शनिवार, 25 जुलाई 2009

धान की मेडागास्कर विधि से बदली तकदीर

धान की मेडागास्कर विधि से बदली तकदीर

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शहडोल 24 जुलाई 2009. अनुसूचित जनजाति वर्ग में अत्यन्त पिछड़े बैगा जनजाति समुदाय के निर्धन और एक मामूली- से किसान धनीराम ने जब 2008 में शहडोल जिले के बुढ़ार जनपद के बिरूहली गांव में अपने परिवार की चार एकड़ जमीन पर मेडागास्कर विधि से धान की खेती करने का फैसला किया, तो उन्हें जरा भी एहसास नहीं था कि वे न केवल स्वयं  के लिए इस विधि से कई गुना अधिक उत्पादन लेने के रास्ते पर चल रहे हैं, बल्कि अन्य गांवों के तमाम किसानों के लिए भी ऐसी विधि की राह खोल रहे हैं और उनके लिए अधिक आमदनी की व्यवस्था कर रहे हैं ।

       इसके पहले जब सत्ताइस वर्षीय धनीराम अपने परिवार के साथ परम्परागत तरीके से छिटुआ विधि से धान, अरहर और उड़द की फसल लेते थे, तो उन्होंने इसी विधि से कृषि जगत में अपना भविष्य बनाने की कल्पना की थी । उनके परिवार के पास नौ एकड़ चौवीस डिसमिल जमीन थी । परम्परागत तरीके से बोवाई करने से वे कम मात्रा में ही धान ले पाते थे, जो ले देकर किसी तरह उनके परिवार के सालभर के खाने के उपयोग मे आ पाता था । लेकिन एक कृषि अधिकारी के कम बीज, कम पानी और कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली मेडागास्कर यानि श्री विधि के प्रति जगाए अनुराग ने उनकी कैरियर संबंधी योजना को पलट दिया । कम उत्पादन देने वाली कृषि की परम्परागत विधि अपनाए रखने की जिन्दगी से उकताकर धनीराम ने 2008 में परम्परागत तरीका छोड़ दिया और उन्नत तकनीक की मेडागास्कर विधि से धान उत्पादन में कूद पड़े ।

उन्नत तकनीक से भरपूर उत्पादन और अधिक आमदनी के आकर्षण ने चार एकड़ के अपने पारिवारिक खेत में मेडागास्कर विधि से धान लगाने का उनका इरादा पुख्ता ही किया । कृषि विभाग ने उनके खेत के एक भूखण्ड पर इस विधि का प्रादर्शन डलवाया तथा अन्नपूर्णा योजना के तहत धान की हाई ब्रीड का डी.आर.एच.-775 नामक 12 किलोग्राम बीज उपलब्ध कराया । विभाग ने उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन, कीटनाशक और खाद भी उपलब्ध कराया । मेडागास्कर तकनीक का इस्तेमाल करने से पहली बार में ही धनीराम ने 105 क्विंटल धान का उत्पादन लिया और उन्होंने एक लाख रूपये कमाए ।

इससे पहले उनका परिवार सालभर में घर में खाने लायक अन्न ही उगा पाता था । धनीराम को इस विधि में प्रबल संभावनाएं दिखीं । इस विध ने उनकी तकदीर बदल दी । उन्होंने उक्त राशि से खेत को ठीक कराया और खेत में ही एक मकान बना लिया । उन्होंने मोटर साइकिल खरीदने के लिए इसी राशि से धन मिलाया । आज गांव में उनका तेजी से फैलता मेडागास्कर का आधार उन्हें आशावादी बनाता है ।

उन्नत तकनीक से अचानक कई गुना अधिक उत्पादन लेने की खबर धीरे-धीरे बढ़ी और आसपास के कई गांवों में इस विधि के अपनाने से धान जगत में उफान आने के बाद धनीराम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा । सरकार ने इस विधि को और बढ़ावा दिया । उत्पादन को बढ़ाने के लिए धनीराम ने इस साल आठ एकड़ में मेडागास्कर विधि से धान की रोपाई की है ।

अपनी इस उपलब्धि पर धनीराम उत्साह से भरे हुए हैं । धनीराम कहते हैं, '' य हमरे खातिर बहुत बड़ी  खुशी  केर बात आइ जउने क हम बताय नहीं सकी , एक वहउ दिन रहा, जब हम छिटुआ धान बोबत रहेन जउने मा सालभर के खातिर खाइ का अन्न पैदा नहीं कई पावत रहेन  '' । कृषि विभाग ने मेडागास्कर विधि को धनीराम के साथ-साथ कई अन्य किसानों के खेतों में भी आजमाया और वे सफलता की राह पर चल पड़े । वे इससे बेहतर किसी और तकनीक के बारे में नहीं सोच सकते । दिनोंदिन लोकप्रियता के शिखर को छू रही मेडागास्कर विधि के बारे में उप संचालक कृषि श्री के. एस. टेकाम कहते हैं, '' पारंपरिक धान की अपेक्षा मेडागास्कर पध्दति से धान की उपज में पचास से तीन सौ प्रतिशत तक अधिक उत्पादन लिया जा सकता है । ''

 

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