अम्बाह पोरसा आन्दोलन के शहीदों को असामाजिक तत्व माना सरकार ने
EDITORIAL BY: NARENDRA SINGH TOMAR "ANAND"
उफ शर्मनाक, म.प्र. की घृणित राजनीति का सबसे काला अध्याय
ग्वालियर । मुरैना जिला के विख्यात अम्बाह पोरसा काण्ड में हुये विकट जन विद्रोह और जन आक्रोश से हुये पुलिस व जनता के बीच चले लम्बे सशस्त्र संघर्ष और उसमें मारे गये लोगों के लिये सरकार ने जिन शब्दों का प्रयोग किया है, उससे मुरैना चम्बल की आम जनता न केवल असामाजिक तत्व घोषित हो गयी है बल्कि इस मामले की लीपापोती के लिये की जा रही सरकारी जॉंच मशक्कत की मंशा भी साफ कर दी है ।
कल म.प्र. सरकार की केबिनेट के मंत्रियों की बैठक में इस जन आन्दोलन और जन संघर्ष को ''पुलिस व असामाजिक तत्वों के बीच मुठभेड़'' कहा गया है और शहीद हुये लोगों को असामाजिक तत्व ।
स्मरणीय है कि, पुलिसिया गुण्डागर्दी के चलते एक बेगुनाह भारतीय सेना के नौजवान की पुलिस ने हत्या कर दी थी, जिस पर उपजे जन आक्रोश के चलते दूसरे दिन सबेरे जनता और पुलिस के बीच भारी जन संघर्ष हुआ जिसमें हजारों नागरिकों और पुलिस फोर्स के बीच, पुलिस द्वारा अन्धाधुन्ध फायरिंग की गयी जिसमें कई लोग मारे गये । यह लम्बा जन संघर्ष रात के लगभग 7 बजे तक निरन्तर चला और तभी थमा जब प्रशासन और पुलिस माफी मॉंग कर वहॉं से भाग निकला । कम से कम उस दिन की वीडियो फिल्म और दूसरे दिन के अखबार तो यही कहानी कहते हैं । वीडियो फिल्म में पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारी नागरिकों को मॉं बहिन की गालियॉं देते हुये ''मार डालो मादर... को'' '' हम साले पचास हजार को मारेंगे'' 'एक भी नहीं बचे, जो दिखे उसे देखते ही उड़ा दो' कहते हुये जैसे दृश्य स्वयं मैंने इस फिल्म में देखे हैं । दूसरे दिन के अख्सबारों ने तो सारी पोप लीला मय चित्रों के खोल ही दी थी ।
बाद में घबराई सरकार के मंत्रियों ने न केवल इस शर्मनाक काण्ड पर माफी मांगी बल्कि, मृतक शहीदों के परिवारों बहुत बड़ी राहत राशि भी आवंटित की थी, शहीदों के हत्यारों पुलिस कर्मीयों के खिलाफ हत्या के मामले दर्ज किये गये, शहीदों की स्मृति में चौक बनाने और प्रतिमायें लगवाने तथा शहीद स्तम्भ बनवाने की घोषणा की गयी, भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और तत्कालीन मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर शहीदों के परिजनों से मिलने गये और उन्हें सम्पूर्ण न्याय का पूरा आश्वासन दिया तथा हत्यारे पुलिस कर्मीयों को किसी कीमत पर न बख्शे जाने का वचन दिया ।
मामले की लीपापोती के लिये हत्या के मामले दर्ज किये जाने के बाद पहले इसे जॉंच में डाला गया फिर लम्बा खींचते खींचते, जनता की समझ से परे किया गया, फिर घटना से जुड़े गवाहों को धमकाने, आतंकित करने, खौफजदा और दहशतजदा करने का खेल खिला फिर गवाहों को लोभ लालच और ले देकर खरीदा बेचा गया, वगैरह वगैरह ।
और इतने बड़े काण्ड को कितनी आसानी से न केवल रफा दफा कर दिया गया बल्कि सीधे सपाट शब्दों में इसे ''पुलिस व असामाजिक तत्वों के बीच मुठभेड़'' कह कर सरकारी तौर पर प्रेस नोट भी जारी कर दिया । और अब इस काण्ड के ताबूत में आखिरी कील ठोक कर घृणित राजनीति का सबसे निकृष्ट नमूना पेश होने जा रहा है । उफ शर्मनाक , शर्म शर्म शर्म । आजादी के आन्दोलन के वक्त शायद अँग्रेजी पुलिस और अँग्रेजी हुकूमत भी शायद ऐसा तगड़ा इतिहास नहीं रच पायी होगी ।
भईया ये लीला मेरे गले तो नहीं उतरी, आपके गले उतर गयी हो तो बता देना । सरकार का प्रेस नोट नीचे प्रकाशित किया जा रहा है ।
मुरैना जिले के पोरसा में पुलिस और असामाजिक तत्वों के बीच हुई मुठभेड़
मंत्रि परिषद ने मुरैना जिले के पोरसा में पुलिस और असामाजिक तत्वों के बीच हुई मुठभेड़ की घटना की जॉच के लिए गठित आयोग के प्रतिवेदन पर कार्यवाही करने के लिए मंत्रि मंडलीय उप समिति गठित करने का निर्णय लिया।
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