उत्कृष्ट विद्यालय में टयूशन को लिए किया जाता है छात्रों को प्रताड़ित - साइन्स ग्रुप व अंग्रेजी के टीचरों ने बनाया हुआ है अतिरिक्त कमाई का जरिया
1.गरीब छात्रों का होता है बुरी तरह आर्थिक शोषण
2. शासन से मोटी रकम वेतन के रूप में पाने के बाबजूद नहीं भरता है इनका पेट
3.टयूशन न लगाने वाले छात्रों क ो प्रजेन्ट सोर्ट करने की दी जाती है धमकी
3. प्रकिटकल मार्को को भी टयूशन के लिए दबाव का बनाया जाता है जरिया
4. क्लाश में ठीक से नही कराते अध्यापन
5. छात्रों के सहज सवालों पर खीजते है टयूशन खोर शिक्षक
मुरेना.9 जुलाई 09 (दैनिक मध्यराज्य) सरकार एक ओर जहा बालकों को शिक्षा प्रदान करने के लिये अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। जिससे से प्रदेश का हर बालक शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाये। इस उद्देश्य के चलते सरकार ने प्रत्येक जिले में एक उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना की है। ऐसा ही उत्कृष्ट विद्यालय मुरैना में भी संचालित है। उक्त विद्यालय के साइन्स ग्रुप व अंग्रेजी विषय के कतिपय शिक्षक सरकार की मंशा को पलिता लगाने का कार्य कर रहे है। इन शिक्षकों को लेकर छात्रों में विरोध के स्वर देखने को मिल रहे है। विद्यालय सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार विज्ञान व गणित समूह तथा अंग्रेजी विषय के कुछ शिक्षकों का व्यवहार विद्यालयीन छात्रों के प्रति असहनीय बताया गया है भीतरी सूत्रों से मिली जानकारी विज्ञान व गणित समूह तथा अंग्रेजी शिक्षकों में से अधिकांश शिक्षकों में से अपने घरो पर टयूशन पाइंट बना रखे है और अपने अधिकारों का दुरूउपयोग करते हुये इनके द्वारा छात्रों को टय्शन आने के लिये प्रताड़ित किया जा रहा है। उक्त शिक्षाकों में से कतिपय शिक्षक तो छात्रों को खुलेआम धमकारहे है। अंगर हमारे घर टयूशन नही आये तो प्रेक्टिकल परीक्षा में फेल कर दिये जाओगे।
वहीं कुछ टीचर जो कक्षा अध्यापक भी है उनके द्वारा छात्रों को कहा जा रहा है कि यदि टयूशन नही आये तो हाजरी सॉर्ट कर दी जायेगी। तुम परीक्षा में प्राइवेट हो जाओंगे।
गौर तलब है कि उक्त विवरण जो कहानी कह रहा है उसके अनुसार ऐसा लगता है कि सरकारी वेतन इन अध्यापकों के लिये कम पड़रहा है। अब इन्होंने छात्रो के जरिये पालकों की जेब ढीली करने का कार्य शुरू कर दिया है। अमीर छात्र तो उनकी मन मानी को स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन असली मुश्किल उन वेचारे गरीब छात्रों की है जिन्हें उनके माँ-बाप बड़ी मुश्किल से पढ़ाने का खर्च उठापते है। ऐसे में टयूशन पढ़वाने के लिये अतिरिक्त खर्चा गरीब छात्रों के माँ बाप कहा से लाये। अगर वे टयूशन नही जाते है तो शिक्षक की प्रताडना और शोषण का शिकार बनते है। प्रथम तो शिक्षक कक्षा में पढ़ाते ही नही है यदि पढाते भी है तो कुछ इस प्रकार कि कोई भी छात्र समझ नही सकता यह तरीका ट्ूयूशन खोर शिक्षकों ने अपना रखा है। जब कि सरकार ने सरकारी शिक्षाकों को टयूशन के लिये प्रतिबंधित किया है। समाचार पत्र के माध्यम से छात्रों ने प्रशासन से सवाल किया है कि हमारे सम्मानीय शिक्षकों का यह रवैया कहां तक सहन करने योग्य है। क्या हम छात्रों को पेट काटकर उक्त लालची लोगों का पेट भरना पडेग़ा जबकि सरकार इन्हें विद्यालय में पढ़ाने के लिये भरपूर वेतन दे रही है। ऐसे में हम छात्रों का भविष्य अधर में है। एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई छात्र प्रताड़ना से भयभीत होकर विद्यालय नही आते है अपने घरो पर माँ बाप से टयूशन के लिये फीस देने के लिये झगड़ रहे है। यह अमानवीय रवैया उत्कृष्ट विद्यालय में बदस्तूर जारी हैं छात्रों ने संवाददाता क ो बताते हुये जिला प्रशासन से मांग की है कि उत्कृष्ट विद्यालय के अध्यापन कार्य की गोपनीय विडियों ग्राफी कराई जाये ताकि टीचरों की लालची प्रवृति व अध्यापन के प्रति अरूचि की पोल खुल सके तथा छात्र भी उक्त कतिपय शिक्षकों के प्रताडना व शौषण से बच सकेगें। टयूशन के लिये दबाव बनाना छात्रों का शोषण है। इस और प्राचार्य तथा प्रशासन को सक्रिय होना चाहिये।
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