फेसबुक के तोमर राजवंश के पेज ने ग्वालियर
चम्बल की विधानसभाओं के उपचुनावों के लिये कुछ प्रत्याशीयों को समर्थन दिये
जाने की एक सूची अभी कुछ दिनों पहले प्रकाशित की थी , जिसमें मुरैना जिला
की दिमनी विधानसभा से अनार सिंह तोमर को तोमर राजवंश के फेसबुक पेज ने अपना
समर्थन दिया था ।
तोमर राजवंश की इस पोस्ट पर दिमनी के कांग्रेस प्रत्याशी रवीन्द्र सिंह
तोमर के कतिपय समर्थकों द्वारा कमेंट पोस्ट किये गये । जिसके जवाब में तोमर
राजवंश के फेसबुक पेज ने अपना जवाब देते हुये साफ किया है कि - इसलिये
समर्थन नहीं दिया रवीन्द्र सिंह तोमर को और इसलिये समर्थन दिया अनार सिंह
तोमर को , दिया गया जवाब निम्न प्रकार है -
स्थानीय और वरिष्ठ प्रभावशाली कांग्रेसी रहे हैं अनार सिंह तोमर ….
रवीन्द्र सिंह तोमर को ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में टिकिट देने के
लिये एक घंटे पहले कांग्रेस में लाये थे और एक घंटे बाद ही टिकिट दे दिया
था , रवीन्द्र सिंह तोमर ने मात्र चार छह लाख रूपये में कांग्रेस का टिकिट
उस समय सिंधिया से खरीदा था , उस समय जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय मुरैना
पर दिमनी विधानसभा के सभी पुराने काग्रेसियों ने प्रदर्शन किया था और
सिंधिया तथा रवीन्द्र सिंह तोमर ( उ प्र निवासी ठेकेदार ) के पुतले फूंके
गये , तथा देश का गद्दार , कांग्रेस का गद्दार सिंधिया …… और रवीन्द्र
विदेशी वापस जाओ के नारेबाजी हुई थी , और वरिष्ठ कांग्रेसियों ने इस्तीफे
दे दिये थे , जिसमें माफल का पुरा ( अम्बाह ) के वरिष्ठतम कांग्रेसी नेता
केशव सिंह तोमर ने भी इस्तीफा दे दिया था कांग्रेस से ….. बाद में केशव
सिंह तोमर मुरैना नगर निगम का चुनाव लड़े और पार्षद बन गये ।
रवीन्द्र सिंह तोमर बसपा का टिकट लेकर ( उ प्र के ठेकेदार थे ) उस समय उ
प्र के बसपा के मंत्री बादशाह सिंह से सेटिंग और रेट पेठ रखते थे , उस
जरिये बसपा का टिकिट लेकर दिमनी से बसपा के टिकिट पर चुनाव लड़े मगर
तोमरघार ने उन्हें ठुकरा दिया और वे चुनाव बुरी तरह से हार गये । सब जानते
हैं कि बसपा में टिकट बगैर पैसा दिये नहीं मिलता कभी ।
उसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गये और भाजपा के टिकिट के लिये जुगाड़
लगाते रहे और पैसे की दम पर टिकिट खरीदने की कोशिशें कीं , मगर भाजपा का
टिकिट नहीं मिला , उस समय हमारी बात भाजपा के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय
मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे से हुई और हमने पूछा कि तुम लोगों ने
रवीन्द्र तोमर को टिकिट क्यों नहीं दिया , उसमें क्या कमी थी , भाजपा की ओर
से साफ किया गया कि एक तो वह कहता जरूर है कि भिड़ोसा का खुद को लेकिन
उसका कुछ है नहीं भिड़ौसा में , उसके दादा परदादा के जमाने से ही वह
भिड़ोसा छोड़ कर यू पी में बस गये थे , पान सिंह तोमर से दुश्मनी थी इसलिये
गांव छोड़ कर भाग गये थे । तब से अब तक यू पी में ही बस रहे हैं । दूसरी
बात उसका चाल चलन उठक बैठक चरित्र ठीक नहीं है , भड़ियाई भी कराता है ,
तीसरी बात वह पैसे से टिकट लेना चाह रहा था , और पैसे को ही अपनी सबसे बड़ी
पावर समझता है । इसलिये उसे उसकी पावर समझा दी है और हम लोगों ने टिकट
नहीं दिया , बीजेपी के हिसाब से वह राजनीति के चौखटे में फिट नहीं बैठता ,
वह केवल चुनाव लड़ने के लिये नेता है , बाद बाकी जनता से या उसकी समस्याओं
से उसे कुछ लेना देना नहीं है । वह केवल चुनाव के टाइम ही दो महीने का नेता
बन जाता है , बाद बाकी चार साल दस महीने उसका कहीं अता पता नहीं रहता । ……
ये बातें उस समय ….. हमसे उनने कहीं । उसके बाद रवीन्द्र तोमर सिंधिया के
चरण शरण में तलवे चाटने पहुंच गये और चार छह लाख में कांग्रेस का टिकट ले
आये और फिर तोमरघार ने उन्हें जमीन सुंघा कर धूल चटा दी , केशव सिंह तोमर
पार्षद बन गये ।
अब पुराने और अपने जमीन के पैदायशी लोगों का ही सपोर्ट यहां से किया जायेगा
न कि किसी ऐसे आदमी का जो इस जमीन की उपज ही नहीं है और हर बात में हर
टिकट के लिये नोटों की गठरी लेकर टिकिट खरीदता घूमता है , चार साल दस महीने
जिसके अते पते लापते रहते हैं और चुनाव पर दारू रोटी बांटता फिरता है ।
साफ बात है , उपरोक्त कारणों से अनार सिंह तोमर को यहां से समर्थन दिया गया
है , और अनार सिंह तोमर को ही हमारा और अन्य सभी तोमरघार का समर्थन जारी
रहेगा ….. अन्य किसी को नहीं ….. रवीन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य
सिंधिया और राकेश मावई , भगवान सिंह तोमर ये सब सिंधिया के पुराने अंधे
साथी और विश्वसनीय चमचे हैं , इन लोगों को हमारा और तोमरघार का समर्थन न
अभी है और न कभी मिलेगा …. इन लोगों के माथे पर ही गद्दार लिखा है , अमिट
है , कभी ये दाग और कलंक मिटेगा नहीं ।
नाम निर्देशन पत्र प्राप्त करने की आज अंतिम तारीख आज 17 उम्मीदावरों ने नाम
निर्देशन पत्र दाखिल किये
-
संजय गुप्ता मांडिल, ब्यूरो मुरैना/
नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने के पांचवे दिन यानी 15 अक्टूबर को 17
उम्मीदवारों द्वारा अपनी नाम जद्दगी का पर्चा दाखिल क...
4 वर्ष पहले
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें