पत्र मिला हमको
सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ।
प्रति उत्तर में लिख न सके हम, धन्यवाद उनको॥
नील गगन में पंछी सा मन, उड़ा उजाले में ।
सभी दूरियाँ सिमट गईं, ऑंखों के प्याले में ॥
चित्रांकित से स्वप्न, नयन की पुतली में डोले ।
कागज के कोरे हिस्से ने, कई भेद खोले ॥
षब्द पुश्प की माला का, उपहार मिला मन को ।
सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥
कलम कला ने कागज पर, संगम साकार गढ़ा ।
गुम्फित षब्दों की भाशा में, मृदु अभिसार जड़ा ॥
लिख न सकी जो कलम, इसलिये छोड़ दिया कोना।
इन्द्र धनुश सी छटा दिखाकर, मार गया टोना॥
कुंचित केषी षब्दाकृति से, वार दिया तन को ।
सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥
अक्षर के खाली कोटर से, झांक उठा मुखड़ा ।
पलकों की कोरों में सिमटा, नीर कहीं उमड़ा॥
षब्दों से षब्दों की दूरी, लगती व्याकुल है ।
सागर में खोने को जैसे, नदिया व्याकुल है॥
केवल हमको छोड़, सलौना प्यार लिखा सबको।
सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥
लिखा पते में नाम साथ में, केवल उन्हें मिले।
लिखा पते में नाम साथ में, केवल उन्हें मिले।
लिखा पते में नाम साथ में, केवल उन्हें मिले ।
जितनी बार पढ़ा, चितवन में नवल प्रसून खिले॥
मदिराचल ने मथ डाला, फिर से मन सागर क।
बरसाने की सुध लौटी ज्यों, फिर नटनागर ॥
पूर्ण विराम लगाकर बाकी, छोड़ दिया कब को।
सारे जीवन में इकलौता, पत्र मिला हमको ॥
ब्रजमोहन कुषवाह
गायत्री कालोनी मुरैना
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