ताज महल : अपना खर्च खुद उठाने में सक्षम
भारत को प्रतिवर्ष कमा कर देता है करोड़ो रू.
ताजमहल की सुरक्षा को खतरे की बात केवल कोरी अफवाह: भारत सरकार ने किया खण्डन
ताजमहल अपनी संरक्षा और देख रेख के लिये किसी विदेशी सहायता का मोहताज नहीं
आज भारत सरकार द्वारा ताजमहल के बारे में फैलायी जा रही भ्रांतियों और बेबुनियाद तथ्यों का खण्डन आलेख जारी किया है , इस आलेख में स्पष्ट किया गया है कि ताजमहल पूरी तरह सुरक्षित और संरक्षित है । न तो इसको किसी प्रकार का कोई खतरा है और न इसकी संरक्षा और देखभाल के लिये किसी विदेशी इमदाद की जरूरत है , भारत सरकार और स्वयं ताजमहल अपना संधारण व्यय उठाने में ही सक्षम नहीं है बल्कि उल्टे देश को कई करोड़ हर साल कमा कर देता है । नीचे सरकार द्वारा आज जारी आलेख नीचे यथावत प्रकाशित है ।
ताजमहल भारत के सबसे शानदार स्मारक के रूप में जाना जाता है और इसमें कोई शक नहीं है कि यह मुगल समाट्रों द्वारा बनाए गए श्रृंखलाबध्द मकबरों में से सबसे भव्य स्मारक है। शाहजहाँ ने अपनी दूसरी पत्नी मुमताज महल की याद में इस विशाल मकबरे का यमुना के किनारे निर्माण करवाया था। ताज महल का निर्माण 1631 में प्रारम्भ होकर और करीब 22 वर्षो में पूरा हुआ। इसके निर्माण कार्य में 20 हजार लोगों को लगाया गया और इसके लिए निर्माण सामाग्री पूरे भारत के अलावा मध्य एशिया से मंगाई गई।
ताज महल लाल रेत की उंची बुनियाद पर खड़ा है जिसके उपरी हिस्से पर सफेद संगमरमर की छत है, जिस पर महरावदार मीनारों से घिरा प्रसिध्द गुम्बद टिका है। इस गुम्बद के भीतर जवाहरातों से जड़ी महारानी की कब्र है।
ताज महल को 1920 में प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के अंतर्गत एक संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया गया।
ताज महल को देखने के लिए प्रतिवर्ष 20 लाख से ज्यादा पर्यटक आते हैं। पिछले तीन वर्षो के दौरान ताज महल को निहारने आए पर्यटकों की संख्या नीचे दर्शायी गई है :- वर्ष | भारतीय | विदेशी | कुल संख्या |
2004 | 1847955 | 364997 | 2212952 |
2005 | 1885286 | 593637 | 2478923 |
2006 | 2048120 | 491351 | 2539471 |
ताज महल में प्रवेश शुल्क के साथ लिये जाने वाला पथकर आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा लिया जाता है। ताज महल में प्रवेश के लिए पथकर सहित लिया जाने वाला शुल्क भारतीयों और विदेशियों के लिए इस तरह से है :-
प्रवेश शुल्क(एएसआई) पथकर कुल (रू0 में)
भारतीय 10 10 20
विदेशी नागरिक 250 500 750
वर्ष 2004-07 के दौरान भारतीय पुरातत्वीय सर्वेक्षण, एएसआई द्वारा ताज महल से अर्जित किया गया राजस्व नीचे दर्शाया गया है :-
वर्ष | राजस्व भारतीय रू0 में | राजस्व अमरीकी डॉलर में | कुल अर्जित राजस्व (रू0 में) |
2004 | 61665800 | 961260 | 106845020 |
2005 | 55952610 | 1326190 | 118283540 |
2006 | 53506950 | 1796240 | 137930230 |
2007(मार्च तक) | 18436390 | 675975 | 50207215 |
ताज की ढांचागत मजबूती
