मंगलवार, 4 नवंबर 2008

वल्नरेबिलिटी मैपिंग के लिये जिलों में अभियान आठ नवंबर को व्यापक छानबीन सोर्स टीमों का गठन पुख्ता प्रशिक्षण का भी इंतजाम कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को हिदायत

वल्नरेबिलिटी मैपिंग के लिये जिलों में अभियान आठ नवंबर को व्यापक छानबीन सोर्स टीमों का गठन पुख्ता प्रशिक्षण का भी इंतजाम कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को हिदायत

 

भोपाल : तीन नवंबर, 2008

 

विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र प्रदेश में वल्नरेबिलिटी मैपिंग के काम ने तेज रफ्तार पकड़ ली है। पूरे प्रदेश में ऐसे इलाकों की पहचान को अंतिम रूप देने के लिये आठ नवंबर को एक दिनी व्यापक अभियान चलाया जायेगा। इस काम में चुस्ती और मुस्तैदी लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर टीमों का गठन शुरू हो गया है। टीमों के सदस्यों के लिए पुख्ता ट्रेनिंग का बंदोबस्त भी किया गया है। आज इस बारे में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री जे.एस. माथुर द्वारा कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को दिए गए ताजा निर्देश में काम को तयशुदा वक्त में तत्काल पूरा करने के लिए कहा गया है।

वल्नरेबिलिटी मैपिंग के लिए स्त्रोत स्तर की टीम में तहसीलदार या नायब तहसीलदार और थाना प्रभारी शामिल किए गए हैं। इसे स्त्रोत स्तर की टीम का नाम दिया गया है। इस टीम में जरूरत पड़ने पर विकासखंड अधिकारी समेत अन्य तहसील या खण्ड स्तरीय अफसर और जिले के अन्य वरिष्ठ अफसर भी तैनात किए जा सकेंगे। स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक इस टीम के समूह तय किए गए हैं।  जिलों में सदस्यों और इनके लिए ट्रेनर्स का चयन किया गया है। टीम के सदस्य आठ नवंबर को उन्हें आवंटित किए गये क्षेत्र का दौरा कर वहाँ की वल्नरेबिलिटी के बारे में अपना अभिमत देंगे।

टीम को प्रशिक्ष्ण देने वाले मास्टर ट्रैनर्स का प्रशिक्षण वल्नरेबिलिटी मैपिंग की प्रक्रिया के बारे में जिला निर्वाचन अधिकारी 4 नवंबर को सुनिश्चित करेंगे। इस प्रशिक्षण में जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों के रिटर्निंग अफसर भी अनिवार्य तौर पर मौजूद रहेंगे। इसके बाद 5 नवंबर को ये मास्टर ट्रेनर्स स्त्रोत स्तर टीम को प्रशिक्षित करेंगे। स्त्रोत स्तर टीम संबंधित मतदान केन्द्र के तहत काम करने वाले पटवारियों, कोटवारों, पुलिस कर्मियों, ग्राम सेवकों, सरकारी कर्मचारियों आदि अन्य से उस क्षेत्र की समूची जानकारी 7 नवंबर तक हासिल कर लेगी। फिर 8 नवंबर को इस टीम के सदस्य खुद इन क्षेत्रों का दोरा कर वल्नरेबिलिटी की संभावनों की पड़ताल करेंगे। यह दौरा व्यापक तौर पर अद्यतन एवं सही जानकारियां इकट्ठा करने और उनकी पुष्टि के लिए होगा। इस मौके पर वल्नरेबिलिटी के कारण और औचित्य की पड़ताल वहाँ के लोगों से बातचीत के जरिए की जाएगी।

प्रत्येक स्त्रोत स्तर टीम 10 नवंबर तक तयशुदा प्रारूप में वल्नरेबिलिटी के काम को पूरा करेगी। इसके बाद यह 11 नवंबर को इसकी रिपोर्ट रिटर्निंग अफसर को सौंपेगी। रिटर्निंग अफसर इस रिपोर्ट का आंकलन कर अपने अभिमत के साथ एक रिपोर्ट निर्वाचन अधिकारी को 12 नवंबर को सौंपेंगे। यह रिपोर्ट मतदान केन्द्रवार होगी ओर इसमें पूरी जानकारी विस्तृत रूप से शामिल की जाएगी। इसमें वल्नरेबल क्षेत्र, इसके कारण और इन्हें ऐसा बनाने वालों के नाम के ब्यौरे शामिल होंगे। वल्नरेबिलिटी के कारणों की पड़ताल में जातिगत, सांप्रदायिक, आपराधिक प्रवृत्ति के बलशाली लोगों का अस्तित्व, वर्चस्व, आपसी वैमनस्यता आदि अन्य कारण शामिल रहेंगे। इस मकसद से ऐसे लोगों का इतिहास खंगाला जायेगा जो धन और बाहुबल से मतदाताओं पर किसी किस्म का दवाब या प्रभाव डाल सकते हैं। इसी बात की छानबीन के लिए ये टीमें बनाई गई हैं।

जिला निर्वाचन अधिकारी वल्नरेबिलिटी मैपिंग की रिपोर्ट 13 नवंबर को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को भेजेंगे। वे इस रिपोर्ट में रिटर्निंग अफसर की मैपिंग में अपना अभिमत भी देंगे। निर्देशों में यह साफ कर दिया गया है कि स्त्रोत स्तर टीमों को प्रत्येक मतदान केन्द्र के लिए यह मैपिंग करनी है भले ही उसे वल्नरेबल माना जाये या नहीं।

वल्नरेबिलिटी मैपिंग के काम को पूरी कसावट और चुस्ती से इसलिए कराया जा रहा है ताकि इसके मुताबिक संबंधित जगहों पर क्रिटिकल मतदान केन्द्रों की पहचान, वहाँ पुलिस या सुरक्षा बलों की तैनावी और माइक्रो आब्जर्वर की नियुक्ति की जा सके। वल्नरेबिलिटी मैपिंग की रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग और केन्द्रीय प्रेक्षकों को भी दी जाएगी। इस मामले में जिला कलेक्टरों और पुलिस अफसरों को पूरी गंभीरता और मुस्तैदी से काम करने के लिए कहा गया है।

 

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