शुक्रवार, 20 अप्रैल 2007

महक मोहब्बत की, झलक विकास की

महक मोहब्बत की, झलक विकास की

किशन रतनानी

भारतीय सूचना सेवा,वरिष्ठ मीडिया संचार अधिकारी,पसूका,कोटा

      महसूस करना चाहते हैं महक मोहब्बत की, देखना चाहते हैं झलक विकास की , तो आपको चलना पड़ेगा झालावाड़ जिले के खानपुर कस्बे में । झालावाड़ से लगभग 35 कि0मी0 दूर बसा खानपुर पंचायत समिति मुख्यालय है जहां ख्वाजा गरीब नवाज़ महिला स्वयं सहायता समूह से जब आपका सामना होगा तो आप इस कहानी की सच्चाई को समझ भी पाएंगे और महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण देख भी पाएंगे ।

      न्न मोहब्बत तो बनी बनाई है न्न समूह की कोषाध्यक्ष जुमरत बाई तपाक से जवाब देती हैं जब उनसे पूछा कि न्न ख्वाजा गरीब नवाज़ समूह न्न नाम क्यों ?

      अध्यक्ष कांतिबाई कहती हैं कि ख्वाजा गरीब नवाज तो सबके हैं, सबका भला चाहते हैं हमारा भी भला हो यह  सोच कर नाम रखा । बारह महिलाओं के इस समूह में 10 मुस्लिम तथा दो हिन्दू महिलाएं हैं । दिसम्बर 2001 में बना यह समूह आर्थिक उन्नति की मिसाल भी है तो हमारे देश की विशेषता साम्प्रदायिक सद्भाव का सुखद अहसास भी ।

      इस समूह को हाड़ौती क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की खानपुर शाखा से पहले पहल 25 हजार रूपए का रिण मिला जिसमें से 10 हजार अनुदान था । इन 12 महिलाओं ने 4-4 का समूह बनाकर ढाबा, चूड़ी और फल-फ्रूट की दुकानें खोलीं । इनकी मेहनत, इनका मिलनसार स्वभाव तथा इनमें लक्ष्य के प्रति मजबूती, ऐसे मिले की सफलता सामने आ गई । 21 जुलाई 2004 को समूह को इन व्यवसायों को बढाने के लिए ढाई लाख रूपए का रिण इसी बैंक से मिला । सरकार की योजना के तहत इसमें से एक लाख 15 हजार अनुदान था शे­ा एक लाख 35 हजार रूपए इस समूह को चुकाना था, जो इन्होने चुकाने में कोई कसर नहीं रखी, लगभग सारा चुकता हो गया है ।

      इनकी खुद की बचत जो समूह बनाते वक्त बीस-बीस रूपए से शुरू की गई है आज 23 हजार रूपए की राशि बन गई है जिसको जरूरत पड़ने पर यह समूह आपस में लेन देन करता हैं । समूह की बैठकें, समूह का रिकार्ड सब सलीके से चल रहा है, यही सलीका उनके आपसी व्यवहार में भी आप सूंघ पाएंगे ।

      भारत निर्माण अभियान के लिए खानपुर में जब इनसे संपर्क हुआ तो इन्हें भी स्टाल लगाने के लिए कहा गया । न्न स्टाल क्यों न्न सवाल इनका था , जवाब भी इन्हाने ही दिया न्न ताकि हमारे काम को देखकर बाकी लोग प्रेरणा ले सकें  न्न

      समझ, सलीका, सामर्थ्य और सफलता सब संभव है, सरकार और संस्थाएं मिलकर इसे एक शाश्वत सत्य बना सकते हैं, इसका पुख्ता प्रमाण है खानपुर का ख्वाजा गरीब नवाज महिला स्वयं सहायता समूह

 

 

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