शनिवार, 8 अगस्त 2009

देश तोड़ने की कोशिश में लगे दक्षिणपंथी विचारधारा के यह लोग

देश तोड़ने की कोशिश में लगे दक्षिणपंथी विचारधारा के यह लोग

निर्मल रानी, 163011, महावीर नगर,  अम्बाला शहर,हरियाणा email: nirmalrani@gmail.com nirmalrani2000@yahoo.co.in nirmalrani2003@yahoo.com  फोन-98962-93341 

 

       भारत का प्रत्येक नागरिक अपने भारतीय होने पर गौरवान्वित महसूस करता है। निश्चित रूप से प्रत्येक देश का नागरिक अपने देश पर तथा अपने देश का वासी होने पर शायद उतना ही गर्व करता होगा जितना कि कोई भारतीय नागरिक करता है। परन्तु नि:सन्देह हमारे देश की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो हमें अन्य देशों से कुछ न कुछ अलग रखती हैं। उदाहरण के तौर पर दुनिया के किसी भी देश के बारे में हम आसानी से यह कह सकते हैं कि अमुक देश ईसाई देश है या मुस्लिम देश है अथवा बौद्ध बाहुल्य राष्ट्र है। परन्तु भारत सर्वधर्म सम्भाव की नीतियों पर चलने वाला एक ऐसा अनूठा देश है जिसकी दुनिया में पहचान ही अनेकता में एकता को लेकर है। भाषा के लिहांज से भी यदि देखा जाए तो जितनी भाषाएं हमारे देश में प्रचलित हैं, उतनी शायद अन्य किसी देश में नहीं। कहने का तात्पर्य यह है कि दुनिया में हमारे देश की छवि एक उदारवादी, वसुधैव कुटुम्बकम का परचम बुलंद करने वाले तथा अनेकता में एकता का प्रदर्शन करने वाले एक महान राष्ट्र के रूप में है, न कि किसी दक्षिणपंथी विचारधारा का अनुसरण करने वाले राष्ट्र के रूप में। हमारी इसी एकता ने हमें आज उस स्थान तक पहुंचा दिया है कि आज दुनिया के बड़े से बड़े देश हमें अपने बराबर का महत्व देने लगे हैं। शायद इंकबाल ने इसी सोच से प्रेरित होकर लिखा था कि- 'कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा॥' परन्तु दुर्भाग्यवश इसी देश के कुछ समाज विभाजक तत्व जोकि अपने चेहरों पर कभी खांटी हिन्दुत्व का चेहरा लगाए नंजर आते हैं तो कभी राष्ट्रवाद का ढोंग करते दिखाई देते हैं। कभी यह शक्तियां धार्मिक उन्माद फैलाने जैसी योजनाओं में संलिप्त दिखाई देते हैं तो कभी जातिवादी तनाव फैलाने में इन्हें सक्रिय देखा जा सकता है। इन्हें देखकर तथा इनकी राष्ट्रविरोधी व समाज विभाजक कारगुंजारियों को देखकर तो ऐसा लगने लगता है जैसे कि देश को इनके रहते हुए किसी दुश्मन की जरूरत ही नहीं है। विडंबना तो यह है कि समाज विभाजक व राष्ट्रविरोधी यह शक्तियां बिंदास तरींके से अपने ंजहरीले मिशन को आगे बढ़ाती जा रही हैं और हमारी सरकारें हैं कि आंखें मूंदकर यह सब कुछ देखती व सहन करती जा रही हैं। परिणामस्वरूप इन समाज व राष्ट्रविरोधी शक्तियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं तथा दिन-प्रतिदिन यह दक्षिणपंथी तांकतें और मंजबूत होती जा रही हैं। दक्षिणपंथी विचारधारा के परवान चढ़ने की अधिकांश ंखबरें दुर्भाग्यवश उन्हीं राज्यों से आ रही हैं, जहां इसी विचारधारा के लोग सत्ता पर काबिंज हो चुके हैं।

              उदाहरण के तौर पर गत् दिनों रक्षाबंधन के दिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के समीप एक प्रसिद्ध एवं प्राचीन हनोल मंदिर में राखी पूजा करने गई एक दलित महिला को वहां के पुजारियों ने खूब पीटा तथा उसे निर्वस्त्र कर दिया। उस अबोध दलित युवती का कुसूर केवल इतना था कि वह दलित समुदाय के लिए निर्धारित सीमा का उल्लंघन कर धक्का मुक्की की वजह से उस क्षेत्र में दो कदम आगे बढ़ गई थी जोकि तथाकथित उच्च जाति के लोगों के लिए निर्धारित था। देहरादून के कलसी राजस्व पुलिस चौकी में इस सिलसिले में मामला दर्ज कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की कोशिश की जा रही है। जबकि पूरे क्षेत्र में इस घटना को लेकर तनाव फैलने का समाचार है। ंजरा सोचिए कि श्रद्धा और विश्वास से भरी एक युवती जो राखी पूजा के लिए मंदिर जाती है तथा अपने को उच्च जाति का समझने वाला कोई पाखंडी पुजारी उसे मारता-पीटता तथा निर्वस्त्र कर देता है, इस घटना से   आपको कहीं वसुधैव कुटुम्बकम या सर्वधर्म सम्भाव जैसी कोई बात नंजर आती है जो हमें यह संदेश दे सके कि यही हमारे राष्ट्र की विशेषता है? या फिर इस प्रकार की हरकतें करने वाले अपनी संकुचित, तुच्छ एवं घटिया सोच का प्रदर्शन कर अपने आप को समाज विभाजक तत्वों के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। देश के किसी न किसी कोने से लगभग प्रतिदिन ऐसे हादसों की ंखबरें आती ही रहती हैं जिनसे हमें इन दक्षिणपंथी सोच रखने वालों के घटिया कारनामों का पता चलता रहता है।

