मंगलवार, 14 जुलाई 2009

मुरैना में भीषण वारिश, ठप्प हुयी बिजली सप्लाई, सारा शहर और अंचल जल मग्न

मुरैना में भीषण वारिश, ठप्प हुयी बिजली सप्लाई, सारा शहर और अंचल जल मग्न

आखिर पिघल ही गया आसमान

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द'',

फोटो अतर सिंह डण्‍डोतिया एवं ऐश्‍वर्या सिंह

मुरैना 13 जुलाई 09, इस साल पानी न बरसने की शिकायत कर रहे लोगों को आषाढ़ का पूरा महीना तपती गर्मी के बीच में त्राहि त्राहि करते निकालना पड़ा ! कई अखबारों ने कल तक कई किसानों को सूखी चटकती जमीन पर बैठे आसमान की ओर बादलों की बाट जोहते , ताकते चित्र प्रकाशित किये थे ! तथा कई ने सूखा पड़ने की भारी संभावना व्यक्त कर दी थी और सूखाग्रस्त जिला घोषित की भी संभावनायें दर्शायी थीं !

यू तो आषाढ़ का महीना भले ही सूखा निकला हो लेकिन श्रावण मास प्रारंभ होते ही पहले ही दिन से चम्बल अंचल में वारिश ने दस्तक दे दी थी ! लेकिन हल्की फुल्की वारिश से न तो किसानों के खेतों में जोत आ पा रही थी और न तपती गर्मी की तपिश ही शान्त हो रही थी ! अज्ञैर तकरीबन सभी के चित्त गाँवों से शहरों तक भड़भड़ा रहे थे ! सबकी पेशानी पर चिन्ता की रेखायें थीं ! कलेक्टर कमिश्नर से लेकर व्यापारी और छात्र किसान पत्रकार वकील सभी वारिश की कमजोरी से भारी चिन्तित और परेशान थे !

जहाँ सबिजयों के दाम आसमान छू रहे थे और लोग अचार चटनी पर आ गये थे वहीं गरीब की अरहर यानि तुअर की दाल 80 रू. प्रति किलो पर पहुँच गयी थी !

लोगों को लग रहा था कि यही दशा रही तो जहाँ एक ओर भारी सूखा पड़ेगा और खेत खलिहान के साथ काछीयों की कछवाई चौपट हो जायेगी तथा भूख और मंहगाई कई लोगों के लिये मारक बन जायेगी !

प्रभु की दया हुयी, इन्द्र देव रीझे कि नहीं पता नहीं लेकिन भगवान आशुतोष शंकर जरूर चम्बल पर प्रसन्न हो कर कृपायमान हो गये ! सावन का पूरा महीना हिन्दूओं की ओर से भगवान शंकर, आस, आसमान, वारिश और रिश्तों को समर्पित है ! तो जहाँ सावन शुरू होते ही वारिश का पहला मौसमी खाता खुला वहीं सावन के पहले सोमवार को जब लोग भगवान भोले शंकर की आराधना अर्चना के लिये अपनी पूरी निष्ठा से जुटे और प्रात: ब्रह्म मुहूर्त से ही शि जलाभिषेक क्रियायें शुरू हुयीं तो मानो शिव के बन्द नेत्र अचानक खुल पड़े और बस जैसे बोले कि ठहरो, बूंद बूंद पानी के लिये तरसते मेरे बच्चो क्या मांग कर ढो ढो कर जल के लोटे ला रहे हो और कंजूसी से जलाभिषेक कर रहे हो, मुझे तो तृप्त होकर पूर्ण स्नान करना है भाई !

हुआ यूं कि सबेरे नियमित बिजली कटौती हुयी, सुबह 7 बजे कटी बिजली से मानो कई लोग स्नान तक नहीं कर पाये , और वापस बिजली आने का इन्तजार करते रहे (चम्बल में बिजली और पानी का अटूट रिश्ता है) और तत्पश्चात ही शिव जलाभिषेक को उद्यत हुये , बिजली भी ठीक सबेरे 10 बजे आ गयी लेकिन इसके साथ ही , प्रसन्न भगवान आशुतोष ने वारिश भी प्रारंभ कर दी, पहले लोगों को लगा कि सामान्य वर्षा होगी लेकिन कुछ ही समय बाद जब हवाओं ने रूख बदल बदल कर अलट पलट कर बादलो को पीटना पछीटना शुरू किया तो वारिश की तेज मूसलाधार लहर ने तुरन्त ही लोगों को अहसास करा दिया कि आज तो शंकर जी भारी प्रसन्न और वारिश पर विकट कुपित हैं, चम्बल के गाँवों में इस प्रकार की वारिश को गोलाधार वारिश कहते हैं !

गोलाधार यानि मूसलाधार वारिश का उलट पुलट धुंआधार निरन्तर सिलसिला लगातार दोपहर सवा 12 बजे तक चला इसके बाद जैसे खण भर के लिये वारिश ने 15 मिनिट के लिये मानो सांस ली और फिर इसके बाद फिर जो दोबारा शुरू हुयी तो लगातार ढाई बजे तक वही गोलाधार यानि मूसलाधार धुैआधार बरसता रहा !

वारिश इतनी तेज थी कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था ! और मस्ती इतनी कि क्या बूढ़ा क्या जवान कोई भी अपने आप को वारिश में डुबोने से रोक नहीं पाया और सारे के सारे कूद पड़े वारिश में खुद को डुबाने !

