रवी में 59 हजार हेक्टर में सिंचाई का ऐलान
मुरैना 5 अक्टूबर 2007// मुरैना जिले में रबी मौसम में पार्वती एक्वाडेक्ट पर पर्याप्त पानी की उपलब्धता होने पर चम्बल नहरों से 59 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जायेगी । यह निर्णय जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में सम्पन्न जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में लिया गया । इसके अनुसार जल संसाधन संभाग मुरैना में 18 हजार, जौरा में 16 हजार और सबलगढ़ में 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जायेगी । बैठक में कार्य पालन यंत्री जल संसाधन मुरैना, जौरा और सबलगढ़ संभाग, उप संचालक कृषक कल्याण तथा कृषि विकास प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।
कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने कहा कि पार्वती एक्वाडेक्ट से तीन हजार क्यूसेक पानी चम्बल नहरों में चलाने का आग्रह कमिश्नर कोटा से किया जा रहा है । विभागीय स्तर से भी इस दिशा में कार्रवाई की जायेगी। पार्वती एक्वाडेक्ट पर तीन हजार क्यूसेक पानी मिलने की स्थिति पर ऐलान अनुसार सिंचाई हेतु पानी दिया जायेगा । उन्होंने कहा कि अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन की यह जिम्मेदारी रहेगी कि नहरों का पानी अंतिम छोर तक के किसानों तक पहुंचे । उन्होंने कार्यपालन यंत्रियों को पहले से ही निरीक्षण कर नहरों के मरम्मत योग्य स्थलों को चिन्हित कर आवश्यक मरम्मत कार्य कराने की ताकीद की । उन्होंने नहरों में पानी चलते समय नियमित पैट्रोलिंग पर जोर दिया और इसके लिए दल बनाने के निर्देश दिए । उन्होंने बताया कि इन दलों के साथ कानून व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से नायब तहसीलदार और पुलिस अधिकारी भी तैनात रहेंगे।
उल्लेखित है कि राजस्थान के कोटा बैराज से निकली दांई मुख्य नहर(आर.एम.सी.) 124 कि.मी. राजस्थान के क्षेत्र में सिंचाई करती हुई पार्वती एक्वाडेक्ट से म.प्र. के श्योपुर जिले में प्रवेश करती है । पार्वती एक्वाडेक्ट से 169 कि.मी. चलकर यह नहर सुनहरा हेड पर दो भागों में बंट जाती है । निचली मुख्य नहर एल.एम.सी. 53 कि.मी. चलकर 36 कि.मी. लम्बी मुरैना शाखा नहर (एम.वी.सी.) सुनहरा हेड से 143 कि.मी. चलकर भिण्ड जिले की सीमा में प्रवेश करती है ।इसकी कुल लम्बाई 171 कि.मी. है । गत वर्ष इन नहरों में 65 हजार हेक्टेयर सिंचाई के ऐलान की तुलना में 45 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो सकी थी ।
जल संसाधन संभाग मुरैना का क्षेत्र टेल पोरसन में होने के कारण पीक डिमाण्ड के समय पानी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता संभव नहीं हो पाती है । इसलिए समिति द्वारा कृषकों को पलेवा और एक पानी की ही फसलें बोने की सलाह दी गई है ।
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