बुधवार, 30 मई 2007

बिजली कम्पनी के बाद अब बी.एस.एन.एल. भी त्रस्त हुआ नगरपालिका से

बिजली कम्पनी के बाद अब बी.एस.एन.एल. भी त्रस्त हुआ नगरपालिका से

शहर की बिजली डम्प होने के बाद शहर के 600 से अधिक टेलीफोन ठप्प

सारी दुनिया से सम्पर्क कट गया आधे शहर का, इण्टरनेट सेवायें बन्द हुयीं

नरेन्द्र सिंह तोमर 'आनन्द'

मुरैना 30 मई 2007 ! अब इसे किस्मत की मार कहा जाये या प्रशासनिक चाल फरेबी, जहाँ चम्बल अंचल का जिला अन्धाधुन्ध अघोषित धुआंधार रात और दिन की बिजली कटौती से त्रस्त और परेशान है वहीं जिस आधे शहर की बिजली नहीं जाती थी उस पर कुदरत का या कहिये कि नगरपालिका का कहर मुसीबत बन कर टूट पड़ा और चकाचक बिजली से मजे मार रहे आधे वी.आई.पी बनाम बीजेपी मोहल्लों में भी नगरपालिका की धींगामस्ती और लापरवाही के चलते ब्लैक आउट पूरे तीन दिनों के लिये छा गया !

हुआ यूं कि मुरैना की नगर पालिका भ्रष्टाचार और गैर प्लानिंग व गैर तकनीकी कुशलता व विशेषज्ञ हीनता के चलते रोजाना ही शहर की सड़के खुदवाती रहती है ! गोया आलम ये है कि शहर की कोई गली या मोहल्ला ऐसा नहीं मिलेगा जिसमें साल में सत्रह बार सड़के न खुदीं हों ! और तो और मुरैना शहर की मुख्य सड़क जिसे एम.एस. रोड कहकर पुकारा जाता है , और रिकाण्डों द्वारा एक समय भारी भरकम रकम लेकर इसे बनाया साल भर खुदती रहने से इसकी ऐसी दुर्दशा हुयी है कि यह अब सड़क नहीं किसी गांव की तीस साल पहले वाली गली नजर आती है ! यह वही सड़क है जो राष्टीय राजमार्ग क्रमांक 3 को क्रास करती है, अंग्रेजी हुकूमत द्वारा निर्मित यह ऐतिहासिक सड़क का आलम ए दुर्दशा यह हो चुकी है कि इसे चम्बल के सीने का बदनुमा धब्बा कहें तो बेहतर है !

इस सड़क के भी कभी सुनहरे दिन थे, अरविन्द जोशी से लेकर राधेश्याम जुलानियां तक कई कलेक्टरों का इस सड़क से गहरा नाता बना रहा है, और यही सड़क उन्हें मशहूरियत दिलाकर नामवर बना गई और आज हालत कुछ ऐसी है कि साल भर रोजाना इसकी खुदाई कहीं न कहीं चलती रहती है !

नगरपालिका के पास कुशल तकनीकी विशेषज्ञ नहीं हैं और नकलची तथा दिमाग से पैदल तथाकथित विशेषज्ञों की फौज भरी पड़ी है यह तो सर्वज्ञात और सामान्य बात थी, चाहे इसकी वजह जुगाड़ लगाकर पैसा देकर या राजनीतिक या प्रशासनिक गुन्ताड़े लगा कर अपात्रों द्वारा नौकरी हथियाना रहा हो चाहे सोर्स सिप्‍पे के कारण अपात्रों को भर्ती करना हो ! यह तो तय है कि शहर का हुलिया चौपट हो चुका है !

नगरपालिका पिछले तीस साल से शहर का सौन्दर्यीकरण कार्यक्रम चला रही है ! शहर का सौन्दर्यीकरण तो खैर न होना था न हुआ और न हो सकेगा ! हाँ सौन्दर्यीकरण के नाम पर शहर को उजाड़ कर वीरान और बेतरतीब जरूर कर दिया ! दरअसल कोई स्थायी प्लानिंग न होने और कुशलता व विशेषज्ञता के अभाव वश जहाँ हर साल एक नई प्लानिंग नगरपालिका लागू करती है, फिर पुरानी को मिटा कर फिर एक नई रीति से शहर की दोबारा तोड़ फोड़ शुरू कर दी जाती है !

पिछले 20 साल में हुयी शहर की तोड़ फोड़ और खुदाई का आकलन किया जाये तो शहर जहाँ आर्थिक तौर पर नुकसान उठा कर करोड़ों रूपयों का खामियाजा उठा चुका है वहीं शहर का दिहाड़ी व्यवसाय लगभग समाप्तप्राय हो चुका है वहीं व्यापारी और रहवासी भी करोड़ों का व्यक्तिगत नुकसान अलग से झेल चुके हैं !

जहाँ शहर के निर्माण कार्य रोज बनाओ रोज मिटाओ की नीति के तहत चलकर भ्रष्टों के लिये कामधेनु बन गये हैं वहीं मरम्मत और तथाकथित सौन्दर्यीकरण बनाम उजाड़ीकरण का धन्धा भी भ्रष्टाचार में आकण्ठ लिप्त नगरपालिका के लिये दोनों हाथ दुहने जैसा बन गया है !

मैंने कई प्रशासनिक और नगरपालिका अधिकारीयों के कामकाज को गहराई से अध्ययन किया, मुझे लगता है कि शहर की बर्बादी और भ्रष्टों के पालन का स्त्रोत बनकर मात्र मुरैना नगरपालिका रह गयी है !