सारा शहर और अंचल जलमग्न

वारिश की अधिकता से शहर मुरैना मानों समुन्दर के बीच कोई टापू ज्ेसा लगने लगा ! चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी, शहर से नाली सड़के सब गायब हो गयीं बस केवल पानी ही पानी, विशाल जलराशि के बीच पानी का सैलाब और धीरे धीरे डूबते जमीनी तल ! लगातार करीब 5 घण्टे की भीषण वारिश से शहर की सड़कों का मंजर देखने लायक और स्कूल आते जाते बच्चों, साइकिल दुपहियों का तैरते हुये निकलना सारा नजारा मानों सबको एक चुनौती दे रहा था , बोलो शिव जलाभिषेक हो रहा है कि नहीं, और सबके मुँह से बरबस ही निकला , वाह शंकर जी वाह मान गये ऐसा धुँआधार जलाभिषेक कि पूरे सावन का अभिषेक एक ही दिन में कर डाला , वह भी तरबतर !

शहर के साथ अंचल के गाँवों में भी यही आलम था, बस चारों ओर पानी ही पानी !

शहर की निचली बस्तियों में पानी धाड़ें मारता हुआ कई घरों में घुस बैठा, वही वे लोग भी अचानक मुसीबत में आ गये जहाँ नई बनीं सड़कों से स्क्थिति कुछ ऐसी हो गयी है कि सड़कें मकानों से ऊॅंची हो गयीं हैं और मकानों की दहलीज सड़कों से नीचे हो गयीं हैं , वे लोग अभी तक मजे में थें लेकिन आज की वारिश ने उनका हाल खराब कर दिया और पानी सीधा पहले ही झटके में उनके घरों में घुस बैठा ! और सडृक से ज्यादा जल स्तर उनके घरों में हो गया विशेषकर, सिंगल बस्ती, गोपालपुरा महावीर पुरा, और ओवर ब्रिज के पार अम्बाह रोड पर, रामनगर आदि इलाकों में पानी घरों में घुस गया !

आमतौर पर शहर में जल स्तर सड़कों पर ढाई से तीन साढ़े तीन फीट तक चढ़ कर प्रवाहित होता रहा !

ठीक ठाक काम करता रहा शहर का ड्रेनेज सिस्टम

यह खैर रही कि शहर का सीवर और ड्रेनेज सिस्टम ठीक ठाक काम करता रहा तथा केवल 15 मिनिट में ओवर वाटर लेवल को क्लीयर कर गायब करता रहा तथा शहर को यथावत करता रहा ! वीना भारी मुसीबत हो जाती और पिछले साल भिण्ड में हुयी स्थिति से भी कहीं बदतर हालत यहाँ हो जाती लेकिन महज 15 मिनिट में पानी गायब होते रहने से भई इतना तो कहना पड़ेगा कि आखिर प्राण बचे ! नगरपालिका इसके लिये धन्यवाद की पात्र है !

जमकर नहाये लोग

लेगों ने वारिश का जमकर लुत्फ लिया, लोग घरों से निकल कर अपनी खुली छतों और सड़को पर आकर जमकर खुल कर वारिश स्नान का आनन्द लेते रहे, युवतियां इस मामले में काफी आगे रहीं, युवक भी इससे पीछे नहीं रहे !

क्हा जाता है कि वारिश स्नान से चर्म रोग नहीं होते और घमौरियां आदि नहीं होतीं इसके साथ ही शरीर की साल भर की अन्दरूनी गर्मी समाप्त होकर सैकड़ों बीमारीयों और तकलीफों से राहत भी मिलती है ! वहीं कुछ लोग जो शिवपूजा के लिये सबेरे बिजली न होने से स्नान नहीं कर पाये थे वे भी जमकर वारिश में नहाये !

बिजली सप्लाई ठप्प रही लगातार 11 घण्टे

हालांकि वारिश के वक्त ऑंधी या तूफान जैसी कोई स्थिति नहीं थी फिर भी सतर्कता बरतते हुये बिजली महकमे ने वारिश शुरू होने के बीस मिनिट बाद से पूरे अंचल की बिजली सप्लाई पूरी तरह बन्द कर दी ! और वारिश होने के बाद तक बन्द रखी !

सबेरे 7 बजे से कटी बिजली सबेरे 10 बजे आयी तो वारिश शुरू होते ही बिजली सप्लाई फिर बन्द कर दी गयी, हालांकि निरन्तर भीषण वारिश दोपहर ढाई बजे तक चली किन्तु बिजली सप्लाई इसके बाद भी बन्द रखी गयी, उसके बाद दोपहर की नियमित कटौती 4 बजे से 6 बजे तक तय होने से अंतत: बिजली शाम 6 बजे ही वापस आयी यानि सबेरे 7 बजे से शाम 6 बजे तक बिजली सप्लाई दो छुटटी के बीच वारिश युक्त वर्किंग टाइम फंस जाने से लगातार छुटटी पर रही ! यानि 11 घण्टै लगातार बन्द रही बिजली !

हालांकि यह बिजली कटौती लोगों को मस्त सुहावने मौसम के चलते अखरी नहीं और स्नान के अभाव वालों ने वारिश स्नान करके शिव पूजा कर ली ! लेकि इस दरम्यान मीडिया और खबरिया दस्ते पूरी तरह विकलांग हो गये और भीषण वारिश के समाचार समय पर प्रकाशित नहीं हो सके !

 

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