शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

पहल का आदर्श बगीचा बना कृषक की पहचान =एक सफलता की कहानी (दैनिक मध्‍यराज्‍य)

पहल का आदर्श बगीचा बना कृषक की पहचान =एक सफलता की कहानी=

मुरैना 6 अगस्‍त्‍ा 09 (दैनिक मध्‍यराज्‍य) ग्राम मि­त्र संस्थान म.प्र. एवं स्वयं सेवी संगठन है जो कि स्वयं कृषि आन्दोलनकारी भावना रखने  वाली टीम द्वारा संचालित है।

संस्थान द्वारा 2004-05 से पहले ( ParticipatoryAgricultural g Horticural Activitiy for livelihood) गतिविधि संचालित की जा रही है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रतिवर्ष कृषकों को कई आजीविका अर्जन करने वाली गतिविधियों का संचालन किया रहा है। इसी कड़ी में 2004-05 में चयनित कृषकों को समन्वित उद्यानिकी कार्यक्रम के तहत आदर्श उद्यान लगवाये गये जिनमें एक उद्यान हड़वासी ग्राम के राकेश के यहां लगावाया गया जिसमें सागौन की बाउण्ड्री तथा अन्तवर्ती फसल में 50 अनार,25 आंवला, 25  अमरूद, 5 कटहल, मौसमी अमरूद फल देने लगे है जिसमें कृ षक 40-50 हजार रूपये प्रति वर्ष आय लेने लगा है। जिसमें अनाार की फसल वर्तमान में बम्पर आ रही हैं। जिसमें कृषक लाभ ले रहा है।

अनार का आकार चम्बल संभाग के इतिहास में सबसे बड़ा है औसतन अनार 500 ग्राम से 750 ग्राम तक के है।  कृषिक ने बताया कि उसका और भी लाभ प्राप्त कर सकता है। क्यों कि बरसात व अन्य करणों से फसलों में कुछ रोग लगे हैं। जिससे किसान चिंतित था। उक्त समस्या के निराकरण हेतु संस्थान के समन्वयक श्री वीरेन्द्र वर्मा के द्वारा तकनीकी विशेषज्ञ दल कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डा. वाय.पी.सिंह उद्याान विभाग के सहायक संचालक श्री परते व भदौरियास तथा नाबार्ड के व्हाई.एन. मवाल ने कृषक की समस्याओं के निराकरण के लिये कृ षक के खेत पर ले गये जहां पर विशेषज्ञ दल ने कृषक को प्राथमिक उपचार की जानकारी दी। तथा अन्य समस्याओं के कारण निराकण हेतु फलों के सैम्पल कृषि विज्ञान केन्द्र की अनुसंधान शाखा में परीक्षण हेतु ले गये कृषि विज्ञान केन्द्र के डा. वाय.पी सिंह ने कृषक को समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया।

कृषक ने बताया कि उसने अपने स्वयं पंजी से कई संसाधनों में विेश किया है किन्तु व इस योजना का विस्तार करना चाहता है। तथा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन व मधुमक्खी पालन से शहद से उत्पादन की इकाइयां प्रारम्भ करना चाहता है। जिसके लिये उसके पास पर्याप्त निवेश पँजी का अभाव है जिस पर उद्यान विभाग के सहायक संचालक श्री परते व भदौरिया ने कृषक को अपना प्रस्ताव  विभाग के पास भिजवाने के लिये कहा तथा नाबार्ड के ए.जी.एम.श्री मवाल जी ने प्रस्ताव को बैंक से स्वीकृति हेतु आश्वासन दिया।

कृषक राकेश ने कहा कि मेरी अन्य कृषक भी आदर्श उद्यान विकास करके लाभ ले सकते है क्यों कि मेरे उद्यान का यह चौथा वर्ष है जिसमें मैं 40-50 हजार रूपये तक की वार्षिक आय प्राप्त की है। अभी मेरे अन्य फसलों में आना शेष है जब फल आने लगे गे तब एक  लाख रूपये से अधिक प्राप्त होने की आशा है। ग्राम मित्र संस्थान  के कार्यक्रम पहल के परियोजना समन्यवक श्री वीरेन्द्र वर्मा ने कहा कि अगर शासन प्रशासन व अन्य शासकीय अशासकीय संस्थायें इस तरह की योजनाओं मे ंसकारात्मक सहयोग प्रदान करती हैं तो ग्वालियर चम्बल संभाग  में आधुनिक कृषि के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की जा सकती है। जो कि ग्वालियर चम्बल संभाग की सरसों की मूल पहचान के साथ मालवांचल की तरह कृषि व उद्यानिकी के क्षेत्र में सकारात्मक ख्याति उपलब्ध कराई जा सकती है।

 

 

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