मजे की बात यह है कि जहाँ सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 के तहत सम्पूर्ण अभिलेख अब तक नगरपालिका का इण्टरनेट पर आ जाना चाहिये था वहाँ अभी तक नगरपालिका की 17 बिन्दुओं के तहत भी जानकारी अभी तक इण्टरनेट पर उपलब्ध नहीं हैं ! यदि कोई सूचना का अधिकार के तहत नगरपालिका से जानकारी मांगे तो जिस प्रकार के उल्टे सीधे पत्र आपको मिलेंगे आपका सिर चकरा कर रह जायेगा मसलन 'आपके द्वारा चाही जानकारी अधिक होने से आपको नहीं दी जा सकती' या 'आपके द्वारा चाही जानकारी इस कार्यालय में उपलब्ध नहीं है अत: आपको नहीं दी जा सकती' मेरे पास कुछ मजेदार ऐसे उत्तर रखे हैं, जो कानून का पायजामा बना कर नगरपालिका ने दिये हैं ! गोया कुल मिला कर कानून क्या है नियम क्या है यह सब नगरपालिका से परे की बातें हैं !

अब और एक नया तमाशा भी सुनिये - आपको यह जानकर हैरत होगी कि नगरपालिका मुरैना में फोन नहीं है, यानि आप टेलीफोन से अपनी शिकायत नगरपालिका में आमद कराना चाहें तो वहाँ न फोन है, न ई मेल और न फैक्स ! गोया झक मार कर सी.एम.ओ. के मोबाइल पर फोन लगाओ, उसके नम्बर पर फोन लगाओ तो आपका नम्बर नया हुआ तो वह उठायेगा ही नहीं !

शहर में नगरपालिका के लिये क्या शिकायत समाधान की क्या प्रणाली है, इसकी पड़ताल जब हमने की तो ये सब राजफाश हुये ! आज जहाँ जमाना नये युग में प्रवेश कर रहा है और सूचना प्रौद्योगिकी के क्रान्तिजगत में समाविष्ट हो रहा है वहाँ मुरैना की नगरपालिका आज भी बैलगाड़ी की सवारी कर रही है ! गोया सीधे दिये जाने वाले लिखित आवेदनों की हालत ये है कि मैंने उन पर कभी कोई कार्यवाही होते नहीं देखी, मेरे पास कई आवेदनों की पावतीयां मौजूद है जिन पर कभी नगरपालिका न कोई कार्यवाही नहीं की !

अभी एक तथाकथित सीवर लाइन के निर्माण के लिये शहर के नाला नंबर दो और यत्र तत्र सर्वत्र खुदायी चल रही है, अब यह खुदायी कैसी है, पहले बिजली के खम्बे मय टान्सफार्मरों के नाले में गिर कर डूब गये फिर खम्बे गिरे बिजली गुल हुयी, ब्लैकआउट हुआ उसके बाद भारत संचार निगम लिमिटेड की टेलीफोन लाइन्स केबलें थोक के भाव काट दीं ! अंजाम ये हुआ कि उधर शहर की बिजली गुल इधर संचार सम्पर्क समाप्त, लो बेटा करो क्या करोगे ! इण्टरनेट, टेलीनेट,मीडिया, बिजली सब बन्द ! जै राम जी की ! जय हो प्रभु ! गोया मुरैना शहर में नहीं किसी जंगल में आ बसे हों ! ऐसा दुर्लभ नजारा बीच शहर का देखना चाहते हैं , तो प्यारे आ जाओ मुरैना ! इससे बढ़िया होली डे प्लेस या पिकनिक स्पॉट पूरे हिन्दुस्तान में कहीं नहीं मिलेगा ! गोया हमने अपने शहर का सौन्दर्यीकरण कुछ ऐसा किया है कि सत्रहवीं और अठारहवीं सदी के जंगली गांव में इसे बदल दिया है ! अब जब सारी दुनियां सूचना क्रान्ति के क्षेत्र में घुस रही है तो आने वाली पीढ़ी इतिहास को न भूले सो हमने बतौर ए म्यूजियम मुरैना का विकास उल्ट कर पिछली सदियों की ओर मोड़ दिया है !

भईया जब आगे बढ़ जाओ और पुराने जमाने की झलक देखना हो तो जाना मुरैना ! इस सदियो पुराने शहर को हम रोजाना फुट और मीटरों पीछे धकेल कर संरक्षित करते जा रहे हैं !

हम आपको शहर में जंगल की सैर करायेंगें, जहाँ विकट बड़े बड़े मच्छर भी मिलेंगें, जंगल का घनघोर घुप्प अन्धकार भी और जानवरों जैसे ना समझने वाले और ना सुनने वाले स्वेच्छाचारी अफसर भी हमारे इस अजायबघर में मिलेंगे !

गीदड़ भभकी देकर गुर्राने वाले अफसरों के चमचे भी हम दिखायेंगें और अठारहवीं सदी की रिश्वतखोरी भी सरे आम चौराहों पर दिखायेंगे ! हम आपको यहाँ जंगल में व्याप्त गली गी गंदगी भी दिखा देंगे और सड़कों से बहकर घरों में घुसता नाले का सीवर भी दिखायेंगे ! छोटे छोटे प्रमाणपत्रों और आवेदन के लिये मशक्कत करते गरीब बेरोजगारों और लाचारों की फौज के साथ कर्मचारीयों को रिश्वत अधिकारपूर्वक मांगते 'धर जा या मर जा' तर्ज पर वसूलते दिखायेंगे ! आ जाओ प्यारे गर्मीयों की छुटिटयों का आनन्द जरा भारत के इस टूरिस्ट प्लेस में भी ले जाओ!                            

 

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