आटोरिक्शा ने खोला प्रकाश के जीवन की तरक्की का नया अध्याय
आलेख- जे. पी. धौलपुरिया, उप संचालक, जिला जन सम्पर्क कार्यालय, शहडोल म. प्र.
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शहडोल/ आर्थिक अभावों और नौकरी न मिल पाने से निराश रहे, लेकिन काम के लिए अपना जुनून बरकरार रखते हुए सरकार की मदद से मिले आटोरिक्शा से अपने जीवन को व्यवस्थित रूप से पटरी पर लाने वाले प्रकाश चौधरी को आज इस बात का कोई मलाल नहीं है कि उनको एक सरकारी नौकरी नहीं मिली । आटोरिक्शा चलाने का उनका कामआज एक फलते-फूलते कारोबार में तब्दील हो गया है ।
नौजवान प्रकाश की पृष्ठभूमि शहडोल नगर के घरौला मोहल्ले और उनके शुरूआती जीवन को देख कोई नहीं कह सकता था कि वे कभी सफल होंगे । बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रकाश एक मेहनतकश परिवार से जुड़े हुए हैं । हाई स्कूल की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नौकरी के लिए बहुत हाथ-पैर मारे, लेकिन सफलता नहीं मिली । अलबत्ता जिला अन्त्यावसायी सहकारी समिति ने शासन की पवन पुत्र योजना के अन्तर्गत प्रकाश को एक आटोरिक्शा उपलब्ध कराया, जिसमें अनुदान भी शामिल था । अच्छी जिन्दगी जीने की तमन्ना लेकर आटोरिक्शा से जीवन का तानाबाना बुनना शुरू करने बाले प्रकाश के जीवन में सफलता के बीज बोए जा चुके थे और उनका आटोरिक्शा का काम मजबूती से बढ़ने लगा और आज प्रकाश आटोरिक्शा संचालन बाजार में श्रेष्ठ आटोरिक्शा चालकों में एक हैं ।
एक निर्धन मजदूर परिवार में जन्में प्रकाश ने कभी सपने में भी न सोचा था कि एक दिन वे एक सफल व्यवसायी बन जाएंगे । लेकिन इस शांत और व्यवहार कुशल लड़के ने जो एक बार शुरूआत की, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा । कौन सोच सकता है कि हाई स्कूल तक पढ़ा यह नौजवान सवारियों को अपने आटोरिक्शा में सफर करने के लिए बहलाकर अपना जीवनयापन करता है ? मानवीय व्यवहार को समझने और विपणन कौशल को मांजने के लिए यह मायने रखनेवाला अनुभव है । यहीं से उन्होंने प्रतिष्ठित नागरिकों और अन्य पेशेवरों के साथ बेहतरीन संबंध स्थापित कर लिए, जो आटोरिक्शा की आवश्यकता होने पर आज भी उन्हीं को याद करते हैं।
खास बात यह है कि प्रकाश अपने ग्राहकों को स्थापित अन्य आटोरिक्शा चालकों की अपेक्षा बाजिव कीमत पर अपने आटोरिक्शा की सेवाएं मुहैया कराते हैं । अपने कारोबार को चमकाने के लिए वह अपने खास ग्राहकों को मोबाइल पर भी अपनी सेवाएं देते हैं । अपने कारोबार की आमदनी का कुछ हिस्सा वह मोबाइल के माध्यम से आटोरिक्शा सेवा उपलब्ध कराकर अर्जित करते हैं । इसके लिए उन्होंने अपने खास ग्राहकों को अपने मोबाइल का नम्बर दे रखा है । वह मोबाइल पर आर्डर बुक करते हैं और जब भी उनके मोबाइल पर किसी का संदेश आता है, तो वह फौरन अपना आटोरिक्शा लेकर उसके पास हाजिर हो जाते हैं ।
सफलता के मुकाम तक पहुंचने की उनकी कहानी इस बात की गवाह है कि सरकारी मदद के साथ-साथ दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत, व्यवहार कुशलता व्यवसाय मामले में पेशेवर दक्षता से क्या नहीं हासिल किया जा सकता । प्रकाश याद करते हैं, '' पहले पैसे को तरसना पड़ता था । अब खुद की गांठ में चार पैसे हो गए हैं ।'' प्रकाश ने आटोरिक्शा संचालन कारोबार की बारीकियां सीख ली थीं । इससे उन्हें अपनी कमाई बढ़ाने में मदद मिली । आज आटोरिक्शा संचालन के मामले में शहडोल नगर में प्रकाश चौधरी एकदम जाना-पहचाना नाम है, जिसकी बदौलत उनकी आमदनी में इजाफा हो गया है ।
बदलते रूझान से तालमेल बिठाते हुए प्रकाश ने त्वरित आटोरिक्शा सेवाएं देने के मकसद से न केवल मोबाइल सेवा को आजमाया, बल्कि उनके लिए उनके ग्राहक भगवान से कम महत्वपूर्ण नहीं हैं । आटोरिक्शा संचालन का यह मेहनतकश कहता है, '' ग्राहक भगवान तुल्य होते हैं, इसलिए उनके साथ सदा अच्छा बर्ताव करना चाहिए । '' आज यही आटोरिक्शा उनके परिवार की आजीविका का सहारा बना हुआ है ।
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