कितने नोट आए,कितने दिखाए अशोक अर्गल ने?
आलोक तोमर
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 12 अगस्त - संसद में विश्वास मत के दौरान वोट के बदले नोट का विवाद खड़ा करने वाले भाजपा सांसदों की तिकड़ी के नेता मध्य प्रदेश के मुरैना से सांसद अशोक अर्गल और उनके साथी बहुत विकट कानूनी दिक्कत में फंसने वाले हैं। उनके खिलाफ संसद को गुमराह करने के सिलसिले में आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है और भविष्य में उन्हें चुनाव लड़ने से भी रोका जा सकता हैं।
सीएनएन आईबीएन के टेप और इस पूरे कांड की जांच कर रही कमेटी को अब तक जो साक्ष्य मिले हैं उनसे साफ हो गया है कि अशोक अर्गल और उनके साथियाें ने लोकसभा में नोटों की जो गड्डिया रखी थी वे पूरी नहीं थी और इसका मतलब यह है कि जितनी रकम ली गई वह सबकी सब दिखाई नहीं गई। इसके अलावा स्टिंग ऑपरेशन में जिस बैग में यह रकम दिखाई गई थी, संसद में वह नहीं उसकी बजाय दो दूसरे बैग रखे गए। जाहिर है कि सांसदों ने बैग से नोट निकाले भी, उन्हें गिना भी और इसके बाद संसद में जितने चाहे उतने नोट दिखा दिए।
देश के वरिष्ठतम वकील सोली सोराबजी, हरीश साल्वे और देश के सबसे प्रतिष्ठित संपादको में से एक बी जी वर्गीज ने एक स्वर में कहा है कि इन दिखाए गए नोटों के नंबर, जिस बैंक से वे निकाले गए थे उसका नाम और जिसके खाते से निकाले गए थे उसका भी नाम पुलिस की पड़ताल में सामने आ सकता है। लेकिन सबका मानना यही है कि पुलिस की जांच 29 अगस्त के बाद शुरू होनी चाहिए जब संसदीय समिति अपनी रिपोर्ट दे दे।
समिति को इस पर आश्चर्य है कि भाजपा ने इस पूरे मामले पर कितना हंगामा मचाया और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग भी की मगर खुद पुलिस में इसकी शिकायत तीन दिन बाद करवाई।
अब तक जो तथ्य सामने आए हैं उनसे अगर अशोक अर्गल और उनके साथियों की कहानी पर विश्वास किया भी जाए तो भी वे अमर सिंह के लोदी स्टेट वाले मकान से फिरोजशाह रोड वाले अपनी मकान तक पहुंचे, वहां नोट गिने और यह तय किया कि लोकसभा में कितने नोट दिखाए जाने है। वहीं पर दूसरे बैगों का भी इंतजाम किया गया। इसके अलावा लोकसभा की समिति के सामने रखे गए टेप में अशोक अर्गल को संजीव सक्सेना के फोन पर अमर सिंह से बात करते हुए दिखाया गया है जहां वे बार बार उन्हें सर कह रहे हैं और दो बार उन्हाेंने दोहराया है कि एक करोड़ रुपए प्राप्त हो गए। इसके बाद खुद अशोक अर्गल के अनुसार वे अमर सिंह के घर गए और अगर वहां से और रकम मिली तो वह गई कहां?
जहां तक संजीव सक्सेना का सवाल है, वे लापता है लेकिन अब अमर सिंह ने भी स्वीकार लिया है कि उनके संजीव सक्सेना से संबंध थे लेकिन वे कहते हैं कि सक्सेना कभी उनके कर्मचारी नहीं थे। यह भी उलझाने वाला बयान है क्योंकि संजीव सक्सेना को भी नोट लाते, गिनते और अमर सिंह से बात करते टेप पर देखा गया है। भाजपा नेता और बहुत बड़े वकील अरूण जेटली का कहना है कि उनके पास संजीव सक्सेना का फोन रिकॉर्ड है और उसमें जाहिर है कि अमर सिंह से कितनी बार बात की गई।
अशोक अर्गल, फग्गन राम कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा तीनों ही रिश्वत लेने के इल्जाम में दोषी माने जा सकते हैं और उनके खिलाफ मुकदमा चल सकता है। इसके अलावा अगर टेप पर दर्ज नोटों के नंबर से संसद में पेश नोटों के नंबर मेल नहीं खाते तो भी अशोक अर्गल और उनके दोनों साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी की कानूनी कार्रर्वाई हो सकती हैं। अशोक अर्गल को संसदीय समिति और कानून को तो कई जवाब देने ही हैं, उससे ज्यादा उन्हें मुरैना की जनता को जवाब देना है जिसने लगातार तीन बार उन्हें निर्वाचित कर के लोकसभा में भेजा। 29 अगस्त को साफ हो जाएगा कि अशोक अर्गल के भविष्य में अभियुक्त बनना लिखा है या संसदीय भ्रष्टाचार उजागर करने वाले नायक के तौर पर उनका नाम लिखा जाएगा।
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