बुधवार, 13 अगस्त 2008

पाखण्‍डीयों का ईश्‍वर भक्ति ढोंग महज राज साधन हेतु होता है

जब गलत लोग या आसुरी प्रवृत्ति के लोग भगवान या ईश्‍वर का नाम सुमरने लगें या उसकी दुहाई देंनें लगें तो चतुर मनुष्‍यों को सावधान हो जाना चाहिये । यह आभास हो जाना चाहिये कि खतरा आसन्‍न व सन्निकट ही है ।

कुप्रवृत्तियों, दूषित प्रवृत्तियों, रजोगुण व तमोगुण में लिप्‍त मनुष्‍यों व पाखण्‍डीयों द्वारा ईश्‍वर का नाम लेने व ईश्‍वरीय आस्‍था व श्रद्धा का ढोंग एवं पाखण्‍ड करने से ईश्‍वर भी घृणा का पात्र हो जाता है और लोग ईश्‍वर में कलंक देखने लगते हैं अत: अनुचित वर्ण व अनुचित मनुष्‍य के कानों में व जिह्वा पर ईश्‍वर का नाम मात्र भी नहीं आना चाहिये ऐसे लोगों के कानों में व मुंह में पिघला हुआ सीसा भर देना चाहिये ।  - संकलित चाणक्‍य नीति एवं वेदों से

 

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