गुरुवार, 9 जुलाई 2009

गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगेगी शिक्षकों की डयूटी : शालाओं में प्रशासकीय व अकादमिक व्यवस्थाओं के संबंध में अनेक निर्णय

गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगेगी शिक्षकों की डयूटी : शालाओं में प्रशासकीय व अकादमिक व्यवस्थाओं के संबंध में अनेक निर्णय

Bhopal:Wednesday, July 8, 2009

 

मध्यप्रदेश में इस वर्ष आए हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी परीक्षा परिणामों की शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस द्वारा संभागवार एवं राज्य स्तरीय समीक्षा के बाद शालाओं में प्रशासकीय व अकादमिक सुधार हेतु अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये है। प्रदेश में शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए इन निर्णयों का विभिन्न स्तरों पर पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश सभी संभागीय संयुक्त संचालकों एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को दिये गये है।

जिला व संभाग स्तर पर शैक्षिक व्यवस्थाएं सुदृढ़ बनी रहे इसके लिए शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में न लगाये जाने का निर्णय लिया गया है। यथासंभव सभी शालाओं को एक ही पाली में लगाने के निर्देश दिये गये है। जब तक कोई अपरिहार्य कारण न हो तब तक उन्हें दो पाली में नहीं लगाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी डीईओ को सौंपी गई है। शासन ने हाई स्कूल व हायर सेकेंडरी परिसर में संचालित प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं का नियंत्रण संबंधित प्राचार्य को सौपा है। एक ही परिसर में संचालित विद्यालयों की एकीकृत समय सारणी बनाने तथा उसका उत्तरदायित्व भी संबंधित प्राचार्य को सौंपा गया है। इस साल के शैक्षणिक कैलेंडर में दिये गये निर्देश के तहत सम्पूर्ण पाठयक्रम को इकाईयों में विभाजित करते हुए प्रत्येक माह के लिए पाठयक्रम का निर्धारण करने का निर्णय लिया गया है। पाठयक्रम निर्धारित समयावधि में पूरा कराया जायेगा।

शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मासिक मूल्यांकन की व्यवस्था को प्रभावी बनाया गया है। मासिक मूल्यांकन माह के अंतिम दो दिवस में किया जायेगा। प्रत्येक मासिक टेस्ट के आधार पर कमजोर छात्रों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार होगी। पहले एवं दूसरे माह की सूची का विश्लेषण प्राचार्य विषय शिक्षकों के साथ स्वयं कर यह देखगें कि छात्र में कितना सुधार हुआ है। त्रैमासिक अर्ध्दवार्षिक परीक्षा एवं प्री-बोर्ड परीक्षा वार्षिक परीक्षा के प्रश्नपत्रों के पैटर्न के अनुसार होंगी। इन परीक्षाओं में चिन्हित कमजोर छात्रों के लिए विशेष निदानात्मक कक्षाएं संचालित की जायेंगी। प्राचार्यों से कहा गया है कि वे जब भी कक्षा के निरीक्षण के लिए निकले, तब कमजोर छात्रों से जरूर चर्चा करें और चर्चा का रिकार्ड डायरी में संधारित करें। ऐसे सुदूर ग्रामीण इलाके जहां किसी विषय के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, वहां अन्य संस्थाओं में पदस्थ शिक्षक या डाईट में कार्यरत विषय शिक्षकों को मोबाईल टीचर के रूप में सप्ताह में 2 से 4 दिन तक अध्यापन के लिए भेजा जाए।

शासन ने विद्यालय, जिला, संभाग स्तर पर भी अकादमिक गतिविधियों की मॉनीटरिंग कराने का निर्णय लिया है। विद्यालय में पदस्थ वरिष्ठ व्याख्याता को विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों की मॉनीटरिंग के लिए नियुक्त किया जायेगा। प्राचार्य एवं संबंधित वरिष्ठ व्याख्याता दोनों अध्यापन कार्य करेंगे। जिला स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारी समस्त अकादमिक गतिविधियों की मॉनीटरिंग करेंगे। सहायक संचालक के नेतृत्व में जुलाई माह में शालाओं के निरीक्षण की कार्ययोजना बनेगी। संभाग स्तर पर संयुक्त संचालक के साथ प्राचार्य स्तर के दो अधिकारी अकादमिक कार्य की मॉनीटरिंग के लिए नियुक्त होंगे। संयुक्त संचालक प्रत्येक जिले में कम से कम दो बार स्वयं अकादमिक गतिविधियों का निरीक्षण करेंगे। संभाग स्तर पर की गई मॉनीटरिंग का प्रतिवेदन अकादमिक संचालक, लोक शिक्षण को भेजा जायेगा। साथ ही यह निर्देश दिये गये है कि शिक्षक शालाओं में उपस्थित रहे, बसों के हिसाब से समय चक्र न बनाया जाए। शिक्षक आधा घंटा पहले आए और आधा घंटा बाद जाए।

जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारी भी किसी एक स्कूल को अपनाएगें। राज्य स्तर पर एक संचालक एवं उसके अधीन चार संयुक्त संचालक अकादमिक व्यवस्था की मॉनीटरिंग करेगें। ये जुलाई में जिलों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करेगें कि सभी स्कूलों का संचालन प्रारंभ हो चुका है। राज्य#संभाग तथा जिला स्तर से किये जाने वाले निरीक्षणों के दौरान उक्त निर्देशों का परीक्षण करने को कहा गया है। इनका पालन नहीं होने पर संभागीय संयुक्त संचालक#जिला शिक्षा अधिकारी उत्तरदायी रहेगें।

 

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