बुधवार, 14 मई 2008

गांव- गांव में बह रही है 1857 क्रांति यात्रा की लहर

गांव- गांव में बह रही है 1857 क्रांति यात्रा की लहर

मुरैना 13 मई 08/ म.प्र. के संस्कृति विभाग द्वारा  जन अभियान परिषद के सहयोग से पूरे प्रदेश में गांव- गांवमें 1857 की क्रांति यात्राओं एवं नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जा रहा है और इनके माध्यम से रोटी और कमल की कहानी वयां की जा रही है ।

       जिला समन्वयक श्री नवनीत रत्नाकर के अनुसार जिले में रोटी और कमल की कहानी का संदेश पहुचाने के लिए 10 मई से 9 जून तक यात्राओं एवं नुक्कड नाटकों का आयोजन किया जा रहा है । इन यात्राओं एवं नुक्कड़ नाटकों का संचालन स्वयेवी संस्थाओं के माध्यम से किया जा रहा है । लोगों में राष्ट्रीय भावना को जाग्रत करना इन कार्यक्रमों का उद्देश्य है ।

       10 मई को जिले में यात्रा का शंखनाद शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की जन्मस्थली बरबाई से किया गया कला जत्था द्वारा 1857 के स्वंतत्रता संघर्ष पर एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया । उक्त यात्रा व नुक्कड़ नाटक में देश भक्त ग्राम वासियों का जन सैलाब उमड़ा । आसपास के कई ग्राम वासियों ने इस यात्रा को नमन किया ।

       रोटी और कमल की यह क्रांति यात्रा एक ग्राम पंचायत से प्रारंभ होती है । जिसमें सरपंच, सचिव व अन्य ग्रामीण जनों द्वारा यात्रा के प्रतीक चिन्ह झण्डा, रोटी और कमल का फूल हाथ में लिया जाता है, फिर सभी लोग वन्दे मातरम व अन्य देश भक्ति नारे लगाते हुए पैदल पास की ग्राम पंचायत में जाते है तथा वहां इन प्रतीक चिन्हों को उस ग्राम के सरपंच को सौपते है तथा फिर इस गांव से वापस पहले वाले गांव में आते है और यहां भी प्रतीक चिन्ह इस गॉव के सरपंच को सौपते हैं। ग्राम बरबाई से प्रारंभ होकर यह क्रांति यात्रा करीब 50 ग्रामों में निकल चुकी है तथा नुक्कड नाटक भी करीब 10 स्थानों पर सम्पन्न हो चुके हैं ।

 

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