ताज महल का ढांचा असाधारण रूप से मजबूत है। एएसआई, रूड़की विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय भूभौतिकी अनुसंधान संस्थान और केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान(सीबीआरआई) रूड़की जैसे जाने माने संस्थानों के साथ नियमित रूप से ताज महल की ढांचागत मजबूती की देखरेख कर रही हैं। इसकी ढांचागत मजबूती को लेकर दबाब विश्लेषण, भवन सामाग्री की स्थिति, तकनीकी अभियांत्रिकी और भूकम्पीय सुरक्षा जैसे विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अनेक वैज्ञानिक अध्ययन किये जा चुके हैं। सीबीआरआई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक स्मारक को किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है। इस अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि स्मारक की मजबूती के साथ-साथ नींव में भी किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं है।
मीनारें
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि ताज महल की मीनारें झुक रही हैं। यह वास्तविकता से परे है। एएसआई मीनारों के शीर्ष कोणों की नियमित देखरेख भारत सर्वेक्षण के सुपर्द कर चुकी है। इसके लिए 1940 से अध्ययन किये जा रहे हैं। भारत सर्वेक्षण द्वारा किए गये अध्ययनों से यह पता चलता है कि ताज महल की चारों मीनारों के शीर्ष कोणों में कोई बदलाव नहीं है। उनकी हाल की रिपोर्ट में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि चारों मीनार और ताज का ढांचा आज भी उतना ही मजबूत है जितना कि अपने निर्माणकाल में था। भूगणितीय प्रेक्षण की मानक त्रुटियों में ही कुछ बदलाव नजर आए।
संरक्षण
भारतीय पुरातत्वीय सर्वेक्षण (एएसआई) ताज महल पर नियमित रूप से संरक्षण और प्रतिरक्षण का कार्य करता है। 1970 में आगरा से करीब 40 किलोमीटर उत्तर में मथुरा में तेल परिष्करण-शाला के स्थापित हो जाने के बाद से ताज महल का संरक्षण एक गहन चिंता का विषय बन गया। एएसआई ताज महल के आस-पास की वायु मात्रा में सल्फर-डाई-ऑक्साइड(एसओ2), नाइट्रो ऑक्साइड और एसपीएम(धूल) की नियमित रूप से निगरानी रख रहा है। हालाकि एसओ2 और एनओ की मात्रा एक निश्चित सीमा के भीतर है पर शुष्क मौसम में एसपीएम(धूल) तय मानकों से कहीं ज्यादा होती है।
वर्ष 2001-03 में, एएसआई ने ताज महल के मुख्य मकबरे की मार्बल सतह पर जमीं धूल और गंदगी को साफ करने के लिए मुलतानी मिट्टी का प्रयोग किया। इसके तहत रसायनिक रूप से परिष्कृत एल्मुनियम सिलिकेट(मुलतानी मिट्टी) का प्रयोग किया गया जोकि एक अक्रिय सामाग्री है और इसका मार्बल की सतह पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। मुलतानी मिट्टी का गाढ़ा घोल बनाकर मार्बल की सतह पर लगाया गया। इस घोल को कुछ दिनों के लिए मार्बल पर लगाकर अपने आप ही गिरने के लिए छोड़ दिया गया। मिट्टी के छूटने के बाद सतह को नमक रहित पानी से साफ कर दिया गया। मुलतानी मिट्टी का प्रयोग आमतौर पर पांच वर्षो में एक बार अथवा जरूरत के मुताबिक किया जाता है।
