गुरुवार, 19 अप्रैल 2007

नारी कल्याण की दिशा में सरकार की ठोस पहल

नारी कल्याण की दिशा में सरकार की ठोस पहल

 

मुरैना 19 अप्रेल07- नारी लक्ष्मी का रूप है और इनका सम्मान सत्कार करने वाले को हर तरह की विभूति मिलती है । महाभारत के रचियता वेदव्यास के इस अमरवाक्य को मध्यप्रदेश की सरकार ने अंगीकार किया है और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नारी कल्याण की दिशा में ठोस पहल की है ।

       प्रदेश में सामाजिक पंचायतों की शुरूआत महिला पंचायत से कर सरकार ने महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में अभिनव पहल की है । महिला पंचायत में महिलाओं को पंचायतों और स्थानीय निकायों के चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण का निर्णय लेकर समाज में नारी को बराबरी का हक दिलाने का प्रयास किया गया है । इससे सत्ता में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का विस्तार तो होगा ही, साथ ही दीर्ध कालीन परिणाम समाज में महिलाओं की स्थिति और प्रभाव में सुधार आत्मविश्वास में वृद्वि के रूप में प्रकट होंगे । यह निर्णय नारी की अस्मिता को समाज में पुर्नस्थापित कर यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तय देवता की उक्ति को चरितार्थ करेगा ।

       सरकार ने बेटी के जन्म से लेकर शिक्षा और व्याह तक की चिन्ता की है । कन्या के जन्म को परिवार में बोझ न समझा जाय। इसके लिए बालिकाओं की शिक्षा स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण की नई योजना लाड़ली लक्ष्मी शुरू की है । इस योजना के अन्तर्गत 1 जनवरी2006 के पश्चात जन्म लेने वाली हर बालिका के नाम सरकार 30 हजार रूपये के राष्ट्रीय बचत पत्र खरीदेगी । बालिका के कक्षा पांचवीं पास कर छटवीं में प्रवेश लेने पर दो हजार रूपये, कक्षा आठवीं उत्तीर्ण करने पर चार हजार रूपये, कक्षा दसवीं पास करने पर साढ़े सात हजार रूपये और कक्षा ग्यारहवीं में प्रवेश लेने के बाद आगामी दो वर्ष तक प्रतिमाह दो सौ रूपये दिये जायेंगे । बालिका की 21 बर्ष की आयु पूर्ण होने पर एक लाख रूपये का भुगतान किया जायेगा ।

       कक्षा बारहवीं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली हर गांव की एक बालिका को उच्च शिक्षा में मदद के लिए शुरू की गई गांव की बेटी योजना का विस्तार कर दिया गया है । अब गांव की प्रत्येक प्रथम श्रेणी आने वाली बालिका को योजना का लाभ दिया जायेगा । मुफ्त साइकिलें अब दसवीं के अलावा कक्षा 6 की अनुसूचित जाति और जनजाति की बालिकाओं को भी मिलेगी । आठवीं तक की छात्राओं को निशुल्क गणवेश और पाठय पुस्तकों का लाभ दिया जा रहा है । महिलाओं की दुर्गावती वटालियन बनाने के उद्वेश्य से पुलिस में दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है । जमीन जायदाद में बराबरी का हक दिलाने के लिए सम्पत्ति का पंजीयन महिला के नाम कराने पर स्टाम्प शुल्क में कमी का प्रावधान लागू है ।

       गरीब घर की बेटी बिन व्याही न रहे, इस उद्वेश्य की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना प्रारंभ की गई है । इसके तहत हर गरीब परिवार की कन्या के विवाह हेतु पांच हजार रूपये की मदद और आयोजक को व्यवस्था हेतु एक हजार रूपये की राशि दी जा रही है । आंगनवाड़ी में अब अन्न प्रासन्न और जन्मोत्सव के कार्यक्रमों के अलावा जच्चा को सुपुष्ट रखने के लिए गोदभराई की रस्म भी शुरू की गई है । गर्भवती मां कुपोषण की शिकार न हो और उसकी आने वाली संतान भी पुष्ट हो, इसके लिए जननी सुरक्षा, विजयाराजे जननी कल्याण योजना शुरू की गई है । गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए परिवहन की भी निशुल्क व्यवस्था की गई है । इन योजनाओं का मुख्य उद्वेश्य मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाना और पुरूष तथा महिला के अनुपात दर में कमी लाना है । यही नहीं नारी कल्याण की दिशा में पहल करते हुए 13 विभागों में जेंडर बजटिंग की शुरूआत भी हो गई है और इसे प्रारंभ करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है ।

       इन समस्त योजनाओं के दूरगामी परिणाम के रूप में बाल विवाह में कमी आयेगी, बालिकाओं के शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में सुधार होगा, जन संख्या वृद्वि दर में कमी आयेगी और लिंगानुपात में सकारात्मक परिवर्तन होगा

 

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