सोमवार, 31 मार्च 2008

बच्‍चों की परीक्षा, भयानक गर्मी और कुण्‍टलों मच्‍छरों के बीच दिन भर और फिर देर रात तक बिजली गोल

बिजली जिसने बदली थी सरकार, इतिहास दोहरा रहा है फिर वही नजारा

बच्‍चों की परीक्षा, भयानक गर्मी और कुण्‍टलों मच्‍छरों के बीच दिन भर और फिर देर रात तक बिजली गोल

अतर सिंह डण्‍डोतिया (तहसील संवाददाता)

मुरैना 31 मार्च 08, अब इसे आप क्‍या कहेंगे, इजनी बिजली तो उन्‍होंने भी नहीं कभी काटी जिनकी सरकार बदल दी गयी । यह वही बिजली कटौती है, जिसने सरकार बदल कर रातों रात प्रदेश की कांग्रेस सरकार को सत्‍ता से आउट कर दिग्विजय सिंह को अपदस्‍थ करा दिया था । दिग्विजय सिंह ने कभी इतनी बिजली नहीं काटी जितनी आज कट रही है । कल दिन भर बिजली गोल रहने के साथ आज रात एक बजे तक हर आधा घण्‍टे बीस मिनिट बाद एक एक घण्‍टे के लिये गोल होती रही, भीषण गर्मी भी है, मच्‍छर भी हैं, परीक्षायें भी चल रही हैं, लेकिन बिजली गोल है ।   

दिग्विजय सिंह की बिजली कटौती में यह निर्धारित व घोषित थी और लोगों को पहले से बिजली कटौती के टाइमिंग्‍स पता होते थे, और लोगों को अच्‍छी तरह ज्ञात रहता था कि रात में कब कितने समय सोना है और कब कितने बजे छत व सड़कों पर टहलना है । भीषण्‍ा गर्मी व मच्‍छरों के बीच म.प्र. के लोगों की सन 2003 तक गुजरी रातें, म.प्र. के लोग कभी भूल नहीं पाये, हालांकि चुनाव से दो माह पहले प्रदेश में अपने आप बिजली आ गयी थी और बिजली चाक चौबन्‍द हो गयी थी लेकिन उसके बावजूद जनता ने उन्‍हें अपदस्‍थ कर दिया था ।

आज के हालात व दिग्विजय सिंह के समय के हालातों में फर्क केवल यही है, कि उस समय लोगों को पता होता था कि बिजली कब जायेगी और कब आयेगी, लेकिन अब पता नहीं होता कि कब जायेगी और कब आयेगी । तादाद ए कटौती पहले से आज ज्‍यादा है ।

वही भीषण गर्मी, वही छात्रों की परीक्षायें, वही कुण्‍टलों मच्‍छरों का हमला, वही जनता को न सुनने वाले भ्रष्‍ट अफसर सब कुछ वही, वही पुराने दृश्‍यों को दोहराते हुये इतिहास दोबारा दोहराया जा रहा है । बस फर्क केवल यही है कि केवल सरकारी पार्टी बदल गयी है । सन 2003 के चुनावों में महज तीन माह में बिजली चाक चौबन्‍द करने के वायदे और सत्‍ता में आने के बाद चार माह, छ माह फिर अठारह माह और फिर तीन साल में बिजली चौबीस घण्‍टे अबाध सप्‍लाई की घोषणा करने वाली राजनीतिक पार्टी भाजपा आज की तारीख में तो आउटडेटेड हो ही गयी है, आगे की राम जाने बची खुची जनता जाने ।            

 

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