीं पड़ रहा अर्थात् सत्ता का सीधा रास्ता और वह भी नंफरत, दुर्भावना, दंगों व ंफसादों के रास्ते से होता हुआ।       निर्मल रानी

 

सोमवार, 15 सितंबर 2008

इलाज हेतु 33 हजार रूपये की सहायता

इलाज हेतु 33 हजार रूपये की सहायता

मुरैना 12 सितम्बर 08/ कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से चार हितग्राहियों को बीमारी के उपचार हेतु 33 हजार रूपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत की है ।

       ग्राम जौरा खुर्द निवासी श्री पूरन सिंह प्रजापति को ब्रेनहेमरेज के उपचार हेतु पांच हजार रूपये, मुरैना निवासी श्री रामखिलाडी सिंह को कैंसर के उपचार और दत्तपुरा निवासी श्रीमती मंजू देवी को किडनी रोग के उपचार हेतु 10-10 हजार रूपये तथा गेपरी (जौरा) निवासी श्री अशोक जाटव को मानसिक रोग के उपचार हेतु आठ हजार रूपये मंजूर किये गये हैं ।

 

भोपाल में पूर्व सैनिकों का सम्मेलन 16 को

भोपाल में पूर्व सैनिकों का सम्मेलन 16 को

मुरैना 12 सितम्बर 08/ जिला सैनिक कल्याण अधिकारी के अनुसार 16 सितम्बर को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम प्रांगण भोपाल में राज्य के पूर्व सैनिकों का सम्मेलन आयोजित किया गया है । सम्मेलन में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान उपस्थित रहेंगे ।

       मुरैना जिले के पूर्व सैनिकों / सैनिक विधवाओं और उनके अश्रितों को भोपाल जाने के लिए बस की व्यवस्था की गई है । बस स्टेण्ड सबलगढ़, अम्बाह तथा मंडी पोरसा और प्रायवेट बस स्टेण्ड मुरैना के पास 15 सितम्बर को प्रात: 10 बजे बस उपलब्ध रहेंगी । सभी स्थानों की बसें जिला सैनिक कल्याण कार्यालय में एकत्रित हो कर भोपाल के लिए प्रस्थान करेंगीं ।

 

ऊषा किरण योजना के लिए सेवा प्रदत्त संस्था के चयन हेतु बैठक सम्पन्न

ऊषा किरण योजना के लिए सेवा प्रदत्त संस्था के चयन हेतु बैठक सम्पन्न

मुरैना 12 सितम्बर 08/ घरेलू हिंसा सरक्षण अधिनियम 2005-06 के अन्तर्गत मुरैना जिले में ऊषा किरण योजना के क्रियान्वयन हेतु अशासकीय संस्थाओं में से सेवा प्रदत्त के चयन संबंधी बैठक कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई । बैठक में समिति के सदस्य पुलिस अधीक्षक श्री संतोष कुमार सिंह , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला विधिक सहायता अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी एवं समस्त संरक्षण अधिकारी उपस्थित थे ।

       समिति द्वारा संस्थाओं से प्राप्त सात प्रस्तावों पर बिचार किया गया जिसमें 04 को विभागीय मान्यता प्राप्त है । शेष 03 के विषय में कलेक्टर द्वारा निर्देशित किया गया कि इनका निरीक्षण जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी करें और पात्र पाये जाने पर तथा विभागीय मान्यता के लिए आवेदन प्रस्तुत करने पर उनके प्रस्तावों पर भी विचार किया जावे ।

       घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के विषय में कलेक्टर ने निर्देशित किया कि समस्त संरक्षण अधिकारी अपने-अपने कार्य क्षेत्र के अन्तर्गत योजना का व्यापक प्रचार प्रसार करें । घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलायें संरक्षण अधिकारी पोरसा के दूरभाष 07538254800, अम्बाह के दूरभाष 07538256221,मुरैना शहरी के दूरभाष 07532223647, मुरैना ग्रामीण के दूरभाष 07532233230, कैलारस के दूरभाष 07536287204, सबलगए के दूरभाष 07536252235, पहाडगढ़ के मोवाइल नम्बर 9926519443 और जिला कार्यालय मुरैना के दूरभाष 07532 223379 पर शिकायत दर्ज करा सकती हैं ।