उच्चतम न्यायालय भी ताज महल पर पड़ने वाले वायु प्रदूषण के संभावित प्रभावों पर ध्यान दे चुका है। 1996 में, उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में आगरा में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए श्रृंखलाबध्द उपायों को अपनाने के आदेश जारी किए थे। इसके तहत छोटे स्तर पर चल रही प्रदूषित ईकाईयों(लौह ढलाईघरों) पर प्रतिबंध लगाने का एक बड़ा कदम उठाया गया था। यह भी आदेश दिया गया था कि स्मारक के 500 मीटर के दायरे में यात्रियों के प्रदूषित वाहनों को चलने की अनुमति न दी जाए और इसकी चाहरदीवारी के 200 मीटर के क्षेत्र में सभी नए निर्माणों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए।
भारत सरकार ने करीब 10400 वर्ग किलोमीटर के इलाके में आने वाले मथुरा फिरोजाबाद, हाथरस, भरतपुर आदि कस्बों को एक नियंत्रित विकास क्षेत्र के रूप में ताज समलम्ब क्षेत्र घोषित कर दिया है।
पिछले तीन वर्षो में ताज महल के संरक्षण पर आने वाला एएसआई का व्यय ब्यौरा नीचे दर्शाया गया है :-
(रूपए लाख में)
| 2004-05 | 2005-06 | 2006-07 |
परिदृश्य और बागबानी | 24.44 | 24.65 | 10.18 |
रसायनिक संरक्षण और वायु गुणवत्ता की देखरेख | 20.99 | 23.50 | 31.73 |
ढांचागत संरक्षण और रख-रखाव | 77.92 | 90.15 | 117.67 |
कुल | 123.55 | 138.30 | 159.58 |
ताजमहल का रात्रि अवलोकन
पर्यटकों द्वारा ताज महल को रात्रि में निहारने की विशेष मांग को ध्यान में रखते हुए एएस आई ने पूर्णमासी के दिनों में रात्रि में ताज का अवलोकन खोल दिया था। लेकिन सुरक्षा कारणों से, रात्रि अवलोकन को 1996 से रोक कर दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई एक गुजारिश के बाद, उच्चतम न्यायालय ने कुछ निश्चित शर्तो के बाद नवम्बर, 2004 में रात्रि अवलोकन की फिर से इजाजत दे दी। पूर्णमासी एवं पूर्णमासी के दो दिन पहले और दो दिन बाद एक माह में पांच दिन तक रात्रि अवलोकन की इजाजत दी गई।(शुक्रवार और रमजान के महीनें के अतिरिक्त) रात्रि अवलोकन शाम 8 बजकर 30 मिनट से रात्रि 12 बजकर 30 मिनट तक खुला है और इसमें प्रत्येक दिन 50 पर्यटकों के एक समूह में कुल 400 पर्यटकों को इजाजत दी गई है। पर्यटकों को मुख्य प्रवेश द्वार के निकट लाल रेतीले पत्थरों के परिसर से आगे जाने की इजाजत नहीं है और इसके लिए उन्हें प्रति व्यक्ति 500 रू0 का अतिरिक्त प्रवेश शुल्क अदा करना होता है। यह अतिरिक्त शुल्क ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था की लागत और संख्या को कम करने के मद्देनजर लगाया गया है।
ताज संग्रहालय का सुधार
एएसआई, आगरा क्षेत्र ने ताज संग्रहालय के सुधार हेतु कुछ चुनिंदा कंम्पनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए थे और स्वीकृति के बाद, एक विशेषज्ञ कंपनी को वैचारिक योजना की तैयारी को पूर्णरूप देने के लिए निर्धारित कर लिया गया। कंपनी ने एक वैचारिक योजना को प्रस्तुत किया जिसे संग्रहालय विशेषज्ञों और निदेशालय द्वारा मंजूरी दे दी गई। सलाहकार अब एक विस्तृत परियोजना को अंतिम रूप दे रहे है। संग्रहालय के सुधार का कार्य शीघ्र ही प्रारम्भ हो जाएगा। इस वर्ष इस कार्य के लिए 26 लाख रूपए प्रदान करने की व्यवस्था की गई हैं।
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