मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

किसी को गाजर,किसी को कैमरा तो किसी को केक मिला,शिवराम को मिला कोट (दैनिक मध्‍यराज्‍य)

किसी को गाजर,किसी को  कैमरा तो किसी को केक मिला,शिवराम को मिला कोट

निकाय चुनाव के लिये चुनाव चिन्हों का आवंटन

मुरैना..नगरीय निकायचुनाव 2009 के लिये नाम वापिसी  बाद सोमवार को उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिये गये है। राष्ट्रीय पार्टियों के लिये सुरक्षित चुनाव चिन्हों का आवंटन किया  गया वही  स्वतंत्र रूप से चुनाव लड रहे प्रत्याशियों  को मुक्त चुनाव चिन्हों का आवंटन किया गया,मुक्त चुनाव चिन्हों में सामान्यत क्रमवार चुनाव चिन्हों का आवंटन उन प्रत्याशियों को किया गया जिन्होने बिभिन्न राजनेतिक दलों से उम्वीदवारी जताते हुए अपने नामांकन पत्र इस आशा में दाखिल किये थे कि उन्हे पार्टी का टिकिट प्राप्त होगा किन्तु टिकिट प्राप्त न होने पर भी वे मैदान में स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में डटे रहे ऐसे उम्वीदवारों में किसी को केक किसी को कैमरा तो किसी को गाजर का प्रतीक चिन्ह निर्वाचन अधिकारी द्वारा आवंटित किया गया  वार्ड क्रमांक 23 के ऐसे ही प्रत्याशी शिवराम सविता को कोट काचुनाव चिन्ह  आवंटित हुआ जिन प्रत्याशियों ने नामांकन प्रस्तुत करते समय निर्दलीय प्रत्याशी के रूप  में अपना फार्म भरा था उन्हे उनके आवेदनानुसार चाहे गये तीन प्रतीकों में से चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया ऐसे उम्वीदवारों में किसी को पतंग किसी को कैची तो किसी को जीप का चुनाव  चिन्ह  आवंटित किया  गया। मुरैना नगर पालिका परिषद के चुनाव में इस वार कांग्रेस भाजपा व बसपा जैसे राजनेतिक दलों के साथ साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या भी वहुतायत में है ये अधिक संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी वे प्रत्याशी है जिन्होने किसी न किसी राजनैतिक दल के सक्षमपदाधिकारियों के आश्वासन पर अपने अपने नामांकन प्रस्तुत किये थे किन्तु ऐन वक्त पर उनके पक्ष में टिकिट न मिलने से विरोध स्वरूप स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में डटे रह कर पार्टियों को अपनी अपनी शक्ति बताना है। सभी वाडों  में टिकिटों का वितरण अधिकांशत: ऐसे प्रत्याशियों को किया गया  जिनका चुनाव लड रहे र्वार्ड से कभी कोई संवन्ध नही रहा और वार्ड में जो प्रत्याशी पहिले से तैयारी में जुटा था उसकी उपेक्षा की गई।

दिन भर चला  मान मनोवल का दौर

मुरैना..सोमवार को नामवापिसी के दिन निर्वाचन अधिकारी के प्रांगण में दिन भर विभिन्न राजनेतिक दलों के  अध्यक्ष व वार्ड पार्षद के अधिकृत प्रत्याशियों द्वारा उन प्रत्याशियों से नामवापिस लेने के लिये मानमनोवल की  जाती रही जिनसे उन्हे चुनाव में खतरा महसूस हो रहा था। कुछ मान गये ज्यादातर मैदान में डटे रहे मानमनोवल का दौर अधिकांशतह वार्ड पार्षदो के बीच ज्यादा चलता दिखाई दिया।

 

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