              इन दिनों कर्नाटक में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को बदनाम करने का ठेका श्री राम सेना नामक एक संगठन ने ले रखा है। कहा जाता है कि तोड़-फोड़, दंगा-ंफसाद, हंगामा आदि करने में सबसे आगे रहने वाले इस संगठन को सत्तारूढ़ भाजपा सरकार का संरक्षण प्राप्त है। पिछले दिनों इस कथित रामसेना के लोगों ने कर्नाटक में एक ऐसी ंजलालत भरी हरकत की जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। हुआ यह कि एक हिन्दू परिवार ने अपनी शादी का प्रबंध एक होटल में किया। इस विवाह समारोह में इस परिवार ने अपने घनिष्ठ केवल चौदह लोगों को आमंत्रित किया जिसमें उनके परिवार से घनिष्ठ संबंध रखने वाला एक मुस्लिम युवक भी शामिल था। इस विवाह समारोह की भनक जब राम सेना के लोगों को लगी तो उन्होंने समारोह स्थल पर जाकर मुस्लिम युवक के विवाह समारोह में शामिल होने पर आपत्ति जताई। परिणामस्वरूप विवाह आयोजकों ने आपत्ति की, इसके बाद अपने को राम सेना का सदस्य बताने वाले लोगों ने उस मुस्लिम युवक की जमकर पिटाई की। इतना ही नहीं बल्कि विवाह में भाग ले रहे जिन लोगों ने उसे बचाने की कोशिश की, उसे भी ंखूब पीटा।

              यह हाल है उस देश के कट्टरपंथी तथाकथित ढोंगी राष्ट्रभक्तों का जिस देश में दिल्ली में बने विशालकाय अक्षरधाम मन्दिर का उद्धाटन भारत रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के कर कमलों द्वारा किया जाता है। न जाने उस समय इस विचारधारा के लोगा कौन से बिलों में घुस जाते हैं जब देश के अधिकांश भारतीय डॉ कलाम जैसे मुसलमानों पर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि हैदर अली व टीपू सुल्तान की जन्म व कर्मभूमि पर ऐसी समाज विभाजक शक्तियां केवल नाम, धन व सम्पत्ति कमाने के चक्कर में अपना विषैला फन फैला रही हैं। ऐसी बातें आम लोगों की चिंता में उस समय और इंजांफा कर देती हैं जबकि ऐसी ंखबर आती है कि इन समाज विरोधी तांकतों को राज्य सरकार का भी संरक्षण व समर्थन हासिल है।

              यही वे तांकतें हैं जो धर्म के नाम पर लोगों को मकान देने से मना करती हैं। इन्हीं शक्तियों द्वारा गुजरात में 'प्रयोगशाला' बनाकर अपने तरींके के राष्ट्रनिर्माण की कोशिशें की जा रही हैं। यही वह शक्तियां हैं जो भारतवासियों को कहीं धर्म के नाम पर बांट रही हैं तो कहीं जाति के नाम पर दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करती हैं। यही वे तांकतें हैं जो धर्म व जाति के नाम पर अलग कॉलोनियां बसाने का प्रयास कर रही हैं। यही वह तांकतें हैं जो अर्न्तधार्मिक व अर्न्तजातीय विवाहों का विरोध करती हैं। आधुनिकीकरण तथा उदारवाद जैसी सोच तो शायद इनके पास भी नहीं भटकती। कट्टरपंथी एवं रूढ़ीवादी सोच रखने वाले यह लोग वेशभूषा तथा बोलचाल में भले ही स्वयं को राष्ट्रभक्त या राष्ट्रप्रेमी बताने की कोशिश करें पर हंकींकत तो यह है कि यह शक्तियां केवल भारतीय समाज, राष्ट्रीय एकता की ही दुश्मन नहीं बल्कि यह पूरी मानवता की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। ंजरूरत है ऐसी सोच की जड़ों पर प्रहार करने की तथा ऐसे मिशन में लगे सभी संस्थानों व उपक्रमों को बंद करने की जहां नंफरत, विभाजन, द्वेष, हिंसा तथा दो दिलों को तोड़ने का पाठ पढ़ाया जाता हो। यदि समय रहते इन विचारों को सींचने वाले मिशन नेस्तनाबूद नहीं किए गए तो हमारे देश को तबाह करने के लिए राष्ट्रभक्ति के बाने में लिपटे दिखाई देने वाले यही भीतरी दुश्मन ही कांफी होंगे।

                                                                                      निर्मल रानी

 

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