शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

पत्र मिला हमको (दैनिक मध्‍यराज्‍य)

पत्र मिला हमको

सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ।

प्रति उत्तर में लिख न सके हम, धन्यवाद उनको॥

 

नील गगन में पंछी सा मन, उड़ा उजाले में ।

सभी दूरियाँ सिमट गईं, ऑंखों के प्याले में ॥

चित्रांकित से स्वप्न, नयन की पुतली में डोले ।

कागज के कोरे हिस्से ने, कई भेद खोले ॥

षब्द पुश्प की माला का, उपहार मिला मन को ।

सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥

 

 

कलम कला ने कागज पर, संगम साकार गढ़ा ।

गुम्फित षब्दों की भाशा में, मृदु अभिसार जड़ा ॥

लिख न सकी जो कलम, इसलिये छोड़ दिया कोना।

इन्द्र धनुश सी छटा दिखाकर, मार गया टोना॥

कुंचित केषी षब्दाकृति से, वार दिया तन को ।

सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥

 

 

अक्षर के खाली कोटर से, झांक उठा मुखड़ा ।

पलकों की कोरों में सिमटा, नीर कहीं उमड़ा॥

षब्दों से षब्दों की  दूरी, लगती व्याकुल है ।

सागर में खोने को जैसे, नदिया व्याकुल है॥

केवल हमको छोड़, सलौना प्यार लिखा सबको।

सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥

लिखा पते में नाम साथ में, केवल उन्हें मिले।

लिखा पते में नाम साथ में, केवल उन्हें मिले।

लिखा पते में नाम साथ में, केवल उन्हें मिले ।

जितनी बार पढ़ा, चितवन में नवल प्रसून खिले॥

मदिराचल ने मथ डाला, फिर से मन सागर क।

बरसाने की सुध लौटी ज्यों, फिर नटनागर ॥

पूर्ण विराम लगाकर बाकी, छोड़ दिया कब को।

सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥

ब्रजमोहन कुषवाह

गायत्री कालोनी मुरैना

 

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