अतीत के संवरने पर ही भविष्य सुधरेगा- श्री यादव
सरपंचों की पुरातत्वीय प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न
मुरैना 16 जून07- राज्य शासन के पुरातत्व विभाग द्वारा सरपंचों को पुरातत्वीय धरोहरों के प्रति जागरूक बनाने के उध्देश्य से आज मुरैना के जीवाजी गंज स्थित टाऊन हॉल में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई । कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री सभाजीत यादव ने गणपति की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर किया । इस अवसर पर अनुविभागीय राजस्व अधिकारी मुरैना श्री विजय अग्रवाल,जीवाजी विश्वविद्यालय के डा. एस.डी.शर्मा और डा. रामअवतार शर्मा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली के अधीक्षक पुराविद डा. धर्मवीर शर्मा और डा. संजय मंजुल तथा शिक्षा विद,गणमान्य नागरिक और सरपंच गण उपस्थित थे ।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री सभाजीत यादव ने कहा कि अतीत की गौरवशाली परम्परा रही है और अतीत की धरोहरों को सहेज कर ही हम अपने भविष्य को सुन्दर बना सकते हैं तथा इस अंचल को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिला सकते हैं । उन्होंने कहा कि शायद यह पहला अवसर है जब ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंचों को अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के सरंक्षण के प्रति जबावदेह बनाने के लिए भागीदार बनाया जा रहा है । उन्होने कहा कि सरपंच अपने आपको केवल निर्माण एजेंसी न समझें बल्कि ग्राम के समग्र विकास के व्यवस्थापक की हैसियत से काम करें । उन्होंने कहाकि आज का वर्तमान और आने वाला भविष्य भी कल अतीत बन जायेगा । उन्होंने कहा कि अंचल में पुरातत्वीय धरोहरों की समृध्द और गौरव शाली परम्परा रही है, जरूरत इन स्मारकों और धरोहरों के संरक्षण व सवंर्धन के प्रति जन आन्दोलन चलाने की है । उन्होंने कहा कि आज से कई साल पहले जो स्मारक व इमारतें बनीं थी, आज वे प्रदेश में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाये हुए हैं । उन्होंने सरपंचों का आव्हान किया कि वे राष्ट्रीय व पुरातत्वीय धरोहरों के सरंक्षण और सवंर्धन के लिए आगे आये ।
श्री यादव ने कहा कि राज्य शासन ने महारानी लक्ष्मीबाई के वलिदान दिवस पर 18 जून को प्रत्येक ग्राम में विशेष महिला ग्राम सभा के आयोजन का निर्णय लिया है । प्रशासन ने ग्राम सभा के आयोजन की समस्त तैयारियां पूर्ण कर ली हैं । सरपंचों को चाहिए कि वे अपने ग्राम में शासन की मंशा के अनुरूप विशेष ग्रामसभा का आयोजन कर महिलाओं को उनके हितार्थ चल रही योजनाओं से अवगत करायें और लाभान्वित करने की पहल करें ।
एस.डी.एम. श्री विजय अग्रवाल ने कहा कि कतिपय स्वार्थी तत्व ऐतिहासिक महत्व की धरोहरों को नुकसान पहुंचाने का उपक्रम कर रहे हैं । ग्रामीणों को इनसे सावधान रहने और पुरातत्विक संपदाओं के संरक्षण के प्रति जागरूक रहने की जरूरत हे । उन्होने कहा कि हमें पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सुविधाओं के विस्तार और वातावरण में बदलाव की बात भी सोचनी होगी ।
कार्यशाला को प्रो. एस.डी.शर्मा, प्रो. रामअवतार शर्मा तथा अधीक्षक पुराविद डा. धर्मवीर शर्मा और डा. संजय मंजुल और सेवानिवृत उप संचालक पुरातत्व श्री के.के.पांडे ने भी संबोधित किया । उन्होंने बताया कि कल के ईंट-गारे और पत्थर की संरचनाए आज पुरानिधि के रूप में विख्यात है । मुरैना के पहाडगढ में लगभग 20 हजार वर्ष पूर्व के आदिमानवों द्वारा बनायें गये शैलचित्र विधमान है, इन्हें सहेजने की जरूरत है । ककनमठ एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है, जिसके सरंक्षण पर भी ध्यान देना होगा । उन्होंने कहा कि मुरैना और आसपास के क्षेत्र में अनेक पुरातत्विक सम्पदा विखरी पड़ी है । सरपंचों को इस और भी ध्यान देना होगा और पुरासम्पदाओं के सरंक्षण व सवंर्धन में भागीदारी का संकल्प लेना होगा । कार्यशाला में सरपंचों ने भी अपने सुझाव रखे ।
कार्यशाला का संचालन डा. चैतन्य सक्सैना ने किया तथा अंत में सभी की उपस्थिति के प्रति श्री एल.वी.सिंह ने आभार व्यक्त किया ।
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