राजा-महाराजा की एक जुटता का प्रदर्शन बेअसर साबित हुआ ग्वालियर चम्बल में
मुरैना 17 मई 09 (दैनिक मध्यराज्य ) - लोकसभा चुनावों में ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में राजा-महाराजा की एक जुटता को मतदाता पर कोई असर नहीं पड़ा। जबकि अनुमान ऐसा लगाया जा रहा था कि चुनावों से पूर्व राजामहाराजा को एक मंच पर आने से कांग्रेस मजबूत होगी और क्षेत्र में उसका प्रदर्शन बेहतर सावित होगा।
लेकिन 16 मई की गणना से आये परिणामों से साफ हो गया की राजा-महाराजा मौसमी एकता को मतदाता ने भांप लिया और उनका एकसाथ आना क्षेत्र की जनता ने नकार दिया। पर गुना में हुयी कांग्रेस की जीत कोो कांग्रेस की नही सिंधिया की स्वयं की जीत के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। इस कारण ग्वालियर चम्बल में भाजपा की परचम लहराया है। यह कांग्रेस को इस क्षेत्र में अपने जनाधार के गिराने के प्रति आत्ममंथन की ओर प्रेरित करता है। पूरे देश में कंग्रेस की लहर के वावजूद ग्वालियर-चम्बल में राजा-महाराजा की एक जुटता का वे-असर हो जाना कई सवाल पैदा करता है। इन सवालो के जवाव कांग्रेस को खोजने होगें।
गौर तलब कि विगत विधान सभा चुनावों में कांग्रेस के लोकसभा के चुनाव परिणाम इस बात की साफ तौर पर बकालत कर रहे हैकि ग्वालियर चम्बल क्षेत्र के चार संसदीय क्षेत्रों में से तीन पर भाजपा को परचम लहराया हुआ है। जबकि गुना-शिवपुरी से कांग्रेस के प्रत्याशी ज्योतिरादित्य ने भाजपा के नरोत्तम मिश्रा को पराजित किया है। इस जीत को राजनैतिक विश्लेषक कांग्रेस की कम ज्योतिरादित्य की व्यक्तिगत जीत के रूप में देख रहे है। उनका मानना है कि ग्वालियर चम्बल क्षेत्र के किसी भी संसदीय क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया व्यक्तिगत प्रभाव के बूते जीतने की कूवत रखते है। यही कारण है कि गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र प्रदर्शन को लेकर समीक्षा कारों ने राजा महाराजा को गुटवाजी को दोषी ठहराते हुए कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन न हो पाने पर सवाल किये गये है। उसी को देखते हुये वर्तमान लोकसभा चुनावों में दिग्गी राजा -महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया एक मंच पर एक साथ चुनाव प्रचार करते देखे गये लेकिन लगता है कि जनता को इनकी एकता पर भरौषा नही हुआ जनता ने इसे चुनावी मित्रता मानकर नकार दिया। परिणाम के कांग्रेस भाजपा से पिछडी गयी। मुरैना-श्योपुर से नरेन्द्र सिंह तोमर भाजपा भिण्ड दतिया से अशोक अर्गल भाजपा, ग्वालियर से यशोधराजे भाजपा, ने जीत हासिल की गुना शिवपुरी सीट कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीती है जिसे सिधिया की व्यक्तिगत जीत भी कहा जा सकता है। ग्वालियर चम्बल क्षेत्र में कांग्रेस ने कमजोर प्रदर्शन को राजा महाराजा की गुटवाजी के कारणों में देखा जाता रहा है। इस बार कांग्रेस हाईकमान ने निर्देशों के पालन में राजा-महाराजा एक मंच पर बैठै अवश्य दिखे लेकिन उनकी एकता मतदाता को लुभाने में कामयाव नही हो पायी इसे यों कहा जाये तो अधिक वेहतर है कि राजा महाराजा अपनी एकता को विश्वास मतदाताओं को नही दिला सके। समझदार मतदाता ने इसे चुनावी एकता माना और मौसमी बुखारकी तरह भुलादिया। राजा महाराजा की एकता को क्षेत्र की जनता कसौटी पर कंसे बिना स्वीकार करती नजर नही आ रही है यही बडा सवाल कांग्रेस के सामने भी है क्या वास्तव में कांग्रेस गुटवाजी से वाहर आ पायेगी।
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