मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

विद्यालय नही पहुचते फिर भी बने रैगुलर छात्र (दैनिक मध्‍यराज्‍य)

विद्यालय नही पहुचते फिर भी बने रैगुलर छात्र

(श्रीकृष्ण शिवहरे )

मुरैना. शहर सहित जिले में संचालित मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में भलें ही छात्र-छात्रायें नियमित रूप से स्कूल पढ़ने नहीं जाते लेकिन इसके बाद भी उक्त संस्थाओं में  नियमित रूप से नहीं आने वालें छात्र-छात्राओं की वर्ष भर की उपस्थिति शिक्षकों द्वारा लगाई जाती है जिले भर में शा.स्कूलों में ऐसे छात्रछात्रओं  कि भर मार है जो पूरे वर्ष की फीस चुकाकर केवल परीक्षा देने ही स्कूल पहुचते है। शिक्षा विभाग के कर्ताधरताओं की अनदेखी व गैर जिम्मेदारी रवैये के चलते यह कारोबार यहा दिनों दिन फल फूल रहा है जिले के गैर सरकारी स्कूलों में  दर्ज छात्र-छात्रओं की संख्या और उपस्थिति छात्रों की संख्या में भारी अंतर देखने के लिये कभी भी स्कूल के छात्रों का भौतिक सत्यापन किया जा सकता है लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा इस दिशा में कोई कारगर कदम न उठाये जाने से वोर्ड के कायदा कानून एवं नियमों का  खुला उल्लघन करते शहर सहित जिले के अधिकांश गैर सरकारी विद्यालय में फर्जी छात्रों की भरमार है। सूत्र बताते है कि टयूसन बाजी का सहारा लेकर अपनी पढ़ाई  कर हरे ऐसे छात्र-छात्राओं को शहर के किसी भी स्कूल में पूरी वर्ष की फीश चुकाने के साथ कुछ अलग से पैसे देने पर वोर्ड परीक्षा में अपनी उपस्थित दिखाने के साथ नियमित छात्र के रूप में अंक सूची पाने के लिये प्रवेश दे दिया जाता है क्या हीं शिक्षा विभाग के नुमायदों का कर्तव्य है। जब कि शिक्षक समाज का दर्पण होता है अगर उक्त शिक्षक अपने निजी स्वार्थ के लिये शिक्षा विभाग के नियमों का दर किनारा कर कार्य करेगें तो क्या सार्थिक परिणाम सामने आ सकते है। इस का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

 

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