मंगलवार, 25 सितंबर 2007

कम उम्र के कुपोषण का पूरे जीवन पर असर

कम उम्र के कुपोषण का पूरे जीवन पर असर

मुरैना 24 सितम्बर 2007 // बच्चे के जीवन में 6 माह से 2 वर्ष तक का समय विकास के लिए महत्व पूर्ण होता है । इस अवधि में बच्चे के विकास पर ध्यान नहीं दिये जाने पर, उसके कुपोषित होने के खतरे बढ़ जाते हैं । कम उम्र का कुपोषण पूरे जीवन पर असर डालता है और बच्चे को बीमार बनाये रखता है ।

       जन्म से 6 माह तक बच्चे को अच्छे और स्वास्थ विकास के लिए मां के दूध की आवश्यकता होती है । इस उम्र तक के बच्चे को मां के दूध के अलावा अन्य पेय पदार्थ आदि देना विकास को प्रभावित करता है । 6 माह के बाद बच्चों की वृध्दि अधिकतर धीमी हो जाती है । इस उम्र में बच्चा सीधा बैठने लगता है  और हर चीज को मुंह में डालता है । इस समय बच्चे को ऊपरी आहार शुरू करना लाभदायक रहता है । जीवित रहने, बढने और संक्रमण से लड़ने के लिए तथा चलने-फिरने और सक्रिय बने रहने के लिए जीवन में ऊर्जा का होना जरूरी है । आग के लिए जिस तरह लकड़ी जरूरी है उसी तरह पर्याप्त एवं उचित भोजन ऊष्मा ऊर्जा के लिए भी आवश्यक है । जिन बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है, उनमें कुपोषण के साथ, आयरन, विटामिन '' '' और अन्य सूक्ष्म तत्वों की कमी हो जाती है । इस तरह के बच्चे ठीक से बढ़ नहीं पाते और उनके जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने का खतरा बना रहता है ।

       समय से पहले ऊपरी आहार की शुरूआत बच्चे के विकास को प्रभावित करती है ।  6 माह तक बच्चे को जितनी ऊर्जा की जरूरत होती है, वह मां के दूध से मिल जाती है । इस समय यदि अन्य  तरल पदार्थ दिए गए , तो बच्चा कमजोर हो सकता है और उसको बीमारी का खतरा बढ़ सकता है । सही समय के बाद ऊपरी आहार की शुरूआत बच्चे की वृध्दि और विकास के लिए जरूरी है। ऊपरी आहार स्थानीय उपलब्ध खाद्य सामग्री में से होना चाहिए । चावल, गेहूं, मक्का, आलू, शकर कंद, कैला आदि शामिल होना चाहिए। इसमें एक चम्मच घी या तेल अवश्य मिला लेना चाहिए । बच्चे को दिए जाने वाला भोजन गाढ़ा होना चाहिए ।

       एक स्वस्थ शिशु के अन्दर 6 माह तक के लिए पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद होता है । इसी के कारण बच्चा अपने पहले वर्ष में तेजी से बढ़ता है और ऐसे में उसे अधिक आयरन की जरूरत होती है, जो ऊपरी आहार से ही मिल सकता है । पर्याप्त मात्रा में आयरन नहीं मिलने के कारण बच्चे में खून की कमी हो सकती है और इससे  वह जल्दी-जल्दी बीमार पडेंगा और बीमारी से ठीक होने में समय लगेगा आयरन की तरह बच्चे की बृध्दि के लिए जिंक भी आवश्यक होता है । दाले हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन के बहुत अच्छे स्त्रोत हैं ।

       विटामिन '' B '' बच्चे के भोजन में आवश्यक रूप से होना चाहिए इससे बच्चे की आंख और त्वचा स्वस्थ्य रहती है एवं रोगों से लड़ने की क्षमता में वृध्दि होती है । हरी पत्तेदार सब्जियां , दूध और नारंगी रंग के फल विटामिन '' '' के अच्छे स्त्रोत होते हैं । बच्चे को ऊपरी आहार के साथ पेय पदार्थ देना भी जरूरी है । यदि बच्चा बार- बार हल्के पीले रंग की पेशाव करता है, तो समझाना चाहिए कि उसे पर्याप्त पेय पदार्थ दिए जा रहे है । यदि कम तथा गहरे रंग की पेशाव करता है, तब उसे अधिक पेय पदार्थ देने की आवश्यकता है । बच्चे को दस्त लगने या बुखार आने पर उसे अधिक बार पेय पदार्थ देने चाहिए ।

 

कोई टिप्पणी नहीं :