क्रांतिकारी अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल के मंदिर निर्माण का संकल्प पूर्ण
मुरैना. देश की स्वंतत्रता के लिए हॅसते-हॅसते फांसी के फंदे को चूमने वाले बलिदानी पर भारती-बसुंधरा को गर्व है। दुनिया के नक्शे में भारत के अतिरिक्त कोई अन्य देश ऐसा नहीं है जहॉ के नर नाहरों का वंशज फांसी के तख्ते पर चढ़ते समय पहले की अपेक्षा बढ़ गया हो। धन्य है यह धरती ,धन्य है, यहॉ के क्रॉतिकारी अमर शहीद श्री रामप्रसाद बिस्मिल जी ने हॅसते-हॅसते फॉसी के फन्दे को चूमते हुये अपने प्राणों का प्राणोंत्सर्ग किया।
क्रांन्ति कारियों के जन्म स्थलों का दर्शन गंगा-यमुना और बद्री केदारनाथ के समान पवित्र स्थल है। सरफरोसी की तमन्ना रखने वाले क्रांतिकारी सपूत अमर शहीद की यादों को चिर स्थायी बनाये रखने के लिए श्री हनुमान एवं पर्यावरण परिसर डाइट मुरैना में उनके मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। 19 दिसम्बर 2009 को अमर शहीद श्री रामप्रसाद बिस्मिल की 82 वी. पुण्यतिथि के अवसर पर मंदिर में उनकी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा और अनावरण कार्यक्रम के भव्य आयोजन करने की तैयारी चल रही है।
सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना जोर कितना बाजुए कातिल में है।
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